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20 जुलाई 2011 दिन बुधवार। हम तीन जने श्रीखण्ड अभियान पर थे और उस दिन सुबह सुबह छह बजे के करीब भीमद्वारी से चल पडे। हमें बताया गया था कि यहां से श्रीखण्ड करीब 8 किलोमीटर है जिसका आना-जाना शाम तक बडे आराम से हो जायेगा। यहां से करीब दो किलोमीटर दूर पार्वती बाग है। आज की पोस्ट में ज्यादा ना चलते हुए पार्वती बाग तक ही जायेंगे।
करीब आधा किलोमीटर आगे एक शानदार झरना है जिसे पार्वती झरना कहते हैं। यह कुदरती कलाकारी का एक ऐसा नमूना है जिस पर से नजर हटती ही नहीं हैं। वाकई इस इलाके में कुदरती कलाकारी जबरदस्त रूप से बिखरी पडी है।
सन्दीप और विपिन मुझसे आगे निकल गये थे। वे मिले पार्वती बाग में- परांठे खा रहे थे। इधर मैं भी ठहरा परांठों का भूखा। जब तक मैं पार्वती बाग पहुंचा, दोनों अपने हिस्से के परांठे खत्म कर चुके थे। मेरे पहुंचते ही टैण्ट वाले से बोले कि ओये, हमारा बन्दा आ गया है, जो भी कुछ खाने को मांगे, दे देना, हम चलते हैं आगे, पैसे नीरज देगा। पूरी यात्रा में खजांची मैं ही रहा था। एक डायरी में खर्चा लिख लेता था।
पार्वती बाग कोई बाग नहीं है। बस ऐसे ही नाम पड गया है। यह जगह पेड लाइन यानी ट्री लाइन से हजारों फीट ऊपर है, यहां सिर्फ घास ही घास मिलती है। हां, जगह बडी है और समतल है। टैण्ट लगाने के लिये उपयुक्त है। इसके बाद श्रीखण्ड तक कहीं भी टैण्ट लगाने की कोई जगह नहीं है, इसलिये हर किसी को श्रीखण्ड के दर्शन करके कम से कम यहां तक जरूर आना होता है।
यह जगह इस यात्रा की इतनी महत्वपूर्ण जगह है कि दोपहर दो बजे तक ही यहां के सभी टैण्ट भर जाते हैं। अनजान लोग सोचते हैं कि शाम तक पार्वती बाग पहुंच जायेंगे तो आगे का रास्ता कल के लिये आसान हो जायेगा लेकिन शाम छह बजे आने वालों को यहां बैठने तक की जगह नहीं मिलती। सबसे बढिया तरीका यही है कि अगर दो बजे तक भी भीमद्वारी पहुंच गये तो चुपचाप यही पर रुक लो। अगले दिन सुबह सवेरे श्रीखण्ड के लिये चल पडो।
पार्वती झरना |
भीमद्वारी से लेकर पार्वती बाग तक पार्वती झरना यहां राज करता है। |
यहां तक गडरिये अपनी भेडो-बकरियों को ले आते हैं। |
जब मुंह पर लठ पडता है तो बिल्कुल ऐसी ही प्रतिक्रिया होती है। |
दिल्ली से जब चले थे तो क्या खिलखिला रहे थे। अब सब खत्म। वो तो तब है जब चारों ओर बेइंतहा खूबसूरती है और फोटू भी खिंच रहा है। सच है कि इस जगह से आगे हंसी खत्म हो जाती है। |
अगला भाग: श्रीखण्ड महादेव के दर्शन
श्रीखण्ड महादेव यात्रा
1. श्रीखण्ड महादेव यात्रा
2. श्रीखण्ड यात्रा- नारकण्डा से जांव तक
3. श्रीखण्ड महादेव यात्रा- जांव से थाचडू
4. श्रीखण्ड महादेव यात्रा- थाचडू से भीमद्वार
5. श्रीखण्ड महादेव यात्रा- भीमद्वार से पार्वती बाग
6. श्रीखण्ड महादेव के दर्शन
7. श्रीखण्ड यात्रा- भीमद्वारी से रामपुर
8. श्रीखण्ड से वापसी एक अनोखे स्टाइल में
9. पिंजौर गार्डन
10. सेरोलसर झील और जलोडी जोत
11. जलोडी जोत के पास है रघुपुर किला
12. चकराता में टाइगर फाल
13. कालसी में अशोक का शिलालेख
14. गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब
15. श्रीखण्ड यात्रा- तैयारी और सावधानी
आपके जीवट को सलाम।
ReplyDeleteब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!
शानदार यात्रा वृतांत के लिए बधाई.
ReplyDeletesunder tasvire neeraj bhai man karta hai dekhta hi rahoon
ReplyDeleteचित्र और विवरण अच्छे लगे !!
ReplyDeleteWah !
ReplyDeleteस्वर्ग शायद कोई ऐसी ही जगह होगी...प्रकृति अपनी पूरी आन बाण शान से मौजूद है यहाँ...गज़ब की यात्रा रही होगी ये आपकी...
ReplyDeleteनीरज
एकाध लठ का स्वाद ले ही लेना था, मान गए यार एक्टिंग जाट की। एकाध फ़िल्म में रोल पक्का। हा हा हा हा।
ReplyDeleteबहोत बढिया चल रही है यात्रा।
जय हिन्द
ये नहीं बताया कि लठ लगने से पहले ही रुक गया था,
ReplyDeleteवैसे असली यात्रा भाग दो शुरु होगी,
नैन सरोवर से आगे जो कि अभी नहीं आया है,
आज तो पार्वती बाग के ही दर्शन कर लो।
चित्र 11 और 16 ईमेल कर दीजिये, अब यही वालपेपर रहेंगे।
ReplyDeleteनैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर.......
ReplyDeleteअतुलनीय......
मन खिलावन यात्रा मन भावन चित्र
ReplyDeleteमन खिल जाता है ऐसी यात्रा और चित्र देखकर
बहुत-बहुत धन्यवाद्
कमाल की तस्वीरें हैं....बार-बार देखने को जी चाहे...
ReplyDeleteरोचक यात्रा-वृत्तांत
आपकी हर यात्रा शुभमंगल हो ।
ReplyDeleteशानदार वर्णन ................................
ReplyDeleteभाई आज जल्दी में हूँ ...................
घिघ्घी बाँधे पढ़ते देखते चल रहे हैं साथ साथ!!
ReplyDeleteदेखते-पढ़ते रोमांच हो रहा है.
ReplyDeleteआप ने जो "कदम क्रांति" का आगाज किया है, ये दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करेगी!!
ReplyDeletebahut hi acchi lagi aapki ye yatra
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