22 मई 2016
“याकों के बारे में मैंने कहीं पढ़ा था कि ये आक्रामक होते हैं और इन्हें कभी भी पूरा पालतू नहीं बनाया जा सकता। बस, तभी से इनसे डर लगने लगा था। लेकिन ये याक भी हमारी ही तरह थे। शायद इन्होंने भी कहीं भूलचूक से पढ़ लिया होगा - “दो पैरों पर चलने वाला, अपने शरीर को ढककर रखने वाला जानवर, जो हमेशा अपनी पीठ पर बोझा उठाये घूमता रहता है - पता नहीं कहाँ से आता है, कहाँ जाता है - बहुत ख़तरनाक होता है। अपने से कई गुने बड़े हम याकों को खूंटे से बाँधकर रखता है, पालतू बना लेता है, बोझा ढुलवाता है और दूध भी निकाल लेता है। इनसे जितना बच सको, बचना चाहिये।”
इसी पढ़ाई-लिखाई का नतीज़ा था कि ये हमसे दूर ही दूर रहे। हम पगडंडी पर इनके नज़दीक पहुँचते, तो ये बछड़ों समेत दूर भाग जाते।”
एवरेस्ट बेस कैंप ट्रैक पर आधारित मेरी किताब
‘हमसफ़र एवरेस्ट
’ का एक अंश। किताब तो आपने पढ़ ही ली होगी, अब आज की यात्रा के फोटो देखिये:
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डोले में इसी होटल में हम रुके थे - फ्री में। |
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इस पूरी घाटी में थमसेरकू का राज चलता है |
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थमसेरकू के साये में डोले गाँव |
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डोले से गोक्यो की ओर जाता रास्ता |
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लुज़ा गाँव |
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लुज़ा गाँव |
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माछेरमा गाँव |
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फंगा |
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फंगा में यहीं रुके थे। |
अगला भाग: फोटो-यात्रा-13: एवरेस्ट बेस कैंप - फंगा से गोक्यो
पढ़ा तो है किताब में लेकिन फोटो बहुत जबरदस्त हैं। ऐसी जगहों को देखकर मुर्दा भी सांस लेने लग जाएगा !!
ReplyDeleteलुजा गांव में एक प्लाट ले लिया क्या
ReplyDeletebahut hi interesting hai story and phuto niraj ji,, waiting for section 13
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