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इण्डियाब्रिज काला डोंगर से लगभग 20 किलोमीटर दूर है। उनकी बुलेट में पेट्रोल कम था। पेट्रोल पम्प खावडा में था जोकि इण्डियाब्रिज के विपरीत दिशा में है। तय हुआ कि अगर रास्ते में पेट्रोल समाप्त हो गया तो वे मेरी बाइक से निकालेंगे। मैं राजी था। हालांकि इसकी आवश्यकता नहीं पडी।
आप कच्छ का नक्शा देखेंगे तो इसकी पूरी उत्तरी सीमा पाकिस्तान से मिलती है। लेकिन सीमा के इस तरफ एक बहुत बडा प्राकृतिक अवरोध भी है। यह है कच्छ का विशाल रन जहां साल में ज्यादातर समय पानी भरा रहता है या दलदल रहता है। इसी में एक उपयुक्त स्थान पर सडक भी निकाली गई है जो बिल्कुल सीमा तक जाती है। यह वही सडक है। यह भुज से वीघाकोट को जोडती है। वीघाकोट सीमावर्ती चौकी है। लेकिन आम नागरिकों के लिये सीमा तक जाना सरल नहीं होता। उससे कुछ ही पहले तक बेरोकटोक जाया जा सकता है, फिर आगे जाने के लिये परमिट लेना होता है।
यह इण्डियाब्रिज रन के ऊपर बना हुआ पुल है जिसे कंवरबेट भी कहते हैं। यहां से आगे जाने के लिये आपको परमिट की आवश्यकता पडेगी। परमिट भुज से बनता है बीएसएफ के कमांडेंट से। हमने परमिट नहीं बनवाया था, इसलिये सीमा तक नहीं जा सकते थे लेकिन इण्डियाब्रिज तक तो जा ही सकते थे। वही हमने किया।
पुल के इस तरफ एक चौकी है। सन्तरी ने कहा कि पुल पार कर सकते हो लेकिन पुल पर रुकने और फोटो खींचने की मनाही है। हम धीरे धीरे पुल पार कर गये। उधर भी एक चौकी है जहां बीएसएफ, सेना और इंटेलीजेंस हैं। एक तरफ बाइक खडी कर दी और सन्तरी से बातचीत करने लगे। संयोग से सन्तरी बागपत का निकला। आपको कहीं भी बागपत का कोई सैनिक मिले तो समझ जाना कि वो जाट होगा। दो जाट मिले, अडोसी-पडोसी मिले तो बढिया बातचीत हुई। कहने लगा कि भाई, तुम इतनी दूर से आये हो और बॉर्डर नहीं जा सकोगे, इसका मुझे दुख है। अगली बार आओ तो भुज से परमिट बनवाकर आना। बॉर्डर यहां से लगभग 80 किलोमीटर है। पूरा रास्ता बिल्कुल वीरान है, न कोई गांव है, न कोई दुकान।
पुल पर फोटो खींचने की मनाही थी लेकिन कुछ दूर जाकर तो खींच ही सकते थे। पुल से करीब दो तीन किलोमीटर भुज की तरफ चलने पर एक मोड है। चारों तरफ खुला रन है। उस मोड से यह पुल ठीक सामने दिखता है। हम यहीं रुक गये। खूब फोटो खींचे। इस दौरान सेना की गाडियां भी आईं-गईं, सैनिकों ने दिल्ली और एमपी नम्बर देखकर जयहिन्द भी कहा।
ग्यारह बजे खावडा पहुंच गये। भूख लग ही रही थी। दबाकर दाबेली खाईं। दाबेली एक कच्छी चीज है। यह सैंडविच ही होती है लेकिन इसमें प्याज टमाटर भरने की बजाय कुछ और भरते हैं। बडी स्वादिष्ट होती है। खावडा में पेट्रोल पम्प भी है जहां हमने टंकी फुल कराई। 7.24 लीटर तेल आया, इस दौरान 431 किलोमीटर चली। औसत 59.5 किलोमीटर प्रति लीटर का आया।
अगला भाग: फॉसिल पार्क, कच्छ
कच्छ मोटरसाइकिल यात्रा
1. कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा
2. कच्छ यात्रा- जयपुर से अहमदाबाद
3. कच्छ की ओर- अहमदाबाद से भुज
4. भुज शहर के दर्शनीय स्थल
5. सफेद रन
6. काला डोंगर
7. इण्डिया ब्रिज, कच्छ
8. फॉसिल पार्क, कच्छ
9. थान मठ, कच्छ
10. लखपत में सूर्यास्त और गुरुद्वारा
11. लखपत-2
12. कोटेश्वर महादेव और नारायण सरोवर
13. पिंगलेश्वर महादेव और समुद्र तट
14. माण्डवी बीच पर सूर्यास्त
15. धोलावीरा- सिन्धु घाटी सभ्यता का एक नगर
16. धोलावीरा-2
17. कच्छ से दिल्ली वापस
18. कच्छ यात्रा का कुल खर्च
दाबेली की फोटो देख कर मुह में पानी आ गया
ReplyDeleteये अपने बहुत अच्छा काम किया नीरज जी
खाने की फोटो लगाना शुरू करने से आपके ब्लॉग में घूमने वाली जगह की खुशबू तो थी ही अब स्वाद भी आ गया :)
धन्यवाद पाण्डेय जी...
Deleteसही कहा नीरज भाई
ReplyDeleteब्लॉग पर निरंतरता भी बनी रहनी चाहिये.!
वैसे बागपत के सन्तरी का एक फोटो तो लाजिमी था..
अरुण भाई, बताया तो था कि पुल पर फोटो नहीं ले सकते, इसलिये उस सन्तरी का भी फोटो नहीं लिया।
Deleteलेकिन इसमें प्याज टमाटर भरने की बजाय कुछ और भरते हैं।
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aap ne pachana nahi kya ... aapaki man-pasant aalu ki barbhar usme rahti hai.. khair anar bhi us me dalte hai...
धन्यवाद भवारी साहब...
Deletekabhi kabhi chhoti si post bhi padni chhahiye .anand inshan
ReplyDeleteधन्यवाद ‘ऐण्डी घूमो रे’ जी...
DeleteMeri advice maan ker khane ki photo bhi post karne ke liye dhanyawad sir ji..logo ke positive comments bhi aa rahe hai...ye daboli badi shandar chij lag rahi hai..maja aaya..:)
ReplyDeleteAapka mitra
Ashish Gutgutia
धन्यवाद सर जी... वैसे आपने सुझाव तब दिया था जब मैं कच्छ से वापस आ चुका था। खैर, खाने के फोटो लेना अच्छी बात है। भविष्य में भी ध्यान रखूंगा।
DeleteAbsolutely loving this another brilliant series.
ReplyDeleteNow looking forward to 'Diary ke panney' post, I'm sure this time they are going to be amazing :-)
Shaadi ki ek baar phir mubarakbaad.
धन्यवाद स्टोन साहब...
Deleteसुन्दर यात्रा वृत्तांत,गुजरात भ्रमण का मन होने लगा है पढ़ते पढ़ते
ReplyDeletebhai dabeli ka bhi apna maja hai
ReplyDeleteaur photo to dabeli se bhi mast hai
बढिया पर अगली बार पास बनवा लेना
ReplyDeleteचलो ये भी बढिया रहा, दाबेली दाब के खाई और जाट भी मिलग्या :)
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