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नाश्ता करके सिन्धु घाट की तरफ चल पडा। थोडा आगे चोगलमसर है। लेह से चोगलमसर करीब आठ किलोमीटर है। लेकिन इस पूरी दूरी में अच्छी खासी बसावट है जिससे चोगलमसर लेह का ही हिस्सा लगता है। चोगलमसर के बाद आबादी खत्म हो जाती है।
सिन्धु नदी- मानसरोवर से शुरू होकर कराची में खत्म होने से पहले यह तीन देशों- चीन, भारत व पाकिस्तान में बहती है। पंजाब की पांच नदियों में यह प्रमुख है लेकिन लद्दाख की भी यह प्रमुख नदी है।
मुम्बई के एक मित्र का आग्रह है कि मैं उनके लिये सिन्धु जल लेकर आऊं। वे भारत की सात नदियों के जल का संग्रह करना चाहते हैं जिनमें से छह नदियां यानी गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, गोदावरी व एक और उनके पास संग्रहीत हैं। सातवीं के रूप में वे सिन्धु को चाहते हैं। कोशिश करूंगा उनके लिये सिन्धु जल लेकर जाने की।
मैं चाहता हूं कि वे अपने संग्रह को बढायें। इसमें प्रेम का प्रतीक चेनाब, मोहपाशरहित विपाशा यानी ब्यास, मानसरोवर से आने वाली सतलुज, पूर्वोत्तर का जीवन ब्रह्मपुत्र, बिहार का शोक कोसी, अयोध्या वाली सरयू, दक्षिण की गंगा कावेरी के अलावा महानदी, चम्बल, काली, गण्डक, सोन, रावी, झेलम आदि इक्कीस नदियों को अपने यहां पनाह दें।
ठण्ड की वजह से सिन्धु के किनारे जम गये हैं। कुछ लोग इस जमें बर्फीले पानी से अपनी गाडियां धो रहे हैं। मैं हैरान हूं कि इतने ठण्डे जल में वे किस हिम्मत के बल पर काम कर रहे हैं? साथ ही चिन्ता भी है कि सिन्धु जल की बोतल कैसे भरूंगा।
साढे बारह बजे वापस जेल में पहुंच गया।
ठीक एक बजे ड्राइवर इब्राहिम का फोन आया। वो गाडी लेकर आ चुका था। उस समय हमारा खाने का दौर चल रहा था। साथी लोग उसे भी जेल में ले आये। बिना गुनाह के जेल में आना पीडा देता है लेकिन जिन्दगी बर्बाद न हो और स्वेच्छा से जेल से बाहर जा सकें तो आनन्द भी मिलता है। वो भी अपने मित्रों से कहेगा कि आधे घण्टे के लिये जेल की हवा खाकर आया हूं।
डेढ बजे यहां से चल पडे चिलिंग के लिये। चलने से पहले विकास से स्लीपिंग बैग ले लिया। विकास ने यह बैग 1100 रुपये में मेरठ से खरीदा था। इतने पैसों में निम्न गुणवत्ता का बैग आता है, फिर भी मैंने इसे साथ ले लिया। रास्ते में एक दुकान से कोल्ड क्रीम भी ले ली।
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इस यात्रा के अनुभवों पर आधारित मेरी एक किताब प्रकाशित हुई है - ‘सुनो लद्दाख !’ आपको इस यात्रा का संपूर्ण और रोचक वृत्तांत इस किताब में ही पढ़ने को मिलेगा।
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अगला भाग: जांस्कर घाटी में बर्फबारी
लद्दाख यात्रा श्रंखला
1. पहली हवाई यात्रा- दिल्ली से लेह
2. लद्दाख यात्रा- लेह आगमन
3. लद्दाख यात्रा- सिन्धु दर्शन व चिलिंग को प्रस्थान
4. जांस्कर घाटी में बर्फबारी
5. चादर ट्रेक- गुफा में एक रात
6. चिलिंग से वापसी और लेह भ्रमण
7. लेह पैलेस और शान्ति स्तूप
8. खारदुंगला का परमिट और शे गोनपा
9. लेह में परेड और युद्ध संग्रहालय
10. पिटुक गोनपा (स्पिटुक गोनपा)
11. लेह से दिल्ली हवाई यात्रा
अब भरा पूरा यात्रा वृत्तांत लग रहा है।
ReplyDeleteनीरज भाई, मन की मुरांदे पूरी हुई फोटुए काफी सुन्दर है! मोहपाशरहित विपाशा ! अति सुन्दर ! आगे की यात्रा भाग का इन्तेजार!
ReplyDeleteजोजिला में सुरंग बन रही है उसके बाद श्रीनगर से इधर जाना आज के दुष्कर/असम्भव नहीं रह जायेगा।
ReplyDeleteवाह, बर्फ का गर्मजोश जादू.
ReplyDeleteवाह, शानदार फ़ोटो और बढिया वृतांत. एक बात पूछनी थी कि जैसे जेल में तुम बडे आनंद में मजे ले रहे हो, वहां के कैदियों का क्या हाल होता है? उअन्के रहने खाने पीने की व्यवस्थाओं पर भी एक दृष्टिपात डाल कर बताओ.
ReplyDeleteरामराम.
ताऊजी, जेल एक उच्च सुरक्षा वाली और अति संवेदनशील जगह होती है। मैंने इसी बात को ध्यान में रखते हुए जेल के अन्दर फोटो नहीं खींचे। बाद में किसी पोस्ट में थोडा बहुत जिक्र कर सकता हूं लेकिन विस्तार से कभी नहीं।
Deletebadhiya post, tasveerein man ko khush kar gai
ReplyDeleteNeeraj Bhai Birds aur Flower sabhi jagah dhoond lete ho.
ReplyDeletePhotos ka koi muqabla nahi. Lajawab.
यात्रा अच्छी चल रही है
ReplyDeleteलद्दाख में चादर ट्रेक के बारे में एक बार पूरी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म देखी थी डिस्कवरी चैनल पर...आपकी यात्रा बढ़िया चल रही हैं...|
ReplyDeleteWAH KYA BAAT HAI JATA BHAI ...
ReplyDeleteनीरज भाई यात्रा वृतांत बढ़िया है पर सामग्री कम है ज्यादा लिखो तो मजा आये लगता है डिस्कवरी चैनल वालों को आप पे डॉक्यूमेंट्री बनानी पड़ेगी
ReplyDeleteNEERAJ JI DELHI TO LEH AIR INDIA FLIGHT KA KYA CHARGE HE
ReplyDeleteमैंने 29 दिसम्बर को फ्लाइट बुक की थी।
Deleteदिल्ली से लेह 16 जनवरी- 4505 रुपये।
लेह से दिल्ली 25 जनवरी- 4101 रुपये।
टिकट यात्रा डॉट कॉम के माध्यम से बुक किये थे।
आज तो गजब की हिन्दी लिख रखी है…… "उपत्यका" मेरी ही समझ में न आई :)
ReplyDeleteउपत्यका यानी घाटी
Deleteसिन्धु उपत्यका- सिन्धु घाटी
yah hui n baat ....maja aa gaya ..
ReplyDeletepadd kar aanand aa gaya..............
ReplyDeleteघणा मजा आ रया सै छोरे... आगे की और जल्दी लिख डाल
ReplyDeleteनीरज जी,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लेखन और मनमोहक तस्वीरें। आज एक साथ लद्दाख की तीनों पोस्टें पढ़ीं और एक एक शब्द को इंजॉय किया। इस बात में कोई शक नहीं की आप एक महान घुमक्कड़ हो। आपका शौक और इस शौक के प्रति आपका जूनून, आपकी दीवानगी काबिले तारीफ़ है। आज मैं खुले दिल से यह स्वीकार करता हूँ की मुझे आपकी ये श्रंखला पढ़ते हुए घुमक्कड़ डॉट कॉम की किसी भी पोस्ट से ज्यादा मज़ा आया।
आपकी भाषा शैली जमीनी है जो दिल को छू जाती है, कोई बनावटीपन नहीं कोई लाग लपेट नहीं कोई मसाला नहीं सीधे दिल से निकल कर दिल तक पहुँचती है। आपकी पोस्ट्स आपका ब्लॉग अपने आप में विशिष्ट है जिसका कोई जोड़ नहीं, कोई तुलना नहीं, कोई कम्पेरिजन नहीं ..........एकदम अलग ...........एकदम अनूठा .
अपने इस जूनून को बरकरार रखें।
एक प्रश्न है, आपको इतनी कठिन घुमक्कड़ी करने के लिए प्रेरणा और उर्जा कहाँ से मिलती है? जवाब का इंतज़ार रहेगा।
धन्यवाद।
प्रेरणा और ऊर्जा???
Deleteप्रेरणा मुझे उन लोगों से मिलती है जो विशिष्ट काम करते हैं। मेरे समय का ज्यादातर हिस्सा पढने में बीतता है चाहे वे पुस्तकें हों या इंटरनेट। मैं जब पढता हूं कि किसी ने साइकिल से भारत यात्रा कर ली है या विश्व भ्रमण कर लिया है तो सोचता हूं कि मैं भी ऐसा कर सकता हूं। जब पढता हूं कि हड्डियों तक को जमा देने वाले तापमान में लोग रहते हैं या घूमने जाते हैं तो सोचता हूं कि मैं भी कर सकता हूं ऐसा। कई कई दिन तक कठिन यात्रा करते हैं, बसों में, ट्रेनों में, पैदल सफर करते हैं, मुश्किल हालात में भूखे भी रह लेते हैं, सडा गला भी खा लेते हैं, हाथ पैर तुडवाते हैं, ताने-उलाहने और गालियां सुनते हैं, ...
तो... सोचता... हूं... कि... मैं... भी... ऐसा... कर... सकता... हूं।
और यही से ऊर्जा भी मिलती है।
neeraj ji aap ki tarah mughe bhi ghumne ka shaookh hai pr koi saath na hone ki wajah se ghum nhi pata ...agar koi ghumakad logo ka koi guoup ho to plz mughe jarur bataye...ya agli
Deletebar ki yatra me koi mitr na mile to mughe bhi yaad kren.
mai bulandshahar me teacher hu ...
Email-shaileshmalayasmeer@gmail.com
contact no. 08004562579, 09935243847
बहुत अच्छा वृतांत है . मैंने भी दो साल लेह काटे हैं लेकिन घुमने का मजा आपका ब्लॉग देख /पढ़ कर आया
ReplyDeleteबहुत अच्छा वृतांत है . मैंने भी दो साल लेह काटे हैं लेकिन घुमने का मजा आपका ब्लॉग देख /पढ़ कर आया
ReplyDeleteआ गए फोटोज, बढ़िया, अब पुरे वृतांत का मजा चोगुना हो जायेगा
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteलेह से चिलिंग का कितना समय और किराया लगता है नीरज जी। होम स्टे पहुंचने पर ही बूक करवायें क्या ? आपकी सलाह का इंतज़ार है।
ReplyDeleteलेह से चिलिंग बस से करीब तीन घण्टे लगते हैं, कार या टैक्सी से दो घण्टे। होमस्टे तो ज्यादातर पहुंचने पर ही बुक होते हैं। जगह की कोई दिक्कत नहीं होती। अगर एक घर में जगह पूरी भरी हो तो ये लोग आपको वापस नहीं जाने देंगे।
Deleteनवम्बर माह के लिये बहुत आवश्यक सामान जोकि जरूर लिया जाना चाहिये?
ReplyDeleteनवम्बर में हालांकि जांस्कर नदी जमती नहीं है लेकिन ठण्ड चरम पर होती है। आप कितनी ठण्ड बर्दाश्त कर सकते हैं, इसी के अनुसार कपडे ले जायें। मोटी जुराबें, मोटे दस्ताने और मंकी कैप जरूरी हैं। काला चश्मा भी जरूरी है। इसके अलावा जितने कपडे आपको उचित लगे, रख लेना।
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