पोस्ट लंबी है... आगे बढ़ने से पहले थोड़ा अपने बारे में बता दूँ... मेरी आज तक 4 किताबें प्रकाशित हुई हैं... एक किताब का संपादन भी किया है... वह भी मेरे ही नाम पर है... तो कुल 5 किताबें प्रकाशित हुई हैं... नवंबर 2017 में एक साथ 3 किताबें प्रकाशित हुईं... एक किताब हिंदयुग्म से और दो किताबें रेडग्रैब से... दोनों ने ही किताब प्रकाशन के लिए मुझसे एक भी पैसा नहीं लिया... यानी मैं उन खुशनसीब गिने-चुने लेखकों में से हूँ, जिनकी पहली किताब बिना खर्चे के प्रकाशित हुई है... यानी सारा खर्चा प्रकाशक ने किया है... ये जितनी भी किताबें बिकेंगी, उनकी MRP की 10% मुझे रॉयल्टी मिलेगी... एक प्रकाशक ने 31 मार्च 2018 तक बिकी किताबों की कुल रॉयल्टी मुझे दी भी है... उम्मीद है कि 31 मार्च 2019 के आसपास इस बार भी कुछ हजार रुपये मेरे खाते में आएँगे... दूसरा प्रकाशक रॉयल्टी तब देगा, जब नवंबर 2017 में छपी सारी प्रतियाँ समाप्त हो जाएँगी... किन-किन किताबों की कितनी-कितनी प्रतियाँ छपी थीं, ये बातें इस तरह पब्लिक में बताना ठीक नहीं माना जाता... और मुझे खुद भी ये किताबें प्रकाशकों से मार्केट रेट पर या थोड़े-बहुत कम रेट
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग