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जांस्कर यात्रा- रांगडुम से अनमो

इस यात्रा-वृत्तान्त को आरम्भ से पढने के लिये यहां क्लिक करें
अगले दिन सुबह साढे तीन बजे ही ड्राइवर ने आवाज लगा दी। कसम से इस समय उठने का बिल्कुल भी मन नहीं था। सर्दी में रजाई छोडने का क्षण मेरे लिये बडा दुखदाई होता है। लेकिन उठना तो था ही। चार बजते बजते यहां से निकल चुके थे। अभी भी रात काफी थी। पांच बजे जाकर कहीं उजाला होना शुरू होगा।
आगे चलकर सूरू का पाट अत्यधिक चौडा हो गया और सडक छोडकर ड्राइवर ने गाडी सीधे पत्थरों में घुसा दी। ऊबड-खाबड रास्ता अभी तक था, ऊबड खाबड अभी भी है तो कुछ भी फर्क पता नहीं चला। पत्थरों से कुछ देर में पुनः सडक पर आ गये। कुछ ही आगे एक जगह गाडी रोक दी। यहां एक सन्तरी खडा था। यह असल में रांगडुम गोम्पा था। बडा प्रसिद्ध गोम्पा है यह। इसी के पास एक चेकपोस्ट है। यह पता नहीं सेना की चेकपोस्ट है या बीएसएफ की या किसी और बल की। पुलिस की तो नहीं है। ड्राइवर ने रजिस्टर में एण्ट्री की। हम सन्तरी को देखकर हैरान थे। आंखों में नींद का नामोनिशान तक नहीं था। जबकि यहां न कोई पाकिस्तान की सीमा है, न किसी चीन की। यहां ट्रैफिक भी बिल्कुल नहीं था। आखिरी गाडी कल दिन रहते ही गुजरी होगी। हमारे बाद जो गाडी आयेगी, वो भी उजाला होने के बाद ही आयेगी।

पौने छह बजे पंजी-ला पहुंचे। इसे पेंसी-ला भी कह देते हैं। यह एक दर्रा है जो सूरू और जांस्कर घाटियों को अलग करता है व कारगिल-पदुम सडक का उच्चतम स्थान है। इसकी ऊंचाई लगभग 4400 मीटर है। इसके बाद हम जांस्कर घाटी में प्रवेश कर जायेंगे और आगे पूरा रास्ता ढलान भरा है।
पंजी-ला का मुख्य आकर्षण इसकी छोटी छोटी झीलें हैं। अब तक काफी उजाला हो चुका था। यहां एक वाच टावर भी है जहां खडे होकर चारों तरफ का नजारा लिया जा सकता है। वाच टावर की सीढियां चढने में बुरी तरह सांस चढ गई। बडी भयंकर ठण्ड भी थी।
जांस्कर भी कारगिल जिले का ही हिस्सा है। अगर हम नदी के साथ साथ चलते जायें तो पदुम से काफी आगे जंगला नामक स्थान है। फिर नेरक व और आगे चिलिंग गांव है। चिलिंग वही स्थान है जहां पहली लद्दाख यात्रा में मैंने जनवरी में शून्य से पच्चीस डिग्री नीचे के तापमान में गुफा में रात बिताई थी। तो जंगला व नेरक के बीच में कहीं यह नदी कारगिल जिले से लेह जिले में प्रवेश करती है।

...
इस यात्रा के अनुभवों पर आधारित मेरी एक किताब प्रकाशित हुई है - ‘सुनो लद्दाख !’ आपको इस यात्रा का संपूर्ण और रोचक वृत्तांत इस किताब में ही पढ़ने को मिलेगा।
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सुबह सवेरे पंजी-ला की ओर


पंजी-ला से आती सूरू नदी

पंजी-ला पर वाच टावर


पंजी-ला पर दो छोटी-छोटी झीलें भी हैं।






द्रांग-द्रंग ग्लेशियर


पंजी-ला के दूसरी तरफ जांस्कर घाटी है।

विधान




परात में चाय




पदुम

अनमो के लिये प्रस्थान


नदी के इस तरफ सडक है तो दूसरी तरफ पुराना ट्रैकिंग मार्ग है जहां आज भी ट्रैकिंग की जाती है।

अनमो में




और ट्रेकिंग शुरू...

कुछ फोटो विधान के कैमरे से...

अबरान में चाय पीते हुए


प्रकाश जी के साथ


पंजी-ला पर

पदुम में दुकान के चबूतरे पर इंतजार



अनमो की स्थिति दर्शाता हुआ नक्शा। इसे जूम-इन व जूम-आउट भी किया जा सकता है।



अगला भाग: पदुम दारचा ट्रेक- अनमो से चा

पदुम दारचा ट्रेक
1. जांस्कर यात्रा- दिल्ली से कारगिल
2. खूबसूरत सूरू घाटी
3. जांस्कर यात्रा- रांगडुम से अनमो
4. पदुम दारचा ट्रेक- अनमो से चा
5. फुकताल गोम्पा की ओर
6. अदभुत फुकताल गोम्पा
7. पदुम दारचा ट्रेक- पुरने से तेंगजे
8. पदुम दारचा ट्रेक- तेंगजे से करग्याक और गोम्बोरंजन
9. गोम्बोरंजन से शिंगो-ला पार
10. शिंगो-ला से दिल्ली वापस
11. जांस्कर यात्रा का कुल खर्च





Comments

  1. ye hasin wadiyaa ye khula aasman .aa gaye hum...................................................................... photo of glacier is awesome

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  2. नीरज भाई की एक और अदभुद ,शानदार, रहस्मई ,विविधताओं से भरी यात्रा -लगता है हम कही स्वप्नलोक मे है। फोटो पुनः शानदार है। विधान भाई के फोटो भी शानदार है। लेकिन लगता है की यह ट्रैक खर्च के हिसाब से आपको महंगा पड रहा है। एक फोटो फ्यांग का भी होता तो ……………………………खैर शायद जल्दी की वजह से नही हो पाया।

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    Replies
    1. महंगा तो पडा लेकिन जितना बजट था, उससे मामूली ही महंगा था। फ्यांग के फोटो आपको आगे कभी दिखाऊंगा। जरूर...

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    2. ""लगता है हम कही स्वप्नलोक मे है। " :) विनय जी क्या आपको नीरज जी की पोस्ट इतनी बोरिंग और पकाऊ लगती है की आप तुरंत ही निंद्रावस्था (स्वप्नलोक) में पहुँच जाते हो।

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  3. बेहद ही शानदार यात्रा और फोटो..... पढ़ते पढ़ते हम भी रोमांचक हो गए.... आपके इस लेख के साथ मैंने गूगल अर्थ भी खोल रखा था , कहाँ-कहाँ से हो गए आप....

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  4. प्रभु जी आपने मेरे फोटो को अपने ब्लॉग पर जगह दी मैं कृतार्थ हुआ ! वैसे आपके फोटो मेरे फोटोज से ज्यादा सुन्दर हैं !

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    1. नहीं भाई, ऐसी बात नहीं है। दूसरे के फोटो अच्छे ही लगते हैं। मुझे आपके और प्रकाश जी के फोटो स्वयं से ज्यादा अच्छे लगे थे।

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  5. अद्भुत फोटोज हैं सच में
    और अब तो नीरज जाट आपकी खुद की फोटो भी खूबसूरत आने लगी हैं, प्रोफाइल की फोटो चेंज कर लो भाई............ :-)
    चाय परात में नही कपों में ही तो है

    जै राम जी की

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    Replies
    1. हां अमित भाई, प्रोफाइल फोटो बदलूंगा। धन्यवाद आपका।

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  6. आपके साथ जांसकर घाटी घूमना अच्छा रहा . वर्णन व् चित्र दोनों मनमोहक हैं

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  7. Maza aa gya neeraj bhai aapka ye blog padh ke.
    Aapka blog romanchit kar deta h neeraj bhai
    Thanku nd best of luck

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  8. नीरज भाई बात यह है की यात्रा वृतांत कैसा भी हो पढने में मजा आता है,यात्रा करने वाले ने यह सफर कैसे तय किया?
    कहां रूका ? किन हालातो मे रूका ओर भी बहुत सी बाते है जो यात्रा को रोमांचित कर देती है,कुछ बाकी जो रह जाता है वह फोटो देखकर पूरी हो जाती है.
    धन्यवाद

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  9. सूंदर मनमोहक

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  10. क्या कहें नीरज जी. . . . . . . . शब्द समाप्त| अवाक् . . . . . .

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  11. खतरनाक यात्रा का जानदार फोटो । क्या फोटो है।

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