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हिमाचल प्रदेश

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पोस्ट सं.पोस्टप्रकाशन दिनांक
131रघुपुर किले की फटाफट यात्रा21 जुलाई, 2019
130राज ठाकुर का गाँव: बीजल8 जुलाई, 2019
129शांघड़: बेहद खूबसूरत मुकाम7 जुलाई, 2019
128एक यात्रा सैंज वैली की6 जुलाई, 2019
127देवदार के खूबसूरत जंगल में स्थित है बाहू और बालो नाग मंदिर11 जून, 2019
126आश्चर्यचकित कर देने वाली इमारत: चैहणी कोठी10 जून, 2019
125Tirthan Valley Family Packages4 जून, 2019
124जलोड़ी जोत से लांभरी हिल का ट्रैक24 मई, 2019
123तीर्थन डायरी - 1 (7 मई 2019)8 मई, 2019
122किन्नर कैलाश की डिजीटल यात्रा24 अप्रैल, 2019
121इन छुट्टियों में हिमाचल में तीर्थन वैली जाइए18 अप्रैल, 2019
120मोटरसाइकिल यात्रा: सुकेती फॉसिल पार्क, नाहन2 अगस्त, 2018
119जंजैहली से छतरी, जलोड़ी जोत और सेरोलसर झील21 मई, 2018
118शिकारी देवी यात्रा19 मई, 2018
117जंजैहली भ्रमण: मित्रों के साथ15 मई, 2018
116‘कुमारहट्टी से जानकीचट्टी’ यात्रा की वीड़ियो6 जुलाई, 2017
115बाइक यात्रा: कुमारहट्टी से जानकीचट्टी - भाग दो5 जून, 2017
114बाइक यात्रा: कुमारहट्टी से जानकीचट्टी1 जून, 2017
113जनवरी में स्पीति: काजा से दिल्ली वापस4 अप्रैल, 2016
112जनवरी में स्पीति: किब्बर में हिम-तेंदुए की खोज1 अप्रैल, 2016
111जनवरी में स्पीति: किब्बर भ्रमण28 मार्च, 2016
110जनवरी मे स्पीति: की गोम्पा15 मार्च, 2016
109जनवरी में स्पीति - बर्फीला लोसर9 मार्च, 2016
108जनवरी में स्पीति - रीकांग पीओ से काजा7 मार्च, 2016
107जनवरी में स्पीति- दिल्ली से रीकांग पीओ3 मार्च, 2016
106लद्दाख बाइक यात्रा- 21 (केलांग-मनाली-ऊना-दिल्ली)7 सितंबर, 2015
105लद्दाख बाइक यात्रा- 20 (भरतपुर-केलांग)28 अगस्त, 2015
104करसोग-दारनघाटी यात्रा का कुल खर्च12 जून, 2015
103कुफरी-चायल-कालका-दिल्ली10 जून, 2015
102हाटू चोटी, नारकण्डा8 जून, 2015
101दारनघाटी और सरायकोटी मन्दिर5 जून, 2015
100सराहन से दारनघाटी3 जून, 2015
99करसोग से किन्नौर सीमा तक29 मई, 2015
98करसोग में ममलेश्वर और कामाक्षा मन्दिर27 मई, 2015
97सुन्दरनगर से करसोग और पांगणा25 मई, 2015
96दिल्ली से सुन्दरनगर वाया ऊना20 मई, 2015
95डलहौजी के नजारे1 अप्रैल, 2015
94शिंगो-ला से दिल्ली वापस16 जनवरी, 2015
93मलाणा- नशेडियों का गांव22 अक्टूबर, 2014
92चन्द्रखनी दर्रा- बेपनाह खूबसूरती20 अक्टूबर, 2014
91चन्द्रखनी दर्रे के और नजदीक18 अक्टूबर, 2014
90चन्द्रखनी ट्रेक- पहली रात13 अक्टूबर, 2014
89चन्द्रखनी ट्रेक- रूमसू गांव11 अक्टूबर, 2014
88रोरिक आर्ट गैलरी, नग्गर9 अक्टूबर, 2014
87चन्द्रखनी दर्रे की ओर- दिल्ली से नग्गर7 अक्टूबर, 2014
86चूडधार की जानकारी व नक्शा25 जून, 2014
85कांगडा रेल यात्रा- जोगिन्दर नगर से ज्वालामुखी रोड तक23 जून, 2014
84कमरुनाग से वापस रोहांडा20 जून, 2014
83रोहांडा से कमरुनाग18 जून, 2014
82रोहांडा में बारिश13 जून, 2014
81तराहां से सुन्दरनगर तक- एक रोमांचक यात्रा11 जून, 2014
80भंगायणी माता मन्दिर, हरिपुरधार9 जून, 2014
79चूडधार यात्रा- वापसी तराहां के रास्ते6 जून, 2014
78चूडधार यात्रा- 24 जून, 2014
77चूडधार यात्रा- 130 मई, 2014
76लद्दाख साइकिल यात्रा- सातवां दिन- जिंगजिंगबार से सरचू26 जुलाई, 2013
75लद्दाख साइकिल यात्रा- छठा दिन- गेमूर से जिंगजिंगबार24 जुलाई, 2013
74लद्दाख साइकिल यात्रा- पांचवां दिन- गोंदला से गेमूर22 जुलाई, 2013
73लद्दाख साइकिल यात्रा- चौथा दिन- मढी से गोंदला19 जुलाई, 2013
72लद्दाख साइकिल यात्रा- तीसरा दिन- गुलाबा से मढी15 जुलाई, 2013
71लद्दाख साइकिल यात्रा- दूसरा दिन- मनाली से गुलाबा12 जुलाई, 2013
70लद्दाख साइकिल यात्रा- पहला दिन- दिल्ली से प्रस्थान10 जुलाई, 2013
69शिमला-कालका रेल यात्रा20 मई, 2013
68सराहन में जानलेवा गलती13 मई, 2013
67सराहन से बशल चोटी तथा बाबाजी9 मई, 2013
66सराहन की ओर6 मई, 2013
65पालमपुर का चिडियाघर और दिल्ली वापसी3 मई, 2013
64बरोट यात्रा29 अप्रैल, 2013
63एक बार फिर बैजनाथ26 अप्रैल, 2013
62हिमानी चामुण्डा से वापसी24 अप्रैल, 2013
61हिमानी चामुण्डा ट्रेक22 अप्रैल, 2013
60एक बार फिर धर्मशाला18 अप्रैल, 2013
59पराशर झील- जानकारी और नक्शा24 फरवरी, 2012
58सोलांग घाटी में बर्फबारी13 फरवरी, 2012
57पराशर झील ट्रेकिंग- झील से कुल्लू तक10 फरवरी, 2012
56पराशर झील22 जनवरी, 2012
55पराशर झील ट्रेकिंग- लहर से झील तक16 जनवरी, 2012
54पराशर झील ट्रेकिंग- पण्डोह से लहर10 जनवरी, 2012
53पराशर झील ट्रेकिंग- दिल्ली से पण्डोह4 जनवरी, 2012
52श्रीखण्ड यात्रा- तैयारी और सावधानी19 सितंबर, 2011
51गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब16 सितंबर, 2011
50जलोडी जोत के पास है रघुपुर किला7 सितंबर, 2011
49सेरोलसर झील और जलोडी जोत4 सितंबर, 2011
48श्रीखण्ड से वापसी एक अनोखे स्टाइल में22 अगस्त, 2011
47श्रीखण्ड यात्रा- भीमद्वारी से रामपुर19 अगस्त, 2011
46श्रीखण्ड महादेव के दर्शन13 अगस्त, 2011
45श्रीखण्ड महादेव यात्रा- भीमद्वारी से पार्वती बाग8 अगस्त, 2011
44श्रीखण्ड महादेव यात्रा- थाचडू से भीमद्वार6 अगस्त, 2011
43श्रीखण्ड महादेव यात्रा- जांव से थाचडू1 अगस्त, 2011
42श्रीखण्ड यात्रा- नारकण्डा से जांव तक30 जुलाई, 2011
41श्रीखण्ड महादेव यात्रा26 जुलाई, 2011
39करेरी यात्रा पर गप्पू और पाठकों के विचार29 जून, 2011
38करेरी यात्रा का कुल खर्च: 4 दिन, 1247 रुपये27 जून, 2011
37करेरी झील से वापसी24 जून, 2011
36करेरी झील की परिक्रमा20 जून, 2011
35करेरी झील के जानलेवा दर्शन16 जून, 2011
34करेरी गांव से झील तक14 जून, 2011
33करेरी यात्रा- गतडी से करेरी गांव11 जून, 2011
32करेरी यात्रा- मैक्लोडगंज से नड्डी और गतडी8 जून, 2011
31भागसू नाग और भागसू झरना, मैक्लोडगंज4 जून, 2011
30चल पडे करेरी की ओर1 जून, 2011
29भाखडा बांध और भाखडा रेल15 दिसंबर, 2010
28नैना देवी13 दिसंबर, 2010
27खीरगंगा और मणिकर्ण से वापसी2 अगस्त, 2010
26अनछुआ प्राकृतिक सौन्दर्य - खीरगंगा26 जुलाई, 2010
25खीरगंगा - दुर्गम और रोमांचक21 जुलाई, 2010
24खीरगंगा ट्रैक - मणिकर्ण से नकथान19 जुलाई, 2010
23मणिकर्ण में ठण्डी गुफा और गर्म गुफा14 जुलाई, 2010
22मणिकर्ण के नजारे7 जुलाई, 2010
21कुल्लू से मणिकर्ण5 जुलाई, 2010
20मैं जंगल में भटक गया30 जून, 2010
19कुल्लू के चरवाहे और मलाना23 जून, 2010
18बिजली महादेव21 जून, 2010
17कुल्लू से बिजली महादेव16 जून, 2010
16मैं कुल्लू चला गया14 जून, 2010
15तीन धर्मों की त्रिवेणी – रिवालसर झील28 अप्रैल, 2010
14टेढा मन्दिर10 दिसंबर, 2009
13ज्वालामुखी - एक चमत्कारी शक्तिपीठ7 दिसंबर, 2009
12कांगडा का किला3 दिसंबर, 2009
11दुर्गम और रोमांचक - त्रियुण्ड30 नवंबर, 2009
10मैक्लोडगंज - देश में विदेश का एहसास26 नवंबर, 2009
9धर्मशाला यात्रा23 नवंबर, 2009
8करोल टिब्बा और पांडव गुफा9 नवंबर, 2009
7करोल के जंगलों में29 अक्टूबर, 2009
6शिमला के फोटो28 मई, 2009
5पालमपुर यात्रा और चामुण्डा देवी16 मई, 2009
4हिमाचल के गद्दी9 मई, 2009
3बिलिंग यात्रा1 मई, 2009
2बैजनाथ मंदिर18 अप्रैल, 2009
1बैजनाथ यात्रा - काँगड़ा घाटी रेलवे16 अप्रैल, 2009

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46 रेलवे स्टेशन हैं दिल्ली में

एक बार मैं गोरखपुर से लखनऊ जा रहा था। ट्रेन थी वैशाली एक्सप्रेस, जनरल डिब्बा। जाहिर है कि ज्यादातर यात्री बिहारी ही थे। उतनी भीड नहीं थी, जितनी अक्सर होती है। मैं ऊपर वाली बर्थ पर बैठ गया। नीचे कुछ यात्री बैठे थे जो दिल्ली जा रहे थे। ये लोग मजदूर थे और दिल्ली एयरपोर्ट के आसपास काम करते थे। इनके साथ कुछ ऐसे भी थे, जो दिल्ली जाकर मजदूर कम्पनी में नये नये भर्ती होने वाले थे। तभी एक ने पूछा कि दिल्ली में कितने रेलवे स्टेशन हैं। दूसरे ने कहा कि एक। तीसरा बोला कि नहीं, तीन हैं, नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली और निजामुद्दीन। तभी चौथे की आवाज आई कि सराय रोहिल्ला भी तो है। यह बात करीब चार साढे चार साल पुरानी है, उस समय आनन्द विहार की पहचान नहीं थी। आनन्द विहार टर्मिनल तो बाद में बना। उनकी गिनती किसी तरह पांच तक पहुंच गई। इस गिनती को मैं आगे बढा सकता था लेकिन आदतन चुप रहा।

जिम कार्बेट की हिंदी किताबें

इन पुस्तकों का परिचय यह है कि इन्हें जिम कार्बेट ने लिखा है। और जिम कार्बेट का परिचय देने की अक्ल मुझमें नहीं। उनकी तारीफ करने में मैं असमर्थ हूँ क्योंकि मुझे लगता है कि उनकी तारीफ करने में कहीं कोई भूल-चूक न हो जाए। जो भी शब्द उनके लिये प्रयुक्त करूंगा, वे अपर्याप्त होंगे। बस, यह समझ लीजिए कि लिखते समय वे आपके सामने अपना कलेजा निकालकर रख देते हैं। आप उनका लेखन नहीं, सीधे हृदय पढ़ते हैं। लेखन में तो भूल-चूक हो जाती है, हृदय में कोई भूल-चूक नहीं हो सकती। आप उनकी किताबें पढ़िए। कोई भी किताब। वे बचपन से ही जंगलों में रहे हैं। आदमी से ज्यादा जानवरों को जानते थे। उनकी भाषा-बोली समझते थे। कोई जानवर या पक्षी बोल रहा है तो क्या कह रहा है, चल रहा है तो क्या कह रहा है; वे सब समझते थे। वे नरभक्षी तेंदुए से आतंकित जंगल में खुले में एक पेड़ के नीचे सो जाते थे, क्योंकि उन्हें पता था कि इस पेड़ पर लंगूर हैं और जब तक लंगूर चुप रहेंगे, इसका अर्थ होगा कि तेंदुआ आसपास कहीं नहीं है। कभी वे जंगल में भैंसों के एक खुले बाड़े में भैंसों के बीच में ही सो जाते, कि अगर नरभक्षी आएगा तो भैंसे अपने-आप जगा देंगी।

ट्रेन में बाइक कैसे बुक करें?

अक्सर हमें ट्रेनों में बाइक की बुकिंग करने की आवश्यकता पड़ती है। इस बार मुझे भी पड़ी तो कुछ जानकारियाँ इंटरनेट के माध्यम से जुटायीं। पता चला कि टंकी एकदम खाली होनी चाहिये और बाइक पैक होनी चाहिये - अंग्रेजी में ‘गनी बैग’ कहते हैं और हिंदी में टाट। तो तमाम तरह की परेशानियों के बाद आज आख़िरकार मैं भी अपनी बाइक ट्रेन में बुक करने में सफल रहा। अपना अनुभव और जानकारी आपको भी शेयर कर रहा हूँ। हमारे सामने मुख्य परेशानी यही होती है कि हमें चीजों की जानकारी नहीं होती। ट्रेनों में दो तरह से बाइक बुक की जा सकती है: लगेज के तौर पर और पार्सल के तौर पर। पहले बात करते हैं लगेज के तौर पर बाइक बुक करने का क्या प्रोसीजर है। इसमें आपके पास ट्रेन का आरक्षित टिकट होना चाहिये। यदि आपने रेलवे काउंटर से टिकट लिया है, तब तो वेटिंग टिकट भी चल जायेगा। और अगर आपके पास ऑनलाइन टिकट है, तब या तो कन्फर्म टिकट होना चाहिये या आर.ए.सी.। यानी जब आप स्वयं यात्रा कर रहे हों, और बाइक भी उसी ट्रेन में ले जाना चाहते हों, तो आरक्षित टिकट तो होना ही चाहिये। इसके अलावा बाइक की आर.सी. व आपका कोई पहचान-पत्र भी ज़रूरी है। मतलब