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किरन्दुल ट्रेन-2 (अरकू से जगदलपुर)

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आज तो हमें जी भरकर सोना था। ग्यारह बजे ट्रेन थी, कोई चिन्ता नहीं थी। बाहर बारिश हो रही थी इसलिये अरकू घाटी में कहीं नहीं जा सकते थे।
दस बजे के आसपास होटल छोड दिया। स्टेशन के पास ही सडक पर एक ढाबा था जहां दस दस रुपये में खूब सारी पूरी-सब्जी मिल रही थी। दक्षिण भारत में आपको अगर पूरी सब्जी मिल जाये तो समझिये आप खुशकिस्मत हैं। वो भी लगभग फ्री में। दस-दस रुपये तो फ्री ही होता है। हम दोनों ने बीस-बीस की खाईं और पेट में सांस लेने की भी जगह नहीं बची। बहुत दूर तक हम, ओडिशा तक हम बिना सांस लिये ही गये।
आज ट्रेन पन्द्रह मिनट की देरी से चल रही थी। हमारे पास पहले से ही किरन्दुल तक का आरक्षित टिकट था। कौन जानता था कि भविष्य में हमारी क्या योजना बनेगी, इसलिये सुनील जी ने अरकू से सीधे किरन्दुल तक का टिकट ही बनवा लिया था। हालांकि आज हम जगदलपुर उतरेंगे। जगदलपुर से किरन्दुल का रेलमार्ग फिर कभी। फिर कभी मतलब दो दिन बाद।

इस ट्रेन में भी अरकू के ज्यादा यात्री थे, सभी उतर गये। बहुत थोडे से यात्री चढे। अरकू के बाद स्टेशन है गोरापुर जो आन्ध्र प्रदेश का आखिरी स्टेशन है। इसके बाद ओडिशा शुरू हो जाता है और ओडिशा का पहला स्टेशन है दार्लिपुट। दार्लिपुट के बाद पाडुवा, भेजा, माछकुण्ड रोड, पालिबा, सुकु और कोरापुट जंक्शन हैं। कोरापुट में प्रवेश करते समय कोलाब बांध का दूर दूर तक फैला पानी सम्मोहक दृश्य उत्पन्न करता है। कोरापुट से एक लाइन रायागडा भी जाती है जो निःसन्देह देश की दर्शनीय रेलवे लाइनों में से एक है।
कोरापुट से आगे बढते हैं- मानाबार, जरति, मालिगुडा, छातरिपुट, जयपुर (उडिशा), धनपुर, खडपा, चरामुला कुसुमि, कोटपाड रोड, आम्बागांव, आमागुडा, नक्टी सेमरा और जगदलपुर।
मानाबार में किरन्दुल से आने वाली विशाखापट्टनम पैसेंजर मिली। असल में भले ही विशाखापट्टनम से किरन्दुल के बीच एक ही पैसेंजर चलती हो लेकिन इस लाइन पर तीन ट्रेनें और भी हैं जो जगदलपुर से कोरापुट तक चलती हैं। ये तीन ट्रेनें हैं- जगदलपुर-भुवनेश्वर हीराखण्ड एक्सप्रेस, जगदलपुर-दुर्ग एक्सप्रेस और जगदलपुर-हावडा एक्सप्रेस। ये तीनों ट्रेनें कोरापुट से रायागडा मार्ग पर चली जाती हैं। इनमें से दुर्ग एक्सप्रेस भी हमें मिली।
ओडिशा में भी एक जयपुर है। यह काफी बडा शहर है। जयपुर से एक सडक अरकू जाती है तो एक जगदलपुर भी जाती है। विशाखापट्टनम से अरकू का सडक मार्ग तो हमने कल ही लगभग देख लिया था, कुछ उस पर बोरा तक यात्रा भी कर ली थी, शानदार बना है। उधर रायपुर से जगदलपुर का सडक मार्ग सुनील जी ने अच्छी तरह देखा हुआ है, वो भी शानदार बना है। अब पता करना था कि जगदलपुर से अरकू सडक मार्ग से क्या सम्भावनाएं हैं? गूगल मैप इस सडक को दिखा रहा था। लेकिन यह कैसी हालत में है, नहीं पता। इसका ज्यादातर हिस्सा ओडिशा से गुजरता है।
बाद में जगदलपुर जाकर सुनील जी ने अपने भतीजे से इस बारे में पता किया तो उसने बताया कि जगदलपुर से जयपुर और आगे अरकू तक शानदार सडक बनी है। सुनील जी खुश हो गये। वे विशाखापट्टनम जाते रहते हैं; कभी ट्रेन से तो कभी कार से। अब से पहले वे हमेशा रायपुर से महासमुन्द और विजयनगरम वाले रास्ते का प्रयोग करते थे। अब इस जगदलपुर जयपुर वाले रास्ते से जायेंगे।
ओडिशा का आखिरी स्टेशन है आम्बागांव और छत्तीसगढ का पहला स्टेशन है आमागुडा। एक घण्टे की देरी से शाम पांच बजे ट्रेन जगदलपुर पहुंच गई।
मैंने इस अदभुत नैसर्गिक सौन्दर्य से परिपूर्ण रेलवे लाइन को विशाखापट्टनम से जगदलपुर तक देख लिया है। अब जगदलपुर से किरन्दुल तक का मार्ग और बचा हुआ है। इसी यात्रा में इस मार्ग को भी निपटाऊंगा। बस आप लगातार ब्लॉग पढते रहिये और उत्साहवर्द्धन के लिये टिप्पणियां करते रहिये।

अरकू स्टेशन





बेसब्र होकर बार-बार झांककर देखने से ट्रेन जल्दी नहीं आ जायेगी।

विशाखापट्टनम-किरन्दुल पैसेंजर और इसे खींचता शक्तिशाली WAG-5D इंजन

गोरापुर आन्ध्र प्रदेश का आखिरी स्टेशन है।

दार्लिपुट ओडिशा का पहला स्टेशन है।

आज की ज्यादातर यात्रा ओडिशा में हुई।


इधर मानसून ने दस्तक दी और उधर धान की बुवाई शुरू।








कोरापुट में प्रवेश करते हुए। सिग्नल वॉयलेट विद डायवर्जन।


कोरापुट से यह लाइन रायागडा जाती है जो विजयनगरम-रायपुर लाइन पर है।

मानाबार में किरन्दुल से आती पैसेंजर











धान की बुवाई यहां एक उत्सव है।





अगला भाग: चित्रधारा प्रपात, छत्तीसगढ

8. किरन्दुल ट्रेन-2 (अरकू से जगदलपुर)




Comments

  1. Good neeraj bhai , coment to karte he par aap replay me kanjusi karte ho . NiCe PhOtO .

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    1. जोशी जी, गलत बात। मैं प्रत्येक टिप्पणी का जवाब देता हूं। इधर कुछ दिनों से बाहर गया था तो विलम्ब हो गया।

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  2. विविधताओं के देश मे विविध यात्राओ वाला यात्री -नीरज जाट , बरसात के दिलकश मौसम मे दिल को छू जाने वाली यात्रा। मनमोहक यात्रा -मनमोहक फोटो।

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  3. फोटु देख के तो मजा सा ही आ जाता है। अति सुन्दर नीरज भाई

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  4. Nice .. Baster ke saudarya ka intazar hai


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  5. colors in pic are so bright that some times it appear to be floating like on oil painting.... i think its just due to settings on camera ... real pics might not be so bright ... hey.. ?

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    1. हां जी, आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं। कुछ फोटो में अति हो गई है। लेकिन रंगों को उभारने के लिये ऐसा करना पडता है, अन्यथा असली फोटो फीके-फीके से दिखते हैं।

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  6. रेलवे यात्रा का रोचक जानकारी और फोटो,प्राकृतिक दृशय,खेती बारी और जन मानस के फोटो मज़ेदार और सुंदर है,

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