इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें।
17 जून 2013
सात बजे आंख खुली। देखा उसी कमरे में कुछ लोग और भी सोये हुए हैं। पता चला ये लेह से मनाली जा रहे थे। रात ग्यारह बजे जब उप्शी से गुजरे तो पुलिस ने रोक दिया। कहा आगे रास्ता बन्द है। मजबूरन इन्हें रातभर के लिये यहां शरण लेनी पडी। बाहर झांककर देखा तो सडक पर एक बैरियर लगा था व गाडियों की कतारें भी। लेह से दिल्ली जाने वाली बस भी यहीं खडी थी।
तंगलंग-ला पर दो दिनों से बर्फबारी हो ही रही है। मैंने भी इसे बर्फीला ही पार किया था। आज मौसम और बिगड गया होगा, तो रास्ता बन्द कर दिया। अब कहा जा रहा है कि जब तंगलंग-ला के दूसरी तरफ से कोई गाडी आ जायेगी, तभी यहां से आगे भेजा जायेगा। लेकिन मुझे एक सन्देह और भी है। यहां से रूमसे तक रास्ता बडे खतरनाक पहाडों के नीचे से होकर गुजरता है। रात बारिश हुई होगी तो थोडा बहुत भू-स्खलन हो गया होगा। उससे बचाने के लिये उप्शी में यातायात रोक रखा है। नहीं तो मीरु, ग्या, लातो व रूमसे में भी रुकने के इंतजाम हैं। वहां से तंगलंग-ला नजदीक भी है। पता नहीं कब तंगलंग-ला खुलेगा, उसके कम से कम दो घण्टे बाद कोई गाडी यहां तक पहुंचेगी, तब यहां से यातायात आगे बढेगा।
सवा दस बजे उप्शी से चल पडा। रास्ता सिन्धु के दाहिने किनारे के साथ साथ है। कारु यहां से 14 किलोमीटर है और वहां मुझे एयरटेल का नेटवर्क मिलने वाला है। अभी तक दुनिया में किसी को नहीं पता कि मैं कहां हूं और मुझे भी नहीं पता कि दुनिया कहां है। कारू में पता चलेगा।
...
इस यात्रा के अनुभवों पर आधारित मेरी एक किताब प्रकाशित हुई है - ‘पैडल पैडल’। आपको इस यात्रा का संपूर्ण और रोचक वृत्तांत इस किताब में ही पढ़ने को मिलेगा।
आप अमेजन से इसे खरीद सकते हैं।
उप्शी में लगा बैरियर और वाहनों की कतारें |
उप्शी में हिमाचल परिवहन की लेह से दिल्ली जाने वाली बस |
उप्शी के पास पेट्रोल पम्प |
सिन्धु तीरे लेह की ओर |
कनाडाई साइकिलबाज लेह की ओर |
कारू सैन्य इलाके में लगा किलोमीटर का पत्थर |
कारू |
स्टैक्ना गोम्पा |
मनाली से 450 किलोमीटर दूर |
हरियाली देखकर यकीन नहीं होता कि यह लद्दाख है लेकिन पहनावा देखकर हो जाता है। |
ठिक्से गोम्पा |
चोगलमसर |
लेह में आपका स्वागत है। |
लेह का मुख्य चौक |
लेह शहर का प्रवेश द्वार |
...
इस यात्रा के अनुभवों पर आधारित मेरी एक किताब प्रकाशित हुई है - ‘पैडल पैडल’। आपको इस यात्रा का संपूर्ण और रोचक वृत्तांत इस किताब में ही पढ़ने को मिलेगा।
आप अमेजन से इसे खरीद सकते हैं।
अगला भाग: लद्दाख साइकिल यात्रा- पन्द्रहवां दिन- लेह से ससपोल
मनाली-लेह-श्रीनगर साइकिल यात्रा
1. साइकिल यात्रा का आगाज
2. लद्दाख साइकिल यात्रा- पहला दिन- दिल्ली से प्रस्थान
3. लद्दाख साइकिल यात्रा- दूसरा दिन- मनाली से गुलाबा
4. लद्दाख साइकिल यात्रा- तीसरा दिन- गुलाबा से मढी
5. लद्दाख साइकिल यात्रा- चौथा दिन- मढी से गोंदला
6. लद्दाख साइकिल यात्रा- पांचवां दिन- गोंदला से गेमूर
7. लद्दाख साइकिल यात्रा- छठा दिन- गेमूर से जिंगजिंगबार
8. लद्दाख साइकिल यात्रा- सातवां दिन- जिंगजिंगबार से सरचू
9. लद्दाख साइकिल यात्रा- आठवां दिन- सरचू से नकी-ला
10. लद्दाख साइकिल यात्रा- नौवां दिन- नकी-ला से व्हिस्की नाला
11. लद्दाख साइकिल यात्रा- दसवां दिन- व्हिस्की नाले से पांग
12. लद्दाख साइकिल यात्रा- ग्यारहवां दिन- पांग से शो-कार मोड
13. शो-कार (Tso Kar) झील
14. लद्दाख साइकिल यात्रा- बारहवां दिन- शो-कार मोड से तंगलंगला
15. लद्दाख साइकिल यात्रा- तेरहवां दिन- तंगलंगला से उप्शी
16. लद्दाख साइकिल यात्रा- चौदहवां दिन- उप्शी से लेह
17. लद्दाख साइकिल यात्रा- पन्द्रहवां दिन- लेह से ससपोल
18. लद्दाख साइकिल यात्रा- सोलहवां दिन- ससपोल से फोतूला
19. लद्दाख साइकिल यात्रा- सत्रहवां दिन- फोतूला से मुलबेक
20. लद्दाख साइकिल यात्रा- अठारहवां दिन- मुलबेक से शम्शा
21. लद्दाख साइकिल यात्रा- उन्नीसवां दिन- शम्शा से मटायन
22. लद्दाख साइकिल यात्रा- बीसवां दिन- मटायन से श्रीनगर
23. लद्दाख साइकिल यात्रा- इक्कीसवां दिन- श्रीनगर से दिल्ली
24. लद्दाख साइकिल यात्रा के तकनीकी पहलू
Prakruti kitni ajib cheeze hai,
ReplyDeleteआपकी यह यात्रा, आपके लिए गर्व का, हमारे लिए सुखद आश्चर्य का विषय.
ReplyDeleteGarv kane jaisi baat hai he, her kisi k bus ki bat nahi itni door durgam pahadiyon per cycle se jana paanch darre par parna..
ReplyDeleteगर्व होना भी चाहिये
ReplyDeleteDadhi moonchen safaachat karai thi tho dikha bhi dete.. photo dekgne walon ki najer nahi lagti... :-))
ReplyDeleteसितम्बर में, मैं भी लेह पहुँचने वाला हूँ लेकिन आपने 15 दिनों पहले ही पहुंचा दिया।
ReplyDeleteवैसे ऊपर आपकी ये पंक्तियाँ काफी अच्छी लगी - "अभी तक दुनिया में किसी को नहीं पता कि मैं कहां हूं और मुझे भी नहीं पता कि दुनिया कहां है"
हमेशा की तरह बेहतरीन तस्वीरें।
- Anilkv
भाई साहब् आपका साफ सुथरा चेहरा देखने की कामना है। काफी दिनो से दाढी रखी हुई ना आपने।
ReplyDeleteनीरज जी नमस्कार! जो बात शब्द बयां न कर सके वह एक तस्वीर बयां कर देती है। आप की यात्रा मंगलमय हो!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्र..उतना ही सुन्दर वृत्तान्त।
ReplyDeleteएक बार हवाई जहाज से और दूसरी बार सायकिल से वेलकम टू लेह !!!
ReplyDeleteयह गोम्पा किसे कहते है भाई .....लेह पहुचने की बधाई ....केदारनाथ की तबाही को देखकर मुझे तेरी और अतुल की याद आई थी
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत वर्णन....सुंदर शैली...आपके अदम्य साहस की दाद देता हूँ
ReplyDelete