Skip to main content

प्राचीन मंदिरों के शहर: तालाकाडु और सोमनाथपुरा

All Information about Somanathapura Temple, Karnataka
5 मार्च 2019

कुछ दिन पहले जब हमारे एक दोस्त मधुर गौर मैसूर घूमने आए थे, तो उन्होंने अपनी वीडियो में तालाकाडु और सोमनाथपुरा का भी जिक्र किया था। इससे पहले इन दोनों ही स्थानों के बारे में हमने कभी नहीं सुना था। फिर जब हम विस्तार से कर्नाटक घूमने लगे और बादामी, हंपी, बेलूर, हालेबीडू जैसी जगहों पर घूमने लगे, तो बार-बार सोमनाथपुरा और तालाकाडु का नाम सामने आ ही जाता।

तो इसी के मद्देनजर हम आज जा पहुँचे पहले तालाकाडु और फिर सोमनाथपुरा।

तालाकाडु कावेरी नदी के किनारे स्थित है और मैसूर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। किसी जमाने में यह एक अच्छा धार्मिक स्थान हुआ करता था, लेकिन कालांतर में कावेरी में आई बाढ़ों के कारण यह पूरा शहर रेत के नीचे दब गया, जो आज भी दबा हुआ है। कुछ मंदिर रेत के नीचे से झाँकते दिखते हैं, जिनमें पातालेश्वर मंदिर, कीर्तिनारायण मंदिर, मरालेश्वर मंदिर और वैद्येश्वर मंदिर प्रमुख हैं।

तालाकाडु से 25 किलोमीटर और मैसूर से 33 किलोमीटर दूर सोमनाथपुरा स्थित है। इसे होयसला राजाओं ने 13वीं शताब्दी में बनवाया था। मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसकी दीवारों व छतों पर बनी हुई मूर्तियाँ मूर्तिकला की उत्कृष्ट उदाहरण हैं।



इस मंदिर में आज पूजा नहीं होती है, लेकिन पुरातत्व की दृष्टि से यह मंदिर बेहद पवित्र है। मंदिर की दीवारों पर आपको रामायण से, भागवत पुराण से और महाभारत से संबंधित मूर्तियाँ मिलेंगी। साथ ही एक बहुत बड़ा शिलालेख है, जिस पर कन्नड में विस्तार से बहुत कुछ लिखा है। मंदिर बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन फिर भी आपको इसे आराम से देखने के लिए आधा दिन जरूर चाहिए।



तालाकाडु के पास कावेरी नदी






तालाकाडु में जो मंदिर रेत से बाहर निकाले गए हैं, उन तक पहुँचने का रास्ता भी रेत से होकर ही जाता है...

पातालेश्वर मंदिर


कीर्तिनारायण मंदिर


वैद्येश्वर मंदिर में भक्त कन्नन की प्रतिमा

कन्नन की एक और प्रतिमा


रेड हैडेड “पता नहीं”...

हमारे साथ-साथ मोटरसाइकिल भी कावेरी में डुबकी लगाने का मन बना रही है...


सोमनाथपुरा स्थित चन्नाकेशव मंदिर




सोमनाथपुरा मंदिर में शिलालेख

सोना भी जरूरी है... और अगर सोमनाथपुरा मंदिर जैसी जगह पर आप खर्राटे लेकर सो रहे हों, तो मंदिर से ज्यादा ‘फोटोजेनिक’ आप हो जाते हो... ऐसा मुझे बाद में दीप्ति ने बताया...






VIDEO





अगला भाग: दक्षिण के जंगलों में बाइक यात्रा


1. दक्षिण भारत यात्रा के बारे में
2. गोवा से बादामी की बाइक यात्रा
3. दक्षिण भारत यात्रा: बादामी भ्रमण
4. दक्षिण भारत यात्रा: पट्टडकल - विश्व विरासत स्थल
5. क्या आपने हम्पी देखा है?
6. दारोजी भालू सेंचुरी में काले भालू के दर्शन
7. गंडीकोटा: भारत का ग्रांड कैन्योन
8. लेपाक्षी मंदिर
9. बंगलौर से बेलूर और श्रवणबेलगोला
10. बेलूर और हालेबीडू: मूर्तिकला के महातीर्थ - 1
11. बेलूर और हालेबीडू: मूर्तिकला के महातीर्थ - 2
12. बेलूर से कलश बाइक यात्रा और कर्नाटक की सबसे ऊँची चोटी मुल्लायनगिरी
13. कुद्रेमुख, श्रंगेरी और अगुंबे
14. सैंट मैरी आइलैंड की रहस्यमयी चट्टानें
15. कूर्ग में एक दिन
16. मैसूर पैलेस: जो न जाए, पछताए
17. प्राचीन मंदिरों के शहर: तालाकाडु और सोमनाथपुरा
18. दक्षिण के जंगलों में बाइक यात्रा
19. तमिलनाडु से दिल्ली वाया छत्तीसगढ़



Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

46 रेलवे स्टेशन हैं दिल्ली में

एक बार मैं गोरखपुर से लखनऊ जा रहा था। ट्रेन थी वैशाली एक्सप्रेस, जनरल डिब्बा। जाहिर है कि ज्यादातर यात्री बिहारी ही थे। उतनी भीड नहीं थी, जितनी अक्सर होती है। मैं ऊपर वाली बर्थ पर बैठ गया। नीचे कुछ यात्री बैठे थे जो दिल्ली जा रहे थे। ये लोग मजदूर थे और दिल्ली एयरपोर्ट के आसपास काम करते थे। इनके साथ कुछ ऐसे भी थे, जो दिल्ली जाकर मजदूर कम्पनी में नये नये भर्ती होने वाले थे। तभी एक ने पूछा कि दिल्ली में कितने रेलवे स्टेशन हैं। दूसरे ने कहा कि एक। तीसरा बोला कि नहीं, तीन हैं, नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली और निजामुद्दीन। तभी चौथे की आवाज आई कि सराय रोहिल्ला भी तो है। यह बात करीब चार साढे चार साल पुरानी है, उस समय आनन्द विहार की पहचान नहीं थी। आनन्द विहार टर्मिनल तो बाद में बना। उनकी गिनती किसी तरह पांच तक पहुंच गई। इस गिनती को मैं आगे बढा सकता था लेकिन आदतन चुप रहा।

ट्रेन में बाइक कैसे बुक करें?

अक्सर हमें ट्रेनों में बाइक की बुकिंग करने की आवश्यकता पड़ती है। इस बार मुझे भी पड़ी तो कुछ जानकारियाँ इंटरनेट के माध्यम से जुटायीं। पता चला कि टंकी एकदम खाली होनी चाहिये और बाइक पैक होनी चाहिये - अंग्रेजी में ‘गनी बैग’ कहते हैं और हिंदी में टाट। तो तमाम तरह की परेशानियों के बाद आज आख़िरकार मैं भी अपनी बाइक ट्रेन में बुक करने में सफल रहा। अपना अनुभव और जानकारी आपको भी शेयर कर रहा हूँ। हमारे सामने मुख्य परेशानी यही होती है कि हमें चीजों की जानकारी नहीं होती। ट्रेनों में दो तरह से बाइक बुक की जा सकती है: लगेज के तौर पर और पार्सल के तौर पर। पहले बात करते हैं लगेज के तौर पर बाइक बुक करने का क्या प्रोसीजर है। इसमें आपके पास ट्रेन का आरक्षित टिकट होना चाहिये। यदि आपने रेलवे काउंटर से टिकट लिया है, तब तो वेटिंग टिकट भी चल जायेगा। और अगर आपके पास ऑनलाइन टिकट है, तब या तो कन्फर्म टिकट होना चाहिये या आर.ए.सी.। यानी जब आप स्वयं यात्रा कर रहे हों, और बाइक भी उसी ट्रेन में ले जाना चाहते हों, तो आरक्षित टिकट तो होना ही चाहिये। इसके अलावा बाइक की आर.सी. व आपका कोई पहचान-पत्र भी ज़रूरी है। मतलब...

स्टेशन से बस अड्डा कितना दूर है?

आज बात करते हैं कि विभिन्न शहरों में रेलवे स्टेशन और मुख्य बस अड्डे आपस में कितना कितना दूर हैं? आने जाने के साधन कौन कौन से हैं? वगैरा वगैरा। शुरू करते हैं भारत की राजधानी से ही। दिल्ली:- दिल्ली में तीन मुख्य बस अड्डे हैं यानी ISBT- महाराणा प्रताप (कश्मीरी गेट), आनंद विहार और सराय काले खां। कश्मीरी गेट पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास है। आनंद विहार में रेलवे स्टेशन भी है लेकिन यहाँ पर एक्सप्रेस ट्रेनें नहीं रुकतीं। हालाँकि अब तो आनंद विहार रेलवे स्टेशन को टर्मिनल बनाया जा चुका है। मेट्रो भी पहुँच चुकी है। सराय काले खां बस अड्डे के बराबर में ही है हज़रत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन। गाजियाबाद: - रेलवे स्टेशन से बस अड्डा तीन चार किलोमीटर दूर है। ऑटो वाले पांच रूपये लेते हैं।