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रेलयात्रा सूची: 2018

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दिनांककहां से/कहां तकट्रेन नं/नामदूरी (कुल दूरी)श्रेणी (गेज)
13-03नई दिल्ली - शाहजहाँपुर14258 काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस328 (169229)शयनयान (ब्रॉड)
14-03शाहजहाँपुर - पीलीभीत52229 शाहजहाँपुर-पीलीभीत पैसेंजर85 (169314)साधारण (मीटर)
14-03पीलीभीत - टनकपुर55373 पीलीभीत-टनकपुर पैसेंजर63 (169377)साधारण (ब्रॉड)
14-03पीलीभीत - मैलानी52221 पीलीभीत-मैलानी पैसेंजर68 (169445)साधारण (मीटर)
15-03मैलानी - बहराइच52254 मैलानी-बहराइच पैसेंजर206 (169651)साधारण (मीटर)
15-03लखनऊ - नई दिल्ली12429 एसी सुपरफास्ट493 (170144)थर्ड एसी (ब्रॉड)
26-09मडगाँव - हजरत निजामुद्दीन12283 दूरोंतो2093 (172237)शयनयान (ब्रॉड)
07-12नई दिल्ली - कानपुर सेंट्रल22812 राजधानी447 (172684)थर्ड एसी (ब्रॉड)
09-12लखनऊ - अमरोहा15909 अवध असम356 (173040)शयनयान (ब्रॉड)

नोट: दूरी दो-चार किलोमीटर ऊपर-नीचे हो सकती है।
भूल चूक लेनी देनी

कुछ और तथ्य:
कुल यात्राएं: 888 बार
कुल दूरी: 173040 किलोमीटर

पैसेंजर ट्रेनों में: 48064 किलोमीटर (495 बार)
मेल/एक्सप्रेस में: 50618 किलोमीटर (255 बार)
सुपरफास्ट में: 74358 किलोमीटर (137 बार)

ब्रॉड गेज से: 166554 किलोमीटर (823 बार)
मीटर गेज से: 4027 किलोमीटर (31 बार)
नैरो गेज से: 2459 किलोमीटर (34 बार)

बिना आरक्षण के: 73286 किलोमीटर (732 बार)
शयनयान (SL) में: 79612 किलोमीटर (124 बार)
सेकंड सीटिंग (2S) में: 2592 किलोमीटर (9 बार)
थर्ड एसी (3A) में: 13307 किलोमीटर (16 बार)
एसी चेयरकार (CC) में: 1361 किलोमीटर (5 बार)
सेकंड एसी (2A) में: 2882 किलोमीटर (2 बार)





4000 किलोमीटर से ज्यादा: 1 बार
1000 से 3999 किलोमीटर तक: 26 बार
500 से 999 किलोमीटर तक:  47 बार
100 से 499 किलोमीटर तक: 329 बार
50 से 99 किलोमीटर तक (अर्द्धशतक): 283 बार

किस महीने में कितनी यात्रा
महीनापैसेंजरमेल/एक्ससुपरफास्टकुल योग
जनवरी1769206959339771
फरवरी47904697490514392
मार्च700539301054221477
अप्रैल2002295444919447
मई3053142446829159
जून1393162545337551
जुलाई42124669481313694
अगस्त8061137741801139846
सितम्बर47393072683514646
अक्टूबर60684784575816610
नवम्बर3098247518127385
दिसम्बर1874514520439062



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46 रेलवे स्टेशन हैं दिल्ली में

एक बार मैं गोरखपुर से लखनऊ जा रहा था। ट्रेन थी वैशाली एक्सप्रेस, जनरल डिब्बा। जाहिर है कि ज्यादातर यात्री बिहारी ही थे। उतनी भीड नहीं थी, जितनी अक्सर होती है। मैं ऊपर वाली बर्थ पर बैठ गया। नीचे कुछ यात्री बैठे थे जो दिल्ली जा रहे थे। ये लोग मजदूर थे और दिल्ली एयरपोर्ट के आसपास काम करते थे। इनके साथ कुछ ऐसे भी थे, जो दिल्ली जाकर मजदूर कम्पनी में नये नये भर्ती होने वाले थे। तभी एक ने पूछा कि दिल्ली में कितने रेलवे स्टेशन हैं। दूसरे ने कहा कि एक। तीसरा बोला कि नहीं, तीन हैं, नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली और निजामुद्दीन। तभी चौथे की आवाज आई कि सराय रोहिल्ला भी तो है। यह बात करीब चार साढे चार साल पुरानी है, उस समय आनन्द विहार की पहचान नहीं थी। आनन्द विहार टर्मिनल तो बाद में बना। उनकी गिनती किसी तरह पांच तक पहुंच गई। इस गिनती को मैं आगे बढा सकता था लेकिन आदतन चुप रहा।

जिम कार्बेट की हिंदी किताबें

इन पुस्तकों का परिचय यह है कि इन्हें जिम कार्बेट ने लिखा है। और जिम कार्बेट का परिचय देने की अक्ल मुझमें नहीं। उनकी तारीफ करने में मैं असमर्थ हूँ क्योंकि मुझे लगता है कि उनकी तारीफ करने में कहीं कोई भूल-चूक न हो जाए। जो भी शब्द उनके लिये प्रयुक्त करूंगा, वे अपर्याप्त होंगे। बस, यह समझ लीजिए कि लिखते समय वे आपके सामने अपना कलेजा निकालकर रख देते हैं। आप उनका लेखन नहीं, सीधे हृदय पढ़ते हैं। लेखन में तो भूल-चूक हो जाती है, हृदय में कोई भूल-चूक नहीं हो सकती। आप उनकी किताबें पढ़िए। कोई भी किताब। वे बचपन से ही जंगलों में रहे हैं। आदमी से ज्यादा जानवरों को जानते थे। उनकी भाषा-बोली समझते थे। कोई जानवर या पक्षी बोल रहा है तो क्या कह रहा है, चल रहा है तो क्या कह रहा है; वे सब समझते थे। वे नरभक्षी तेंदुए से आतंकित जंगल में खुले में एक पेड़ के नीचे सो जाते थे, क्योंकि उन्हें पता था कि इस पेड़ पर लंगूर हैं और जब तक लंगूर चुप रहेंगे, इसका अर्थ होगा कि तेंदुआ आसपास कहीं नहीं है। कभी वे जंगल में भैंसों के एक खुले बाड़े में भैंसों के बीच में ही सो जाते, कि अगर नरभक्षी आएगा तो भैंसे अपने-आप जगा देंगी।

ट्रेन में बाइक कैसे बुक करें?

अक्सर हमें ट्रेनों में बाइक की बुकिंग करने की आवश्यकता पड़ती है। इस बार मुझे भी पड़ी तो कुछ जानकारियाँ इंटरनेट के माध्यम से जुटायीं। पता चला कि टंकी एकदम खाली होनी चाहिये और बाइक पैक होनी चाहिये - अंग्रेजी में ‘गनी बैग’ कहते हैं और हिंदी में टाट। तो तमाम तरह की परेशानियों के बाद आज आख़िरकार मैं भी अपनी बाइक ट्रेन में बुक करने में सफल रहा। अपना अनुभव और जानकारी आपको भी शेयर कर रहा हूँ। हमारे सामने मुख्य परेशानी यही होती है कि हमें चीजों की जानकारी नहीं होती। ट्रेनों में दो तरह से बाइक बुक की जा सकती है: लगेज के तौर पर और पार्सल के तौर पर। पहले बात करते हैं लगेज के तौर पर बाइक बुक करने का क्या प्रोसीजर है। इसमें आपके पास ट्रेन का आरक्षित टिकट होना चाहिये। यदि आपने रेलवे काउंटर से टिकट लिया है, तब तो वेटिंग टिकट भी चल जायेगा। और अगर आपके पास ऑनलाइन टिकट है, तब या तो कन्फर्म टिकट होना चाहिये या आर.ए.सी.। यानी जब आप स्वयं यात्रा कर रहे हों, और बाइक भी उसी ट्रेन में ले जाना चाहते हों, तो आरक्षित टिकट तो होना ही चाहिये। इसके अलावा बाइक की आर.सी. व आपका कोई पहचान-पत्र भी ज़रूरी है। मतलब