एक रेल यात्रा याद आ रही है। इसका मैंने आज तक कभी भी जिक्र नहीं किया है। यह चार दिनों की यात्रा थी और इसमें चारों दिन पैसेंजर ट्रेनों में ही रहना था। सबसे बडी बात है कि इसके फोटो भी हैं मेरे पास। दिल्ली से चलकर आधी रात को मैं रेवाडी पहुंच गया। तारीख थी 19 अक्टूबर 2010. रेवाडी से सुबह सादुलपुर वाली पैसेंजर पकडी। रास्ते में महेन्द्रगढ और लोहारू बडे स्टेशन पडे। लोहारू जंक्शन भी है जहां से मीटर गेज की लाइन सीकर और आगे जयपुर चली जाती है। मेरा इधर आना पहली बार हुआ था। तब तक सादुलपुर से चुरू की तरफ रेल यातायात शुरू नहीं हुआ था- गेज परिवर्तन का काम चल रहा था लेकिन हिसार और हनुमानगढ वाली लाइनें चालू थी। हिसार वाली लाइन को बडा बनाया जा चुका था जबकि हनुमानगढ वाली लाइन मीटर गेज ही थी, आज भी है। सादुलपुर से सूरतपुरा तक हिसार और हनुमानगढ वाली लाइनें साथ साथ चलती हैं- मीटर गेज और ब्रॉड गेज। मैंने मीटर गेज की गाडी पकडी हनुमानगढ जाने के लिये। यहां से पहाडसर, नरवासी, हांसियावास, सिधमुख, अनूपशहर, कलाना, तहसील भादरा, गोगामेडी, श्री रामगढ, दीपलाना, नोहर, भुकरका, खनानियां, सुरेरा, ऐलनाबाद, तलवाडा झील