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कल ही पता चल गया था कि पदुम तक कोई बस नहीं जाती बल्कि सुबह सुबह सूमो चलती हैं। कारगिल से पदुम की दूरी लगभग ढाई सौ किलोमीटर है और शेयर्ड सूमो में प्रति यात्री डेढ हजार रुपये किराया लगता है। हमारे पास भी अब डेढ हजार देकर सूमो में जाने के अलावा कोई चारा नहीं था लेकिन सुबह सोते रह गये और जितनी गाडियां पदुम जानी थीं, सभी जा चुकी थीं।
विधान और प्रकाश जी सूमो स्टैण्ट की तरफ चले गये और मैं कमरे पर ही रुका रहा। इस दौरान मैं नहा भी लिया। कारगिल में बिल्कुल भी सर्दी नहीं थी, रात हम पंखा चलाकर सोये थे। जब दोनों आये तो बताया कि अब हमें टैक्सी ही करनी पडेगी जो नौ हजार की पडेगी। इसका अर्थ था तीन-तीन हजार प्रति व्यक्ति। विधान ने सबसे पहले विरोध किया। उसे अभी भी यकीन नहीं था कि अब कोई भी शेयर्ड गाडी नहीं मिलेगी। खैर, बाहर निकले। पता चला कि शाम चार बजे के आसपास एक बस परकाचिक तक जायेगी। मैंने तुरन्त नक्शा खोलकर देखा। परकाचिक तो आधी दूरी पर भी नहीं है। उसके बाद? परकाचिक तक पहुंचते पहुंचते रात हो जायेगी। बहुत ही छोटा सा गांव होगा दो-चार घरों का। पता नहीं कोई रुकने का ठिकाना मिलेगा या नहीं। हालांकि हमारे पास रुकने का पूरा इंतजाम था। खाना कारगिल से लेकर चलेंगे। लेकिन परकाचिक से आगे कैसे जायेंगे? कोई ट्रक मिल जायेगा। लेकिन रात को ट्रक का क्या काम? ट्रक अगर कोई जायेगा भी तो दिन में जायेगा। इस रास्ते पर राज्य परिवहन की बसें नहीं चलतीं। इसका अर्थ है कि रास्ता बडे वाहनों के लिये नहीं है। फिर ट्रक भी नहीं मिलेगा। कल सुबह वही सूमो मिलेंगी जो कारगिल से जायेंगी। तो फिर परकाचिक क्यों जायें? सुबह यहां कारगिल से ही उन्हीं सूमो को पकड लें। लेकिन ऐसा करने से हम फिर एक दिन लेट हो रहे थे।
आज यहां प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी आने वाले थे। अभी वे लेह में थे, दोपहर तक यहां आयेंगे। उनका भाषण स्थल उसी जांस्कर रोड पर था जिससे हमें जाना था। इस वजह से वह सडक बिल्कुल बन्द थी। यानी हमें प्रधानमन्त्री के आने और उनके चले जाने तक प्रतीक्षा करनी पडेगी। सडकों पर बस कमल के फूल की झण्डियां लगी थीं।
विधान ने बताया कि हमने जिस टैक्सी वाले से बात की थी, वो जांस्कर का ही रहने वाला है। जाहिर है उसे वापस भी लौटना होगा, इसलिये वह हमें सस्ते में ले जायेगा। लेकिन जब उसके पास पहुंचे तो पता चल गया कि वह कारगिल का ही रहने वाला था। उसे जांस्कर नहीं जाना था। अगर हम उसकी गाडी को किराये पर लेंगे तो वह हमें ले जायेगा। लेकिन वह नौ हजार रुपये ही लेगा। एक भी कम नहीं। मैंने उससे कहा भी कि हम परकाचिक वाली बस में परकाचिक तक चले जायेंगे। वह तुरन्त बोला- उसके बाद? उसके बाद जो होगा देखा जायेगा। बोला कि कुछ भी नहीं होगा और कुछ भी नहीं देखा जायेगा। परकाचिक में किसी भी सूमो में जगह नहीं मिलेगी और आपको कल कारगिल लौटना लडेगा। उसका चेहरा देखकर लग रहा था कि वह सच बोल रहा है।
मैं और प्रकाश जी पैसे खर्च करने के पक्षधर थे जबकि विधान चाहता था कि थोडी बहुत भागदौड और कर लें। क्या पता कहीं सस्ते में बात बन जाये। फिर भी मैंने कह दिया कि मैं भागदौड नहीं करूंगा, यहीं बैठा हूं। आप घूम आओ। काम हो जाये तो फोन कर देना। और आप दोनों जो भी जैसा भी निर्णय लेंगे, मुझे मंजूर होगा। वास्तव में मैं पन्द्रह किलो का बैग उठाकर उस झुलसाने वाली धूप में बिल्कुल नहीं घूमना चाहता था।
दोनों ने कोशिशें कीं लेकिन बात नहीं बनी। दोपहर हो चुकी थी और हम कारगिल में ही थे। हमें कभी का यहां से निकल जाना चाहिये था। वैसे ही हमारे पास समय बहुत कम है। नतीजा- तीनों को झुंझलाहट होने लगी।
...इस यात्रा के अनुभवों पर आधारित मेरी एक किताब प्रकाशित हुई है - ‘सुनो लद्दाख !’ आपको इस यात्रा का संपूर्ण और रोचक वृत्तांत इस किताब में ही पढ़ने को मिलेगा।
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सांकू में |
खूबसूरत सूरू घाटी |
अगस्त का महीना और यहां गेहूं अभी तक पका भी नहीं। |
पनिखार गांव |
पनिखार गांव |
परकाचिक में मस्जिद |
परकाचिक ग्लेशियर |
परकाचिक में चाय (फोटो क्रेडिट: प्रकाश जी) |
(फोटो क्रेडिट: प्रकाश जी) |
परकाचिक में चाय की दुकान |
इस मार्ग पर ग्लेशियरों की भरमार है। |
माने अर्थात बौद्ध धरती आरम्भ |
आगे के सभी फोटो 30 सेकण्ड की शटर स्पीड पर लिये गये हैं। सभी फोटो रात के हैं।
इस नक्शे को जूम-इन व जूम-आउट भी किया जा सकता है।
पदुम दारचा ट्रेक
1. जांस्कर यात्रा- दिल्ली से कारगिल
2. खूबसूरत सूरू घाटी
3. जांस्कर यात्रा- रांगडुम से अनमो
4. पदुम दारचा ट्रेक- अनमो से चा
5. फुकताल गोम्पा की ओर
6. अदभुत फुकताल गोम्पा
7. पदुम दारचा ट्रेक- पुरने से तेंगजे
8. पदुम दारचा ट्रेक- तेंगजे से करग्याक और गोम्बोरंजन
9. गोम्बोरंजन से शिंगो-ला पार
10. शिंगो-ला से दिल्ली वापस
11. जांस्कर यात्रा का कुल खर्च
लाज़वाब फोटो...!
ReplyDeleteलगता है यात्रा ख़त्म होते होते विधान का बज़ट पूरी तरह गड़बड़ा जायेगा..!
हां, गडबडा तो जायेगा लेकिन उतना नहीं।
Deleteखुबसूरत फोटो, यात्रा का ट्रेलर शानदार है पूरी यात्रा जानदार होगी. अगले पोस्ट का बेसब्री से इंतजार रहेगा.
ReplyDeleteधन्यवाद चन्द्रेश भाई...
Deleteare neerajji hame to ghar baithe swarg ke darhan kara rahe ho..din ke khinche photo to varanan se pare hai .aur raat ke photo
ReplyDeleteto kisi pari katha ke drishya lag rahe hai..... ek shabad me kahe to laajawaab.
धन्यवाद मनीष जी...
Deleteभाई मानना पड़ेगा तूने सारे पैसे वसूल कर लिए ..........लेकिन एक बात मेरी समझ में नहीं आई और सब फोटो तो तेरी अच्छी होती हैं , लेकिन जब मेरी फोटो खींचता है तो वो गड़बड़ क्यों ?
ReplyDeleteआपकी फोटो?? कौन सी?? अच्छा वो... हा हा हा
Deleteरोमांचक यात्रा विवरण....और शानदार फोटोओ का संगम ......
ReplyDeleteधन्यवाद गुप्ता जी...
Deleteबेहतरीन फोटो रात के फोटोज लाजवाब हैं , आज ये फोटोज देख कर लगा कि क्यों कश्मीर को पृथ्वी का स्वर्ग कहा जाता है | आपके साथ साथ हम भी घूम लिए वो भी इस ठण्ड में घर बैठे, राजाइ ओढ़ कर | धन्यवाद नीरज जी इतने अच्छी यात्रा करने के लिये |
ReplyDeleteधन्यवाद मनीष जी। वैसे ये फोटो कश्मीर के नहीं हैं। यह इलाका लद्दाख में आता है।
Deletebhai aap guru ho aanand aa gya
ReplyDeleteधन्यवाद विनोद जी...
Deleteनीरज भाई , मनमोहक यात्रा ,और मदहोश कर देने वाले फोटो। आपके फोटो ने प्रकृति की सुंदरता मे चारचाँद लगा दिए है। आखिर आप ने भी विज्ञापन अपने ब्लॉग पर लगा ही दिए -अच्छा है इससे आपकी घुमक्कडी का कुछ खर्च तो निकलेगा ही।
ReplyDeleteधन्यवाद विनय जी। अब जब गूगल हिन्दी ब्लॉग के लिये विज्ञापन सुविधा देने ही लगा है तो क्यों न प्रयोग करें?
Deleteरात के खिचें गए फोटो बहुत ही जींवत व शानदार आए है,लगता है जैसे काली रात में कोई स्त्री लाल परीधान पहने घुम रही हो,बहुत ही शानदार चित्र आपने लिए है,आपने कहां की रात की यह सुन्दरता को देखकर आपका मन वापिस कमरे में जाने को नही कर रहा था,वाकई कौन होगा जो ऐसे जगह को छोडकर जाना चाऐगा.
ReplyDeleteनीरज जी बढिया लगे रहो भाई...
से काली रात में कोई स्त्री लाल परीधान पहने घुम रही हो... वाह वाह भाई, गजब अलंकार मारा है।
Deleteनीरज जी राम राम, बहुत सुन्दर फोटो, आपका कैमरा तो कमाल कर रहा हैं, वन्देमातरम
ReplyDeleteधन्यवाद गुप्ता जी...
Deleteबहुत सही
ReplyDeleteSundar varnan karke game bhi ghati me ghumane ka sukriya neeraji
ReplyDeleteSundar varnan karke game bhi ghati me ghumane ka sukriya neeraji
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्र ---रात भी इतनी नशीली हो सकती है पता नहीं था
ReplyDeleteरोमांचक यात्रा और खुबसूरत छायांकन खासकर रात के समय लिए चित्र चकित करते हैं . और हाँ .. उधर गेहूं अगस्त में पकते हैं यह जानकर भी विस्मय हुआ .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर यात्रा जिस तरह आप घटनाओ का वरणन करते चलते हो लगता है जैसे हम ही इन पहाड़ो की खूबसूरत vadiyon में घूम रहे हो और उपरोक्त घटना हमारे साथ ही घट रही हो। अलंकृत भाषा शैली में कहूँ तो यात्रा का जीवंत चित्रण कर देते हो। सभी फ़ोटो बेमिसाल है रात में लिए गए फ़ोटो तो अद्भुत है
ReplyDeleteबहुत sundar... शब्द नहीं है.......
ReplyDeleteएक कहावत है की भगवान ने ज्ञान बाटना भारत के नीचे से अर्थात साउथ से शुरू किया था और उत्तर मे जाते जाते यह ज्ञान खत्म हो गया जब की सुंदरता बाटने की शुरुआत उत्तर भारत से किए और साउथ मे आते आते यह सुंदरता खत्म हो गया । यह कहावत आप की यात्रा और फोटो से पता चलता है।
ReplyDeleteइस मार्ग पर ग्लेशियरों की भरमार है।
ReplyDeleteकितने ग्लेशियरों है यहाँ ????