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25 जनवरी 2013 की सुबह थी। आज मुझे दिल्ली के लिये उड जाना है। सीआरपीएफ के कुछ मित्र भी आज दिल्ली जायेंगे। उन्हें सरकार की तरफ से वारंट मिलता है जो जम्मू के लिये ही मान्य होता है। उन्हें चूंकि दिल्ली जाना है, इसलिये वे जोड-तोड करने जल्दी ही विमानपत्तन चले गये। बाद में पता चला कि उनका जोड तोड सही नहीं बैठा और उन्हें जम्मू वाली उडान पकडनी पडी।
सवा ग्यारह बजे उडान का समय है। मैं नौ बजे ही पहुंच गया। पहचान पत्र दिखाकर पत्तन के अन्दर घुसा तो देखा कि काफी लम्बी पंक्ति बनी हुई है। मैं समझ गया कि ये सभी दिल्ली वाली उडान के यात्री हैं। एक कोने में बिजली वाला हीटर चल रहा था और दूसरी तरफ एक बडे से ब्लॉअर से गर्म हवा आ रही थी। मैं और कुछ यात्री ब्लॉअर के पास खडे हो गये।
जब मैं दिल्ली से यहां आया था तो अनुभव के अभाव में खिडकी वाली सीट नहीं ले पाया था। अब पूरी कोशिश रहेगी कि खिडकी वाली सीट ले लूं।
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इस यात्रा के अनुभवों पर आधारित मेरी एक किताब प्रकाशित हुई है - ‘सुनो लद्दाख !’ आपको इस यात्रा का संपूर्ण और रोचक वृत्तांत इस किताब में ही पढ़ने को मिलेगा।
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लेह श्रीनगर रोड |
यह भी लेह श्रीनगर रोड है। |
लेह की हवाई पट्टी और बगल में श्रीनगर रोड |
महा-हिमालय के बर्फीले पर्वत |
शायद ये नुन व कुन चोटियां हैं, जो कारगिल-पदुम रोड के पास हैं। |
महा-हिमालय का अनन्त तक फैला विस्तार |
इस चित्र में नीचे लेह मनाली रोड स्पष्ट दिख रही है लेकिन इस पर आजकल भारी मात्रा में बर्फ जमा है जो मई जून में हटेगी। |
यह कौन सी जगह है? वायुयान दक्षिण की तरफ उड रहा है, यह दृश्य मेरे दाहिनी तरफ का है, इसलिये चन्द्रा व भागा का संगम नहीं हो सकता। इतना पक्का है कि यह स्थान है हिमाचल में ही। |
जैसे जैसे और दक्षिण में आते गये, बर्फ कम होती गई और जंगल शुरू हो गये। |
सीट के सामने लगी स्क्रीन पर आते आंकडे |
शर्तिया कह सकता हूं कि यह ब्यास नदी है। |
जब पहाड खत्म हो गये, मैदान में प्रवेश करने लगे तो कोहरे ने घेर लिया। |
पानीपत |
यमुना में चमकता सूर्य का प्रतिबिम्ब। इधर उत्तर प्रदेश है और यमुना के उस तरफ हरियाणा। |
नीचे केन्द्र में वैशाली मेट्रो स्टेशन दिख रहा है। वैशाली में मेट्रो लाइन खत्म हो जाती है। |
दिल्ली- फरीदाबाद रोड व मेट्रो की बदरपुर वाली लाइन। एक मेट्रो ट्रेन भी दिख रही है। |
लोटस टेम्पल |
एयरपोर्ट पहुंचने वाले हैं। यह है दिल्ली- जयपुर रोड व बगल में एयरपोर्ट मेट्रो लाइन भूमिगत होते हुए। |
लद्दाख यात्रा समाप्त।
लद्दाख यात्रा श्रंखला
1. पहली हवाई यात्रा- दिल्ली से लेह
2. लद्दाख यात्रा- लेह आगमन
3. लद्दाख यात्रा- सिन्धु दर्शन व चिलिंग को प्रस्थान
4. जांस्कर घाटी में बर्फबारी
5. चादर ट्रेक- गुफा में एक रात
6. चिलिंग से वापसी और लेह भ्रमण
7. लेह पैलेस और शान्ति स्तूप
8. खारदुंगला का परमिट और शे गोनपा
9. लेह में परेड व युद्ध संग्रहालय
10. पिटुक गोनपा (स्पिटुक गोनपा)
11. लेह से दिल्ली हवाई यात्रा
आसमान में यात्रा करने का अलग की लुत्फ़ है।
ReplyDeleteअनंत आकाश....
ReplyDeleteहिमालय के फोटो बहुत ही खूबसूरत आयी हैं.....
ये हिमालय के सभी फोटो नीले क्यों दिख रहे है... क्या समनुद्र की तरह बर्फ में भी आसमान प्रतिबिम्बित हो रहा है....
ReplyDeleteइस पर मैंने भी गौर नहीं किया था। हां, नीला रंग दिख तो रहा है बर्फ में। ऐसा ही होता होगा।
Deleteअजब गजब ....कितना खुबसूरत लग रहा था हिमालय और बर्फ से ढंके हिम शिखर और कंहाँ दिल्ली कचरे के सामान ....हम महानगर में रहने वाले सचमुच कचरा ही है....
ReplyDeleteफोटोग्राफ सारे एक दम मस्त हैं .. और पोस्ट पढ़ कर लगा की मैं भी साथ ही बैठा हूँ .. और डर भी नहीं लग रहा हैं .. हा हा हा ..
ReplyDeleteये हिमालय के सभी फोटो नीले क्यों दिख रहे है... क्या समनुद्र की तरह बर्फ में भी आसमान प्रतिबिम्बित हो रहा है....
ReplyDeletevery good travel story... fotos were mind blowing
ReplyDeletetks for sharing
इतनी बर्फ भरी है पहाड़ों के कटोरों में..बड़े सुन्दरचित्र
ReplyDeleteYou have done excellent Arial Photography from the Plane. The scenes are awesome. But tell me one thing Did no body stopped you from taking photos inside Aircraft. Whenever I flied and tried to take photos Air hostess stopped to do so.
ReplyDeleteमैं पूरे डेढ घण्टे तक शीशे से चिपका फोटो लेता रहा। यहां तक कि नाश्ता करने का भी होश नहीं रहा। एयर होस्टेस ने मुझे हाथ से हिलाकर ध्यान भंग किया व नाश्ता दिया। इसी तरह नाश्ते के बाद प्लेटें भी उठाईं। किसी ने टोका-टाकी नहीं की।
Deleteहां, एयरपोर्ट पर जरूर फोटो खींचने की मनाही होती है।
फोटोग्राफ सारे एक दम मस्त हैं .. !!!!!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteजबरदस्त चित्र हैं. GPS navigation कम्पनियाँ भी शर्मा जाएँ इन चित्रों को देखकर. और दिल्ली के चित्र देखकर लगा कि कभी भी wikipedia या किसी भी साईट पर दिल्ली का ये चित्र प्रस्तुत क्यूँ नहीं किया जाता. हमेशा कूड़ा, रिक्शा यही नजर आता है क्या...
ReplyDeleteयह प्रस्तुति निश्चय ही अद्वितीय रही है.
good job bhai neeraj aapne mere naam ke sath nyay kiya h
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्र
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