चूडधार की यात्रा कथा तो पढ ही ली होगी। ट्रेकिंग पर जाते हुए मैं जीपीएस से कुछ डाटा अपने पास नोट करता हुआ चलता हूं। यह अक्षांस, देशान्तर व ऊंचाई होती है ताकि बाद में इससे दूरी-ऊंचाई नक्शा बनाया जा सके। आज ज्यादा कुछ नहीं है, बस यही डाटा है।
अक्षांस व देशान्तर पृथ्वी पर हमारी सटीक स्थिति बताते हैं। मैं हर दस-दस पन्द्रह-पन्द्रह मिनट बाद अपनी स्थिति नोट कर लेता था। अपने पास जीपीएस युक्त साधारण सा मोबाइल है जिसमें मैं अपना यात्रा-पथ रिकार्ड नहीं कर सकता। हर बार रुककर एक कागज पर यह सब नोट करना होता था। इससे पता नहीं चलता कि दो बिन्दुओं के बीच में कितनी दूरी तय की। बाद में गूगल मैप पर देखा तो उसने भी बताने से मना कर दिया। कहने लगा कि जहां सडक बनी है, केवल वहीं की दूरी बताऊंगा। अब गूगल मैप को कैसे समझाऊं कि सडक तो चूडधार के आसपास भी नहीं फटकती। हां, गूगल अर्थ बता सकता है लेकिन अपने नन्हे से लैपटॉप में यह कभी इंस्टाल नहीं हो पाया।
कुल मिलाकर यहां मैं अपना वो सारा डाटा लिख रहा हूं, जो यात्रा के दौरान नोट किया था। इससे आपको यात्रा-पथ व ऊंचाई की जानकारी हो जायेगी। गूगल अर्थ हो तो कुल दूरी भी पता चल सकती है। हालांकि पहाडों पर कभी भी सीधी रेखा में नहीं चला जाता और यहां हर दो बिन्दुओं के बीच की सीधी दूरी ही पता चल सकती है, इसलिये सटीकता के लिये इसका लगभग डेढ गुना करना होगा।
क्रम | अक्षांस | देशान्तर | ऊंचाई (मीटर में) | मेरे पहुंचने व चलने का समय | अन्य |
---|---|---|---|---|---|
1 | 30°48'46.81'' | 77°25'06.96'' | 2135 | 08:10 | नोहराधार |
2 | 30°48'53.14'' | 77°25'06.91'' | 2211 | | |
3 | 30°49'02.37'' | 77°25'10.70'' | 2276 | 08:30 | |
4 | 30°49'07.62'' | 77°25'19.68'' | 2315 | 08:41 | |
5 | 30°49'15.50'' | 77°25'22.51'' | 2357 | 08:50 | |
6 | 30°49'23.38'' | 77°25'29.79'' | 2368 | 09:00 | |
7 | 30°49'29.09'' | 77°25'37.55'' | 2384 | 09:07 | लक्की ढाबा |
8 | 30°49'33.69'' | 77°25'50.56'' | 2484 | 09:25 | |
9 | 30°49'36.30'' | 77°25'49.12'' | 2520 | 09:31 | विश्राम शेड, जंगल शुरू |
10 | 30°49'47.34'' | 77°25'55.41'' | 2560 | 09:42 | |
11 | 30°49'50.81'' | 77°25'58.49'' | 2564 | 09:53 | शिरगुल होटल |
12 | 30°50'02.00'' | 77°26'11.55'' | 2652 | 10:18 | |
13 | 30°50'13.01'' | 77°26'28.80'' | 2744 | 10:36 | |
14 | 30°50'15.97'' | 77°26'25.77'' | 2815 | 10:50-11:05 | |
15 | 30°50'34.37'' | 77°26'25.42'' | 2848 | 11:19 | जमनाला, खुला मैदान, चाय |
16 | 30°50'45.11'' | 77°26'31.69'' | 2911 | 11:33 | |
17 | 30°51'02.73'' | 77°26'35.96'' | 2972 | 11:45-11:50 | 20 मीटर आगे पानी |
18 | 30°51'01.75'' | 77°26'47.88'' | 3020 | 12:04 | |
19 | 30°51'16.70'' | 77°27'05.74'' | 3107 | 12:20-12:28 | |
20 | 30°51'26.76'' | 77°27'15.89'' | 3128 | 12:42 | |
21 | 30°51'35.70'' | 77°27'17.52'' | 3150 | 12:54 | |
22 | 30°51'48.46'' | 77°27'21.44'' | 3207 | 13:05 | |
23 | 30°51'57.46'' | 77°27'25.18'' | 3228 | 13:18-08:25 | तीसरी, विश्राम, चाय, खाना |
24 | 30°52'07.68'' | 77°27'36.13'' | 3246 | 08:35 | |
25 | 30°52'00.50'' | 77°27'49.81'' | 3290 | 08:50 | वृक्ष रेखा समाप्त |
26 | 30°51'54.41'' | 77°28'01.25'' | 3300 | 09:04 | |
27 | 30°51'53.50'' | 77°28'11.00'' | 3330 | 09:13 | |
28 | 30°51'54.74'' | 77°28'18.86'' | 3360 | 09:28-09:33 | कठिन चढाई शुरू |
29 | 30°51'54.45'' | 77°28'21.13'' | 3374 | 09:38-09:43 | |
30 | 30°51'52.98'' | 77°28'25.73'' | 3400 | 09:55 | खडी चढाई समाप्त, मामूली सा ढलान |
31 | 30°51'54.76'' | 77°28'28.45'' | 3433 | 10:04 | |
32 | 30°51'57.20'' | 77°28'33.94'' | 3465 | 10:18 | |
33 | 30°52'00.03'' | 77°28'37.07'' | 3501 | 10:30-10:40 | |
34 | 30°51'59.25'' | 77°28'41.70'' | 3560 | 10:52 | रिज के ऊपर |
35 | 30°52'08.08'' | 77°28'46.50'' | 3595 | 11:20-11:30 | |
36 | 30°52'14.10'' | 77°28'49.23'' | 3614 | 12:00-12:15 | चूडधार चोटी |
37 | 30°52'16.53'' | 77°28'54.43'' | 3564 | 12:39 | |
38 | 30°52'14.04'' | 77°28'58.98'' | 3492 | 12:49 | |
39 | 30°52'18.73'' | 77°29'10.81'' | 3397 | 13:05-14:00 | शिरगुल मन्दिर |
40 | 30°51'59.24'' | 77°29'22.88'' | 3000 | 14:20-14:25 | ट्रांसफॉर्मर |
41 | 30°51'55.38'' | 77°29'31.99'' | 2846 | 14:42 | नाला पार करना है |
42 | 30°51'43.80'' | 77°29'48.88'' | 2679 | 15:01 | थोडी सी खुली जगह |
43 | 30°51'43.28'' | 77°29'55.10'' | 2619 | 15:12 | नाला पार करना है |
44 | 30°51'35.42'' | 77°30'07.36'' | 2470 | 15:29 | नाला पार करना है |
45 | 30°51'25.59'' | 77°30'38.83'' | 2352 | 15:47 | |
46 | 30°51'23.47'' | 77°30'46.82'' | 2350 | 15:53 | नाला पार करना है, लकडी का पुल |
47 | 30°51'19.41'' | 77°30'59.50'' | 2246 | 16:02-16:12 | घराट, खुली जगह |
48 | 30°51'09.52'' | 77°31'07.77'' | 2218 | 16:19-16:27 | नाला पार करना है |
49 | 30°50'59.25'' | 77°31'23.34'' | 2106 | 16:38 | नाला पार करना है |
50 | 30°50'57.50'' | 77°31'28.07'' | 2088 | 16:45-16:50 | छोटा सा मैदान |
51 | 30°50'55.92'' | 77°31'43.11'' | 2042 | 17:00 | दूसरा नाला पार करना है |
52 | 30°50'42.34'' | 77°31'56.17'' | 1965 | 17:18 | घराट, लोहे का पुल |
53 | 30°50'19.39'' | 77°32'39.82'' | 1842 | 17:50 | तराहां |
वैसे तो इसके बारे में यात्रा-वृत्तान्तों में सबकुछ लिखा जा चुका है। फिर भी मोटी मोटी जानकारी यहां भी लिख देता हूं:
चूडधार जाने के कई रास्ते हैं। सबसे प्रचलित और सुगम रास्ता नोहराधार से जाता है। नोहराधार सोलन से लगभग 75 किलोमीटर दूर है, खूब बसें चलती हैं। नोहराधार जैसा कि ऊपर चार्ट से भी स्पष्ट है कि समुद्र तल से 2135 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां जहां बस उतारती है, वहीं चूडधार जाने के लिये प्रवेश द्वार भी बना है। एक बार प्रवेश कर लिया, किसी से रास्ता पूछने की आवश्यकता नहीं रह जाती। कम से कम दो किलोमीटर तक बसावट है। अगर लगे कि रास्ता भटक गये, हमेशा कोई न कोई सहायता करने को मिल जायेगा।
जंगल के बीच में एक खुली जगह है, जहां अक्सर गायें चरती दिखती हैं। इसे जमनाला भी कहते हैं। जमनाला से कुछ आगे तीसरी है। जमनाला और तीसरी में खाने-पीने को मिल जाता है। तीसरी से चूडधार छह किलोमीटर रह जाता है जिनमें से शुरूआती ढाई तीन किलोमीटर बहुत आसान हैं। आखिरी भाग अवश्य कुछ कठिन है। चूडधार की ऊंचाई 3614 मीटर है।
एक और दूसरा रास्ता तराहां से जाता है। नोहराधार से आगे हरिपुरधार है और उससे भी बीस-पच्चीस किलोमीटर आगे तराहां। बहुत सीमित बसें यहां तक जाती हैं। तराहां की ऊंचाई 1840 मीटर है। यहां से करीब दो किलोमीटर आगे एक गांव है, अच्छा चलता-फिरता रास्ता है। उससे भी एक-डेढ किलोमीटर आगे तक खेत व आवागमन मिलता रहता है। फिर जंगल शुरू होता है जो चूडधार पर जाकर ही समाप्त होता है। यह एक घना जंगल है और इसमें भालुओं की भरमार है। निःसन्देह तेंदुओं की भी। रास्ता नहीं के बराबर है, हालांकि गौर करने पर दिख जाता है। चढाई भी बडी जबरदस्त है। रास्ते में खाने को कुछ नहीं मिलता।
तीसरा रास्ता सराहां से जाता है। पहले शिमला जाना पडता है। फिर चौपाल होते हुए सराहां पहुंचा जा सकता है। मैंने इस रास्ते को नहीं देखा है लेकिन बताते हैं कि यह भी ठीकठाक चलता हुआ रास्ता है। बीच में एक जगह खाने की दुकान भी है।
कब जायें: मई में बर्फ पिघलने के बाद से नवम्बर तक कभी भी जाया जा सकता है। कुछ अनुभवी लोग सर्दियों में भी जाते हैं लेकिन अत्यधिक बर्फ व आखिर में खडी चढाई होने के कारण यहां सर्दियों में नहीं आना चाहिये। जगह काफी ऊंचाई पर है तो जाहिर है कि गर्मियों में भी सर्दी लगेगी, इसलिये गर्म कपडे ले जाना ठीक रहता है।
अगर आपने अभी तक चूडधार यात्रा कथा नहीं पढी है, तो यहां क्लिक करें।
चूडधार यात्रा तो समाप्त हो गई। अब आप क्या करेंगे? अच्छा, एक काम कीजिये। टिप्पणियां करनी शुरू कर दीजिये। मुख्यतः इस यात्रा से सम्बन्धित। जो भी कहना हो, प्रशंसा करनी हो, आलोचना करनी हो। मुश्किल नहीं है टिप्पणी करना। एक बार करके तो देखिये। तब तक एक और यात्रा-कथा का इंतजाम करता हूं।
टिप्पणियां उत्साह से भर देती हैं। जो टिप्पणियां अच्छी व जानदार लगेंगी, उन्हें आगामी डायरी के पन्नों में जगह दी जायेगी।
चूडधार कमरुनाग यात्रा
1. कहां मिलम, कहां झांसी, कहां चूडधार2. चूडधार यात्रा- 1
3. चूडधार यात्रा- 2
4. चूडधार यात्रा- वापसी तराहां के रास्ते
5. भंगायणी माता मन्दिर, हरिपुरधार
6. तराहां से सुन्दरनगर तक- एक रोमांचक यात्रा
7. रोहांडा में बारिश
8. रोहांडा से कमरुनाग
9. कमरुनाग से वापस रोहांडा
10. कांगडा रेल यात्रा- जोगिन्दर नगर से ज्वालामुखी रोड तक
11.चूडधार की जानकारी व नक्शा
बहुत ही बारीक और सटीक जानकारी दी हैं नीरज जी आपने... यदि चुडाधार की यात्रा पर कोई जाना चाहेगा तो उसके लिये यह डाटा बहुत ही मददगार साबित होगा...
ReplyDeleteनीरज जी किसी अच्छे से लेखक को ढुंढकर एक पुस्तक में अपने सभी यात्रा वृत्तान्त लिखवाईये और उसे प्रकाशित करवाईये... कुछ आमदनी तो होगी ही और लोगों को जानकारी पाने का एक और साधन भी मिलेगा...
ReplyDeleteआपकी बात पर ध्यान दूंगा, नरेश जी।
Deleteयानी आपका मतलब नीरज जी अच्छे लेखक नहीं हैं? :O
Delete@ pryas लेखक या प्रकाशक को ढूंढकर
DeleteSir, I'm also agree with your statement....
Deleteनीरज जी चुडाधार जाने के लिए क्या पोंडा साहिब,विकाश नगर वाले रास्ते से भी जाया जा सकता है?
ReplyDeleteओर यह करनाल रोड होते हुए सोलन मार्ग से लम्बा है या छोटा?
करनाल होते हुए सोलन तक यह सडक बेहद शानदार है। उधर देहरादून से विकासनगर व पौण्टा साहिब तक भी अच्छी सडक है। आप किसी भी रास्ते का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन सुना है कि सहारनपुर-विकासनगर रोड खस्ताहाल है। अन्यथा छुटमलपुर-देहरादून का लम्बा चक्कर लगाना पडेगा।
DeleteNeeraj ji shandar, adbhut, abhootpoorva ji, aur mere pas shabd nahin hain ji....
Deletejitna ghumna hai ghum lo neeraj babu jab vo ayegi na lmbe balon wali sari ghumakdi nikal degi......
ReplyDeletevaise koi jatni dundhi ya ni
और क्या पता लम्बे बालों वाली जाटराम से भी बडी घुमक्कड हो?????
Deletebaap re baap!!!!!
Deletephir to inke bachche kahar dayenge.......
अच्छे लेखक से क्यों लिखवाए... नीरज खुद अच्छा लिखता है.. सरल व तरल भाषा में अाम आदमी की भाषा.... किताब लिखने के लिए बस कुछ जाटिया शब्दों को हटाना पड़ेगा... LOL और चित्रों में तो इस बालक के गुणात्मक वृद्धि हुई है...
ReplyDeleteअसल में मैने अभी तक जितने भी लेख पढ़े ...नीरज ही इकलौता घुम्मक्कड़ है... इसके जितना अकेले घूमना वो भी ऐसी जगहों पर जहां कोई सोच भी नहीं सकता, वो भी बिना ज्यादा खर्चा किये..एक यायावर ही कर सकता है..
(कमैंटस का जवाब ये कभी नही देता जो बुरी बात है... कोई अगर मेहनत से पढ़ता है और टिप्पणी करता है... एक धन्यवाद का हकदार तो है)
समझ नहीं आ रहा कि आपकी टिप्पणी का क्या जवाब दूं? लेकिन चलिये धन्यवाद तो दे ही दूं।
Deleteधन्यवाद जी। :)
आपकी सरल लेखन शैली की तारीफ करने को मेरे पास शब्द नही है | लेख बहुत लाजवाब है | हम आपकी तरह घुम्मक्कड़ तो नही बन सकते , परंतु आपके लेख पढ़कर घूमने का काल्पनिक सुख जरूर प्राप्त करते है | शानदार लेखन के लिए कोटि कोटी बधाई हो |
ReplyDeleteआपका सोचना कि आप घुमक्कड नहीं बन सकते, गलत है। आप भी ऐसा कर सकते हैं। सोचिये कि समस्याएं क्या हैं? हां, बहाने मत बनाना। घर, बीवी, बच्चे, ऑफिस; ये सब बहाने हैं।
Deletefb pr friend request accpt kar lo taki vha bhi cmnt kr sake.
ReplyDeleteLage raho Neeraj. Bhai.....hum padhte rahenge.... Bahut bahut Dhanyawad....sunder lekh.....aagami. Yatarao k liye subhkamnaye.
ReplyDeleteधन्यवाद अमित जी।
Deleteगूगल का बड़ा भाई नीरज, तो अब से गूगल को छोड़ो और नीरज को पकड़ो..जानकारी का गोला...
ReplyDeleteनहीं रोहित भाई, ऐसा नहीं है। कुछ ज्यादा ही अतिशयोक्ति हो गई।
Delete1
Deleteuff...... Yanha to ye hal h ankh bad me khulti h apka blog pahle ki post ayi ya ni,
ReplyDeleteuff...... Yanha to ye hal h ankh bad me khulti h apka blog pahle ki post ayi ya ni,
ReplyDeleteसही बात है जी। अपना नाम भी आपको टिप्पणी के आखिर में लिख देना था। आगे से ध्यान रखना।
DeleteJai ho jat ram ki
ReplyDeleteSabse pehle to aapko churadhar yatra ke safal samapan aur utkrist lekhan k liye shubkaamnaye.....
ReplyDeleteNeeraj bhai..aapne jo moti moti jankari di hai ye bhaut hi jaruri hai...mai aasha karta hoon ki aage ki yatra vritant me v ispe aap dhyan dengee......
Aapki purani post ko dhundne me bhaut presani hoti hai .....aapki purani post k darsan k liye koi sulabh tarika bataye....
.....
धन्यवाद जी...
Deleteपुरानी पोस्ट देखने के लिये आप सबसे पहले साइडबार को देखिये। इसमें ‘हाथ का कमाल’ नाम का एक कॉलम है। इसमें आपको 2014, 2013, 2012,... दिखाई देंगे। आप किसी भी वर्ष के सामने बने काले रंग के छोटे से त्रिभुज पर क्लिक करेंगे तो उस वर्ष के महीनों के नाम दिखने लगेंगे। पुनः महीनों के सामने वाले काले त्रिभुज पर क्लिक करेंगे तो आपको उस महीने में लिखी गई सभी पोस्ट मिल जायेंगी।
दूसरा तरीका, आप सबसे ऊपर लगे किसी भी राज्य के बटन पर क्लिक करके उस राज्य से सम्बन्धित लेख पढ सकते हैं। तीसरा तरीका, साइडबार में सबसे ऊपर search का विकल्प है। आप search भी कर सकते हैं। चौथा तरीका, अगर आपको कोई विशेष पोस्ट अभी भी नहीं मिली है तो आप मुझे मेल करके या कमेण्ट करके पूछ सकते हैं।
कहीं पढ़ा है मैंने की आपको मोटर साइकिल चलानी नहीं आती, मगर साइकिल चलानी तो खुब अच्छे से आता है, इसलिए जाट महाराज एक स्कूटी ले लीजिए, उसमें ज्यादा कुछ करना नहीं पड़ता, बस एक्सीलेटर लिया और चल पड़ी गाड़ी फर्र से , बाकी सब कुछ आपकी साइकिल जैसा। सुविधापूर्ण और आसान । मेरे इस विचार पर गौर कीजियेगा ।
ReplyDeleteआशीष जी, मेरे पास मोटरसाइकिल नहीं है। वैसे चलानी तो आती है लेकिन अपने पास न होने के कारण आत्मविश्वास नहीं है चलाने का। स्कूटी का विचार पहले भी कई मित्रों ने दिया है। स्कूटी लूंगा तो उसमें दस पांच हजार और लगाकर मोटरसाइकिल ही आ जायेगी।
DeleteTHANK YOU JAADU
ReplyDeleteनीरज जी बहुत अच्छा वर्णन है, आपने तिवाड़ी जी का धन्यवाद किया अच्छा लगा
ReplyDeleteJaankari ke liye thanks.....
ReplyDeleteNeeraj bhai..aapke madhyam se railway ki bahut si jaankari mil jati hai...ek anurod hai ...rail engine k karyapranali pr v ek post ho jaye ...avi kal hi rajdhni durghatna ho gayi...railway ko safti kaise banaya jaye... ispe v apne vichar dairy me likiye..koi ki ye aap k nigi vichar honge....
रेल इंजन की तो मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है। बाकी रेलवे सम्बन्धी विचार मैं लिखता रहता हूं।
Deleteप्रणाम
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteJabardust yatrs vrtant
ReplyDeleteJabardast
ReplyDeleteTum chauddhar ghum ayee, kabhi kinaur ka trip bhi banao,...kuch saaal pahle tumne likha bhi tha ki Sangla valley ka plan ban sakta hai.. age Recongpeo se Tabo monestory ,Dankaur tak ja sakte ho...
ReplyDeleteहां जी, मैं अभी तक किन्नौर व स्पीति नहीं गया हूं। जल्द ही जाऊंगा यहां भी।
Deletesaral, man ke karib ,dil ko chhune wali simple saral shabdo ke saath satik manorajan ke saath behtarin yadgar photo se yukt . ye aapake blog ki khasiyat hai shyad apko jyad lage lekin yahi sahi sabase achhi bat aapane dil ki bhawan ko shabdo me vyakt karana hai vishesh kar dayari k shabd
ReplyDeleteकुछ ज्यादा नहीं हो गया??? :)
Deleteनीरज भाई, मोटरसाईकिल की क्योँ चिँता करते हो? अब कि बार चलते है कही मोटरसाईकिल यात्रा पर.. आपकी मोटरसाईकिल चलाने कि झिझक खत्म कर देते है सारे रास्ते आप से हि चलवाई जायेगी मोटरसाईकिल..
ReplyDeleteझिझक तो जी तभी खत्म होती है, जब अपनी हो। धन्यवाद आपका।
DeleteNeeraj bhai. Yatra vritant to hemesha ki tarah shaandaar tha. 2 Baate jo MUJHE laga ki is baar achhi hui wo ye ki-
ReplyDelete1- Aapki lekhni me is beech k kuch samay me parivartan aaya tha jo ki mujhe personally aur aapke kai aur mitron ko bhi kuch jach nahi raha tha. Jise swikaar karte hue aapne diary k panno me jikra kiya tha. Ab wo PAHLE WAALI BAAT phir se kaafi had tak wapas aai. Ek Imaandaari se bhara befikra fakkadpan hai aapki lekhni me wo kam ho gaya tha. iski waapsi swagat yogya hai.
2- Sambhavtah aapki vyast-ta k chalte posts bahut samay baad aa rahi thi is beech k samay me. Mujh jaise aapke die Hard Fans k liye wo samay bada muskil bhara tha jab din me 3 4 baar aapka blog check karne par bhi post nadarad rahti thi. Ab nirantarta barkaraar kar di gai hai jo ki prasannta ki baat hai.
Aasha hai ki ab aap yun hi purvavrat nirantarta se likhte rahenge.
धन्यवाद राहुल जी, आगे भी कोशिश करूंगा कि यह निरन्तरता बनी रहे।
DeleteAre Guruwar aap to mere bade bhrata samaan hain( Shistachaar vash bhi aur Aayu evam swabhav me bhi). Naam me JI laga kar Sharminda na kare.
DeleteBaaki aapne Reply kiya achha laga. Ye NEVER REPLY neeti me aakasmik parivartan bhi ek swagat yogya baat hai waise. Is parivartan k kaarno ka ullekh agli Diary me avasya kijiyega.
aap ki baat se hm v purntya sahmat h lekhan shaily me proablm sayad ladak cycle yatra se ayi jo wapis aapni lay ni pakad payi ab punhan aapni lay me dekhna sukhad h aur i think wapish lekhan ki lay ko pkdne k liye beech k break jaruri tha....
ReplyDeletekirti
धन्यवाद कीर्ति जी, आपने शायद ठीक कहा है।
Deleteभाई सबसे बेहतरीन पोस्ट है ये.. कब से इंतज़ार था ... अक्षांश देशांतर देने से गूगल अर्थ पर उन जगहों को देखने में आसानी रहती है जहाँ जहाँ आप घूमे..... एक प्रश्न है ... आप ही उसे पूरा कर सकते हैं.... गूगल अर्थ में देखने पर महाराष्ट्र की सबसे ऊंची छोटी साल्हेर दिखाई देती है जबकि आधिकारिक तौर पर कल्सुबाई मानी जाती है... गूगल अर्थ ऊंचाई कम तो बता सकता है लेकिन एक चोटी को दूसरी से बड़ी छोटी नहीं कर सकता ... इसी प्रकार आन्ध्र प्रदेश की सबसे ऊंची छोटी जिन्धगढ़ के बारे में भी पुस्तकों में उल्लेख नहीं मिलता... कृपया सटीक जानकारी बता सकें तो हर्ष होगा कि पुस्तकों की आधिकारिक जानकारी सही है या गलत....
ReplyDeleteहां जी, आप सही कह रहे हैं। गूगल मैप में साल्हेर की ऊंचाई 1550 मीटर है और कल्सुबाई की 1400 मीटर। परन्तु गूगल मैप में जहां कल्सुबाई पीक (19.600500, 73.711005) लिखा है, उस चोटी की ऊंचाई तो 1400 मीटर है, लेकिन इसके कुछ ही पश्चिम में एक चोटी (19.593582, 73.697796) और है जो 1500 मीटर ऊंची है। हो सकता है कि इस रेंज में कोई 1600 मीटर से भी ऊंची चोटी हो, हालांकि मुझे नहीं दिखी।
Deleteआधिकारिक आंकडे अक्सर गलत होते हैं। जैसे कि खारदूंगला की ऊंचाई गूगल मैप के अनुसार 5350 मीटर है जबकि आधिकारिक तौर पर 18380 फीट अर्थात 5600 मीटर है। आप अगर सटीकता में विश्वास करते हैं, तो गूगल मैप पूरी तरह भरोसेमन्द है।
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Deleteधन्यवाद.... यही संशय था जो आपने दूर कर दिया... वैसे मुझे भी उसके आस पास कोई 1600 मीटर की चोटी नहीं दिखी... ये आधिकारिक आंकडें अंग्रेजी राज के समय के हैं... कई गलत भी हो सकते हैं.... पुनः धन्यवाद... वैसे ज्यादा सटीक यही रहेगा की जो इन चोटियों को फ़तेह कर रहे हैं हैं वो वहां से जीपीएस डाटा ले आयें....
DeleteGGGGGGGGG
ReplyDeleteJAAT BADALNA NAHI CHAHIYE
ReplyDeleteBhai tum Neeraj jat main ombir jat yar kabhi hame bhi apne saath ghumne ka moka do ek se do bhale
ReplyDeleteSulb yatra
ReplyDeleteBhai yeh yatra to bahut he tedhi medhi thi........
ReplyDeleteLekin aapke saath yatra krke mjaa aa gya
Aapki yatra padkar mujhe writer Rahul sakrityanan Ka jeevan parichye yaad aa gaya
ReplyDeleteEnter your comment...Dhanybad bahut achi jankar aap ke dwara mili
ReplyDelete...
बहुत ही शानदार यात्रा। तरुण भाई से मिलना बड़ा ही दिलचस्प लगा।
ReplyDeleteNeeraj ji, kya mujhe aapka no. Mil sakta hai ji????
ReplyDelete