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दक्षिण भारत यात्रा: पट्टडकल - विश्व विरासत स्थल


Pattadakal Travel Guide

11 फरवरी 2019
पट्टडकल एक ऐसा विश्व विरासत स्थल है, जिसका नाम हम भारतीयों ने शायद सबसे कम सुना हो। मैंने भी पहले कभी सुना था, लेकिन आज जब हम पट्टडकल के इतना नजदीक बादामी में थे, तो हमें इसकी याद बिल्कुल भी नहीं थी। इसकी याद बाई चांस अचानक आई और हम पट्टडकल की तरफ दौड़ पड़े।

सूर्यास्त होने वाला था और टिकट काउंटर से टिकट लेने वाले हम आखिरी यात्री थे। हालाँकि हम यहाँ की स्थापत्य कला को उतना गहराई से नहीं देख पाए, क्योंकि उसके लिए गहरी नजर भी चाहिए। हमें स्थापत्य कला में दिलचस्पी तो है, लेकिन उतनी ही दिलचस्पी है जितनी देर हम वहाँ होते हैं। वहाँ से हटते ही सारी दिलचस्पी भी हट जाती है और फिर दो-चार और भी स्थानों की खासियत मिक्स हो जाती है।

“मैं स्थापत्य कला के क्षेत्र में एक दिन कोई बड़ा काम जरूर करूँगा” - यह वादा मैं पिछले दस सालों से करता आ रहा हूँ और तभी करता हूँ, जब ब्लॉग लिखना होता है और शब्द नहीं सूझते।






पट्टडकल वैसे तो अपने आप में एक पूरी दुनिया है, लेकिन आज हम आपको उस दुनिया के केवल चुनिंदा फोटो ही दिखाने वाले हैं।


Best Time to go to Pattadakal

Pattadakal Group of Temples

Ruins of Pattadakal

Pattadakal Travel Information

Pattadakal Tourism




Hotels in Pattadakal

Mallikarjuna Temple, Pattadakal

Sunset in Pattadakal

Best Destination in Karnataka


Bangalore to Pattadakal by Motorcycle

Karnataka Road Journey Pattadakal

Hampi and Pattadakal

Distance from Hampi to Pattadakal



Video









आगे पढ़िए: क्या आपने हम्पी देखा है?


1. दक्षिण भारत यात्रा के बारे में
2. गोवा से बादामी की बाइक यात्रा
3. दक्षिण भारत यात्रा: बादामी भ्रमण
4. दक्षिण भारत यात्रा: पट्टडकल - विश्व विरासत स्थल
5. क्या आपने हम्पी देखा है?
6. दारोजी भालू सेंचुरी में काले भालू के दर्शन
7. गंडीकोटा: भारत का ग्रांड कैन्योन
8. लेपाक्षी मंदिर
9. बंगलौर से बेलूर और श्रवणबेलगोला
10. बेलूर और हालेबीडू: मूर्तिकला के महातीर्थ - 1
11. बेलूर और हालेबीडू: मूर्तिकला के महातीर्थ - 2
12. बेलूर से कलश बाइक यात्रा और कर्नाटक की सबसे ऊँची चोटी मुल्लायनगिरी
13. कुद्रेमुख, श्रंगेरी और अगुंबे
14. सैंट मैरी आइलैंड की रहस्यमयी चट्टानें
15. कूर्ग में एक दिन
16. मैसूर पैलेस: जो न जाए, पछताए
17. प्राचीन मंदिरों के शहर: तालाकाडु और सोमनाथपुरा
18. दक्षिण के जंगलों में बाइक यात्रा
19. तमिलनाडु से दिल्ली वाया छत्तीसगढ़



Comments

  1. बादामी के समकक्ष है

    ReplyDelete
  2. post order by date option is not there, now its too hard to follow where we left earlier.
    So please add the option for listing of all posts by date in side panel.

    ReplyDelete

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46 रेलवे स्टेशन हैं दिल्ली में

एक बार मैं गोरखपुर से लखनऊ जा रहा था। ट्रेन थी वैशाली एक्सप्रेस, जनरल डिब्बा। जाहिर है कि ज्यादातर यात्री बिहारी ही थे। उतनी भीड नहीं थी, जितनी अक्सर होती है। मैं ऊपर वाली बर्थ पर बैठ गया। नीचे कुछ यात्री बैठे थे जो दिल्ली जा रहे थे। ये लोग मजदूर थे और दिल्ली एयरपोर्ट के आसपास काम करते थे। इनके साथ कुछ ऐसे भी थे, जो दिल्ली जाकर मजदूर कम्पनी में नये नये भर्ती होने वाले थे। तभी एक ने पूछा कि दिल्ली में कितने रेलवे स्टेशन हैं। दूसरे ने कहा कि एक। तीसरा बोला कि नहीं, तीन हैं, नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली और निजामुद्दीन। तभी चौथे की आवाज आई कि सराय रोहिल्ला भी तो है। यह बात करीब चार साढे चार साल पुरानी है, उस समय आनन्द विहार की पहचान नहीं थी। आनन्द विहार टर्मिनल तो बाद में बना। उनकी गिनती किसी तरह पांच तक पहुंच गई। इस गिनती को मैं आगे बढा सकता था लेकिन आदतन चुप रहा।

जिम कार्बेट की हिंदी किताबें

इन पुस्तकों का परिचय यह है कि इन्हें जिम कार्बेट ने लिखा है। और जिम कार्बेट का परिचय देने की अक्ल मुझमें नहीं। उनकी तारीफ करने में मैं असमर्थ हूँ क्योंकि मुझे लगता है कि उनकी तारीफ करने में कहीं कोई भूल-चूक न हो जाए। जो भी शब्द उनके लिये प्रयुक्त करूंगा, वे अपर्याप्त होंगे। बस, यह समझ लीजिए कि लिखते समय वे आपके सामने अपना कलेजा निकालकर रख देते हैं। आप उनका लेखन नहीं, सीधे हृदय पढ़ते हैं। लेखन में तो भूल-चूक हो जाती है, हृदय में कोई भूल-चूक नहीं हो सकती। आप उनकी किताबें पढ़िए। कोई भी किताब। वे बचपन से ही जंगलों में रहे हैं। आदमी से ज्यादा जानवरों को जानते थे। उनकी भाषा-बोली समझते थे। कोई जानवर या पक्षी बोल रहा है तो क्या कह रहा है, चल रहा है तो क्या कह रहा है; वे सब समझते थे। वे नरभक्षी तेंदुए से आतंकित जंगल में खुले में एक पेड़ के नीचे सो जाते थे, क्योंकि उन्हें पता था कि इस पेड़ पर लंगूर हैं और जब तक लंगूर चुप रहेंगे, इसका अर्थ होगा कि तेंदुआ आसपास कहीं नहीं है। कभी वे जंगल में भैंसों के एक खुले बाड़े में भैंसों के बीच में ही सो जाते, कि अगर नरभक्षी आएगा तो भैंसे अपने-आप जगा देंगी।

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