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शाम चार बजे शो-कार के लिये चल पडा। पहले तो मामूली सी चढाई है, उसके बाद मामूली ढलान। 16 किलोमीटर तक यही ढलान पैडल नहीं मारने देता। सिंगल सडक है और कोई आवागमन नहीं।
झील काफी दूर से ही दिखने लगती है। लेकिन नजदीकी मानव बस्ती थुक्जे गोम्पा 16 किलोमीटर दूर है। यहां से भी करीब चार किलोमीटर और आगे चलकर झील के नजदीक तक पहुंचा जा सकता है।
जब मैं थुक्जे से करीब 7-8 किलोमीटर दूर था तो दूर सामने से चार मोटरसाइकिल वाले आ रहे थे। सडक पर मामूली ढलान अवश्य है लेकिन यह पहाडी सडक नहीं है। झील क्षेत्र काफी विशाल है। पानी एक कोने में ही है, बाकी क्षेत्र विशाल मैदान है। 7-8 किलोमीटर दूर से ही थुक्जे दिख रहा था।
तो मोटरसाइकिल वाले आ रहे थे, उनसे करीब 100 मीटर दूर सडक से हटकर चार-पांच जानवर भी बडी तेजी से दौड लगा रहे थे। काफी दूरी होने से जानवर पहचान में नहीं आ रहे थे। वे मोटरसाइकिलों के साथ साथ भाग रहे थे तो जाहिर है मेरी तरफ आ रहे थे। मुझे लगा कुत्ते हैं। लद्दाखी कुत्ते कुछ बडे होते हैं। पता नहीं मुझसे क्या खता हो गई कि वे मेरी तरफ आ रहे हैं। मैं बुरी तरह डर गया।
और पास आये तो देखा कि गधे थे। लद्दाखी जंगली गधे यानी क्यांग। असल में यह झील क्षेत्र काफी बडा मैदान है, घास पानी भी प्रचुर मात्रा में है तो यह इन गधों का निवास बन गई है। ये गधे मोटरसाइकिलों से डरे हुए थे। इनकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें सिवाय इसके कि चलती मोटरसाइकिलों के आगे-आगे ही भागा जाये।
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शो कार की ओर जाती सडक |
यह क्षेत्र एक विशाल चरागाह है। स्थान स्थान पर पानी की उपलब्धता भी है। |
शो-कार एक छोटी सी झील है जो काफी दूर से दिखने लगती है। |
लद्दाखी जंगली गधा यानी क्यांग |
शो-कार के किनारे बसा गांव। |
दूर ऊपर पहाडी पर दिखता गोम्पा और नीचे बसा गांव |
रुकने और खाने के लिये स्थानीय लोगों द्वारा लगाया गया तम्बू |
क्यांगों का झुण्ड |
अगला भाग: लद्दाख साइकिल यात्रा- बारहवां दिन- शो-कार मोड से तंगलंगला
मनाली-लेह-श्रीनगर साइकिल यात्रा
1. साइकिल यात्रा का आगाज
2. लद्दाख साइकिल यात्रा- पहला दिन- दिल्ली से प्रस्थान
3. लद्दाख साइकिल यात्रा- दूसरा दिन- मनाली से गुलाबा
4. लद्दाख साइकिल यात्रा- तीसरा दिन- गुलाबा से मढी
5. लद्दाख साइकिल यात्रा- चौथा दिन- मढी से गोंदला
6. लद्दाख साइकिल यात्रा- पांचवां दिन- गोंदला से गेमूर
7. लद्दाख साइकिल यात्रा- छठा दिन- गेमूर से जिंगजिंगबार
8. लद्दाख साइकिल यात्रा- सातवां दिन- जिंगजिंगबार से सरचू
9. लद्दाख साइकिल यात्रा- आठवां दिन- सरचू से नकी-ला
10. लद्दाख साइकिल यात्रा- नौवां दिन- नकी-ला से व्हिस्की नाला
11. लद्दाख साइकिल यात्रा- दसवां दिन- व्हिस्की नाले से पांग
12. लद्दाख साइकिल यात्रा- ग्यारहवां दिन- पांग से शो-कार मोड
13. शो-कार (Tso Kar) झील
14. लद्दाख साइकिल यात्रा- बारहवां दिन- शो-कार मोड से तंगलंगला
15. लद्दाख साइकिल यात्रा- तेरहवां दिन- तंगलंगला से उप्शी
16. लद्दाख साइकिल यात्रा- चौदहवां दिन- उप्शी से लेह
17. लद्दाख साइकिल यात्रा- पन्द्रहवां दिन- लेह से ससपोल
18. लद्दाख साइकिल यात्रा- सोलहवां दिन- ससपोल से फोतूला
19. लद्दाख साइकिल यात्रा- सत्रहवां दिन- फोतूला से मुलबेक
20. लद्दाख साइकिल यात्रा- अठारहवां दिन- मुलबेक से शम्शा
21. लद्दाख साइकिल यात्रा- उन्नीसवां दिन- शम्शा से मटायन
22. लद्दाख साइकिल यात्रा- बीसवां दिन- मटायन से श्रीनगर
23. लद्दाख साइकिल यात्रा- इक्कीसवां दिन- श्रीनगर से दिल्ली
24. लद्दाख साइकिल यात्रा के तकनीकी पहलू
उस झील में इतना खारापन पहुँचा कैसे, एक शोध का विषय हो सकता है। बहुत सुन्दर चित्र, आनन्दमयी यात्रा।
ReplyDeletebehtarin photos ke saath sundar vivran
ReplyDeleteye sare क्यांग apne beech is dadhii wale prani ko dekh ker kitne chakit ho rahe...
ReplyDeleteHa! Ha! Ha!
photos bahut badhiya..
jheel tho lag raha sookhi padi hai??
23 number wali photo tho gazab hai!!
ReplyDeleteutha late Neeraj..
सारे फोटो अच्छे आये हैं, नीरज....
ReplyDeleteशो-मोरीरी और लेह-मनाली रोड मैंने अगले ट्रिप के लिए छोड़ राखी है, कहते हैं अगर फ्लोमिंगो पक्षी देखने हैं. तो शो-मोरीरी जाओ...
मेरी इस बार कि यात्रा में यह छूट गयी...
मनाली-लेह सडक मात्र एक सडक नहीं है, बल्कि एक
ReplyDeleteसीमा रेखा भी है। लद्दाख क्षेत्र में आप स्वेच्छा से
इस सडक के पूर्व में नहीं जा सकते। kyo bhai.....?
मनमोहक दृश्य .. कुदरत की जादूगिरी
ReplyDelete- Anilkv
भाई लद्दाखी गधों को देखने की कब से तमन्ना थी, वो आपने पूरी कर दी... लेकिन शो मोरीरी जाना तो बनता था....
ReplyDeleteनीरज जी फोटू तो घणे बढिया खिच राखे है। यात्रा का वर्णन भी बढिया है।
ReplyDeleteशानदार फोटोग्राफी, कोई मुकाबला नहीं !!
ReplyDeleteयहाँ के गधे भी खुबसूरत है ...
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