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17 जुलाई रविवार की सुबह थी जब मुझे नारकण्डा में उठाया गया। चाय पी, कुछ ‘जरूरी’ कामों से सेवानिवृत्त होकर नहाकर आगे के सफर के लिये तैयार हो गये। मेरे अलावा जाट देवता के नाम से लिखने वाले सन्दीप पंवार, नितिन जाट और विपिन पण्डित जी महाराज भी थे। हम दिल्ली से ही बाइक पर निकले थे और शाम होने तक शिमला से करीब 60-70 किलोमीटर आगे नारकण्डा तक पहुंच गये थे। हमारा कल का पूरा दिन बाइक पर ही बीत गया था इसलिये पूरा शरीर अकड गया था। श्रीखण्ड महादेव की यात्रा शुरू करने से पहले इस अकडन को खत्म करना जरूरी था इसीलिये जलोडी जोत (JALORI PASS) का कार्यक्रम भी रखा गया था। जलोडी का रास्ता नारकण्डा से 35 किलोमीटर आगे सैंज नामक गांव से अलग होता है। यही रास्ता जलोडी जोत को पार करके आगे कुल्लू चला जाता है। जलोडी जोत का यात्रा विवरण बाद में दिया जायेगा।
अगले दिन यानी 18 जुलाई को दोपहर ग्यारह बजे तक रामपुर बुशैहर के पास जा पहुंचे। रामपुर से चार किलोमीटर पहले ही बायें हाथ की तरफ सतलुज पर एक पुल दिखाई देता है। हां, सतलुज सैंज से ही साथ देती है। इस पुल को पार करके 17 किलोमीटर के बाद निरमण्ड आता है। यह सतलुज ही शिमला और कुल्लू जिलों की सीमा रेखा भी है, इसलिये रामपुर तो शिमला में आता है जबकि निरमण्ड आता है कुल्लू में। निरमण्ड से ही करीब 15 किलोमीटर आगे बागीपुल है। बागीपुल एक गांव है जो आसपास के कई गांवों के लिये रोड जंक्शन का काम करता है। इसलिये निरमण्ड और रामपुर से हर आधे घण्टे में बागीपुल के लिये बसें मिलती हैं। मैं भले ही बैठा बाइक पर था लेकिन अपनी चीज आखिर अपनी होती है। मेरी थी बसें जिनपर मेरा भरपूर ध्यान था। दे दनादन बस सेवा है रामपुर से बागीपुल तक। सुना है कि दिल्ली से भी बागीपुल तक सीधी बस सेवा है।
कुछ समय पहले तक श्रीखण्ड यात्रा बागीपुल से ही शुरू होती थी। अब बागीपुल से 6 किलोमीटर आगे जांव तक सडक बन गई है। जहां रामपुर से बागीपुल तक की सडक एक बेहतरीन सडक का नमूना है वही बागीपुल से जांव वाली सडक एक बेकार सडक का नमूना है। असल में इसे बनाने वाले इंजीनियर पहाड को तोडकर पत्थर हटाना और उस पर सडक बनाना भूल गये। फिर इस पर चढाई इतनी है कि बाइक कभी भी पहले से दूसरे गेयर में डली ही नहीं। पूरे रास्ते बाइक पलटने को तैयार रही। खैर, ले देकर जांव पहुंच गये।
यहां से श्रीखण्ड की करीब 35 किलोमीटर की पैदल यात्रा शुरू होती है। इस यात्रा पर सरकार की जरा भी कृपादृष्टि नहीं है। पूरे रास्ते में कहीं भी पुलिस नाम की कोई चीज नहीं मिली। कुल मिलाकर एक संस्था है- श्रीखण्ड सेवा समिति जो इस यात्रा में चार जगह भण्डारे लगाती है और कैम्प व टैण्ट मुहैया कराती है- फ्री में।
एक बार इस यात्रा का सारांश बता देता हूं फिर यात्रा पर चलेंगे: तीन किलोमीटर आगे सिंहगाड, फिर थाचडू, काली घाटी, भीम तलाई, भीम द्वारी, पार्वती बाग और नैन सरोवर के बाद आता है श्रीखण्ड। हम जांव में करीब एक बजे थे। हमें उस समय रास्ते की कठिनाईयों का कुछ भी अंदाजा नहीं था। इसलिये हमने तय किया कि आज रात का पडाव जांव से दस किलोमीटर आगे थाचडू में डाला जायेगा। जांव में लगे भण्डारे में भरपेट खाना खाकर हम आगे बढ चले।
हां, एक बात तो रह ही गई। नितिन जाट जलोडी जोत के पास घूमते समय लापरवाही से गर्लफ्रेण्ड से बात करते समय गिर पडा था और गिरा भी गोबर पर। कुल मिलाकर उसका पैर मुड गया और अभी भी पूरी तरह ठीक नहीं हुआ था फिर भी नितिन ने आगे बढने की हामी भर दी।
नारकण्डा में मुख्य चौक |
नारकण्डा से आगे सैंज तक 35 किलोमीटर तक ढलान ही ढलान है। मौसम अगर मानसून का हो तो यह नजारा आम बात है। |
शुरू में तो हमारे पल्ले नहीं पडा कि यह कौरिक क्या बला है। फिर अन्दाजा लगाया कि कौरिक इस सडक के अन्तिम छोर पर बसा तिब्बत सीमा पर कोई गांव होगा। यह अन्दाजा सही निकला। यह जाटराम खडा है। |
नारकण्डा करीब 2700 मीटर की ऊंचाई पर बसा है। यहां सेबों का खूब उत्पादन होता है। एक पेड से ताजा तोडा गया सेब। |
सेब के पीछे सतलुज दिखाई दे रही है। |
यहां से सतलुज के प्रथम दर्शन होते हैं। |
अगले दिन जलोडी जोत से वापस आते समय करीब नौ बजे के आसपास सतलुज के किनारे ही अपने सभी काम निपटाये गये। सभी ने अपने क्रियाकर्म किये, बस मुझे छोडकर। यह सन्दीप है। |
सतलुज के ठण्डे पानी में नहाने की तैयारी। लठ से पानी की गहराई नापी जा रही है। |
नहीं नहाऊंगा, नहीं नहाऊंगा, नहीं नहाऊंगा। |
रामपुर से कुछ पहले |
यह है बागीपुल। यहां से जांव 6 किलोमीटर दूर है। जांव से पैदल यात्रा शुरू होती है। |
बताओ यह क्या है? अरे भाई, कुछ नहीं। ऐसे ही सडक पर कुछ तिनके पडे थे, उठा लिये। |
और जांव से यात्रा शुरू |
और यह फोटू मेरी तरफ से गिफ्ट। पेड में बायें से सन्दीप, नीरज और नितिन घुसे हुए हैं। पूरी जाट पार्टी। |
अगला भाग: श्रीखण्ड महादेव यात्रा- जांव से थाचडू
श्रीखण्ड महादेव यात्रा
1. श्रीखण्ड महादेव यात्रा
2. श्रीखण्ड यात्रा- नारकण्डा से जांव तक
3. श्रीखण्ड महादेव यात्रा- जांव से थाचडू
4. श्रीखण्ड महादेव यात्रा- थाचडू से भीमद्वार
5. श्रीखण्ड महादेव यात्रा- भीमद्वार से पार्वती बाग
6. श्रीखण्ड महादेव के दर्शन
7. श्रीखण्ड यात्रा- भीमद्वारी से रामपुर
8. श्रीखण्ड से वापसी एक अनोखे स्टाइल में
9. पिंजौर गार्डन
10. सेरोलसर झील और जलोडी जोत
11. जलोडी जोत के पास है रघुपुर किला
12. चकराता में टाइगर फाल
13. कालसी में अशोक का शिलालेख
14. गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब
15. श्रीखण्ड यात्रा- तैयारी और सावधानी
श्रीखण्ड दिखाने की जल्दी में सारी यात्रा का मजा खराब कर दिया,
ReplyDeleteबीच में दूसरी जगह के फ़ोटो भी नहीं लगाने चाहिए थे।
अरे भाई ये भी तो बता देते सेब चोरी कर के खाये थे, खरीदे नहीं थे।
अब ही तो असली मजा आयेगा चढाई का,
इसे कहते है, सब चढाई की बाप है इसकी चढाई
इसकी चढाई देख कर जो फ़टती है
वो किसी टेलर की दुकान पर निरमुंड में जाकर ही सिलपाती है।
अब देखो अगली पोस्ट में क्या हाल होता है
ReplyDeleteवाह एक से सुंदर एक चित्र.
ReplyDeleteइस तरह की अन्जान जगहों पर नहाना वाक़ई बहुत बड़ी बहादुरी का काम है क्योंकि पहाड़ों में नदियों के पानी की निचला हिस्सा ऊपर दिखाई देने वाले हिस्से से कहीं तेज़ी से बहता है जिसमें अच्छे ख़ासे बड़े पत्थर भी साथ बहते रहते हैं... आशा है इस बात का भविष्य में ध्यान रखेंगे. कोई हर्ज़ नहीं अगर लोकल लोगों से पूछ लिया जाए कि कहां नदी में उतरना सुरक्षित है. आमतौर से नदी का वही हिस्सा सुरक्षित होता है जो मुख्य धारा से अलग होकर बहुत कम पानी के साथ बहता है. ये अनुभव मैंने ब्यास नदी के किनारे बहुत छुटपन में पाए थे...
सतलूज के प्रथम दर्शन देख कर बहुत ख़ुशी हुई ..वाह ! वही तुम्हारी यह विशेष 'शर्ट ' देखकर बहुत दुःख हुआ ?..अरे, नीरज कुछ पैसे अपने कपड़ो पर भी खर्च कर दिया कर बच्चे !
ReplyDeleteसंदीप के नहाने के फोटू शानदार हैं ..तुम तो वैसे ही जुम्मे के जुम्मे नहाने वालो में हो ..मुझे पता हैं ..
नारकंडा के चित्र बहुत लाजबाब है ..
आपकी यात्रा बहुत ही बढ़िया तारीफ के काबिल अगली पोस्ट का इंतजार ...
ReplyDeleteश्रीखंड यात्रा में दिखाई देने वाले बादल टीवी सीरियलों में दिखाई देने वाले स्वर्ग जैसे हैं! ऐसी जगह मैं और मेरा कैमरा .............मज़ा आ जाता !!यात्रा -यात्रा पर लिखा होता है नीरज जाट का नाम !!
ReplyDeleteBaaki sab to theek hai, par Neeraj Ji, anjaan paani, wo bhi satluj ka, usmein utarna maut ko gale lagane ke barabar hai.
ReplyDeleteतरुण गोयल जी,
ReplyDeleteमैं तो पानी में उतरा ही नहीं था। मैं वैसे भी पानी से दूर ही दूर रहता हूं। यह तो सन्दीप है जो पानी में लेकर घुसा हुआ है। उसने अपने साथ सभी को घुसाया लेकिन मुझ पर उसका बस नहीं चला।
पेड़ तने हैं, पेड़ के तने में सब सिकुड़े हैं।
ReplyDeleteसुबह टिप्पणी पोस्ट
ReplyDeleteकरने में समस्या आई ||
बधाई जाट भाई ||
नमस्कार नीरज भाई
ReplyDeleteश्रीखंड महादेव की यात्रा करने पर आपको हमारी बधाई इसे स्वीकार कीजिये . मैं चोपता तुंगनाथ और चंद्रशिला हो आया. बहुत ही अद्भुत जगह थी अब अक्तूबर में केदारनाथ ,वासुकी ताल , चोरवरी ताल, मध्यमहेश्वर और शायद कचनी खाल ज़ा रहा हूँ मेरी यात्रा १० अक्तूबर से शुरू हो रही है कोई साथी आना चाहे तो सादर आमंत्रित है.
mera cell no 9740535435
भाई तैरना नहीं आता क्या . अगर आता है तो अगली बार एक चित्र दिखाना neeraj को तैरते हुए हहह .
ReplyDeleteवैसे नीरज भाई आपने नंदा देवी राज जाट यात्रा के बारे में सुना है जो गरवाल में हर बारह साल के बाद होती है पिचली बार 2000 में हुई थी अब 2012 में होगी. यह 200 किमी की यात्रा होती है जिसमे माँ नंदा देवी जो पारवती का रूप है को उनके मायके से होमकुंड तक ले जाया जाता है पूरी यात्रा पैदल की जाती है इसके द्वारा आप गरवाली संस्कृति को करीब से जान सकते है यह यात्रा कई इतने नयनाभिराम द्रश्य वाली जगहों से गुजरती जिनके बारे में किसी ने नहीं सुना है इसे गरवाल के कुम्भ के सामान माना जाता है .
नीरज भाई
ReplyDeleteनमस्कार
वाह एक से बढ़कर एक सुंदर चित्र
रोमांच बढ़ने लगा है ।
ReplyDeleteरामपुर से आगे सराहन तक तो हम भी गए हैं । उधर हर की दून दूसरी ओर से । लेकिन इधर नहीं ।
हा हा हा :) नहा लेते भाई :)
ReplyDeleteऔर इसी पेड़ का फोटो तो आपने फेसबुक पे भी लगाया है न? आपका नया ठिकाना :P
भाई गज़ब है ग़ज़ब...यात्रा वृतांत में हास्य का तड़का लगाना कोई आपसे सीखे...
ReplyDeleteनीरज
बेहतरीन...अगली तो पहले पढ़ ली...
ReplyDeletePhoto#04
ReplyDeleteनहीं, नहीं। कौरिक इस सङक का अंतिम छोर नहीं है। और अब तो गांव भी नहीं रहा, पहले था कभी। इस बाबत ताज़ातरीन यात्रा-वृतांत हाल ही में यहां पब्लिश किया हैः http://mainyayavar.blogspot.in/2015/10/spiti-motorcycle-tour-chango-to-losar.html