यह जो सुमित है ना इंदौर वाला ... इसका ऑफ़ सीजन हो जाता है सर्दियों में ... कोई बीमार नहीं पड़ता ... बीमार पड़ता भी है तो सर्दी-जुकाम ही होते हैं ... मेडिकल स्टोर से ले आते हैं दवाई ... डॉक्टर के पास जाने की ज़रुरत ही नहीं पड़ती ... मतलब सर्दियों में कोई सुमित के क्लीनिक नहीं आता ... इसके पास मक्खियाँ तक नहीं होतीं मारने को ...
तब इसे सूझती है खुराफ़ात ... घुमक्कड़ी की खुराफ़ात ... कहने लगा थार जाऊँगा ... बाइक से ... दिसंबर में ... मैंने मना किया ... रहने दे भाई ... मुझे जनवरी में अंड़मान जाना है ... दिसंबर में मुश्किल हो जायेगी ... और अगर दिसंबर में छुट्टियाँ मिल गयीं तो जनवरी में मुश्किल होगी ... बोला ... नहीं मानूँगा ... हमने भी कह दिया ... नहीं मानेगा तो ठीक ... चलेंगे हम भी ... 12 तारीख़ को ईद थी ... खान साहब मेहरबान हो गये ... बिना झगड़े छुट्टियाँ मिल गयीं ... और हमारी बाइक पर सारा सामान लद गया ...
दीप्ति को ... मतलब निशा को ... मतलब पिछले साल तक वह निशा थी ... अब के बाद उसे उसके वास्तविक नाम दीप्ति से पुकारा करेंगे ... तो दीप्ति को वसंत विहार जाना पड़ गया ... बहुत सारे काम होते हैं ... उसका मायका है वहाँ ... एक काम बैंक से पैसे निकालना भी था ... रास्ते में पैसे ख़त्म हो गये तो कहीं ए.टी.एम. की लाइन में थोड़े ही खड़े होंगे?
तो दीप्ति वसंत विहार ही थी ... सारी पैकिंग मुझे करनी पड़ी ... दीप्ति ने व्हाट्स-एप पर य्यै लंबे-लंबे मैसेज भेजकर एक-एक चीज पैक करने के आदेश जिस तरीके से दिये ... उन्हें अगर यहाँ पोस्ट कर दूँ ... तो आप कहेंगे कि ... जाट सेर ... जाटी सवा सेर ...13 दिसंबर को मुझे शास्त्री पार्क से निकलते निकलते ढाई बज गये ... वसंत विहार जाकर थोड़ा-बहुत कुछ खाना था ... और जयपुर की तरफ़ दौड़ लगा देनी थी ... वहाँ आनंद सिंह शेखावत के यहाँ हमारे रात्रि विश्राम का इंतज़ाम था ... साथ ही डिनर का भी ... प्रगति मैदान की तरफ़ से इंडिया गेट के सर्किल में घुस तो जाता हूँ ... लेकिन बाहर नहीं निकला जाता ... पता ही नहीं चलता कि शाहजहाँ रोड कौन-सी है और ... मैं चक्कर काटता रहता हूँ ... बीच-बीच में दाहिने मुंड़ी घुमाकर इंडिया गेट को भी देख लेता हूँ ... एक बार तो मन किया कि बाइक कहीं खड़ी करके फोटू खींच मारूँ ... और इस यात्रा का नाम रखूँ ... इंडिया गेट से इंडिया बॉर्डर तक ... थार तक ...
पंड़ारा रोड़ को शाहजहाँ रोड़ समझकर बाहर निकलने लगा ... तो पंड़ारा रोड़ और खान मार्किट के बोर्ड़ पर निगाह पड़ी ... इनका दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया ... यह तो शाहजहाँ रोड़ थी ... कहीं औरंगजेब रोड़ की तरह शाहजहाँ रोड़ का नाम भी तो नहीं बदल गया ... रुक गया ... और गूगल मैप में देखने लगा ... देखा तो हँसने लगा ... ओ हो हो हो ... हा हा हा ... शाहजहाँ रोड़ तो इससे अगली है ... मुझे हँसता देख तीन जने बाइक के आगे आ खड़े हुए ... कहाँ से आये हो भाई???
ये लोग मराठे थे ... विद फैमिली ... अपनी बड़ी-बड़ी कारों में ... शिमला से मसूरी जाना था ... रास्ता कैसा है ??? सब बता दिया ... इनसे फुरसत पाकर शाहजहाँ रोड़ पकड़ ली ...
उमेश पंत की यात्रा-पुस्तक इनरलाइन पास शास्त्री पार्क आ गयी ... मेरे पास मैसेज आ गया ... इसे पढ़ने की बड़ी उत्सुकता थी ... धीरज को फोन कर दिया ... सुन ... किताब लेकर घर से निकल पड़ ... कश्मीरी गेट से गुड़गाँव वाली मेट्रो में बैठ ... कहाँ उतरना है ... कुछ देर में बता दूँगा ... फिर से गूगल मैप ... जोर बाग पहुँच ... ठीक है ... लेकिन मुझे दस मिनट भी नहीं लगे जोर बाग पहुँचने में ... वो कश्मीरी गेट भी नहीं पहुँचा था ... फिर बदलाव कर दिया ... आई.एन.ए. पहुँच ... ठीक है... यहाँ जाम लगा था ... मतलब जाम तो नहीं था ... लेकिन बहुत लंबी लाइन लगी थी ... गाड़ियों की ... आई.एन.ए. पहुँचकर फिर से आख़िरी बदलाव कर दिया ... एम्स पहुँच ... गेट नंबर चार पर ... ठीक है ...
वसंत विहार पहुँचा ... साढ़े चार बज गये थे ... घंटे भर में अंधेरा ... ऊपर से एन.एच. आठ ... ना ... रात में नहीं चलेंगे ... यहीं रुकेंगे ... जयपुर वालों को मना कर दिया ...
सेक्टर छह ... आर.के. पुरम ... रण विजय सिंह ... उर्फ़ जोगी ठाकुर ... मेरे पसंदीदा फेसबुक मित्र ... प्रिया पार्क ... मिले ... गुरुदेव, घर चलो ... चलो ... दो घंटे तक वहीं बैठे रहे ... खूब बातें कीं ... खूब नमकीन खायी ...
जो लोग खुद शेविंग करते हैं ... और मूँछें भी रखते हैं ... वे अच्छी तरह जानते हैं कि मूँछों की छँटाई करना बड़ा मुश्किल है ... वो बिल्ली, बंदर और रोटी वाली कहानी है ना ... ठीक उसी तरह ... इधर के चार बाल फालतू कट गये ... तो मूँछ असंतुलित ... फिर उधर के भी बाल काटने पड़ते हैं ... चार की जगह छह कट जाते हैं ... और मूँछ इधर से बदलकर उधर झुक जाती है ... वसंत विहार सालियों ने बड़ा उत्पात मचाया ऐसी ही मूँछ देखकर ... और प्रभु कृपा ... थोक में सालियाँ मिली हैं ...
अगले दिन ... 14 दिसंबर ... दीप्ति ने चार बजे उठा दिया ... पाँच बजे तक सारा सामान बाँधकर निकल पड़े ... अंधेरा भी था ... और ठंड़ भी ... महिपालपुर से जयपुर हाईवे पर चढ़ गये ... छह बजे मानेसर ... सात बजे नीमराना ... उजाला ... चाय ... सूर्योदय ... सरसों के खेत ... और दीप्ति की फोटोग्राफी ...
ग्यारह बजे जयपुर पहुँचे ... अजमेर रोड़ पर बाईपास के पास आनंद सिंह शेखावत और रजत का संयुक्त कार्यालय है ... यही उनका अस्थायी निवास भी है ... आईआईटीयन हैं ... कुछ न भी करेंगे ... तब भी आसानी से लाख दो लाख महीना कमा लेंगे ... अपनी कंपनी शुरू की है ... ट्रैवलिंग कंपनी ... मेहनती हैं ... अच्छा काम चल पड़ा ... भविष्य में और अच्छा चलेगा ...
दो घंटे रुककर यहाँ से चल दिये ... उधर इंदौर से सुमित भी कल ही चल पड़ा था ... रात वो भी मेरी देखा-देखी अपनी ससुराल देवास रुक गया ... आज देवास से चला ...
उदयपुर में शक्ति सिंह दुलावत रहते हैं ... उन्हें अपनी यात्रा के बारे में बता दिया ... उन्होंने एकलिंगजी में हमारे लिये एक कमरा बुक करा दिया ... यानी हमें आज एकलिंगजी पहुँचना पड़ेगा ...
चार घंटे में 180 किलोमीटर दूर ब्यावर ... एकलिंगजी अभी भी 160 किलोमीटर ... सुमित पहुँच चुका था ... बहुत तेज बाइक चलाता है ... लेकिन उसकी दीप्ति उसके साथ नहीं थी ... उसकी पत्नीश्री का नाम भी दीप्ति है ... इसलिये भी बाइक हवा में उड़ा देता है ... पत्नी आपको ज़मीन पर रखती है ....
ब्यावर के बाद दो लेन की सड़क है ... बेहद शानदार ... न के बराबर ट्रैफिक ... लेकिन रास्ता घुमावदार ज्यादा है ... पहाड़ी है ... उदयपुर जाने वाली ज्यादातर गाड़ियाँ, ट्रक चित्तौड़ के रास्ते जाते हैं ... इसलिये यह रास्ता ट्रैफिक से बचा रहता है ... अंधेरा होने के बावज़ूद भी बाइक सत्तर की स्पीड़ से आसानी से चल रही थी ... ज्ञान हुआ कि सड़क अच्छी हो ... तो रात में ड्राइविंग और राइडिंग मुश्किल नहीं होती ... कम से कम किनारे वाली सफेद पट्टी तो हो ही ... अन्यथा घुमावदार सड़क पर कभी भी नीचे उतर सकते हो ... खासकर सत्तर-अस्सी की रफ़्तार पर ...
राजसमंद से कुछ पहले चार लेन की सड़क मिल गयी ... अति शानदार ... लाइटें ... सब जगमग ... नब्बे तक स्पीड़ ... राजसमंद शहर के ऊपर ही ऊपर एलीवेटिड़ रोड़ ... इसी तरह नाथद्वारा में ... जय हो योजनाकारों की ... जानते हैं कि उदयपुर, अहमदाबाद और मुंबई जाने के लिये यह रास्ता सबसे छोटा है ... चित्तौड़ वाले परंपरागत रास्ते के मुकाबले पचास किलोमीटर छोटा ... ब्यावर तक चार लेन बन जाने के बाद इस पर बहुत सारा ट्रैफिक आ जायेगा ... इसलिये अभी से ही तैयारियाँ कर ली ...
दीप्ति राज-समंद को राजस-मंद बोलती थी ... टोक दिया ... मान गयी ...
नौ बजे एकलिंगजी ... त्रिवेदी मेवाड़ा गेस्ट हाउस में कमरा बुक ... एकलिंगजी के मंदिर के पास ही ... सुमित उपस्थित ... खाना पैक ... भयंकर भूख ... निपटा दिया ...
आज 657 किलोमीटर बाइक चलायी ... वसंत विहार से एकलिंगजी तक ...
अगला भाग: थार बाइक यात्रा - एकलिंगजी, हल्दीघाटी और जोधपुर
थार बाइक यात्रा के सभी लेख:
1. थार बाइक यात्रा - भागमभाग
2. थार बाइक यात्रा - एकलिंगजी, हल्दीघाटी और जोधपुर
3. थार बाइक यात्रा: जोधपुर से बाड़मेर और नाकोड़ा जी
4. किराडू मंदिर - थार की शान
5. थार के सुदूर इलाकों में : किराडू - मुनाबाव - म्याजलार
6. खुड़ी - जैसलमेर का उभरता पर्यटक स्थल
7. राष्ट्रीय मरु उद्यान - डेजर्ट नेशनल पार्क
8. धनाना: सम से आगे की दुनिया
9. धनाना में ऊँट-सवारी
10. कुलधरा: एक वीरान भुतहा गाँव
11. लोद्रवा - थार में एक जैन तीर्थ
12. जैसलमेर से तनोट - एक नये रास्ते से
13. वुड़ फॉसिल पार्क, आकल, जैसलमेर
14. बाइक यात्रा: रामदेवरा - बीकानेर - राजगढ़ - दिल्ली
अंदाज कुछ बदला बदला सा है नीरज जी। सही है जैसा मूड वैसी ही लेखन शैली । विविधता रखनी चाहिए पाठक और लेखक दोनों खुश रहेंगे। अंग्रेजी नव वर्ष आपके लिए शुभ हो, नयी ऊर्जा लेकर आये ।
ReplyDeleteआपके लिये भी नववर्ष शुभ हो...
Delete13 दिसंबर की शाम तुमने सालियों के साथ हँसी मज़ाक़ वाली बात फ़ेसबूक पर सार्वजनिक की...मन ललचाया तो हम भी पहुँच गए ससुराल...
ReplyDeleteतुम्हें एक दिन में 650 किलोमीटर आना था...
ठण्ड के छोटे दिनों के लिए यह दुरी बहुत ज़्यादा थी..
ऊपर से जयपुर में बड़ी मित्र मण्डली भी है,मन मे यही था कि,तुम जयपुर रूक जावेगें,इसीलिये में सुबह के सत्र मे बहुत धीरे धीरे आ रहा था..
लेकिन तुमने उस दिन,सुबह बहुत जल्दी शुरुआत कर दी,जयपुर 2 घंटे रुकने के बावजूद 650 किलोमीटर दूर एकलिंगजी आ गए...अच्छी गाड़ी चलाई..
मुझे इस दिन 450 किलोमीटर के आसपास ही गाड़ी चलाना थी,बहुत आराम से आया..
कभी भी 80 से ऊपर की स्पीड़ पर नहीं गया...
इस दिन बाइक बहुत चलायी और तेज भी... और यह एक गलत बात थी... कोशिश किया करेंगे कि अब के बाद इस तरह न चलाएँ...
DeleteNeeraj ji galat bat neemrana aaye aur bagar mile chale gye
ReplyDeleteसॉरी भाई जी... सुबह सुबह उस समय निकल गये जब शायद आप सो रहे होंगे... फिर आज बहुत दूर जाना था... इसलिये सूचित नहीं किया...
Deleteमौसम और मरीज़ की बीमारियों का तुम्हे बहुत अच्छे से पता ही है,यही महीना होता है,लंबी छुट्टीयों का,तो थार जाना बिल्कुल पक्का ही था,अकेले जाने की तैयारिया भी हो गई थी,लेकिन खान साहब की महरबानी से मुझे मेरा जोड़ीदार मिल ही गया...
ReplyDeleteजाट सेर ... जाटी सवा सेर ...
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नीरज, हँसी तो बहुत आयी ..... पढ़ के ------- यही काम है भाई---------- संसारी पुरुषो का ? -
धन्यवाद सर जी...
Deleteneeraj bhai aapke jankari dene se hum tungnath and chandrshila tak ki yatra kar aye 29 to 31 ke beech. dhanyawad jaat bhai
ReplyDeleteआपका भी धन्यवाद...
Deleteजाटों की तो जाटनी हुआ करें भाई
ReplyDeleteयो जाटी शब्द कहाँ से आया
लाइट जलाओ
😇
Deleteपता नहीं कहाँ से आया... बस, आ गया...
Deleteनीरज भाई इस पोस्ट मे भगमभाग नजर आ रही है। आपकी पुरानी लेखन शैली से काफी अलग पोस्ट है ये या यु कहे की शैली से भटकी हुई पोस्ट। इसमे लगा की बस आपने पोस्ट करने के लिए लिखा है पाठको के आनंद के लिए नही। गतिशीलता कुछ जयदा हो गयी। बाकी तो सब ठीक ही है। आगामी अंदमान यात्रा की शुभकामनाये।
ReplyDeleteधन्यवाद पवन जी... आगामी पोस्ट उसी पुरानी शैली में आयेंगी... कभी-कभार स्वाद बदलता रहना चाहिये...
Deleteआज 657 किलोमीटर बाइक चलायी ... वसंत विहार से एकलिंगजी तक ...! यही एक लाइन सब कुछ कह दे रही है ! घूमने का जूनून , रास्ता तय करने की चाहत ! अगर कोई इसे मैप पर डालेगा तो ये..... .... लंबी लाइन खिंच जायेगी !
ReplyDeleteहाँ योगी भाई... यह बहुत ज्यादा है...
Deleteअनूठा अंदाज...
ReplyDeleteधन्यवाद प्रशांत जी...
Deleteन न न। इस पोस्ट का स्वाद बेमज़ा था। हमें नीरज की पुरानी शैली ही चाहिए। रसमयी, रंगमयी और आनन्दमयी।
ReplyDeleteयह यात्रा भागमभाग वाला रहा तो यह पोस्ट भी भागमभाग वाला रहा। पोस्ट में आधा मैटर लिखा और आधा मैटर ---- कर के पढ़ने वालों के लिए छोड़ दिया। ------- को जिसको जो समझना हो वो अपने हिसाब से समझ ले।
ReplyDeleteNeeraj Bhai apne jis highway ki baat ki hai yani udaipur- ahmedabad ka wo rasta bhi pahadion se ghira hua hai. 04 january ko Ahmadabad se Udaipur aate samay bahut shandar laga. NAye saal par udaipur Ghoomana bahut hi Achha laga. Nav varsh ki shubhkamnayein.
ReplyDeleteAapki har yatra ke liye meri shubhkamnayein.
ReplyDeleteबढ़िया चित्र व वर्णन
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