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21 जून 2013
हमेशा की तरह आराम से सोकर उठा। आज आराम कुछ भारी पड सकता है क्योंकि बताया गया कि आगे कारगिल के बाद सिर्फ द्रास में ही रुकने का इन्तजाम है। यहां से कारगिल 40 किलोमीटर और द्रास 100 किलोमीटर है। पूरी यात्रा में मैं कभी भी इतनी दूर तक साइकिल नहीं चला सका, चढाई तो दूर ढलान पर भी नहीं। आज कहीं भी ढलान नहीं है, अपवादस्वरूप कारगिल तक यदा-कदा ढलान मिल सकता है, उसके बाद जोजीला तक तो कतई नहीं। तो सीधी सी बात है कि कारगिल चार घण्टों में पहुंच जाऊंगा लेकिन किसी भी हालत में द्रास नहीं पहुंच सकूंगा। अन्धेरे में मैं साइकिल नहीं चलाया करता।
आज की एक और भी समस्या है। मुझे यात्रा शुरू करने से पहले ही बताया गया था कि कारगिल और द्रास के बीच में करीब पन्द्रह किलोमीटर का रास्ता ऐसा है जो पाकिस्तानी सेना की फायरिंग रेंज में आता है। सन्दीप भाई के यात्रा विवरण को पढा, वे मोटरसाइकिल पर थे लेकिन उन्होंने लिखा था कि इस रास्ते पर उन्हें कोई होश नहीं था सिवाय जल्दी से जल्दी इसे पार कर लेने के। फिर यह रास्ता चढाई भरा है। पन्द्रह किलोमीटर यानी मुझे चार घण्टे लगेंगे। मैं इसी को सोच-सोचकर डरा जा रहा था। यहां तक कि सोच भी लिया था कि इस रास्ते को किसी ट्रक में बैठकर पार करूंगा।
नाश्ता वाश्ता करके साढे नौ बजे यहां से चल पडा। सीधे तौर पर मैं कम से कम दो घण्टे विलम्ब से चला। शुरू में तो सडक अच्छी है, लेकिन उसके बाद खराब मिलने लगी। जगह जगह काम भी चल रहा था, इसलिये तेज धूप में धूल धक्कड का भी सामना करना पडा।
...
इस यात्रा के अनुभवों पर आधारित मेरी एक किताब प्रकाशित हुई है - ‘पैडल पैडल’। आपको इस यात्रा का संपूर्ण और रोचक वृत्तांत इस किताब में ही पढ़ने को मिलेगा।
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कारगिल की ओर |
कारगिल शहर |
कारगिल |
कारगिल के बाद |
सडक की मरम्मत चल रही है। |
द्रास की ओर। |
द्रास की ओर। सडक ने दिल जीत लिया। |
सबसे बायें मुश्ताक अहमद, उसके बाद और बच्चे। |
अगला भाग: लद्दाख साइकिल यात्रा- उन्नीसवां दिन- शम्शा से मटायन
मनाली-लेह-श्रीनगर साइकिल यात्रा
1. साइकिल यात्रा का आगाज
2. लद्दाख साइकिल यात्रा- पहला दिन- दिल्ली से प्रस्थान
3. लद्दाख साइकिल यात्रा- दूसरा दिन- मनाली से गुलाबा
4. लद्दाख साइकिल यात्रा- तीसरा दिन- गुलाबा से मढी
5. लद्दाख साइकिल यात्रा- चौथा दिन- मढी से गोंदला
6. लद्दाख साइकिल यात्रा- पांचवां दिन- गोंदला से गेमूर
7. लद्दाख साइकिल यात्रा- छठा दिन- गेमूर से जिंगजिंगबार
8. लद्दाख साइकिल यात्रा- सातवां दिन- जिंगजिंगबार से सरचू
9. लद्दाख साइकिल यात्रा- आठवां दिन- सरचू से नकी-ला
10. लद्दाख साइकिल यात्रा- नौवां दिन- नकी-ला से व्हिस्की नाला
11. लद्दाख साइकिल यात्रा- दसवां दिन- व्हिस्की नाले से पांग
12. लद्दाख साइकिल यात्रा- ग्यारहवां दिन- पांग से शो-कार मोड
13. शो-कार (Tso Kar) झील
14. लद्दाख साइकिल यात्रा- बारहवां दिन- शो-कार मोड से तंगलंगला
15. लद्दाख साइकिल यात्रा- तेरहवां दिन- तंगलंगला से उप्शी
16. लद्दाख साइकिल यात्रा- चौदहवां दिन- उप्शी से लेह
17. लद्दाख साइकिल यात्रा- पन्द्रहवां दिन- लेह से ससपोल
18. लद्दाख साइकिल यात्रा- सोलहवां दिन- ससपोल से फोतूला
19. लद्दाख साइकिल यात्रा- सत्रहवां दिन- फोतूला से मुलबेक
20. लद्दाख साइकिल यात्रा- अठारहवां दिन- मुलबेक से शम्शा
21. लद्दाख साइकिल यात्रा- उन्नीसवां दिन- शम्शा से मटायन
22. लद्दाख साइकिल यात्रा- बीसवां दिन- मटायन से श्रीनगर
23. लद्दाख साइकिल यात्रा- इक्कीसवां दिन- श्रीनगर से दिल्ली
24. लद्दाख साइकिल यात्रा के तकनीकी पहलू
ईश्वर कश्मीर को किसी की नज़र न लगे। इतना सौन्दर्य दिया है, थोड़ी शान्ति भी दे दे।
ReplyDeleteHard to believe people like मुश्ताक अहमद are in this world. God bless
ReplyDeleteभाई, मुझे तो यह बताओ कि यह साइकिल कौन सी है, कितने में खरीदी और इसमें आगे-पीछे दोनों शाक एब्जार्बर लगे हैं क्या..
ReplyDeleteमेरे पास Format की साइकिल है। अभी फिलहाल उसका मॉडल नम्बर नहीं पता। इसमें एल्यूमिनियम बॉडी, एल्यूमिनियम रिम, दोनों पहियों में डिस्क ब्रेक, केवल अगले पहिये में सस्पेंशन (शॉक एब्जार्वर), 7x3 का गियर अनुपात है। इसे पिछले साल 15000 में खरीदा था झण्डेवालां साइकिल बाजार से। किसी भी कम्पनी की हो, अगर उपरोक्त चीजें हैं तो सभी इतने ही रेट में उपलब्ध हैं।
Deleteकश्मीर की पहचान ये लम्बे लम्बे पेड़ ...कारगिल शहर बहुत खुबसूरत लगा भीड़ भी काफी थी---यही वो जगह थी जहाँ पिछली लड़ाई हुई थी ---तेरा दिल सडक ने जीता और मेरा जीत लिया खबसूरत नजारों ने ....वाह !!!!!
ReplyDeleteमुस्लिम बच्चे कितने खुबसूरत है ..ये लोग इतने बच्चे क्यों पैदा करते है जब खिला नहीं सकते, एक बात समझ नहीं आई जब खाने को नहीं था तो बगेर पैसे लिए वो लड़का तुम्हे घर क्यों ले गया???
कारगिल को देखकर एक गीत याद आ रहा है ----"ये कश्मीर है ....
दर्शन कौर जी,
Deleteहम बडे बडे महानगरों में रहने वाले हमेशा ऐसा ही सोचते हैं। हमारे यहां खाने खिलाने के लिये बहुत भोजन है, लेकिन हम चाहते हैं कि कोई अतिथि तो क्या, रिश्तेदार तक न आ धमके।
जबकि वहां ऐसा नहीं है। वे ऐसा नहीं सोचते।
pakistan ki range ki photo khinch kar badi himmat dikhayi....kbi socha nhi tha ki kargil me itni bheed b hogi...kbi vha jaunga to ye post boht kaam ayega....Thanks for posting such things....
ReplyDelete"मैंने तुरन्त उसके पैरों की तरफ देखा। पैर तो ठीक थे। आगे की ओर ही थे और जमीन पर भी टिके थे"
ReplyDeleteशुक्र है, आप बाल-बाल बचे। हा- हा- हा !!!
- Anilkv
Mushtak Ahmed ka parivar kafi accha laga, is yatra ka sabse majedar pahlu ...sath main mehman ka swagat..
ReplyDeleteकाश क़ि घर में एक अदद अंडा भी न होता .. तो इस यात्रा के साथ एक नया तजुर्बा जुड़ जाता ..
ReplyDeleteआगे काम भी आता ..
सही कह रहे हो शर्मा जी। हर काम की कभी न कभी शुरूआत करनी ही होती है। इस बहाने मांसाहार की शुरूआत हो जाती, तो पूरी दुनिया अपनी हो जाती। कहीं भी आलू रोटी के लिये न भटकना पडता। लगता है किस्मत में अभी अण्डे खाने ही लिखे हैं।
Deleteनीरज भाई,
ReplyDeleteकारगिल से आगे नदी किनारे की वोह मोटी सी दीवार दिखी की नहीं...
वही दीवार है, जो पाकिस्तानी फायरिंग रेंज से सड़क और काफिले को बचने बनाई गए है...
हां जी, दिखी थी। एक तरफ पहाड और दूसरी तरफ नदी की साइड में दीवार। मैं सोच तो रहा था कि क्या मामला है लेकिन नजरअन्दाज कर दिया। आपने उसके बारे में बताकर अच्छा किया। धन्यवाद।
Deleteनीरज भाई , मांसाहार मत करना ! बाकी सब अपने आप ठीक हो जाएगा ! फोटो जबरदस्त !
ReplyDeleteअमन भाई, मांसाहार को तो तैयार बैठे हैं। लेकिन शाकाहार के संस्कार इतने मजबूत हैं कि आसानी से शुरूआत नहीं हो पा रही।
Deleteनीरज भाई , मेरे मांसाहार के संस्कार इतने मजबूत है की चाह कर भी तौबा नहीं कर पा रहा हूँ लेकिन दिल से मांसाहारी बने रहने का इच्छा नहीं करता !
DeleteMuslaman ka atithi prem dekhkar mansahar karne ko taiyar ho gaye . Aesa kesa atithi prem ?????????? Bachcheko dekhakar sari thakan dur ho jati he .
ReplyDeleteTum jalim kya janoge . Muslaman atithiprem ki bat se bahut naraj hu . Bachche to allha ki den he . Ha ha ha
श्री गायत्री जी, आप मेरे मुसलमान के घर में ठहरने से नाराज हैं, मैं आपकी इस संकीर्ण सोच पर नाराज हूं। हम कहीं भी घूमने जाते हैं। और कोशिश करते हैं कि वहां के स्थानीय माहौल में स्थानीय खाना भी मिल जाये तो यात्रा सफल हो जाये। लद्दाख जाते हैं तो बौद्धों के यहां, दक्षिण में जाते हैं तो तमिल-मलयालियों के यहां रुकना परम सौभाग्य मानते हैं। अगर कश्मीर गये तो कश्मीरियों के यहां रुकने पर ऐतराज क्यों?????
Deleteध्यान रहे कि मैं किसी मुसलमान के यहां नहीं रुका था। मैं कश्मीर में था और एक कश्मीरी परिवार में रुका था।
Neeraj , aapane likha he isaka aatithi prem dekhakar aaj muje mansahar bhi karna padega , me ghar se or mansahar se bhi naraj nahi hu magar atithi prem dekhakar khana padega .
DeleteHamara to itane din ka koi prem hi nahi he. Aap samaj gaye hoge jab aapke ghar me aaya tha .
Jao is bat par me aashirvad deta hu ki aapake marrige ho jae . Shrp to nahi de shakta . Hamare ghar aap aaye the to pyar se 1/2 rotala diya tha vo bhi nahi khaya tha . Aap hamare HIRO he . UMESH JOSHI
खूबसूरत बच्चे, खूबसूरत नजारे
ReplyDeleteमुसाफिर चल चला चल
प्रणाम
नीरज जी बहुत बढिया याञा वणॅन व चिञ भी।अतिथी देवो भवः इस परमपरा को उस बचचे मुसताख अहमद ने बनायी रखी।
ReplyDeleteULTIMATE PHOTOGRAPHY.....KARGIL VALLEY BEAUTIFUL....
ReplyDeleteशानदार वर्णन। कश्मीर में मुश्ताक के मिलने से हमें राहम मिली वरना कम से कम अपना अनुभव तो कश्मीरियों के साथ बहुत सुखद नहीं है... लद्दाखी कहीं अधिक जीवंत व सहृदय लोग लगे हमें तो।
ReplyDeleteअमां हमें तो लगा कि आप पाकिस्तान की ओर तो नहीं निकल लिए । क्या धांसू यात्रा और क्या धांसू फ़ांसू फ़ोटो हैं । हमें खुशी और फ़ख्र है कि आप जैसे जाबांज़ मित्तर हैं हमारे । घुमक्कडी जिंदाबाद ।
ReplyDeleteimage pr caption ko jaroori karo neeraj bhai chaho to is masale pr voting kra lo
ReplyDeleteसुपर बाजार साहब,
Deleteहर फोटो पर कैप्शन लगाना मुझे ठीक नहीं लगता। अगर फोटो कहीं प्रतियोगिता में जा रहे हैं, तब तो ठीक है। जिस फोटो पर कैप्शन नहीं लगा है, मुझे उम्मीद है कि आप समझ जाते होंगे कि इस फोटो में क्या है और क्या दिखाने की कोशिश की गई है। जहां मुझे लगता है कि आप नहीं समझ सकेंगे, मैं कैप्शन लगा देता हूं।
"जहां मुझे लगता है कि आप नहीं समझ सकेंगे, मैं कैप्शन लगा देता हूं।"
Delete----यानी नीरज को सब पता है कि लोग क्या समझ पायेंगे क्या नहीं ? क्या बात है जी...क्या कान्फीडेंस है जी ...क्या ज्ञान है जी....
Neeraj Bhai aap ghumakkar ho, yani ekdam neutral ho. Kahan rukte ho kahan khate ho kya khate ho is baat se koi antar nahi padta.
ReplyDeleteJo lok is tarah ki baat kartein hain wo bahot choti samaj wale hote hain.
Aap lage raho.
Thanks.
यूं तो अपना अपना शौक है जी...... पर हम तो यह सोचा रहे हैं पर पता ही नहीं चल रहा कि क्या काम-धाम छोड़कर व्यर्थ घूमने से ...अपने देश में लूट, भ्रष्टाचार,बलात्कार कम होसकते हैं क्या...
ReplyDeleteneeraj ke na ghumane se loot,bharshtachar,rape kam ho jayenge. aap ek travel blog pe ho. aapko travel enjoy karna chahiye.
Deletein my opinion, ye ek personal travel blog hai. jo bhi likha ja raha hai, wo neeraj ke apne vichar hain. kisi aur ko kyun problem honi chahiye.
cities ke ac me rahne main aur ladakh travel kkarne me- wo bhi cycle pe- bahut fark hai. ise kewal wahi samajh sakta hai,jisne ye kiya hai.
very well written neeraj, best blog in hindi, aise hi ghumte rahiye aur hame nai-nai jaghon ke darshan ghar baithe karate rahiye.
neeraj ke na ghumane se loot,bharshtachar,rape kam ho jayenge. aap ek travel blog pe ho. aapko travel enjoy karna chahiye.
Deletein my opinion, ye ek personal travel blog hai. jo bhi likha ja raha hai, wo neeraj ke apne vichar hain. kisi aur ko kyun problem honi chahiye.
cities ke ac me rahne main aur ladakh travel kkarne me- wo bhi cycle pe- bahut fark hai. ise kewal wahi samajh sakta hai,jisne ye kiya hai.
very well written neeraj, best blog in hindi, aise hi ghumte rahiye aur hame nai-nai jaghon ke darshan ghar baithe karate rahiye.
नीरजजाटजी, क्यों काम-धाम छोडकर व्यर्थ घूमते हो?
Deleteश्याम गुप्ता जी की तरह दोहे, कविता, भजन-आरती लिखकर अपने देश में लूट, भ्रष्टाचार, बलात्कार कम करो भाई।
आपको अन्दाजा भी नहीं है कि श्याम गुप्ता जी ने कितना अंकुश लगा दिया है, इन बुराईयों पर, बस आप और लग पडो तो समाप्त ही समझो।
और एक-आध पोस्ट में Miss Diva और Fation shows के अखबारों की कटिंग भी लगाते रहियेगा।
प्रणाम
shyam gupta ?ye kya cheez hai? बड़ी ही निम्न स्तर की सोच है इसकी
ReplyDeleteइस के लिए जवाब तो मेरे पास भी बहुत अच्छा है लेकिन ये ब्लॉग किसी और का है उसकी मर्यादा का ख़याल रखते हुए कुछ नहीं लिख रहा .
ट्रक के पीछे लिखा होता है " जलो मगर दिए की तरह खामखा फ़ुको मत "
neeraj ji ... kaafi achha likha hai aap ne.... pic kamal ki hai
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