इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें।
20 जून 2013
यहां कोई पेड वेड तो थे नहीं कि टैण्ट पर छांव पड रही हो। जब सूरज निकला तो निकलते ही आग बरसाने लगा। टैण्ट के अन्दर यह आग और भी भयंकर लग रही थी। बाहर निकला तो शीतल हवाओं ने स्वागत किया। फटाफट टैण्ट उखाडा। साढे आठ बज चुके थे। देखा काफी सारे मजदूर मुझे देख रहे हैं। वो लद्दाखी चौकीदार पता नहीं सुबह भी आया या नहीं, लेकिन अब भी नहीं था। मैंने मजदूरों से उसके बारे मे पूछा तो बताया कि उसकी यहां चौकीदारी की रात की ही ड्यूटी होती है, दिन में वो अपने घर चला जाता है। असलियत शायद किसी को नहीं मालूम थी, लेकिन मैं जानता था कि वो पूरी रात अपने घर रहा था।
सवा नौ बजे यहां से चल पडा। फोतूला अभी भी आठ किलोमीटर है। चढाई तो है ही और जल्दी ही लूप भी शुरू हो गये। लेकिन चढाई मुश्किल मालूम नहीं हुई। फोतूला से करीब चार किलोमीटर पहले खराब सडक शुरू हो जाती है। इसका पुनर्निर्माण चल रहा है, फिर तेज हवाओं के कारण धूल भी काफी उडती है। चढाई भरे रास्ते पर जहां आपको अत्यधिक साफ हवा की आवश्यकता पडती है, यह धूल बहुत खतरनाक है।
प्यास लग रही थी, पानी था नहीं अपने पास। एक जगह एक कार खडी दिखी, मैं भी उनके पास सांस लेने के बहाने जा खडा हुआ। उन्होंने एक साइकिल वाले को देखकर आश्चर्ययुक्त पूछताछ करनी शुरू की। यहां मुझे पानी का एक इशारा करने भर की देर थी, भरी बोतल मिल गई।
...
इस यात्रा के अनुभवों पर आधारित मेरी एक किताब प्रकाशित हुई है - ‘पैडल पैडल’। आपको इस यात्रा का संपूर्ण और रोचक वृत्तांत इस किताब में ही पढ़ने को मिलेगा।
आप अमेजन से इसे खरीद सकते हैं।
![]() |
फोतूला से कुछ नीचे लगा टैण्ट |
![]() |
फोतूला की ओर |
![]() |
फोतूला ज्यादा दूर नहीं |
![]() |
रास्ते में मिले दिल्ली के मोटरसाइकिलबाज। |
![]() |
बौद्ध खारबू गांव |
![]() |
नामिकला की ओर जाती सडक |
![]() |
सामने नामिकला है। |
![]() |
आज ही नामिकला भी पार कर लिया- एक ही दिन में दो दो दर्रे साइकिल से। |
![]() |
मुलबेक में इसी गेस्ट हाउस में रुका था। |
![]() |
मेरा कमरा |
![]() |
लाइट चली गई इसलिये मोमबत्ती जलाकर खाना खाया। अपने ही आप कैण्डल लाइट डिनर हो गया। |
अगला भाग: लद्दाख साइकिल यात्रा- अठारहवां दिन- मुलबेक से शम्शा
मनाली-लेह-श्रीनगर साइकिल यात्रा
1. साइकिल यात्रा का आगाज
2. लद्दाख साइकिल यात्रा- पहला दिन- दिल्ली से प्रस्थान
3. लद्दाख साइकिल यात्रा- दूसरा दिन- मनाली से गुलाबा
4. लद्दाख साइकिल यात्रा- तीसरा दिन- गुलाबा से मढी
5. लद्दाख साइकिल यात्रा- चौथा दिन- मढी से गोंदला
6. लद्दाख साइकिल यात्रा- पांचवां दिन- गोंदला से गेमूर
7. लद्दाख साइकिल यात्रा- छठा दिन- गेमूर से जिंगजिंगबार
8. लद्दाख साइकिल यात्रा- सातवां दिन- जिंगजिंगबार से सरचू
9. लद्दाख साइकिल यात्रा- आठवां दिन- सरचू से नकी-ला
10. लद्दाख साइकिल यात्रा- नौवां दिन- नकी-ला से व्हिस्की नाला
11. लद्दाख साइकिल यात्रा- दसवां दिन- व्हिस्की नाले से पांग
12. लद्दाख साइकिल यात्रा- ग्यारहवां दिन- पांग से शो-कार मोड
13. शो-कार (Tso Kar) झील
14. लद्दाख साइकिल यात्रा- बारहवां दिन- शो-कार मोड से तंगलंगला
15. लद्दाख साइकिल यात्रा- तेरहवां दिन- तंगलंगला से उप्शी
16. लद्दाख साइकिल यात्रा- चौदहवां दिन- उप्शी से लेह
17. लद्दाख साइकिल यात्रा- पन्द्रहवां दिन- लेह से ससपोल
18. लद्दाख साइकिल यात्रा- सोलहवां दिन- ससपोल से फोतूला
19. लद्दाख साइकिल यात्रा- सत्रहवां दिन- फोतूला से मुलबेक
20. लद्दाख साइकिल यात्रा- अठारहवां दिन- मुलबेक से शम्शा
21. लद्दाख साइकिल यात्रा- उन्नीसवां दिन- शम्शा से मटायन
22. लद्दाख साइकिल यात्रा- बीसवां दिन- मटायन से श्रीनगर
23. लद्दाख साइकिल यात्रा- इक्कीसवां दिन- श्रीनगर से दिल्ली
24. लद्दाख साइकिल यात्रा के तकनीकी पहलू
बहुत सुन्दर जगह है, बेहद सुन्दर चित्र.
ReplyDeleteसुन्दर अति सुन्दर, और क्या कहू बस.......
ReplyDeleteवाह, पढ़कर लग रहा है कि पेड़ों के अभाव में जीवन कैसे बीतता होगा।
ReplyDeleteआपकी हर पोस्ट लाजवाब है और फोटो का तो कहना ही क्या अति सुंदर ा
ReplyDeleteक्या बात बधाई!
ReplyDeleteBHAI YH BTA KADE PHUNCHANNGE SHRINAGAR PHADO MEIN DARR LAAG RYA SE..RAM RAM
ReplyDeleteBahut sunder
ReplyDeleteअदम्य साहस की अदभुत दास्तान। वाह !!
ReplyDelete- Anilkv
नीरज भाई बहुत खूबसूरत चिञ है।एक चिञ मे आपकी साईकल किसने उठा रखी हे? आपने अनुमती कैसे दे दी?
ReplyDeleteशानदार
ReplyDeleteहमेशा की तरह
एक बात है नीरज बाबू (बुरा मत मानना और मान भी जाओ तो क्या ?) लेकिन आप को कहीं न कहीं इस बात का गहराई से अहसास था कि आप को विदेशी समझा जा रहा है....और आप ने लगभग पोस्टों में गाहे बगाहे इंगित भी किया है !!
ReplyDeletephoto bahut hi sandar liye hai niraj,mera bhi man ho gaya jane ko,
ReplyDeleteबहुत सुंदर ...अगर बोद्ध की बड़ी मूर्ति की भी तस्वीर होती तो मज़ा आता
ReplyDelete