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फोटो-यात्रा-18: एवरेस्ट के चरणों में

इस यात्रा के फोटो आरंभ से देखने के लिये यहाँ क्लिक करें । 28 मई 2016 “हम मानसिक और शारीरिक रूप से इतने थक चुके थे कि 5500 मीटर चढ़ने के लिये - अपना एक रिकार्ड़ बनाने के लिये - हम काला पत्थर नहीं जाने वाले थे। यदि मौसम साफ़ होता, तो एवरेस्ट देखने के लालच में जा भी सकते थे, लेकिन ऊँचाई के लालच में कभी नहीं जायेंगे।” “मेरी शिखर पर चढ़ने की कभी इच्छा नहीं होती। बेसकैंप तक आने की इच्छा थी और आज बेसकैंप मेरे सामने था।” “बेसकैंप से लौटते समय एक कसक भी थी कि एवरेस्ट के दर्शन नहीं हुए। लेकिन आभास भी हो रहा था कि वह हमें देख रही है और हम उसके साये में चल रहे हैं।” “सोने से पहले आज के दिन के बारे में सोचने लगे। निःसंदेह आज का दिन हमारी ज़िंदगी का एक अहम दिन था। जिस ट्रैक पर जाने की इच्छा सभी ट्रैकर्स करते हैं, आज हमने उसी ट्रैक को पूरा कर लिया था। एवरेस्ट बेस कैंप। हालाँकि प्रत्येक पर्वत का एक बेसकैंप होता है, लेकिन अगर कहीं दो ट्रैकर्स खड़े ‘बेसकैंप’ का ज़िक्र कर रहे हों, तो समझ लेना कि एवरेस्ट बेसकैंप की ही चर्चा चल रही होगी।”

फोटो-यात्रा-16: एवरेस्ट बेस कैंप - थंगनाग से ज़ोंगला

इस यात्रा के फोटो आरंभ से देखने के लिये यहाँ क्लिक करें । 26 मई 2016 आज का दिन हमारी इस यात्रा का सबसे मुश्किल दिन रहा। बर्फ़बारी के बीच ख़राब मौसम में 5320 मीटर ऊँचा चो-ला दर्रा पार करना आसान नहीं रहा। रही-सही कसर इसके उस तरफ ग्लेशियर ने पूरी कर दी। “बर्फ़ होने के बावज़ूद भी हमें रास्ता मिल रहा था। कारण था कि ठीकठाक पगडंड़ी बनी थी। फिर हमसे एक-डेढ़ घंटे पहले पाँच लोग यहाँ से गुज़रे थे, तो उनके पैरों के निशान भी मिल रहे थे। ऐसा ही चलता रहा, तो उत्तम होगा। लेकिन यदि मामूली-सी बर्फ़ भी पड़ गयी, तो ये निशान मिट जायेंगे। क्या पता आगे दर्रे के पास कैसी पगडंड़ी हो? हो या न हो।” “थोड़ी देर के लिये थोड़े-से बादल इधर-उधर हो गये और हमें सामने बिल्कुल सिर के लगभग ऊपर तीन चोटियाँ दिखायी पड़ीं। इनके बीच में दो दर्रों जैसी आकृतियाँ भी दिखीं। इनमें से एक चो-ला है। इसे देखना भर ही सिहरन पैदा कर रहा था। यह एक ‘रॉक-फ़ाल जोन’ था, जहाँ खड़े ढाल पर आपको ढीले पत्थरों पर चढ़ना होगा और कभी भी कोई भी पत्थर आपके चलने से या अपने-आप भी नीचे गिर सकता था। अभी तक हम बादलों की उपस्थिति को कोस रहे थे। अब खुश हुए कि बादल रहें, तो अच्छ...

जांस्कर यात्रा- दिल्ली से कारगिल

तैयारी अगस्त में भारत में मानसून पूरे जोरों पर होता है। हिमालय में तो यह काल बनकर बरसता है। मानसून में घुमक्कडी के लिये सर्वोत्तम स्थान दक्षिणी प्रायद्वीप माना जाता है लेकिन एक जगह ऐसी भी है जहां बेफिक्र होकर मानसून में घूमने जाया जा सकता है। वो जगह है लद्दाख। लद्दाख मूलतः एक मरुस्थल है लेकिन अत्यधिक ऊंचाई पर होने के कारण यहां ठण्ड पडती है। हिमालय के पार का भूभाग होने के कारण यहां बारिश नहीं पडती- न गर्मियों में और न सर्दियों में। मानसून हो या पश्चिमी विक्षोभ; हिमालय सबकुछ रोक लेता है और लद्दाख तक कुछ भी नहीं पहुंचता। जो बहुत थोडी सी नमी पहुंचती भी है वो नगण्य होती है। जांस्कर भी राजनैतिक रूप से लद्दाख का ही हिस्सा है और कारगिल जिले में स्थित है। जांस्कर का मुख्य स्थान पदुम है। अगर आप जम्मू कश्मीर राज्य का मानचित्र देखेंगे तो पायेंगे कि हिमाचल प्रदेश की सीमा पदुम के काफी नजदीक है। पदुम जाने के लिये केवल एक ही सडक है और वो कारगिल से है। बाकी दिशाओं में आने-जाने के लिये अपने पैरों व खच्चरों का ही सहारा होता है। चूंकि जांस्कर की ज्यादातर आबादी बौद्ध है इसलिये इनका सिन्धु घाटी में स्थित ...

श्रीखण्ड महादेव यात्रा

16 जुलाई का दिन कुछ खास था। हमेशा की तरह नाइट ड्यूटी की और संदीप के साथ निकल लिया श्रीखण्ड अभियान पर। श्रीखण्ड महादेव हिमाचल प्रदेश में शिमला से करीब दो सौ किलोमीटर आगे 5200 मीटर से भी ज्यादा ऊंचाई पर है। 5200 मीटर कोई हंसी मजाक नहीं है, शिमला खुद करीब 2200 मीटर पर है। उधर शिमला से सौ किलोमीटर आगे रामपुर जोकि सतलुज किनारे बसा है 1000 मीटर पर भी नहीं है। श्रीखण्ड का रास्ता रामपुर बुशैहर से ही जाता है। रामपुर से निरमण्ड, बागीपुल और आखिर में जांव। जांव से पैदल यात्रा शुरू होती है, जांव 1900 मीटर की ऊंचाई पर बसा है। अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि जांव से करीब 35 किलोमीटर दूर श्रीखण्ड महादेव तक कैसी चढाई रही होगी। लोगबाग अमरनाथ जाते हैं तो सालों तक अपनी बहादुरी की मिसाल देते रहते हैं कि अमरनाथ जा चुका हूं। क्योंकि कैलाश मानसरोवर के बाद इसी यात्रा को सबसे कठिन माना जाता है। लेकिन जब मैं श्रीखण्ड गया तो पता चला कि अमरनाथ यात्रा की कठिनाईयां इसके आगे कुछ भी नहीं हैं। अमरनाथ यात्रा में सबसे कठिन चढाई पिस्सूटॉप की मानी जाती है अगर सीधे शॉट कट से चढा जाये, खच्चरों के लिये बढिया ठीक-ठाक चौडा ...