घर की मुर्गी दाल बराबर... इस वजह से हम डेढ़ महीने यहाँ गुजारने के बाद भी चैहणी कोठी नहीं जा पाए। हमारे यहाँ घियागी से यह जगह केवल 10 किलोमीटर दूर है और हम ‘चले जाएँगे’, ‘चले जाएँगे’ ऐसा सोचकर जा ही नहीं पा रहे थे। और फिर एक दिन शाम को पाँच बजे अचानक मैं और दीप्ति मोटरसाइकिल से चल दिए।
चलते रहे, चलते रहे और आखिर में सड़क खत्म हो गई। इससे आगे काफी चौड़ा एक कच्चा रास्ता ऊपर जाता दिख रहा था, जिस पर मोटरसाइकिल जा सकती थी, लेकिन कुछ दिन पहले यहाँ आए निशांत खुराना ने बताया कि उस कच्चे रास्ते पर मोटरसाइकिल से बिल्कुल भी मत जाना। तो इस बारे में वहीं बैठे एक स्थानीय से पूछा। उसने भी एकदम निशांत वाले शब्द कहे। मोटरसाइकिल यहीं किनारे पर खड़ी करने लगे, तो उसने कहा - “यहाँ की बजाय वहाँ खड़ी कर दो। अभी बस आएगी, तो उसे वापस मुड़ने में समस्या आएगी।”
यहाँ से आगे पैदल रास्ता है।
“कितना दूर है? आधे घंटे में पहुँच जाएँगे क्या?”
“नहीं, आधे घंटे में तो नहीं, लेकिन पौण घंटे में पहुँच जाओगे।” उसी स्थानीय ने बताया।
“मतलब दो किलोमीटर दूर है।”
“हाँ जी।”
यहाँ जिओ और एयरटेल के शानदार नेटवर्क आते हैं, बाकी का पता नहीं। तो फटाक से गूगल मैप के टैरेन मोड में दूरी और ऊँचाई देख लिए। अभी हम 1900 मीटर पर थे और चैहणी कोठी लगभग 2150 मीटर पर है। दूरी है 2 किलोमीटर। यानी 2 किलोमीटर में 250 मीटर ऊपर चढ़ना है। यानी अच्छी-खासी चढ़ाई है। हमें एक घंटे से ज्यादा समय लग जाएगा। अभी शाम के पौने छह बजे हैं। सात बजे तक पहुँचेंगे और वापस यहाँ तक आने में आठ बज जाएँगे, यानी अंधेरा हो जाएगा। रास्ते में जंगल भी हो सकता है। भालू भी मिल सकता है।
जाना चाहिए?... या नहीं जाना चाहिए?...
“चलो।” दीप्ति ने कहा। और हम चल दिए।
चलते ही एक गाँव है। नाम है भियार। गूगल मैप पर लिखा है - बिहार। सभी घर लकड़ी और पत्थर के बने हैं। देखने में अच्छे लगते हैं। एक रिज पर स्थित है यह गाँव, इसलिए काफी उजाला रहता है। पश्चिम में सूरज काफी ऊपर दिख रहा था। नीचे बंजार कस्बा भी दिखता है। सड़क से जाने पर तो बंजार 9-10 किलोमीटर दूर है, लेकिन ये लोग पैदल आधे घंटे में ही पहुँच जाते होंगे।
इस गाँव से आगे चले, तो कंक्रीट की पक्की पगडंडी मिलती है। हम समझ गए कि यही पगडंडी चैहणी जाती होगी, इसलिए किसी से रास्ता नहीं पूछा। वैसे हम गलत भी नहीं थे। रास्ते में कहीं पर खेत मिलते हैं, कहीं पर सेब के बगीचे और कहीं पर जंगल।
कंक्रीट की पगडंडी चैहणी तक नहीं है, बल्कि भियार से एक किलोमीटर आगे तक ही है। इसके बाद कच्ची पगडंडी है। एक किलोमीटर दूर से ही कोठी दिखने भी लगती है, आपको बस उसी दिशा में चलते रहना होगा। इस एक किलोमीटर में इसमें से बहुत सारी पगडंडियाँ अलग भी होती हैं और बहुत सारी पगडंडियाँ मिलती भी हैं। चलता-फिरता रास्ता है, खेतों में काम करते लोग भी मिलते हैं और सामने कोठी भी दिखती रहती है, इसलिए भटकने का डर नहीं है। हाँ, अगर आपको पगडंडियों पर चलने का अनुभव बिल्कुल भी नहीं है, तो भी आप भटकोगे तो नहीं, लेकिन खुद को भटका हुआ महसूस करोगे।
चैहणी गाँव में भी ज्यादातर घर लकड़ी और पत्थर के ही हैं, लेकिन यहाँ का मुख्य आकर्षण यह कोठी है।
हिमाचल एक ऐसा राज्य है, जिसके ऐतिहासिक स्थलों की बात न के बराबर होती है। ऐसे में चैहणी कोठी जैसी जगहें हमें याद दिलाती हैं कि यहाँ का अपना एक गौरवशाली इतिहास भी रहा है। फिलहाल यहाँ का कोई लिखित इतिहास तो उपलब्ध नहीं है, इसलिए हमें स्थानीय लोगों की ही बातें माननी पड़ती हैं। स्थानीय बताते हैं कि यह कोठी कई सौ साल पुरानी है। कितने सौ साल पुरानी? कोई कहता है सात सौ और कोई कहता है पंद्रह सौ। लेकिन इतना तय है कि 1905 में कांगड़ा में आए विनाशकारी भूकंप से इसे काफी नुकसान पहुँचा है। बताते हैं कि इसकी ऊपर की दो मंजिलें भूकंप से गिर भी गई थीं। और उस भूकंप से इसमें बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गईं हैं, जो आज भी ज्यों की त्यों हैं।
वर्तमान में कोठी लगभग 100 फीट ऊँची है। एक ऐसी जगह पर, जहाँ समतल जमीन नहीं है, वहाँ 100-150 फीट ऊँची इमारत बनाना कितना दुष्कर रहा होगा, हम इसके नीचे खड़े होकर यही सोच रहे थे।
“50 फीट ऊपर तक ठोस नींव है। इसमें अंदर भी पत्थर भरे हुए हैं। इसी मजबूत नींव के कारण कोठी टिकी रही, अन्यथा ढह जाती। इस नींव के ऊपर कोठी बनी हुई है, जिसमें सैनिकों के रहने का स्थान हुआ करता था।” एक स्थानीय बुजुर्ग ने बताया।
अभी तो एक बड़े पेड़ के तने को सीढ़ी की तरह काटकर ऊपर चढ़ने का प्रबंध किया गया है, लेकिन पहले ऐसा नहीं था। पहले हल्की सीढ़ी हुआ करती थी, जिसे सैनिक ऊपर खींच लिया करते थे। फिर 50 फीट ऊँची नींव पर बनी कोठी में कोई नहीं चढ़ सकता था।
हिमाचल के इस हिस्से में कई छोटे किले और कोठियाँ हैं। जलोड़ी पास के पास रघुपुर किले के अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं। रघुपुर किला आज कुल्लू और मंडी जिलों की सीमा पर स्थित है। पहले भी यह कुल्लू और मंडी रियासतों की सीमा पर स्थित रहा होगा और सीमा निगरानी के काम आता होगा। चैहणी कोठी भी सैनिक महत्व की जगह हुआ करती थी। तीर्थन वैली और सैंज वैली के कुछ गाँवों में कुछ कोठियाँ आज भी स्थित हैं। इन्हें ‘टावर टेम्पल’ भी कहते हैं।
चैहणी कोठी में ऊपर जाने के लिए आपको धोती पहननी जरूरी है। धोती यहाँ आपको नहीं मिलेगी, क्योंकि पर्यटन अभी उतना नहीं है। साथ ही कोठी में देवता भी नहीं रहता, इसलिए शायद ही कभी कोई इसमें जाता होगा। हमें इस नियम की जानकारी नहीं थी, अन्यथा धोती लेकर आते।
और अभी कौन-सा हम दूर रहते हैं! किसी दिन धोती लेकर जाएँगे और कोठी के अंदर जाकर देखेंगे।
...
कैसे पहुँचे: चैहणी कोठी हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में तीर्थन वैली में बंजार से लगभग 12 किलोमीटर और जीभी से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित है। आखिरी 2 किलोमीटर आपको पैदल चलना पड़ेगा। पैदल जाने के भी दो रास्ते हैं:
1. शृंगी ऋषि मंदिर से होकर
2. भियार (बिहार) गाँव से होकर
इन दोनों के ही स्टार्टिंग पॉइंट एक-दूसरे से आधे किलोमीटर की दूरी पर एक ही सड़क पर हैं। बेहतर है कि आप भियार से चैहणी कोठी जाइए और शृंगी मंदिर से वापस आइए। भियार बेहद खूबसूरत गाँव है और यहाँ से महाहिमालय की चोटियों का शानदार नजारा दिखता है।
भियार से दिखती महा-हिमालय की चोटियाँ |
भियार गाँव |
चैहणी कोठी की पहली झलक |
पैदल रास्ता सेब के बगीचों से होकर जाता है |
सूर्यास्त की लालिमा |
चैहणी कोठी |
ऊपर चढ़ने की सीढ़ियाँ, जो एक ही पेड़ से बनी हैं... |
जून 2019 के लिए तीर्थन वैली और चैहणी कोठी के यात्रा पैकेज
बहुत सुंदर फोटोज और विवरण।
ReplyDeleteAnsuna vivran...accha laga
ReplyDeleteअदभुत अकल्पनीय साथ ही सुंदर सचित्र बर्णन
ReplyDeleteग़ज़ब भाई....घर की मुर्गी दाल बराबर और हम कहा दूर रहते है धोती लेकर आ जाएंगे....बहुत अच्छा विवरण और इस जगह की बढ़िया यात्रा वृतांत....
ReplyDeleteये जगह हमें नही बताई गई इसका बदला लिया जाएगा.... 😩
ReplyDeleteग़ज़ब सुंदरता है । कोठी की सीढ़ी वाकई ग़ज़ब की हैं, हालांकि फोटो ज़ूम नहीं कर पाया । और ये देखकर आत्मिक सुख की प्राप्ति हुई नीरज जाट की ये स्वीकरोक्ति देखकर "चलो, दीप्ति ने कहा और हम चल दिये" 😊😊😊
ReplyDeleteआशा है लोगों को घुमाक्कड़ों को ये नज़ारे और जानकारी देखकर प्रेरणा मिलेगी
वाह ! हिमालय की शानदार चोटियों के दर्शन अपने घर बैठे करा दिए..सुंदर विवरण !
ReplyDeleteबढ़िया लगी आपकी ये पोस्ट .....एक नई जगह की जानकारी मिली.... कोठी के बारे में.....सभी चित्र एक से एक बढ़िया लगे |
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