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आपको याद होगा कि हम अनमो पहुंच गये थे। पदुम-दारचा ट्रेक आजकल अनमो से शुरू होता है। वास्तव में यह ट्रेक अब अपनी अन्तिम सांसे गिन रहा है। जल्दी ही यह ‘पदुम-दारचा सडक’ बनने वाला है। पदुम की तरफ से चलें तो अनमो से आगे तक सडक बन गई है और अगर दारचा की तरफ से देखें तो लगभग शिंगो-ला तक सडक बन गई है। मुख्य समस्या अनमो से आठ-दस किलोमीटर आगे तक ही है। फिर शिंगो-ला तक चौडी घाटी है, कच्ची मिट्टी है। सडक और तेजी से बनेगी। एक बार सडक बन गई तो ट्रेक का औचित्य समाप्त। इसी तरह पदुम को निम्मू से भी जोडने का काम चल रहा है। निम्मू वो जगह है जहां जांस्कर नदी सिन्धु नदी में मिलती है। पदुम से काफी आगे तक सडक बन चुकी है और उधर निम्मू से भी बहुत आगे तक सडक बन गई है। बीच में थोडा सा काम बाकी है। सुप्रसिद्ध चादर ट्रेक इसी पदुम-निम्मू के बीच में होता है। निम्मू से चलें तो चिलिंग से आगे तक सडक बन गई है। जहां सडक समाप्त होती है, वहीं से चादर ट्रेक शुरू हो जाता है। जब यह सडक पूरी बन जायेगी तो चादर ट्रेक पर भी असर पडेगा। उधर पदुम और कारगिल पहले से ही जुडे हैं।
हम इसी अन्तिम सांसे गिनते ट्रेक पर जा रहे हैं। कुछ साल बाद जब सडक बन जायेगी, मोटरसाइकिल वाले इधर से जाया करेंगे, अपनी शिंगो-ला विजय गाथा लिखा करेंगे; उस समय हमारे पास भी कहने को होगा कि हम इधर तब गये थे जब सडक ही नहीं थी। ठीक साच-पास की तरह। आज कौन साच-पास को पैदल पार करता है?
विधान और मैं कई बार साथ यात्रा कर चुके हैं। विधान से आप भी परिचित होंगे। ट्रेक शुरू करने से पहले अपने अन्य साथी प्रकाश यादव जी के बारे में भी बताना उचित समझता हूं। प्रकाश जी रायगढ छत्तीसगढ में जिंदल स्टील में महाप्रबन्धक हैं। महाप्रबन्धक यानी जीएम, जनरल मैनेजर। बहुत बडी पोस्ट होती है महाप्रबन्धक की। एक इंजीनियर ही जानता है कि महाप्रबन्धक क्या चीज होती है। मैं स्वयं एक इंजीनियर हूं। आपको जानकर हैरानी होगी कि मैंने आज तक अपने महाप्रबन्धक से बात करना तो दूर, उन्हें देखा तक नहीं है। तो एक महाप्रबन्धक के साथ घूमना, बातें करना, खाना खाना और सबसे बडी बात कि उन्हें निर्देश देना; मेरे लिये बडे गर्व की बात थी। हम उन्हें ‘सर’ कहते थे।
...इस यात्रा के अनुभवों पर आधारित मेरी एक किताब प्रकाशित हुई है - ‘सुनो लद्दाख !’ आपको इस यात्रा का संपूर्ण और रोचक वृत्तांत इस किताब में ही पढ़ने को मिलेगा।
आप अमेजन से इसे खरीद सकते हैं।
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आगे सडक बन रही है। |
रास्ता |
रास्ता और नीचे बहती सारप नदी |
नदी के उस पार ट्रैकिंग पथ |
सूर्यास्त की स्वर्णिम आभा |
चा गांव और आसमान |
यह है वो लाख में एक फोटो जो विधान ने खींचा। धन्यवाद भाई। |
चा गांव की स्थिति। नक्शे को छोटा व बडा भी करके देखा जा सकता है।
अगला भाग: फुकताल गोम्पा की ओर
पदुम दारचा ट्रेक
1. जांस्कर यात्रा- दिल्ली से कारगिल
2. खूबसूरत सूरू घाटी
3. जांस्कर यात्रा- रांगडुम से अनमो
4. पदुम दारचा ट्रेक- अनमो से चा
5. फुकताल गोम्पा की ओर
6. अदभुत फुकताल गोम्पा
7. पदुम दारचा ट्रेक- पुरने से तेंगजे
8. पदुम दारचा ट्रेक- तेंगजे से करग्याक और गोम्बोरंजन
9. गोम्बोरंजन से शिंगो-ला पार
10. शिंगो-ला से दिल्ली वापस
11. जांस्कर यात्रा का कुल खर्च
Aab aap lakhpati ban gaye , thanks vidhan bhai .
ReplyDeleteधन्यवाद उमेश भाई...
Deletekamaal ka sahash .paristhition ko sambhalne me maahir Neeraj ..great job.
ReplyDeleteधन्यवाद आपका...
Deleteyaar ye to samtal hi hai hisab kitab :) agar main darcha se jaaun to akele jaa sakta hun kya? ruko, main aapko fone hi kar lunga :D
ReplyDeleteबिल्कुल भाई जी, अकेले जा सकते हो और किसी टैंट की जरुरत भी नहीं है। लेकिन अब दिसम्बर में तो शिंगो-ला बन्द हो गया होगा।
Deleteneeraj bhai aap ki jitni bhi tarif kre vo kam hai aap to tarif se bhi uper chale gye ho........aapki agli post ka intjaar rhe ga....
ReplyDeleteधन्यवाद सहदेव साहब...
DeleteGood Neeraj,Agli Post ka intjar,Aur Ha Bhai Photo to pakka 1 Lak ka He h.
ReplyDeleteधन्यवाद शर्मा जी...
Deleteनीरज भाई ,सबकी तरह सबसे पहले एक लाख रूपए वाले फोटो की बात करूँगा ,वास्तव मे विधान भाई का खीचा ये फोटो एक लाख नही दस लाख रूपए का है। वास्तव मे केवल एक फोटो ही पदुम-दारचा ट्रेक की विजय गाथा बताने के लिए पर्याप्त है, इस फोटो मे लग रहा है जैसे कोई शेर दहाड़ कर बता रहा है की मे हु जंगल का राजा -तो जाट बता रहा है मे हु घुमक्कड़ो का राजा। बाकी फोटो भी शानदार है और ट्रैक किस कदर मुश्किल और खतरनाक है ये बता रहे है। सफर मुश्किल है लेकिन आप तीनो का साहस भी सलाम करने लायक है।
ReplyDeleteधन्यवाद विनय जी... जी खुश हो गया... मैं हूं घुमक्कडों का राजा... हा हा हा
Deleteविधान को बदले में कौन सा फोटो दिया..?
ReplyDeleteलाख रुपये तो देने से रहे इतना हमें पता है और बिना लिये वो फोटो नहीं देता.. :-)
प्रणाम
मैंने तो दिया नहीं लेकिन लगता है उसने सब फोटो ले लिये। तभी तो अपनी फेसबुक पर फोटो पर फोटो लगाये जा रहा है और सबसे कह भी रहा है कि नीरज के फोटो चुराने के लिये यहां क्लिक करें। इस एक फोटो के बदले उसे यह सब करने का हक है।
Deleteखतरनाक पहाड़ी रास्तो पर शानदार यात्रा विवरण ...... फोटो तो सभी ही शानदार है.... पर वो फोटो तो लाख का ही है....
ReplyDeleteधन्यवाद गुप्ता जी...
DeleteBest ghuakkadi
ReplyDeleteधन्यवाद मिश्रा जी...
DeleteGHUMMAKARI ZINDABAAD ye bolana apke saamne chhota parne laga hai.........................................................................................................................................................................ab to GHUMMAKAR ZINDABAAD bolna padegaa...
ReplyDeleteधन्यवाद मनीष जी...
Deletekya baat hi neeraj bahi mera salam hi aap ko
ReplyDeleteमेरा भी सलाम है आपको...
Deleteजितनी प्रशंसा की जाए इस पोस्ट की कम है. बहुत बहुत धन्यवाद. फोटो वाकई शानदार है. आगे बढ़ते रहिये इस बार आपने गूगल माप
ReplyDeleteशेयर नहीं किया
ReplyDeleteधन्यवाद विशाल जी। गूगल मैप मैंने पिछली दो-तीन पोस्टों में इसलिये लगाया था ताकि मित्रों को अन्दाजा हो जाये कि हम किस इलाके में गये थे। अब चूंकि सब पता चल गया है तो पांच-दस किलोमीटर की ट्रेकिंग करके यह बताने की जरुरत नहीं महसूस होती कि हमने यहां से यहां तक ट्रेकिंग की। फिर भी आपका कहना ठीक है, मैं कोशिश करूंगा सभी पोस्टों में मैप लगाने की।
DeleteBASPA VALLEY ki yaad aa gayi
ReplyDeleteबस्पा वैली??? अरे सर जी, कहां यह बंजर रूखी-सूखी घाटी और कहां वो हरी-भरी बस्पा घाटी??? दोनों की कोई तुलना ही नहीं है।
Delete15 kg का बैग के साथ ट्रैकिंग बडी मुश्किलो का सामना करना पडा होगा.
ReplyDeleteनहीं भाई, उतनी मुश्किलें नहीं आईं। मुश्किल केवल और केवल इतनी ही थी कि अब वजन उठाने की आदत नहीं रही। 15 किलो बहुत भारी लग रहा था।
Deleteआपके ब्लौग में ऐड रहा है...
ReplyDeleteहां सर जी, अब विज्ञापन लगा दिया है।
Deleteविधान का खीचा फोटो एक लाख नही दस लाख रूपए का है
ReplyDeletebahut sunder yatra bhi or photo bhi ---ismei to hiro hiralal lag raha hai ---
ReplyDeleteखतरनाक यात्रा का जानदार फोटो । क्या बड़ाई करे समझ मे नहीं आता।
ReplyDeleteएक कहावत है की भगवान ने ज्ञान बाटना भारत के नीचे से अर्थात साउथ से शुरू किया था और उत्तर मे जाते जाते यह ज्ञान खत्म हो गया जब की सुंदरता बाटने की शुरुआत उत्तर भारत से किए और साउथ मे आते आते यह सुंदरता खत्म हो गया । यह कहावत आप की यात्रा और फोटो से पता चलता है।
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