24 फरवरी 2019
अगर आप कर्नाटक घूमने जा रहे हैं, तो इन दो स्थानों को अपनी लिस्ट में जरूर शामिल करें। एक तो बेलूर और दूसरा हालेबीडू। दोनों ही स्थान एक-दूसरे से 16 किलोमीटर की दूरी पर हैं और हासन जिले में आते हैं। बंगलौर से इनकी दूरी लगभग 200 किलोमीटर है।
11वीं से 13वीं शताब्दी तक इस क्षेत्र में होयसला राजवंश ने शासन किया और ये मंदिर उसी दौरान बने। पहले हम बात करेंगे बेलूर की।
यहाँ चन्नाकेशव मंदिर है। चन्ना यानी सुंदर और केशव विष्णु को कहा जाता है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। 300 रुपये तो जरूर खर्च होंगे, लेकिन मेरी सलाह है कि आप एक गाइड अवश्य ले लें। गाइड आपको वे-वे चीजें दिखाएँगे, जिन पर आपका ध्यान जाना मुश्किल होता।
मंदिर की बाहरी दीवारों पर एक से बढ़कर एक मूर्तियाँ हैं। गर्भगृह की दीवारों पर पौराणिक प्रसंग हैं, तो मंडप की दीवारों पर मानवीय प्रसंग हैं। इन मानवीय प्रसंगों में आपको एक महिला की बहुत सारी मूर्तियाँ मिलेंगी, जिसके बारे में कहा जाता है कि वे प्रथम होयसल राजा विष्णुवर्धन की पत्नी हैं या उनसे प्रेरित हैं। इन सभी मूर्तियों के उनके हाव-भाव पर आधारित कुछ न कुछ नाम हैं। जैसे दर्पण में अपना चेहरा देखकर प्रसन्न होती दर्पण-सुंदरी हैं, तो कहीं शाल-भंजिका हैं, तो कहीं कोई और।
दक्षिण के मंदिरों में इसे गोपुरम कहते हैं... यह प्रवेश द्वार होता है... मंदिर भले ही भव्य न हो, लेकिन गोपुरम भव्य बनाया जाता है... ऊपर विषम संख्या में कलश होते हैं... इस गोपुरम पर पाँच कलश हैं... |
कहते हैं कि प्रथम होयसल राजा विष्णुवर्धन ने शेर मारा था... उनकी यह प्रतिमा होयसला राज्य के कई मंदिरों में मिलती है... |
यह वही मानवी प्रतिमा है... इसका नाम नहीं मालूम... गले का हार और एक हाथ टूट गया है... नीचे कुछ नौकर वाद्ययंत्र बजा रहे हैं... तलवे और जमीन के बीच गैप भी है... |
कीर्तिमुख |
दर्पण सुंदरी... दर्पण में अपना चेहरा देख रही है, लेकिन प्रसन्न नहीं है... नीचे कुछ दासियाँ खड़ी हैं... केश-विन्यास और बाकी श्रंगार भी देखने लायक है... |
एक पक्षी का शिकार... शिकार के दौरान जो मूवमेंट होता है और उसके कारण हार आदि इधर-उधर हो रहे हैं, वह कमाल का है... |
एक लड्डू है... लड्डू को खाने एक मक्खी आई है... और मक्खी को खाने के लिए छिपकली भी ताक में है... |
मंदिर ऐसा दिखता है... |
महाभारत युद्ध में भीष्म और अर्जुन का युद्ध और भीष्म की शर-शैया... |
गर्भगृह की दीवारों पर देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ हैं, जिनमें एक यह है... रावण ने कैलाश पर्वत को उठा रखा है और पर्वत पर ऊपर शिव-पार्वती भी बैठे हैं... |
रावण द्वारा उठाए कैलाश पर्वत पर शिव-पार्वती और भयभीत जनता... |
नरसिम्हा... |
हाथियों की सूंड का लपेटा देखिए... और शिल्पी की कल्पनाशीलता को धन्यवाद दीजिए... |
ये सब पत्थर के हैं... ये नट-बोल्ट नहीं हैं, लेकिन इन्हें नट-बोल्ट जैसा बनाया गया है... नट-बोल्ट के ‘आविष्कार’ से सैकड़ों साल पहले... |
मंदिर के अंदर बहुत सारे अलंकृत स्तंभ हैं... |
भगवान विष्णु का वामनावतार और अपना सिर प्रस्तुत करते राजा बलि... |
VIDEO
आगे पढ़ें: बेलूर और हालेबीडू: मूर्तिकला के महातीर्थ - 2
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गजब।
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