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रेलयात्रा सूची: 2019

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दिनांककहां से/कहां तकट्रेन नं/नामदूरी (कुल दूरी)श्रेणी (गेज)
09-01रंगापाड़ा नॉर्थ - साहिबाबाद22411 अरुणाचल एक्स1946 (174986)फर्स्ट एसी (ब्रॉड)
10-01साहिबाबाद - दिल्ली शाहदरा64052 ईएमयू7 (174993)साधारण (ब्रॉड)
06-02नई दिल्ली - मडगाँव12218 केरल संपर्क क्रांति2071 (177064)थर्ड एसी (ब्रॉड)

नोट: दूरी दो-चार किलोमीटर ऊपर-नीचे हो सकती है।
भूल चूक लेनी देनी

कुछ और तथ्य:
कुल यात्राएं: 891 बार
कुल दूरी: 177064 किलोमीटर

पैसेंजर ट्रेनों में: 48071 किलोमीटर (497 बार)
मेल/एक्सप्रेस में: 50618 किलोमीटर (255 बार)
सुपरफास्ट में: 78375 किलोमीटर (139 बार)

ब्रॉड गेज से: 170578 किलोमीटर (826 बार)
मीटर गेज से: 4027 किलोमीटर (31 बार)
नैरो गेज से: 2459 किलोमीटर (34 बार)

बिना आरक्षण के: 73293 किलोमीटर (733 बार)
शयनयान (SL) में: 79612 किलोमीटर (124 बार)
सेकंड सीटिंग (2S) में: 2592 किलोमीटर (9 बार)
थर्ड एसी (3A) में: 15378 किलोमीटर (17 बार)
एसी चेयरकार (CC) में: 1361 किलोमीटर (5 बार)
सेकंड एसी (2A) में: 2882 किलोमीटर (2 बार)
फर्स्ट एसी (1A) में: 1946 किलोमीटर (1 बार)



4000 किलोमीटर से ज्यादा: 1 बार
1000 से 3999 किलोमीटर तक: 28 बार
500 से 999 किलोमीटर तक:  47 बार
100 से 499 किलोमीटर तक: 329 बार
50 से 99 किलोमीटर तक (अर्द्धशतक): 283 बार

किस महीने में कितनी यात्रा
महीनापैसेंजरमेल/एक्ससुपरफास्टकुल योग
जनवरी17762069787911724
फरवरी47904697697616463
मार्च700539301054221477
अप्रैल2002295444919447
मई3053142446829159
जून1393162545337551
जुलाई42124669481313694
अगस्त8061137741801139846
सितम्बर47393072683514646
अक्टूबर60684784575816610
नवम्बर3098247518127385
दिसम्बर1874514520439062



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इन पुस्तकों का परिचय यह है कि इन्हें जिम कार्बेट ने लिखा है। और जिम कार्बेट का परिचय देने की अक्ल मुझमें नहीं। उनकी तारीफ करने में मैं असमर्थ हूँ क्योंकि मुझे लगता है कि उनकी तारीफ करने में कहीं कोई भूल-चूक न हो जाए। जो भी शब्द उनके लिये प्रयुक्त करूंगा, वे अपर्याप्त होंगे। बस, यह समझ लीजिए कि लिखते समय वे आपके सामने अपना कलेजा निकालकर रख देते हैं। आप उनका लेखन नहीं, सीधे हृदय पढ़ते हैं। लेखन में तो भूल-चूक हो जाती है, हृदय में कोई भूल-चूक नहीं हो सकती। आप उनकी किताबें पढ़िए। कोई भी किताब। वे बचपन से ही जंगलों में रहे हैं। आदमी से ज्यादा जानवरों को जानते थे। उनकी भाषा-बोली समझते थे। कोई जानवर या पक्षी बोल रहा है तो क्या कह रहा है, चल रहा है तो क्या कह रहा है; वे सब समझते थे। वे नरभक्षी तेंदुए से आतंकित जंगल में खुले में एक पेड़ के नीचे सो जाते थे, क्योंकि उन्हें पता था कि इस पेड़ पर लंगूर हैं और जब तक लंगूर चुप रहेंगे, इसका अर्थ होगा कि तेंदुआ आसपास कहीं नहीं है। कभी वे जंगल में भैंसों के एक खुले बाड़े में भैंसों के बीच में ही सो जाते, कि अगर नरभक्षी आएगा तो भैंसे अपने-आप जगा देंगी।

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