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21 जनवरी को पूरे दिन आराम करता रहा। अगले दिन यानी 22 जनवरी को लेह घूमने निकल पडा। 25 तारीख को वापसी की फ्लाइट है और मेरे पास इतने दिनों तक कुछ भी काम नहीं है। ये तीन दिन अब लेह और आसपास दस पन्द्रह किलोमीटर तक घूमने में बिताये जायेंगे।
सबसे पहले पहुंचा लेह पैलेस। इस नौ मंजिले महल का निर्माण तिब्बत में स्थित पोटाला राजमहल के अनुरूप किया गया है। नामग्याल सम्प्रदाय के संस्थापक सेवांग नामग्याल ने 1533 में इसका निर्माण शुरू किया और इनके भतीजे सेंगे नामग्याल ने इसे पूरा किया। इसमें मुख्यतः मिट्टी की ईंटों का प्रयोग हुआ है, जैसा कि लद्दाख में हर जगह होता है।
पैलेस बन्द था। मुख्य द्वार पर ताला लगा हुआ था। इसके सामने सेमो पहाडी पर एक गोनपा भी दिख रहा था। यहां से गोनपा तक जाने के लिये कच्ची पगडण्डी बनी थी, मैं इस पर चल पडा। ज्यादा चढाई नहीं थी। ऊपर गोनपा से लेह शहर का बडा भव्य नजारा दिख रहा था। कमी थी बस समय की कि सूर्य मेरे सामने था, अगर सूर्योदय का समय होता तो यहां से शहर का और भी शानदार नजारा देखने को मिलता तथा और भी शानदार फोटो आते।
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लेह पैलेस |
दरवाजे पर ताला लगा है। |
लेह पैलेस के सामने ऊपर एक गोनपा- केसल सेमो |
केसल सेमो से दिखता लेह शहर |
खारदुंगला रोड पर दौडता ट्रक |
चलो, यहां से नीचे उतरते हैं। पहले मैं इस तरह बर्फ पर चलने में बेहद डरता था लेकिन लद्दाख ने मुझे बर्फ पर चलना सिखा दिया। |
ऊपर दाहिने कोने में केसल सेमो दिख रहा है। मैं वहीं से आया हूं। |
शान्ति स्तूप |
शान्ति स्तूप से दिखता खारदुंग ला। वहां जाती सडक भी दिख रही है। |
शान्ति स्तूप से दिखता लेह पैलेस और केसल सेमो। |
शान्ति स्तूप से लेह शहर का सायंकालीन दृश्य। |
सूखे पेड ऐसे लग रहे हैं जैसे बडे पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहा है। |
बुरी तरह जमी बर्फ। |
लद्दाख यात्रा श्रंखला
1. पहली हवाई यात्रा- दिल्ली से लेह
2. लद्दाख यात्रा- लेह आगमन
3. लद्दाख यात्रा- सिन्धु दर्शन व चिलिंग को प्रस्थान
4. जांस्कर घाटी में बर्फबारी
5. चादर ट्रेक- गुफा में एक रात
6. चिलिंग से वापसी और लेह भ्रमण
7. लेह पैलेस और शान्ति स्तूप
8. खारदुंगला का परमिट और शे गोनपा
9. लेह में परेड और युद्ध संग्रहालय
10. पिटुक गोनपा (स्पिटुक गोनपा)
11. लेह से दिल्ली हवाई यात्रा
चादर झीनी बरफ चढ़ गयी..
ReplyDeleteखूब बढ़िया फोटोस......
ReplyDeleteलेह शहर के किसी भी कोने से खारदूंगला दर्रा दिखाई नहीं देता है उसके लिये शहर से ऊपर 20 किमी खारदूंगला रोड़ पर जाना पड़ता है। मैंने बाइक यात्रा में इस मार्ग पर भयंकर 10-12 किमी की भयंकर बर्फ़ाबारी झेलते हुए टॉप तक पहुँचा था।
ReplyDeleteवाह सुंदर चित्र और विवरण
ReplyDeleteशानदार चित्रकथा
ReplyDelete"सूखे पेड ऐसे लग रहे हैं जैसे बडे पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहा है।"
ReplyDeleteदिल्ली का व्यापक अनुभव है आपको :D
वाह वाह
ReplyDeletebahut hi shandar ...
ReplyDeleteसुन्दर अति सुन्दर, आपकी लेखनी तो बढ़िया है ही, फोटोज उसमे और रंग भर देते है
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