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11 जून 2013
साढे आठ बजे आंख खुली। सचिन कभी का जग चुका था। आज बडा लम्बा रास्ता तय करना है। कम से कम पांग तक तो जाना ही पडेगा जो यहां से 78 किलोमीटर दूर है। सरचू व पांग के बीच में खाने ठहरने को कुछ नहीं। साथ ही दो दर्रे भी पार करने हैं। ज्यादातर रास्ता चढाई भरा है। और ज्यादा पूछताछ की तो पता चला कि व्हिस्की नाले पर रहने खाने को मिल जायेगा। व्हिस्की नाला यानी लगभग 50 किलोमीटर दूर। हमें आज व्हिस्की नाले तक पहुंचना भी मुश्किल लगा। इसलिये भरपेट खाना खाने के बाद आलू के छह परांठे पैक करा लिये।
दस बजे यहां से चले। कल सोचा था कि आज पूरा दिन सरचू में विश्राम करेंगे, इसलिये उठने में देर कर दी। फिर आज जब उठ गये तो चलने का मन बन गया।
सरचू हिमाचल प्रदेश में है लेकिन यहां से निकलकर जल्द ही जम्मू कश्मीर शुरू हो जाता है। जम्मू कश्मीर में भी लद्दाख। वैसे भौगोलिक रूप से लद्दाख बारालाचा-ला पार करते ही आरम्भ हो जाता है लेकिन राजनैतिक रूप से यहां से आरम्भ होता है। वास्तव मे सरचू से करीब सात-आठ किलोमीटर आगे एक पुल है- ट्विंग ट्विंग पुल, वही हिमाचल व लद्दाख की सीमा है। हालांकि कहीं जम्मू कश्मीर या लद्दाख का स्वागत बोर्ड नहीं दिखा। सरचू मनाली से 222 किलोमीटर दूर है और लेह से 252 किलोमीटर। फिर भी इसे इस मार्ग का मध्य स्थान माना जाता है। आप सरचू पहुंच गये, मानों आधी दूरी तय कर ली।
जिस नदी के किनारे सरचू है, उसके दूसरे किनारे पर एक गांव है। बौद्ध गांव है वह। उसका नाम अब मुझे ध्यान नहीं। बडी दुर्गति वाली जगह पर बसा है वह। लोगों का मुख्य पेशा तो निःसन्देह भेडपालन ही है। लेकिन सौ सौ किलोमीटर दोनों तरफ उसके कोई गांव नहीं है, इसलिये उनका कोई पडोसी भी नहीं है। नदी पर कोई पुल भी नहीं है, कैसे पार करते होंगे? बिजली और टेलीफोन का तो सवाल ही नहीं। वह गांव ट्विंग ट्विंग नदी के ठीक सामने है, इसलिये कह नहीं सकते कि हिमाचल में है या लद्दाख में।
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सरचू से प्रस्थान |
यह ट्विंग ट्विंग नाला है। यही हिमाचल व लद्दाख की सीमा है। |
सरचू के उस तरफ का गांव |
लद्दाख की जीवन रेखा। दिनभर में सैंकडों टैंकर गुजरते हैं। |
ब्राण्डी नाले पर बना पुल। |
व्हिस्की पुल |
ऐसे ही दृश्य तो लद्दाख की पहचान हैं। |
खाना खाते सडक बनाने वाले मजदूर |
यह एक अनोखी आकृति है। इसका दूसरे कोण से लिया गया फोटो आगे है। |
यही वो आकृति है जो पहले दिखाई थी। |
दिल्ली से लेह जाने वाली हिमाचल परिवहन की बस। |
यहां से गाटा लूप शुरू होते हैं। |
अलविदा ‘सरचू’ नदी। यह आगे जाकर जांस्कर में मिल जाती है। |
गाटा लूप |
पहचानो कौन? |
मौसम खराब होता दिख रहा है। |
गाटा लूप का बीसवां लूप |
वायु क्षरण का सुन्दर उदाहरण |
लग गया टैण्ट |
बिल्कुल वीराने में लगा अपना आशियाना। |
अगला भाग: लद्दाख साइकिल यात्रा- नौवां दिन- नकीला से व्हिस्की नाला
मनाली-लेह-श्रीनगर साइकिल यात्रा
1. साइकिल यात्रा का आगाज
2. लद्दाख साइकिल यात्रा- पहला दिन- दिल्ली से प्रस्थान
3. लद्दाख साइकिल यात्रा- दूसरा दिन- मनाली से गुलाबा
4. लद्दाख साइकिल यात्रा- तीसरा दिन- गुलाबा से मढी
5. लद्दाख साइकिल यात्रा- चौथा दिन- मढी से गोंदला
6. लद्दाख साइकिल यात्रा- पांचवां दिन- गोंदला से गेमूर
7. लद्दाख साइकिल यात्रा- छठा दिन- गेमूर से जिंगजिंगबार
8. लद्दाख साइकिल यात्रा- सातवां दिन- जिंगजिंगबार से सरचू
9. लद्दाख साइकिल यात्रा- आठवां दिन- सरचू से नकी-ला
10. लद्दाख साइकिल यात्रा- नौवां दिन- नकीला से व्हिस्की नाला
11. लद्दाख साइकिल यात्रा- दसवां दिन- व्हिस्की नाले से पांग
12. लद्दाख साइकिल यात्रा- ग्यारहवां दिन- पांग से शो-कार मोड
13. शो-कार (Tso Kar) झील
14. लद्दाख साइकिल यात्रा- बारहवां दिन- शो-कार मोड से तंगलंगला
15. लद्दाख साइकिल यात्रा- तेरहवां दिन- तंगलंगला से उप्शी
16. लद्दाख साइकिल यात्रा- चौदहवां दिन- उप्शी से लेह
17. लद्दाख साइकिल यात्रा- पन्द्रहवां दिन- लेह से ससपोल
18. लद्दाख साइकिल यात्रा- सोलहवां दिन- ससपोल से फोतूला
19. लद्दाख साइकिल यात्रा- सत्रहवां दिन- फोतूला से मुलबेक
20. लद्दाख साइकिल यात्रा- अठारहवां दिन- मुलबेक से शम्शा
21. लद्दाख साइकिल यात्रा- उन्नीसवां दिन- शम्शा से मटायन
22. लद्दाख साइकिल यात्रा- बीसवां दिन- मटायन से श्रीनगर
23. लद्दाख साइकिल यात्रा- इक्कीसवां दिन- श्रीनगर से दिल्ली
24. लद्दाख साइकिल यात्रा के तकनीकी पहलू
बहुत ही सुंदर चित्रकारी, ऐसे ही घुमाते रहो......
ReplyDeleteaisi veeran jageh per neend bhala kya aai hogi??
ReplyDeletekabhi suraksha ki chinta nahi hoti thi kya neerajji aise me??
khair aise veeran safar me koi sathi mil guya yehi badi acchi baat ho gai..
Great Yar, Maja aa gaya, lekin bhai ye to batawo ki Brandy aur Whisky naale ka raj kya hai
ReplyDeletejaat ram ji bahut badhiya vratant pedhkar maja aaya. bhai dho bhi lee ya uhi khana kha leya.
ReplyDeleteis poori yatra me GEARED BICYCLE ki kitni IMPORTANCE rahi is bhi kuch roshni dalo bhai neeraj..
ReplyDeleteWhisky naula... ajeeb naam hai bhai
ReplyDeleteतस्वीरें खूबसूरत बन पड़ी हैं... इतने श्रम का सही पुरस्कार हैं ये।।
ReplyDeleteबहुत जोरदार और साहसिक, देख देख कर ही आनंद आ रहा है, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
bhut sunder neeraj bhai.
ReplyDeleteadbhut, aapke jajbe ko salaam ,
ReplyDeleteबुढे धोरे फ़ोटू खिंचवा लेनी थी, हो सके था तेरा रिश्ता हो जाता :)
ReplyDeleteयहां भी गाडी वालों ने शॉर्ट कट बना रखे हैं। इसी तरह के एक छोटे रास्ते से एक सूमो उतरती दिखी तो हमने भी उसी से चढने का निश्चय कर लिया। हद से हद दो सौ मीटर का रास्ता ही रहा होगा वह, लेकिन हमने कान पकड लिये कि अब के बाद छोटे रास्ते की तरफ देखेंगे भी नहीं।
ReplyDeleteKYUN AISA KYA HO GUYA THA???
दिनांक: 8 जुलाई 2013 तक
ReplyDeleteकुल: 582 बार
कुल दूरी: 95451 किलोमीटर
पैसेंजर से: 28002 किलोमीटर (310 बार)
मेल/एक्सप्रेस से: 34556 किलोमीटर (202 बार)
सुपरफास्ट से: 32853 किलोमीटर (70 बार)
EK COLUMN AUR HONA CHAHIYE :- साइकिल द्वारा : ..... किलोमीटर ( ..... बार)
गजब की दृश्यावली है। धन्यवाद!
ReplyDeleteAbsolutely stunning..particularly the last picture
ReplyDeleteवायुक्षरण वाली तस्वीरें देखने पर, कुदरत की ये अदभुत कलाकृतियाँ विस्मय में डाल देती हैं।
ReplyDelete-Anilkv
लद्दाख के ऐसे दृश्य सम्मोहित करते हैं।
ReplyDeleteयहाँ के पहाड़ देखकर ऐसा लगता है जैसे कई बूढ़े एकसाथ हंस रहे हो हा हा हा हा ...'ऐसे ही दृश्य तो लद्दाख की पहचान हैं।' तुमने ठीक कहा है ,। इन पहाड़ो को देख कर ऐसा लगता है मानो किसी स्वप्नलोक में आ गए हो .'.यह एक अनोखी आकृति है"ऐसा लगता है जैसे कोई लामा पहाड़ पर चढ़ रहा हो ..सचमुच अद्भुत !!!!हमारे देश में कितने आश्चर्य भरे पड़े है ...
ReplyDeleteअद्भुत.......बहुत ही सुंदर वर्णन ------- बहुत ही खतरा उठाया आपने । टेंट लगाते समय आपको जंगली जानवर वगैरहा का डर नहीं लगता क्या ।
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