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19 जुलाई 2014
आज हमें चित्रकोट जलप्रपात देखने जाना था। सुनील जी के बडे भाई यहां जगदलपुर में रहते हैं तो हमें उम्मीद थी कि यहां से हमें कुछ न कुछ साधन मिल ही जायेगा। घर पर वैसे तो मोटरसाइकिल और कार दोनों थीं लेकिन मौसम को देखते हुए मैं कार को ज्यादा वरीयता दे रहा था। लेकिन सुनील जी के भतीजे साहब कार देने में आनाकानी करने लगे। अपनी चीज आखिर अपनी होती है। उन्हें अच्छी तरह पता है कि सुनील जी एक बेहतरीन ड्राइवर हैं, स्वयं उससे भी ज्यादा सुरक्षित तरीके से गाडी चलाते हैं, कई बार रायपुर से जगदलपुर कार से आ भी चुके हैं लेकिन फिर भी उसे कहीं न कहीं सन्देह था। मैंने सुनील जी के कान में फुसफुसाकर कहा भी कि जैसे भी हो सके, कार ले लो। बारिश के मौसम में उससे बेहतरीन कुछ और नहीं है। दो दिन की बात है बस। सुनील जी ने समझा दिया कि भले ही मैं कितना ही अच्छा ड्राइवर क्यों न होऊं लेकिन इनके लिये अच्छा ड्राइवर नहीं हूं।
आखिरकार भतीजे के एक मित्र के पास एवेंजर मिल गई। पहले तो नाम सुनते ही मैं खुश हो गया कि चलो, कार मिल गई। मोटरसाइकिलों की मुझे कोई जानकारी नहीं है, तो इतना जानदार सा नाम किसी जानदार कार का ही होगा। लेकिन जब वह कुछ देर बाद घर के दरवाजे पर आ खडी हुई तो समझ गया।
मैंने पहले भी बताया था कि एक बार जब बारिश शुरू हो गई तो यह अगले कई दिनों तक रुकी नहीं। अभी भी बूंदाबांदी हो रही थी। भविष्य में भी रुकने के आसार नहीं थे। मैं दिल्ली से रेनकोट लेकर नहीं चला था। वो भी घर में ही मिल गया। बारिश में सबसे बडी मुसीबत थी कैमरे को पानी से बचाना। और फोटो भी खींचने जरूरी थे। एहतियात के तौर पर एक बडी सी पन्नी में कुछ सूखे कपडे रखे, रेनकोट की जेब में मोबाइल और कैमरे रखे और बारिश में ही निकल चले।
जगदलपुर से चित्रकोट जलप्रपात की दूरी लगभग चालीस किलोमीटर है। छत्तीसगढ की अन्य सडकों की तरह यह भी एक शानदार सडक है। रास्ते में एक गांव आता है पोटानार। यहां से तीन किलोमीटर हटकर एक छोटा प्रपात है। उसका नाम है चित्रधारा प्रपात। रास्ते में है तो इसे भी देख लेना मुनासिब समझा।
तीन किलोमीटर बाद फिर से एक डायवर्जन लिया और कुछ दूर चलकर सडक अचानक खत्म हो गई। डैड एण्ड। यहां बूंदाबांदी की आवाजें तो थी ही, उनसे भी ज्यादा चित्रधारा की आवाज आ रही थी। यह बिल्कुल खेतों के बीच स्थित है। जब तक आप यहां पहुंच नहीं जाते, आपको यह दिखता भी नहीं है। खेतों में धान की बुवाई जोरशोर से चल रही थी।
चित्रधारा प्रपात पता नहीं किस नदी पर है लेकिन यह आगे चलकर इन्द्रावती में मिल जाती है। यहां छोटे-बडे कई झरने हैं। मानसून शुरू हुए अभी कुछ ही दिन बीते थे, उससे पहले धरती सूखी पडी थी। पहले धरती अपनी प्यास बुझायेगी, फिर इन नदियों के लिये, इन झरनों के लिये पानी छोडेगी। इसलिये अभी चित्रधारा में उतरा पानी नहीं था जितना मानसून में होना चाहिये।
यह नदी यहां पत्थरों से होकर बहती है। पत्थरों पर काई नहीं थी, फिसलन नहीं थी जिससे पता चलता है कि मानसून से पहले या तो यह सूखी पडी थी, या फिर नाममात्र को ही पानी था। किनारे पर एक छोटा सा शिव मन्दिर भी है। हमारे अलावा दो-तीन लडके और थे, उनकी भी मोटरसाइकिल यहीं खडी थी। वे चट्टानों पर उछल-कूद कर रहे थे और फोटो खींच रहे थे। हमने उछल-कूद करने की जरुरत नहीं समझी। जल्दी-जल्दी दो-चार फोटो खींचे और यहां से निकल पडे। सूखी पडी नदी के बीच में जाना पडता था और कौन जानता है कि पीछे कहीं जोरदार बारिश हुई हो और बेतहाशा पानी इधर ही बहा चला आ रहा हो। मानसून में इस तरह की छोटी दिखने वाली जगहें ही जानलेवा बन जाती हैं।
अगला भाग: चित्रकोट प्रपात- अथाह जलराशि
7. अरकू घाटी
9. चित्रधारा प्रपात, छत्तीसगढ
11. बारसूर
13. तीरथगढ जलप्रपात
Vah neeraj bhai , nice photo & Badi bat logo k man ki bat bhi jan jate ho .
ReplyDeleteधन्यवाद उमेश भाई...
Deleteबढ़िया जानकारी आकर्षक फोटो ।
ReplyDeleteधन्यवा सर...
Deleteआपके लिखने की शैली बहुत ही लाजवाब है नीरज भाई ,बधाई ,फोटो बड़े जानदार आयें हैं ,मेरा भी सौभाग्य था आपके साथ यात्रा का मौका मिला ,धन्यवाद् आपका
ReplyDeleteमेरा भी कि मुझे आपके साथ यात्रा का मौका मिला...
Deleteसुंदर जगह है,फोटो मे हरीयाली कुछ ज्यादा ही है?
ReplyDeleteहां, एडिटिंग कुछ ज्यादा हो गई...
Deleteचित्रधारा जलप्रपात बिलकुल इंदौर के पास राहु में स्थित ''पातालपानी' जैसा ही है जहा पिछले साल एक ही परिवार के ६ लोग मर गए थे
ReplyDeleteदर्शन जी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद...
Deleteबहुत सुंदर लेख अद्भुत वर्णन
ReplyDeleteधन्यवाद विशाल जी...
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