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पिछली बार आपको धोलावीरा के पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व के बारे में बताया था, आज वहां की यात्रा करते हैं। यात्रा वृत्तान्त लिखते हैं। खास बात यह है कि धोलावीरा जाने का रास्ता भी कच्छ के सुन्दरतम रास्तों में से एक है। इसी वजह से कच्छ जाने वाला हर आदमी धोलावीरा की भी योजना बनाता है।
भचाऊ में प्रभु आहिर ने बताया कि आप पहले एकल माता जाओ, वहां से दसेक किलोमीटर रन में चलना पडेगा और आप सीधे धोलावीरा पहुंच जाओगे। असल में धोलावीरा एक टापू पर स्थित है। इस टापू को खडीर बेट कहते हैं। इसके चारों तरफ समुद्र है जो बारिश के मौसम में भर जाता है और सर्दियां आते आते सूखने लगता है जैसा कि पूरे रन में होता है। गर्मियों में यह इतना सूख जाता है कि इस ‘समुद्र’ को आप गाडियों से भी पार कर सकते हैं। प्रभु ने कहा कि तुम एकल माता से सीधे रन में उतर जाना और सीधे चलते जाना। खडीर बेट आयेगा, तो वहां जल्दी ही आपको धोलावीरा वाली सडक मिल जायेगी जिससे आप धोलावीरा जा सकते हो।
मैं खुश हो गया कि रन में बिना किसी रास्ते के बाइक चलाऊंगा लेकिन प्रभु की अगली बात से सारे उत्साह पर पानी फिर गया- आप अकेले हो तो निकल जाओगे, एक बाइक पर दो होते तो बाइक दलदल में धंस जाती। यह सुनते ही रन में बाइक चलाने का विचार त्याग दिया। सडक से ही जाऊंगा हालांकि सडक बहुत लम्बा चक्कर लगाकर जाती है।
कल बहुत ज्यादा बाइक चलाई थी और रात में भी चला था, बहुत थकान हो गई थी इसलिये देर तक सोया। दोपहर ग्यारह बजे भचाऊ से चला। घण्टा भर भी नहीं लगा और मैं चित्रोड पहुंच गया। यहां से रापर के लिये रास्ता अलग होता है जो आगे धोलावीरा जाता है। साढे बारह बजे रापर और डेढ बजे बालासर। बालासर से 18 किलोमीटर आगे वो स्थान है जहां सडक पुल के द्वारा रन को पार करती है और खडीर बेट को मुख्य भूमि से जोडती है। यह वास्तव में एक पुल है लेकिन पुल जैसा कुछ दिखता नहीं। सीधी सडक ही दिखती है और दोनों तरफ दूर तक फैला सफेद रन। इस कई किलोमीटर की सीधी सडक पर बीच बीच में कई पुलियाएं हैं जो समुद्र के पानी को इधर से उधर जाने की सुविधा देती हैं।
यही भाग इस मार्ग का सुन्दरतम स्थान है। मैं यहां खूब देर तक रुका, रुक-रुक कर चला और जमकर फोटो लिये। इसी तरह वापसी में जब धोलावीरा से शाम पांच बजे चला तो पौन घण्टे में मैं फिर इस स्थान पर था। कुछ ही देर में सूर्यास्त होने वाला था तो कुछ देर के लिये यही रुक जाने का फैसला ले लिया। खैर, अपने समय पर सूर्यास्त हुआ और सफेद रन में सूर्यास्त न देख पाने का सारा मलाल खत्म हो गया। आनन्द आ गया रन में सूर्यास्त देखकर।
साढे छह बजे यहां से चला। इरादा था कम से कम सान्तलपुर पहुंच जाने का। बालासर से एक सीधा रास्ता सान्तलपुर जाता है। जब तक बालासर पहुंचा, अन्धेरा हो चुका था। बालासर में रुकने का कोई ठिकाना नहीं है, अन्यथा मैं यहीं रुक जाता। सान्तलपुर के रास्ते के बारे में पूछताछ की तो पता चला कि रात में उस रास्ते पर चलना ठीक नहीं है क्योंकि एक तो वो रास्ता गांवों से होकर जाता है, बहुत मोड हैं, रात को कोई रास्ता बताने वाला भी नहीं मिलेगा। फिर वो रास्ता भी रन से होकर ही जाता है। कहीं पर अच्छा है, कहीं खराब। तय किया कि 35 किलोमीटर दूर रापर ही जाया जाये।
रात आठ बजे रापर पहुंचा। आसानी से कमरा मिल गया। नौ बजे तक सो गया। अब मेरे पास दो दिन हैं और अभी भी मुझे दिल्ली पहुंचने के लिये एक हजार किलोमीटर से ज्यादा सफर करना है।
अगला भाग: कच्छ से दिल्ली वापस
कच्छ मोटरसाइकिल यात्रा
1. कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा
2. कच्छ यात्रा- जयपुर से अहमदाबाद
3. कच्छ की ओर- अहमदाबाद से भुज
4. भुज शहर के दर्शनीय स्थल
5. सफेद रन
6. काला डोंगर
7. इण्डिया ब्रिज, कच्छ
8. फॉसिल पार्क, कच्छ
9. थान मठ, कच्छ
10. लखपत में सूर्यास्त और गुरुद्वारा
11. लखपत-2
12. कोटेश्वर महादेव और नारायण सरोवर
13. पिंगलेश्वर महादेव और समुद्र तट
14. माण्डवी बीच पर सूर्यास्त
15. धोलावीरा- सिन्धु घाटी सभ्यता का एक नगर
16. धोलावीरा-2
17. कच्छ से दिल्ली वापस
18. कच्छ यात्रा का कुल खर्च
kamaal ke photo kya sunset hai bhai
ReplyDeleteधन्यवाद गुप्ता जी...
Deleteसनसेट का एक और शानदार नज़ारा।
ReplyDeleteसनसेट का एक और शानदार नज़ारा।
कहीं भी घूमने जाना हो तो आपकी पोस्ट का प्रिंट निकाल लेना चाहिए फिर न किसी गाइड की ज़रुरत और न रास्ता भटकने का दर।
नीरज जी, प्रिंट निकलने की तो इजाज़त है।
इजाजत है सर जी...
Deleteसुन्दर चित्रावली,उत्तम यात्रा वृत्तांत
ReplyDeleteधन्यवाद हर्षिता जी...
Deleteab himalya ki tyari bhi karo ustad
ReplyDeleteकमाल के चित्र हैं नीरज भाई. बढ़िया पोस्ट ! :)
ReplyDeleteshabd nahi hai.
ReplyDeleteरन में सूर्यास्त...
ReplyDeleteइरादे हो सकते ध्वस्त ....
यह नजारा है मस्त..मस्त..
चित्र व चित्रण दोनों ही अनुपम .
ReplyDeleteBahut sunder pictures
ReplyDeleteधौलावीरा का पुरातात्विक महत्व बहुत अधिक है। बढिया यात्रा।
ReplyDeleteशाबाश मेरे शेर , मंगलकामनाएं !
ReplyDeleteसूर्यास्त और छोटे सी पक्छी का फोटो शानदार है ।
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