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क्या आपने हम्पी देखा है?

जब हम बादामी से हम्पी जा रहे थे, तो मन में एक सवाल बार-बार आ रहा था। क्या हमें हम्पी पसंद आएगा? क्योंकि मैंने हम्पी की बहुत ज्यादा प्रशंसा सुनी थी। कभी भी आलोचना नहीं सुनी। जहाँ भी पढ़ी, हम्पी की प्रशंसा... जिससे भी सुनी, हम्पी की प्रशंसा। Top 100 Places to see before you die की लिस्ट हो या Top 10 Places to see before you die की लिस्ट हो... हम्पी जरूर होता। तो एक सवाल बार-बार मन में आता - कहीं हम्पी ओवररेटिड तो नहीं? इस सवाल का जवाब हम्पी पहुँचते ही मिल गया। हम यहाँ दो दिनों के लिए आए थे और पाँच दिनों तक रुके। छठें दिन जब प्रस्थान कर रहे थे, तो आठ-दस दिन और रुकने की इच्छा थी। वाकई हम्पी इस लायक है कि आप यहाँ कम से कम एक सप्ताह रुककर जाओ। जिस समय उत्तर में मुगल साम्राज्य का दौर था, यहाँ विजयनगर साम्राज्य था। इस साम्राज्य के सबसे प्रतापी राजा थे कृष्णदेवराय। और आपको शायद पता हो कि तेनालीराम भी इन्हीं के एक दरबारी थे। तो इस दौर में हम्पी का जमकर विकास हुआ। इनके साम्राज्य की सीमा पश्चिम में अरब सागर तक थी और विदेशों से समुद्र के रास्ते खूब व्यापार और आवागमन होता था।...

दक्षिण भारत यात्रा: पट्टडकल - विश्व विरासत स्थल

11 फरवरी 2019 पट्टडकल एक ऐसा विश्व विरासत स्थल है, जिसका नाम हम भारतीयों ने शायद सबसे कम सुना हो। मैंने भी पहले कभी सुना था, लेकिन आज जब हम पट्टडकल के इतना नजदीक बादामी में थे, तो हमें इसकी याद बिल्कुल भी नहीं थी। इसकी याद बाई चांस अचानक आई और हम पट्टडकल की तरफ दौड़ पड़े। सूर्यास्त होने वाला था और टिकट काउंटर से टिकट लेने वाले हम आखिरी यात्री थे। हालाँकि हम यहाँ की स्थापत्य कला को उतना गहराई से नहीं देख पाए, क्योंकि उसके लिए गहरी नजर भी चाहिए। हमें स्थापत्य कला में दिलचस्पी तो है, लेकिन उतनी ही दिलचस्पी है जितनी देर हम वहाँ होते हैं। वहाँ से हटते ही सारी दिलचस्पी भी हट जाती है और फिर दो-चार और भी स्थानों की खासियत मिक्स हो जाती है। “मैं स्थापत्य कला के क्षेत्र में एक दिन कोई बड़ा काम जरूर करूँगा” - यह वादा मैं पिछले दस सालों से करता आ रहा हूँ और तभी करता हूँ, जब ब्लॉग लिखना होता है और शब्द नहीं सूझते।