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शेखावाटी में आज के समय (2012) में एक ही रूट पर मीटर गेज चलती है- जयपुर से चूरू के बीच। एक समय ऐसा हुआ करता था कि शेखावाटी के लोगों को पता भी नहीं था कि भारत में कहीं बडी ट्रेन भी चलती है। उनकी सबसे नजदीकी ब्रॉड गेज दिल्ली में हुआ करती थी।
शेखावाटी में आज के समय (2012) में एक ही रूट पर मीटर गेज चलती है- जयपुर से चूरू के बीच। एक समय ऐसा हुआ करता था कि शेखावाटी के लोगों को पता भी नहीं था कि भारत में कहीं बडी ट्रेन भी चलती है। उनकी सबसे नजदीकी ब्रॉड गेज दिल्ली में हुआ करती थी।
पिछले दिनों शेखावाटी में अचानक दो लाइनें बन्द हो गईं। पहली रतनगढ- सरदारशहर और दूसरी लोहारू- सीकर। इनमें से दूसरी वाली पर मैंने यात्रा कर रखी थी, सरदारशहर वाली पर नहीं की थी। इनके बन्द होते ही मुझे डर लगने लगा कि कहीं जयपुर-चूरू भी बन्द ना हो जाये। यह लाइन बन्द हो, इससे पहले ही इस पर यात्रा कर लेनी चाहिये। इसी सिलसिले में आज मैं जयपुर में हूं।
यात्रा शुरू होती है नींदर बेनाड स्टेशन से। असल में कल रात मैं दस बजे जयपुर पहुंचा। अपने एक मित्र विधान उपाध्याय जयपुर के ही रहने वाले हैं और नींदर बेनाड के पास उनका घर है। रात उनके यहां चला गया। सुबह छह बजे तक आंख खुल जाये, यही बहुत बडा काम है। इसलिये तय हुआ सवा छह बजे तक नींदर बेनाड स्टेशन पहुंच जाना है। पन्द्रह किलोमीटर पीछे जयपुर जाकर वहां से यात्रा शुरू करनी चाहिये थी, लेकिन इतना भी काफी है।
बीच में ढहर का बालाजी स्टेशन पडता है। वो छूट गया यानी ढहर का बालाजी ढेर।
विधान ने बताया कि नींदर बेनाड का मतलब है निः+धड और बे+नाड। नाड कहते हैं गर्दन को। अब कहानी बिना धड और बिना गर्दन वाली है तो आगे कुछ भी जोडा जा सकता है।
अगर मैं भारत के इस अर्धमरुस्थलीय भाग में यात्रा न करता तो ट्रेन के सबसे पीछे वाले डिब्बे में बैठता। लेकिन अब धूल से बचने के लिये अगले डिब्बों में बैठना पडेगा। मैं अक्सर बीच वाले डिब्बों में बैठना पसन्द नहीं करता क्योंकि बीच वाले डिब्बों में यात्रियों का घनत्व सबसे ज्यादा होता है।
नींदर बेनाड के बाद भट्टों की गली, चौमूं सामौद, लोहरवाडा, गोविन्दगढ मलिकपुर, छोटा गुढा स्टेशन हैं और इनके बाद आता है रींगस जंक्शन। रींगस में बडी लाइन को पार करती हुई यह छोटी लाइन आगे चल पडती है। बडी लाइन रेवाडी को फुलेरा से जोडती है। सुबह विधान के यहां से एक कप चाय पीकर चला था, रींगस में कचौडियां खाई गईं।
मुझे पूरा यकीन था कि रींगस में ट्रेन पूरी भर जायेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर भी रींगस- सीकर सेक्शन सबसे ज्यादा भीड-भाड वाला सेक्शन रहा।
रींगस से आगे सोंथलिया, बावडी ठिकरिया, पलसाना, रानोली शिशू, गोरियां और सीकर जंक्शन आते हैं। यहां एक बडी मजेदार घटना घटी। ट्रेन स्टेशन पर रुकने वाली थी। मैं खिडकी पर ही खडा था, मेरे पीछे भी बहुत सी सवारियां उतरने वाली थीं। जैसे ही ट्रेन रुकी, मैं नीचे उतरा, तभी कोई भागा भागा आया और कहने लगा कि भाई, मैं कितनी देर से तुम्हें फोन कर रहा था, उठाया क्यों नहीं? मैंने फोन चेक किया तो वाकई तीन मिस्ड कॉल थीं उसमें। मैंने पूछा कि आप कह तो ठीक रहे हो, लेकिन आप हो कौन? बोले कि मनीष भुक्कड।
भुक्कड साहब मुझे कैसे जानते हैं, यह मुद्दा नहीं है लेकिन मैं उन्हें फेसबुक के माध्यम से जानता हूं। नाम सुनते ही पहचान गया। तभी याद आया कि सीकर की स्टेशन बिल्डिंग एक किस्म की धरोहर है।
पूरी शेखावाटी अपनी हवेलियों और उनमें की गई पेंटिंग के लिये मशहूर है। मैंने हालांकि शेखावाटी की पेंटिंग नहीं देखी हैं, लेकिन सुना खूब है इसके बारे में। तो जी, पेंटरों ने स्टेशन को भी नहीं छोडा। इसी वजह से यह स्टेशन एक तरह की धरोहर बन गया है। गेज परिवर्तन के दौरान इस बिल्डिंग को तोडा नहीं जायेगा। बल्कि भुक्कड साहब ने बताया कि यहां से कुछ हटकर नई बिल्डिंग बन रही है।
स्टेशन के प्रवेश द्वार से ही पेंटिंग शुरू हो जाती है, वाकई चमत्कृत कर देने वाली है।
सीकर से चले तो ट्रेन फिर से खाली हो गई। यहां से आगे स्टेशन हैं- रशीदपुर खोरी, लछमनगढ सीकर, फतेहपुर शेखावाटी, कायमसर, रामगढ शेखावाटी, महनसर, बिसाऊ और चूरू जंक्शन।
चूरू तक दोपहर हो गई। अब मुझे एक घण्टे बाद पैसेंजर ट्रेन पकडकर बीकानेर जाना है। अच्छा हां, चूरू में मीटर गेज लाइन खत्म हो जाती है। यहां से एक बडी लाइन सादुलपुर- रेवाडी होती हुई दिल्ली जाती है, दूसरी बडी लाइन रतनगढ होते हुए डेगाना और दूसरी तरफ बीकानेर चली जाती है। इधर मेरा आना पहली बार ही हुआ है। सबसे पहली पैसेंजर ट्रेन बीकानेर की है तो बीकानेर जाना तय हो गया।
सराय रोहिल्ला से सुबह सात बजे के आसपास बीकानेर इण्टरसिटी चलती है जो दोपहर बारह बजे के आसपास चूरू पहुंचती है। ठीक इसी समय बीकानेर से सराय रोहिल्ला जाने वाली इण्टरसिटी भी चूरू आती है। दोनों ट्रेनें स्टेशन पर खडी थीं। मुझे इनमें से किसी भी ट्रेन में नहीं बैठना था, बल्कि इनके बाद चलने वाली पैसेंजर पकडनी थी।
तभी आवाज गूंजी- कृपया ध्यान दें। चूरू से बीकानेर जाने वाली पैसेंजर गाडी नम्बर इतना इतना आज रद्द रहेगी।
मेरा बीकानेर से वापस दिल्ली आने का रिजर्वेशन भी है। मेरे सामने बीकानेर जाने वाली सुपरफास्ट ट्रेन भी खडी है। मैं आसानी से बीकानेर जाकर अपने उस रिजर्वेशन का फायदा उठा सकता हूं। दूसरी तरफ उस रिजर्वेशन को कैंसल करके जनरल डिब्बे में दिल्ली भी जा सकता हूं। दिल्ली वाली ट्रेन भी खडी है और इसके जनरल डिब्बों में लेटने लायक पर्याप्त जगह भी है। मैंने दूसरा विकल्प चुना और दिल्ली का टिकट ले लिया।
बीकानेर फिर कभी...
1. दिल्ली जयपुर डबल डेकर ट्रेन यात्रा
2. जयपुर चूरू मीटर गेज ट्रेन यात्रा
इतना रंग बिरंगा सीकर स्टेशन..
ReplyDeleteनीरज जी,
ReplyDeleteआपकी रेल यात्रायें तथा उनका वर्णन इतना सजीव होता है की पढ़कर ऐसा एहसास होने लगता है की हम स्वयं भी ट्रेन में सफ़र कर रहे हैं और जैसे ही स्टेशनों के नाम के फोटो आने लगते हैं तो लगता है की बस अब यहाँ इस स्टेशन पर उतरो, थोडा सा टहलो, पानी पीओ, बोटल भरो और अपनी जगह पर आकर बैठ जाओ, जल्दी कहीं ट्रेन चल न पड़े।
सबकुछ एकदम सजीव सा, बिलकुल किसी चलचित्र की भाँती............ आप महान हैं और आपकी रेल यात्रायें भी। आपके इस शौक, आपके जूनून, आपकी हिम्मत और आपकी घुमक्कड़ी को सलाम।
घुमक्कड़ डॉट कॉम पर भी आपका एक परिवार है जहाँ आपको बहुत याद किया जाता है। कृपया अपना पुनरागमन जल्द ही कर दीजिये, हम सब आपकी बाट जोह रहे हैं।
ReplyDeleteमुकेश जी, मैं भी उस परिवार को बहुत याद करता हूं। अब तो कुछ नये सदस्य भी आ गये होंगे वहां, पुराने भी खूब लिख रहे होंगे; मैं सबको मिस करता हूं।
Deleteऔर अब तो वहां घुमक्कड ऑफ द ईयर की चर्चा चल रही होगी। कौन हो सकता है घुमक्कड ऑफ द ईयर?
चलो खैर, कोई भी हो, मेरी तरफ से आप उसे शुभकामनाएं दे देना।
मीटर गेज की मालगाडी !! बहुत सालों में दिखाई पड़ी !
ReplyDeleteआप यूँ ही हमें चहुँ ओर की यात्रा करते रहें ओर पाठकों को यात्रा वृतांत बताते रहें. शुभकामनाएँ.
अगली बार राजस्थान / जयपुर आगमन हो तो फोन करियेगा.
नीरज भाई नाम गलत लिख दिया आपने भुक्कड नहीं भूकर हैं.
ReplyDeletemanish bhai ji 'naam me kya rakha h'
ReplyDeleteshakespeer ne aisa hi kuchh kaha tha....
Lekin aap kahani ke ek aham kirdaar ho....
yes bhai ye ab kwl last train he. wo bhi ab 6 monts k baad band ho jaygi.
ReplyDeleteme bhi churu se hi hu or roz isi train se sikar jaata hu
hahahaha bhukar sahab bhukkad ho gaye
ReplyDeleteकभी खाटू श्याम जी (सीकर राजस्थान ) हो आइये...
ReplyDeleteयार, मैने जहां से हाईस्कूल पास किया, वहां की तू कचौरियां खा आया? रींगस में ब्रेक ले के खाटू श्याम जी के यहां भि हो आना था, अगली बार ध्यान रखना.
ReplyDeleteरामराम