इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें।
23 जून 2013
पौने आठ बजे मैं चलने को तैयार हो गया। खाने का अगला ठिकाना सोनमर्ग में बताया गया। यानी कम से कम 40 किलोमीटर दूर। इसलिये यहां भरपेट खाकर चला। आमलेट और चाय के अलावा कुछ नहीं था, इसलिये चार अण्डों का आमलेट बनवा लिया।
आज इस यात्रा का आखिरी दर्रा पार करना है- जोजीला। मेरे पास लेह-श्रीनगर मार्ग का नक्शा और डाटा उपलब्ध नहीं था, इसलिये नहीं पता था कि जोजीला कितनी ऊंचाई पर है और कितना दूर है। किलोमीटर के पत्थरों पर गुमरी नामक स्थान की दूरियां लिखी आ रही थीं। यानी गुमरी जाकर पता चलेगा कि जोजीला कितना दूर है। मटायन से गुमरी 16 किलोमीटर है।
चढाई है जरूर लेकिन मामूली ही है। हर आठ-नौ मिनट में एक किलोमीटर चल रहा था यानी सात-आठ किलोमीटर प्रति घण्टे की स्पीड थी। इस स्पीड का अर्थ यही है कि चढाई है जरूर लेकिन तीव्र नहीं है।
सडक अच्छी ही बनी है और आसपास के चरागाहों में पशुपालक भी अपनी उपस्थिति बनाये रखते हैं। हरियाली तो है ही। थकान बिल्कुल नहीं हुई।
दस बजे गुमरी पहुंच गया। यहां एक छोटा सा मन्दिर है और सेना का ठिकाना है। गांव नहीं है। यहां भी पता नहीं चला कि जोजीला कितना दूर है। यह दर्रा काफी लम्बा है। मुझे याद है कि जब मैं इसे गूगल मैप पर देख रहा था तो मटायन गांव भी दर्रे में ही दिखाई देता था। बहुत लम्बा है। एक से पूछा भी कि जोजीला कितना दूर है तो वही अपेक्षित जवाब मिला कि आने ही वाला है। मैं बेचैन था इसे पार करने को क्योंकि इसे पार करते ही मुझे हमेशा के लिये चढाईयों से छुटकारा मिलने वाला है। यह आखिरी दर्रा है, इसके बाद श्रीनगर तक ढाल ही मिलेगा।
...
इस यात्रा के अनुभवों पर आधारित मेरी एक किताब प्रकाशित हुई है - ‘पैडल पैडल’। आपको इस यात्रा का संपूर्ण और रोचक वृत्तांत इस किताब में ही पढ़ने को मिलेगा।
आप अमेजन से इसे खरीद सकते हैं।
मटायन से निकलते ही |
पानी का जुगाड |
सामने गुमरी है। |
जोजीला दर्रा |
जोजीला के बाद खराब सडक |
रुडकी के पर्यटक जिन्होंने साइकिल चलाकर देखी। |
जोजीला पर जाटराम |
जोजीला से नीचे उतरती सडक |
बालटाल |
बालटाल में पार्किंग और हेलीपैड |
यह नजारा सोनमर्ग की पहचान है। |
डल झील |
अगला भाग: लद्दाख साइकिल यात्रा- इक्कीसवां दिन- श्रीनगर से दिल्ली
मनाली-लेह-श्रीनगर साइकिल यात्रा
1. साइकिल यात्रा का आगाज
2. लद्दाख साइकिल यात्रा- पहला दिन- दिल्ली से प्रस्थान
3. लद्दाख साइकिल यात्रा- दूसरा दिन- मनाली से गुलाबा
4. लद्दाख साइकिल यात्रा- तीसरा दिन- गुलाबा से मढी
5. लद्दाख साइकिल यात्रा- चौथा दिन- मढी से गोंदला
6. लद्दाख साइकिल यात्रा- पांचवां दिन- गोंदला से गेमूर
7. लद्दाख साइकिल यात्रा- छठा दिन- गेमूर से जिंगजिंगबार
8. लद्दाख साइकिल यात्रा- सातवां दिन- जिंगजिंगबार से सरचू
9. लद्दाख साइकिल यात्रा- आठवां दिन- सरचू से नकी-ला
10. लद्दाख साइकिल यात्रा- नौवां दिन- नकी-ला से व्हिस्की नाला
11. लद्दाख साइकिल यात्रा- दसवां दिन- व्हिस्की नाले से पांग
12. लद्दाख साइकिल यात्रा- ग्यारहवां दिन- पांग से शो-कार मोड
13. शो-कार (Tso Kar) झील
14. लद्दाख साइकिल यात्रा- बारहवां दिन- शो-कार मोड से तंगलंगला
15. लद्दाख साइकिल यात्रा- तेरहवां दिन- तंगलंगला से उप्शी
16. लद्दाख साइकिल यात्रा- चौदहवां दिन- उप्शी से लेह
17. लद्दाख साइकिल यात्रा- पन्द्रहवां दिन- लेह से ससपोल
18. लद्दाख साइकिल यात्रा- सोलहवां दिन- ससपोल से फोतूला
19. लद्दाख साइकिल यात्रा- सत्रहवां दिन- फोतूला से मुलबेक
20. लद्दाख साइकिल यात्रा- अठारहवां दिन- मुलबेक से शम्शा
21. लद्दाख साइकिल यात्रा- उन्नीसवां दिन- शम्शा से मटायन
22. लद्दाख साइकिल यात्रा- बीसवां दिन- मटायन से श्रीनगर
23. लद्दाख साइकिल यात्रा- इक्कीसवां दिन- श्रीनगर से दिल्ली
24. लद्दाख साइकिल यात्रा के तकनीकी पहलू
BAHUT INTEZAAR KARAYA AAJ NEERAJJI..
ReplyDeleteAaj tho post ka intezar karte karte thak guya..
Lagta hai raat ko neend kuch jyada he badhiya agai..
POST PADHI NAHI PER COMMENT PEHLE MAAR RAHA..
Behad Khoobsurat photos, behad dilchaps lekhan lekin thodi si Vaani kadvi.
ReplyDeleteसलाहुद्दीन साहब, जरा बतायेंगे कि किस प्रसंग में वाणी कडवी थी मेरी? ताकि उस कडवी वाणी को सुधार सकूं। मैं कभी भी कडवा लिखना नहीं चाहता लेकिन कभी कभी भूल से हो जाता है। आप बताइये, जायज होगा तो माफी मांगते हुए उसे मीठी वाणी में तब्दील कर दूंगा।
Deleteनीरज जी! ने जो भी यात्रा में देखा वही लिखा आपको बात कड़वी लगी, तो ये आपका अपना नजरिया है। शायद आप ने पिछली पोस्ट कायदे से नही पढ़ी? ‘‘यहीं थे जिन्होंने मेरी बोतल ले ली और पानी आने तक इंतजार करने को कहा। ’’करेला कड़वा होता है, लेकिन फायदा बहुत करता है।
DeletePost tho bahut shaandaar rahi.. photos tho aur bhi shandaar kintu wo trucks wala photo sabse...shandaar..
ReplyDeleteyatra samapti ka ailaan ker diya..
Ye sun ker mood kharaab hoguya. khair hame sath sath sair karaane ka bahut bahut shukriya..
bahut maza aya is poori yatra me..
GHUMAKKDI KA ZAZZBA YUN HE BANA RAHE..
इतनी ख़तरनाक पहाड़ियाँ कि देख कर ही चक्कर आ जाये, बहुत सुन्दर वर्णन, यह यात्रा तो सच में बहुत लम्बी हो गयी।
ReplyDeleteभाई, हम भारतीय 90 प्रतिशत वाली बात को सच कर देते हैं सड़कों पर। बहुत खूबसूरत है यह क्षेत्र।
ReplyDeleteNeeraj bhai is lekh me to aap baji mar gaye bahut pyara or bahut MITHA lekh laga . Kisiko mitha lage ya kadva bas aap likhate rahiae . Aap tatsth he . Apni burai bhi sabke samne pesh kar dete ho . Lage raho
ReplyDeleteNeeraj bhai .
क्या खुबसूरत फोटो हैं। bade wala 36 number to gajab ka he .shyad baki bhi agar big size mein honge to woh bhi adhik sunder lagenge. नीरज जी आप दिल से लिखतें हैं।
ReplyDeleteGreat journey and very good writing... thanks for writing it.
ReplyDeleteये कश्मीर है .....बहुत ही खुबसूरत ! काश ,कभी हम भी इसे देखे , वहा के लोगो के बारे मे जानकार दिल को तसल्ली हुई ...कभी जाना हुआ तो इन कश्मीरों से डरने की जरुरत नहीं ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर फोटो।इसी साल जनवरी मे मै भी कश्मीर गया था।गुलमगॅ व सोनमगॅ तक ही जा पाया था।बहुत सुन्दर हे काश्मीर।लेकिन ये सुन्दरता गरमी के मौसम मे ज्यादा होती हे जब चारो ओर हरीयाली ही हरीयाली फैली होती है।जब मे गया था तब बफॅ ही बफॅ थी।पेड सुखे पडे थे।कभी गरंमी मे भी जाकर देखने की इकच्छा है।आपकी इस पोस्ट मे चारो ओर फैली हरीयाली देखकर वहाँ जाने का फिर मन कर ने लगा है।
ReplyDeleteनीरज जी राम राम, कश्मीर की सुन्दरता को आपने उकेर के रख दिया हैं. बहुत ही खुबसूरत, और पहाड़ पर वो भी लद्दाख के, उस पर एक दिन में १०० किलोमीटर साइकिल चलाना वाकई हिम्मत की बात हैं. लगे रहो नंबर वन घुमक्कड़ लगे रहो, वन्देमातरम...
ReplyDeletesabkuch to acha tha hi par is baar ke photo to main dekhta hi rah gya......Ghumakkar kum Photographer ban gye ho neeraj bhai....
ReplyDeleteनीरज भाई...
ReplyDeleteवाकई फोटो बहुत सुंदर हैं...
१९ नंबर फोटो जिस लोकेशन की ली गयी है उसे इंडिया गेट कहते हैं. यह नाम बीआरओ वालों ने दिया है..
एक सड़क ऊपर जाती है और दूसरी नीचे. ऊपर वाली सड़क लेह की ओर से आने वाली गाड़ियों के लिए और नीचे वाली श्रीनगर से आने वाली गाड़ियों के लिए ताकि सड़क वनवे बना रहे. वैसे ऊपर वाली सड़क पर भूस्खलन ज्यादा होती है. इसलिए उसे कम या फिर दिन में ही काम में लाया जाता है जब traffic ज्यादा हो.. इसी जगह पर आर्मी वाले रहते ही हैं जो Traffic भी कण्ट्रोल कर लेते हैं...
और कहते हैं श्रीनगर की ओर से आने वाली गाड़ियों के लिए जोजिला की चडिया एहिं खतम होती है...
क्या बात वाह!
ReplyDeleteबहुत सुंदर चित्र ! बधाई इस रोमांचक यात्रा के लिए..
ReplyDeletejitni sundar tasvir utna hi achcha yatra vrittant.
ReplyDeleteHi Neeraj,
ReplyDeleteNeed to buy a new camera not a SLR but like a brige camera budget upto 20 to 25 thousand, like your pictures a lot. Can u tell me if i should go with sony hx200 or hx300. Please suggest. u can me mail me also on mejames4u@gmail.com
Also please tell me some tips for mountain photography and using the camera
Deleteजय भारत
ReplyDeleteजय भारतीय
जय नीरज