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Showing posts from January, 2019

पुस्तक प्रकाशन: लेखक और प्रकाशक का द्वंद्व

पोस्ट लंबी है... आगे बढ़ने से पहले थोड़ा अपने बारे में बता दूँ... मेरी आज तक 4 किताबें प्रकाशित हुई हैं... एक किताब का संपादन भी किया है... वह भी मेरे ही नाम पर है... तो कुल 5 किताबें प्रकाशित हुई हैं... नवंबर 2017 में एक साथ 3 किताबें प्रकाशित हुईं... एक किताब हिंदयुग्म से और दो किताबें रेडग्रैब से... दोनों ने ही किताब प्रकाशन के लिए मुझसे एक भी पैसा नहीं लिया... यानी मैं उन खुशनसीब गिने-चुने लेखकों में से हूँ, जिनकी पहली किताब बिना खर्चे के प्रकाशित हुई है... यानी सारा खर्चा प्रकाशक ने किया है... ये जितनी भी किताबें बिकेंगी, उनकी MRP की 10% मुझे रॉयल्टी मिलेगी... एक प्रकाशक ने 31 मार्च 2018 तक बिकी किताबों की कुल रॉयल्टी मुझे दी भी है... उम्मीद है कि 31 मार्च 2019 के आसपास इस बार भी कुछ हजार रुपये मेरे खाते में आएँगे... दूसरा प्रकाशक रॉयल्टी तब देगा, जब नवंबर 2017 में छपी सारी प्रतियाँ समाप्त हो जाएँगी... किन-किन किताबों की कितनी-कितनी प्रतियाँ छपी थीं, ये बातें इस तरह पब्लिक में बताना ठीक नहीं माना जाता... और मुझे खुद भी ये किताबें प्रकाशकों से मार्केट रेट पर या थोड़े-बहुत कम रेट

गोवा में दो दिन - पलोलम बीच

25 सितंबर 2018 सुबह जब चले थे, तो परिचित ने पूछा - “आज कहाँ जाओगे?” “देखते हैं। कल नॉर्थ गोवा घूम लिया, आज शायद साउथ गोवा जाएँगे।” “अरे कुछ नहीं है साउथ गोवा में। वहाँ कुछ भी नहीं है। सबकुछ नॉर्थ गोवा में ही है। तुम भी अजीब लोग हो। साउथ गोवा जा रहे हो? जो बात नॉर्थ में है, वो साउथ में थोड़े ही है?” “इसका मतलब हमें साउथ गोवा ही जाना चाहिए।” मैंने दीप्ति से कहा और उसने एकदम हाँ कर दी।

गोवा में दो दिन - जंगल और पहाड़ों वाला गोवा

25 सितंबर 2018 अक्सर हम सोचते हैं कि गोवा में केवल बीच ही हैं, केवल समुद्री एक्टिविटी ही हैं। ये बीच, वो बीच, ये एक्टिविटी, वो एक्टिविटी और गोवा खत्म। जबकि ऐसा नहीं है। यहाँ पश्चिमी घाट के बहुत ऊँचे-ऊँचे पर्वत हैं और ऊँचाई से गिरते जलप्रपात भी हैं। और इनसे भी ज्यादा... घने जंगल भी हैं। तो आज हम दूधसागर जलप्रपात की ओर चल दिए। कई साल पहले जब मैं दूधसागर गया था, तो रेलवे लाइन के साथ-साथ चला गया था। तब इतनी सख्ताई नहीं थी। जबकि अब बहुत सख्ताई है। दूधसागर का सबसे शानदार नजारा केवल रेलवे लाइन से ही दिखता है। इस कारण रेलवे लाइन पर इतनी भीड़ जमा हो जाया करती थी कि रेल यातायात बाधित होता था। कई बार दुर्घटनाएँ भी हो जाया करती थीं। तो रेलवे ने अब रेलवे ट्रैक के साथ-साथ पैदल जाने पर रोक लगा दी है। लेकिन यहाँ एक चक्कर और भी है। दूधसागर जलप्रपात भगवान महावीर वाइल्डलाइफ सेंचुरी के अंदर है। यहाँ जाने के लिए वन कानून लागू होता है। और शायद आपको पता हो कि ज्यादातर नेशनल पार्क और वाइल्डलाइफ सेंचुरी मानसून में पर्यटकों के लिए बंद रहते हैं। फिर भी हम दूधसागर की ओर चल दिए। इसके लिए हमें सबसे पहले पहुँचना था

गोवा में दो दिन - ओल्ड गोवा और कलंगूट, बागा बीच

24 सितंबर 2018 आज हमारा गोवा में पहला दिन था और हम अपने एक परिचित के यहाँ थे। परिचित वैसे तो मूलरूप से यूपी में मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं, लेकिन कई सालों से गोवा में रहते-रहते अब गोवा निवासी ही हो गए हैं। हम इस यात्रा की कुछ भी तैयारी करके नहीं आए थे, तो उन्होंने हमारा कार्यक्रम इस प्रकार बनाया... “सबसे पहले ऐसे-ऐसे जाओ, ऐसे-ऐसे जाओ और सबसे पहले पहुँचो बोम जीसस। वह ओल्ड गोवा में है और ओल्ड गोवा का अलग ही चार्म है। फिर उधर से कलंगूट बीच जाओ। गोवा में जो भी कुछ है, सब कलंगूट पर ही है। बार, क्लब, कैसीनो सभी वहीं हैं। फलां कैसीनो बड़ा जोरदार है और पूरे गोवा में तो छोड़िए, पूरी दुनिया में उसकी टक्कर का कैसीनो मिलना मुश्किल है।” बाहर झाँककर देखा, तो घनी बसी कालोनी में नारियल के ही झुरमुट नजर आए। किसी शहर में कितनी हरियाली हो सकती है, आज हम देख रहे थे।

सतारा से गोवा का सफर वाया रत्‍नागिरी

22 सितंबर 2018 वैसे तो सतारा से कोल्हापुर और बेलगाम होते हुए गोवा लाभग 350 किलोमीटर दूर है, लेकिन हम यहाँ नए-नए रास्तों पर घूमने आए थे। समय की हमारे पास कोई पाबंदी नहीं थी। अभी भी कई दिनों की छुट्टियाँ बाकी थीं और हमारे सामने जो भी कुछ था, वह सब नया ही था। हम कभी भी इस क्षेत्र में नहीं आए थे। इसलिए चार-लेन की सड़क से कोल्हापुर होते हुए जाना रद्द करके रत्‍नागिरी और सिंधुदुर्ग होते हुए जाना तय किया। हम इतने दिनों से दो-लेन और सिंगल लेन की सड़कों पर घूम रहे थे। आज बड़े दिनों बाद चार-लेन की सड़क मिली। यह एन.एच. 48 था जो मुंबई-चेन्नई हाइवे भी कहा जाता है। यह भारत के सबसे शानदार हाइवे में से एक है। सतारा से कराड़ तक ही हमें इस पर चलना था और फिर रत्नागिरी की ओर मुड़ जाना था।

कास पठार... महाराष्ट्र में ‘फूलों की घाटी’

22 सितंबर 2018 जो भी स्थान किसी न किसी प्रकार फूलों के खिलने से संबंधित होते हैं, वहाँ आपको उसी समय जाना चाहिए, जब फूल खिले हों। अगर आप अप्रैल के अलावा किसी अन्य महीने में हिमालय में जाकर बुराँश खिलते देखना चाहते हैं या अगस्त के अलावा फूलों की घाटी जाना चाहते हैं या मार्च के अलावा ट्यूलिप गार्डन देखना चाहते हैं, तो आपको निराशा ही हाथ लगेगी। फूल आपकी प्रतीक्षा नहीं करते कि आप आएँगे, तो वे खिलेंगे। तो जिस दिन हमें पता चला कि महाराष्ट्र में भी एक फूलों की घाटी है, तो मैंने सबसे पहले यही पता लगाया था कि वे फूल कब खिलते हैं। आराम से पता चल गया कि सितंबर में खिलते हैं। बस, तभी योजना बन गई थी।

चादर ट्रैक की चुनौतियाँ

अब एक महीने तक चादर ट्रैक के अपडेट आते रहेंगे... इस ट्रैक का सीजन अच्छी तरह अभी शुरू भी नहीं हुआ है कि कैजुअल्टी की खबरें आने लगी हैं... बहुत सारे लोग इस ट्रैक का विरोध करते हैं और बहुत सारे लोग समर्थन करते हैं... लेकिन इस बात में कोई दो-राय नहीं कि आज के समय में यह भारत का सबसे ग्लैमरस ट्रैक है... चादर है क्या?... सर्दियों में अत्यधिक ठंड में हिमालय में नदियाँ जम जाती हैं... असल में बहता पानी कभी पूरी तरह नहीं जमता, लेकिन इसकी ऊपरी परत जम जाती है... इसी परत को चादर कहा जाता है... यानी बर्फ की चादर... आइस की चादर... यह इतनी कठोर होती है कि इस पर चला भी जा सकता है... और यहाँ तक कि गाड़ियाँ तक चलाई जा सकती हैं... पेंगोंग झील पर गाड़ी चलाने के बहुत सारे फोटो और वीडियो मैंने देखे हैं... लद्दाख में जांस्कर नदी ऐसी ही चादर के लिए विख्यात है... इसी पर 40-50 किलोमीटर का ट्रैक किया जाता है... यह कहीं पर पूरी तरह जमी होती है, इसे पैदल चलकर पार किया जा सकता है... और कई स्थानों पर केवल किनारों पर ही जमी होती है... और कई स्थानों पर बिल्कुल भी जमी नहीं होती... इसके दोनों तरफ सीधे खड़े पहाड़ हैं... जहाँ

महाबलेश्वर यात्रा

20 सितंबर 2018 मुंबई-गोवा राजमार्ग पर स्थित पोलादपुर से महाबलेश्वर का रास्ता अलग होता है। पोलादपुर में लंच करके और होटलवाले को हिदायत देकर हम आगे बढ़ चले। असल में उसने कोल्डड्रिंक पर 5 रुपये अतिरिक्त लिए थे और प्रिंटेड बिल में उसे दिखाया भी था। “अबे, फँस जाओगे किसी दिन। 30 रुपये एम.आर.पी. की कोल्डड्रिंक को तुम लोग 35 की बेच रहे हो और 35 रुपये का ही प्रिंटेड बिल भी दे रहे हो!” “नहीं, इसमें हमारा कोई रोल नहीं है। यह तो सब कम्प्यूटराइज्ड है। कम्प्यूटर से जो निकलता है, वही हम चार्ज करते हैं।” “मालिक हो ना तुम यहाँ के?” “हाँ जी।” “फिर भी ऐसी बात करते हो? कम्प्यूटर अपने-आप कुछ नहीं निकालता। इसमें पहले सारा डाटा डालना पड़ता है। तुमने कोल्डड्रिंक के 35 रुपये डाल रखे हैं, जबकि एम.आर.पी. 30 है। फँस जाओगे। लाखों रुपये जुर्माना लग जाएगा।” अब उसने हमसे 5 रुपये कम लिए और अपने सिस्टम को ठीक करने का वादा भी किया। पोलादपुर से महाबलेश्वर की सड़क बहुत खूबसूरत है। घुमावदार सड़क और लगातार चढ़ाई। महाबलेश्वर घाट के ऊपर स्थित है और समुद्र तल से लगभग 1400 मीटर ऊपर है। रास्ते में प्रतापगढ़ किले का बोर्ड लगा दिखा, तो

श्रीवर्धन बीच और हरिहरेश्वर बीच

20 सितंबर 2018 हमें नहीं पता था कि श्रीवर्धन इतना बड़ा है। कल हम जब यहाँ आए थे तो अंधेरा हो चुका था और गूगल मैप बता रहा था कि बस, इससे आगे कोई सड़क नहीं है। एक चौराहे पर खड़े होकर चारों ओर देखा, कोई नहीं दिखाई दिया। क्या यही है श्रीवर्धन? प्रतीक ने बताया था कि यहाँ होटल मिल जाएँगे। कहाँ हैं होटल? चलो, एक बार समुद्र की ओर चलकर देखते हैं। तो 600 रुपये का यह कमरा मिल गया। कमरा भी तब मिला, जब हमारे आवाज लगाने पर मालिक अपने घर से बाहर निकला - “आधा घंटा रुकिए, मैं सफाई कर देता हूँ।” “और इन मच्छरों का क्या करें? क्या ये भी आधा घंटा रुक जाएँगे? आप एक काम कीजिए, कमरा जैसा भी है, वैसा ही दे दीजिए। हमें कोई दिक्कत नहीं होगी।” “नहीं जी, ऐसा कैसे हो सकता है? बस, थोड़ा-सा टाइम दो मुझे।’’ “सामान तो रख लेने दो। आप सफाई करते रहना।” इसी दौरान मुझे समय मिल गया कमरे के अंदर घुसने का। ऐसा लगता था जैसे कोई अभी-अभी कमरा खाली करके गया हो। बिस्तर पर सिलवटें पड़ी हुई थीं, बस। लेकिन आधे घंटे बाद ऐसा लग रहा था जैसे कमरा अभी-अभी बनाकर रेडी किया है और हम पहले ही कस्टमर हैं। एकदम नई-नकोर चादरें और सेंट की खुशबू से कमरा म

2018 की यात्राओं का लेखा-जोखा

यह साल बेहद मजेदार बीता। इस बार हमने कसम खाई थी कि अपने मित्रों को कुछ यात्राओं पर ले जाएँगे और इस तरह के सभी आयोजन सफल रहे। तो चलिए, ज्यादा बोर न करते हुए पिछले साल की यात्राओं को याद करते हैं... 1. रैथल ग्रुप यात्रा छब्बीस जनवरी की छुट्टियों में यह यात्रा आयोजित की गई थी। संयोग से कुछ ही दिन पहले बर्फबारी हो गई थी और हमें रैथल में बर्फ देखने और खेलने को मिल गई।

रेलयात्रा सूची: 2019

2005-2007   |   2008   |   2009   |   2010   |   2011   |   2012   |   2013   |   2014   |   2015   |   2016   |   2017  |  2018  | 2019 दिनांक कहां से/कहां तक ट्रेन नं/नाम दूरी (कुल दूरी) श्रेणी (गेज) 09-01 रंगापाड़ा नॉर्थ - साहिबाबाद 22411 अरुणाचल एक्स 1946 (174986) फर्स्ट एसी (ब्रॉड) 10-01 साहिबाबाद - दिल्ली शाहदरा 64052 ईएमयू 7 (174993) साधारण (ब्रॉड) 06-02 नई दिल्ली - मडगाँव 12218 केरल संपर्क क्रांति 2071 (177064) थर्ड एसी (ब्रॉड) नोट: दूरी दो-चार किलोमीटर ऊपर-नीचे हो सकती है। भूल चूक लेनी देनी कुछ और तथ्य: कुल यात्राएं: 891 बार कुल दूरी: 177064 किलोमीटर पैसेंजर ट्रेनों में:  48071 किलोमीटर (497 बार) मेल/एक्सप्रेस में:  50618 किलोमीटर (255 बार) सुपरफास्ट में:  78375 किलोमीटर (139 बार) ब्रॉड गेज से:  170578 किलोमीटर (826 बार) मीटर गेज से:  4027 किलोमीटर (31 बार) नैरो गेज से:  2459 किलोमीटर (34 बार) बिना आरक्षण के:  73293 किलोमीटर (733 बार) शयनयान (SL) में:  79612 किलोमीटर (124 बार) सेकंड सीटिंग (2S) में:  2592 किलोमीटर (9 बार) थर्ड एसी (3A) में:  15378 किलोमीटर (17 बा