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लद्दाख साइकिल यात्रा- पहला दिन- दिल्ली से प्रस्थान

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4 जून 2013
साइकिल उठाने का पक्का निश्चय कर रखा था। सोच लिया था कि लद्दाख जाऊँगा, वो भी श्रीनगर के रास्ते। मनाली के रास्ते वापसी का विचार था। सारी तैयारियाँ श्रीनगर के हिसाब से हो रही थीं। सबकुछ तय था कि कब-कब कहाँ-कहाँ पहुँचना है। उच्च हिमालयी क्षेत्रों व हिमालय पार में साइकिल चलाने का कोई अनुभव नहीं था, तो इस गणना की कोई महत्ता नहीं रह गयी थी। जैसे कि साइकिल यात्रा के पहले ही दिन श्रीनगर से सोनमर्ग जाने की योजना थी। यह दूरी 85 किलोमीटर है और लगातार चढ़ाई है। नहीं कह सकता था कि ऐसा कर सकूँगा, फिर भी योजना बनी।
दिल्ली से सीधे श्रीनगर के लिये दोपहर एक बजे बस चलती है। यह अगले दिन दोपहर बाद दो बजे श्रीनगर पहुँच जाती है। इस बस की छत पर रेलिंग नहीं लगी होती, इसलिये साइकिल खोलकर एक बोरे में बांधकर ले जाना तय हुआ।
दूसरा विकल्प था जम्मू तक ट्रेन से, उसके बाद बस या जीप। दिल्ली से जम्मू के लिये सुबह मालवा एक्सप्रेस निकलती है। इसका समय नई दिल्ली से साढ़े पाँच बजे है। कभी-कभी लेट भी हो जाती है। बस यात्रा की बजाय ट्रेन यात्रा ज्यादा सुविधाजनक है, इसलिये मेरा मन ट्रेन से भी जाने का था।
इस यात्रा की तैयारियाँ काफ़ी दिन पहले से शुरू हो गयी थीं। लेकिन आलसी जीव कैसी तैयारियाँ करते हैं, पता तो होगा ही। नतीज़ा यह हुआ कि तीन तारीख़ की शाम तक भी पूरी तैयारियाँ नहीं हो पायीं। रात ड्यूटी चला गया। जब मालवा एक्सप्रेस दिल्ली से निकली, तब भी बैग खाली ही था। घर आया, सो गया। आँख खुली ग्यारह बजे। जब बैग आधा ही भरा था, तो श्रीनगर वाली बस भी चली गयी। अब पहले पहल इरादा बना मनाली से यात्रा शुरू करने का। हिमाचल परिवहन की बसों की समय सारणी ऑनलाइन उपलब्ध रहती है। शाम चार चालीस वाली बस पसंद आ गयी।
अब पैकिंग का काम युद्धस्तर पर शुरू हुआ। सबसे पहले कपड़े - बाइस दिनों के लिये तीन जोड़ी - दो जोड़ी बैग में व एक जोड़ी पहन लिये। शून्य से कम तापमान का भी सामना करना पड़ेगा, पर्याप्त गरम कपड़े भी ले लिये। कपड़ों से ही बैग भर गया। इनके अलावा मंकी कैप, तौलिया, दस्ताने, जुराबें भी ले लिये। ऐसी यात्राओं पर मैं काजू, किशमिश, बादाम हमेशा रखता ही हूँ, वे भी ले लिये। मोबाइल, कैमरे चार्जर सहित व एक-एक अतिरिक्त बैटरी और मेमोरी कार्ड भी। दवाईयाँ कभी नहीं रखता, इस बार भी नहीं रखीं। हालाँकि रख लेनी चाहिये।
सवा चार बजे शास्त्री पार्क से चल पड़ा। लोहे के पुल से होता हुआ दस मिनट में कश्मीरी गेट। मनाली वाली बस तैयार खड़ी थी। साढ़े पाँच सौ का मेरा टिकट व पौने तीन सौ का साइकिल का टिकट। छत पर बांध दी।
कुछ लड़के और मिले। इनमें से ज्यादातर यूथ हॉस्टल के सारपास ट्रेक में हिस्सा लेने जा रहे थे। एक लड़का यूथ हॉस्टल की ही तरफ़ से तीर्थन घाटी में जलोड़ी जोत तक साइकिलिंग करने वाला था। गौरतलब है कि यूथ हॉस्टल के कार्यक्रमों में ज्यादातर पहली बार वाले यानी सिखदड़ होते हैं। साइकिल छत पर रखते ही उन्होंने पूछताछ शुरू कर दी। मैं किस मिट्टी का बना हूँ, रूपकुंड़ का नाम लेते ही उन्होंने जान लिया।
बस में बोरियत नहीं हुई। इसका एक कारण था, बगल वाली खाली सीट। दूसरा कारण था, सामने वाली सीट की पर्याप्त दूरी। खूब पैर फैलाकर व चौड़ा होकर बैठा रहा। हालाँकि चंड़ीगढ़ जाकर पूरी बस भर गयी। रात ग्यारह बजे चंड़ीगढ़ से चल पड़े।

साइकिल में पंक्चर लगाने का अभ्यास

महायात्रा के लिये प्रस्थान

...
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अगला भाग: लद्दाख साइकिल यात्रा- दूसरा दिन- मनाली से गुलाबा

मनाली-लेह-श्रीनगर साइकिल यात्रा
1. साइकिल यात्रा का आगाज
2. लद्दाख साइकिल यात्रा- पहला दिन- दिल्ली से प्रस्थान
3. लद्दाख साइकिल यात्रा- दूसरा दिन- मनाली से गुलाबा
4. लद्दाख साइकिल यात्रा- तीसरा दिन- गुलाबा से मढी
5. लद्दाख साइकिल यात्रा- चौथा दिन- मढी से गोंदला
6. लद्दाख साइकिल यात्रा- पांचवां दिन- गोंदला से गेमूर
7. लद्दाख साइकिल यात्रा- छठा दिन- गेमूर से जिंगजिंगबार
8. लद्दाख साइकिल यात्रा- सातवां दिन- जिंगजिंगबार से सरचू
9. लद्दाख साइकिल यात्रा- आठवां दिन- सरचू से नकीला
10. लद्दाख साइकिल यात्रा- नौवां दिन- नकीला से व्हिस्की नाला
11. लद्दाख साइकिल यात्रा- दसवां दिन- व्हिस्की नाले से पांग
12. लद्दाख साइकिल यात्रा- ग्यारहवां दिन- पांग से शो-कार मोड
13. शो-कार (Tso Kar) झील
14. लद्दाख साइकिल यात्रा- बारहवां दिन- शो-कार मोड से तंगलंगला
15. लद्दाख साइकिल यात्रा- तेरहवां दिन- तंगलंगला से उप्शी
16. लद्दाख साइकिल यात्रा- चौदहवां दिन- उप्शी से लेह
17. लद्दाख साइकिल यात्रा- पन्द्रहवां दिन- लेह से ससपोल
18. लद्दाख साइकिल यात्रा- सोलहवां दिन- ससपोल से फोतूला
19. लद्दाख साइकिल यात्रा- सत्रहवां दिन- फोतूला से मुलबेक
20. लद्दाख साइकिल यात्रा- अठारहवां दिन- मुलबेक से शम्शा
21. लद्दाख साइकिल यात्रा- उन्नीसवां दिन- शम्शा से मटायन
22. लद्दाख साइकिल यात्रा- बीसवां दिन- मटायन से श्रीनगर
23. लद्दाख साइकिल यात्रा- इक्कीसवां दिन- श्रीनगर से दिल्ली
24. लद्दाख साइकिल यात्रा के तकनीकी पहलू




Comments

  1. neeraj ji ram -ram.kabhi to time se chala karo lakin bahut khub.har ek post me maze aayege aapke sath.good going

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  2. यात्रा सुखमय व संपूर्ण हो, आगे की रपटे बीच बीच में जारी करते रहिये.

    विजयी भव.

    रामराम.

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  3. नीरज भाई, बहुत छोटी पोस्ट ! जय हो !

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  4. हम तो आगे पहुँचे जा रहे हैं..जल्दी जल्दी आईये।

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  5. साईकिल के पंचर जोड़ने का अभ्यास बहुत जरूरी था ।आगे की रोमांचक यात्रा की प्रतीक्षा है अब ।

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  6. Neerajbhai itni choti post kyon?

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  7. Neerajbhai itni choti post kyon?

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  8. जय श्री राम | भैया लो बजरंगबली का नाम होंगे पूर्ण सब काम | मेरी ओर से बधाई और शुभकामनायें | प्रभु करे आपकी यात्रा सफल हो आगे से कभी ऐसा कार्यक्रम बनायें तो मुझे भी शामिल करें | उचित समझें तो संपर्क करें | आभार

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  9. नीरज जी,

    ये बच्चों की तरह छोटे से लेख से टरका दिया... नहीं चलेगा.... और फोटो भी बस इतनी सी ही....

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  10. बहुत खूब! यात्रा की मंगलकामनायें।

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  11. दरवाजा खुलते ही कमरा खत्म हो गया (बकौल मुन्ना भाई एम बी बी एस) :)

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  12. photo me china wali hawa pump nahi hai?? kahan gai??

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  13. पता था अब हमारे मजे ले ले के लिखोगे
    ठीक है जी जैसी थारी मरजी

    जैरामजी की

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  14. आप विस्तार से लिखते हैं आप के अनुभव बहुतों के काम आयेंगे ..धन्यवाद ...

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  15. नीरज जी जिंदाबाद

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