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10 जून 2013
सुबह साढे पांच बजे आंख खुल गई। मेरठ से आया कुनबा जब जाने की तैयारी करने लगा तो शोर हुआ। मैं भी जग गया। तम्बू से बाहर निकला, सामने सचिन खडा था। पता चला वो भी बहुत थका है। वह कल जिस्पा में रुका था, गेमूर से 5-6 किलोमीटर आगे। एक ही दिन में 1000 मीटर चढने से उसकी भी हालत ज्यादा अच्छी नहीं थी।
यहां से सूरजताल 13 किलोमीटर व बारालाचा 16 किलोमीटर है। यानी 16 किलोमीटर तक हमें ऊपर चढना है। नाश्ता करके साढे सात बजे निकल पडे। आज 47 किलोमीटर दूर सरचू पहुंचना है।
यहां से निकलते ही चढाई शुरू हो गई, हालांकि ज्यादा तीव्र चढाई नहीं थी। सडक भी अच्छी है। कुछ आगे चलकर एक नाला पार करना पडा। इसमें काफी पानी था लेकिन ज्यादा फैला होने के कारण उतना तेज बहाव नहीं था। पार करने के बाद काफी देर तक अपने पैर ढूंढते रहे।
एक ट्रेकिंग दल यहां से नाले के साथ साथ ऊपर चढने लगा। वे निश्चित तौर पर चन्द्रताल जा रहे होंगे। उन्हें वहां पहुंचने में कई दिन लगेंगे। बर्फ तो यहीं से आरम्भ हो गई है, पूरे रास्ते वे बर्फ में ही चलते रहेंगे। गनीमत है कि उन्हें ज्यादा उतराई चढाई नहीं करनी पडेगी।
कुछ और आगे बढे तो वाहनों की कतारें मिलीं। अब तक इतना तो अभ्यास हो चुका है कि वाहनों की कतारों का अर्थ है- आगे तेज बहाव वाला नाला। यहां भी ऐसा ही है। बडा भयंकर बहाव था। लेकिन अच्छी बात यह थी कि बराबर में पुल का काम चल रहा था। पुल लगभग पूरा हो चुका था, बस चादरें बिछानी बाकी थीं। जोर शोर से काम चल रहा था। लग रहा था कि घण्टे भर में काम पूरा हो जायेगा। इसी के भरोसे दोनों ओर गाडियां रुकी थीं। कोई भी नाले से नहीं निकलना चाहता था।
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जिंगजिंगबार |
यह नाला काफी चौडाई में बह रहा था। फोटो सचिन ने खींचा। |
बडी देर लगी इसे पार करने में- चौडाई के साथ साथ इसमें पत्थर भी थे जो सन्तुलन बिगाड देते थे। |
और पार करने के बाद पैरों की मालिश। दूर दो ट्रेकर पहाड पर चढते दिख रहे हैं जो चन्द्रताल तक जायेंगे। |
फंसी खडी गाडी |
बारालाचा-ला की ओर |
पीछे मुडकर देखने पर |
बारालाचा से काफी पहले ही बर्फ शुरू हो गई। |
पीछे मुडकर देखने पर |
इतनी दुर्गम जगह पर साइकिल? लोग गाडियों से उतरकर साथ फोटो खिंचवाकर गौरवान्वित होते थे। |
पीछे मुडकर देखने पर |
सूरजताल के प्रथम दर्शन |
सूरजताल- बारालाचा से तीन किलोमीटर पहले |
सूरजताल के बराबर से गुजरती सडक |
एक टूटा हुआ शेड |
धिक्कार है! |
बारालाचा-ला |
बारालाचा के बाद ऐसा रास्ता है भरतपुर तक। |
भरतपुर के पास भी एक झील है। |
सचिन पंक्चर ठीक करता हुआ। |
सीधा और ढलानयुक्त रास्ता |
इसी की बदौलत हम एक घण्टे पहले सरचू पहुंच गये। |
गहरी घाटी वाली ‘सरचू’ नदी। |
इसी नदी के किनारों पर ये आकृतियां बनी हैं। |
रास्ते में ऐसी कई टैण्ट कालोनियां हैं। बडी खर्चीली हैं ये। |
सरचू से छह किलोमीटर पहले |
सरचू |
सरचू में सूर्यास्त |
अगला भाग: लद्दाख साइकिल यात्रा- आठवां दिन- सरचू से नकीला
मनाली-लेह-श्रीनगर साइकिल यात्रा
1. साइकिल यात्रा का आगाज
2. लद्दाख साइकिल यात्रा- पहला दिन- दिल्ली से प्रस्थान
3. लद्दाख साइकिल यात्रा- दूसरा दिन- मनाली से गुलाबा
4. लद्दाख साइकिल यात्रा- तीसरा दिन- गुलाबा से मढी
5. लद्दाख साइकिल यात्रा- चौथा दिन- मढी से गोंदला
6. लद्दाख साइकिल यात्रा- पांचवां दिन- गोंदला से गेमूर
7. लद्दाख साइकिल यात्रा- छठा दिन- गेमूर से जिंगजिंगबार
8. लद्दाख साइकिल यात्रा- सातवां दिन- जिंगजिंगबार से सरचू
9. लद्दाख साइकिल यात्रा- आठवां दिन- सरचू से नकीला
10. लद्दाख साइकिल यात्रा- नौवां दिन- नकीला से व्हिस्की नाला
11. लद्दाख साइकिल यात्रा- दसवां दिन- व्हिस्की नाले से पांग
12. लद्दाख साइकिल यात्रा- ग्यारहवां दिन- पांग से शो-कार मोड
13. शो-कार (Tso Kar) झील
14. लद्दाख साइकिल यात्रा- बारहवां दिन- शो-कार मोड से तंगलंगला
15. लद्दाख साइकिल यात्रा- तेरहवां दिन- तंगलंगला से उप्शी
16. लद्दाख साइकिल यात्रा- चौदहवां दिन- उप्शी से लेह
17. लद्दाख साइकिल यात्रा- पन्द्रहवां दिन- लेह से ससपोल
18. लद्दाख साइकिल यात्रा- सोलहवां दिन- ससपोल से फोतूला
19. लद्दाख साइकिल यात्रा- सत्रहवां दिन- फोतूला से मुलबेक
20. लद्दाख साइकिल यात्रा- अठारहवां दिन- मुलबेक से शम्शा
21. लद्दाख साइकिल यात्रा- उन्नीसवां दिन- शम्शा से मटायन
22. लद्दाख साइकिल यात्रा- बीसवां दिन- मटायन से श्रीनगर
23. लद्दाख साइकिल यात्रा- इक्कीसवां दिन- श्रीनगर से दिल्ली
24. लद्दाख साइकिल यात्रा के तकनीकी पहलू
गजब, अभिभूत कर देने वाला.
ReplyDeleteBahut Majedar, Kya Sarchu se Jammu and Kashmir ka Ladakh region start hota hai?
ReplyDeleteअभिभूत करते दृश्य, कितना सुन्दर है देश हमारा।
ReplyDeleteअतिसुन्दर ! ऐसे ही नही हमारे देश को सोने की चिडि़या कहा जाता है।
ReplyDeleteहिमालय के श्वेत धवल पर्वतों के बीच नीरज जी की यात्रा सरचू पहुँच चुकी है। नयनाभिराम दृश्य एवं उत्कृष्ट विवरण। भई वाह !!
ReplyDelete- Anilkv
Bahut maza araha padh ker .. photo's tho kamaal hai neerajji..
ReplyDeleteनीरज भाई , बखान करने के लिये शब्द नहीं है !
ReplyDeleteसचिन की शक्ल क्यों नहीं दिखा रहे हो
ReplyDeleteपैंट नहीं पजामी पहनी है आपने :-)
प्रणाम
mindblowing
ReplyDeleteगज़ब .. वाह वाह वाह
ReplyDeletekya sarchu himachal me hai.photos bahut sunder aayi hai jaat ram ji
ReplyDeleteनयनाभिराम.......
ReplyDeleteदुनिया भर में भारत जैसा सुंदर कुछ भी नहीं
ReplyDeleteसचिन की तस्वीर में हमारी भी रूचि है...एकाध क्लोजअप चेपा जाए। वृत्तांत शानदार बन पड़ा है इसके प्रिंट आउट अपने विद्यार्थियों को देकर इस पर प्रोजेक्ट करवाया जाएगा... पहले पूरा हो जाए।
ReplyDeleteShandaar lekh aur manbhavan chitra....................
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत, बहुत ही सुंदर, ग़ज़ब का नज़ारा हैं, विशेषकर सूर्यास्त वाला चित्र....तुसी ग्रेट हो सर जी.......
ReplyDeleteआपकी यह यात्रा रहस्मय होती जा रही है . काश श्री सचिन के दर्शन , लादाख दर्शन के साथ हो जाते . मैं इस रास्ते से जुलाई 1 9 9 4 में बस यात्रा कर चूका हूँ . उन दिनों सड़क अच्छी थी . बर्फ का नामो निशाँ न था . लगता है इस बार बर्फ़बारी कुछ ज्यादा हुई है
ReplyDeleteमनाली - लेह पैसेंजर के ड्राईवर साहब ध्यान दें, आपका सिग्नल लोअर है, कृपया गाड़ी स्टार्ट करें।
ReplyDeleteshandar photos
ReplyDeleteइतने कठिन नाम याद कैसे रहते है नीरज ....और वो गॉंव का फोटू नहीं दिखाया जिस पर ग्लेशियर खड़ा था
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