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अब जबकि चारधाम यात्रा शुरू हो चुकी है, शुरूआत यमुनोत्री से की जाती है। ज्यादातर लोग टूर ऑपरेटर से ही बुकिंग कराते हैं। टूर ऑपरेटर भारी भरकम राशि लेते हैं। मुझ जैसों के लिये यह राशि देना बस से बाहर की बात है।
खैर, यात्रा हरिद्वार-ऋषिकेश से शुरू होती है। नरेन्द्रनगर, चम्बा, टिहरी होते हुए पहुंचते हैं धरासू बैण्ड। धरासू से एक रास्ता बडकोट जाता है दूसरा उत्तरकाशी या यूं कहिये कि एक रास्ता यमुनोत्री जाता है दूसरा गंगोत्री। धरासू से यमुनोत्री जाने वाला रास्ता ऊबड-खाबड है। इस पर काम भी चल रहा है। जैसे-तैसे जानकीचट्टी पहुंचते हैं। जानकीचट्टी यमुनोत्री का बेस-कैम्प है। यहां से यमुनोत्री के लिये पैदल चढाई शुरू होती है। यहां से यमुनोत्री की दूरी पांच किलोमीटर है। रास्ता ठीक-ठाक है। अब चित्र देखिये:
खैर, यात्रा हरिद्वार-ऋषिकेश से शुरू होती है। नरेन्द्रनगर, चम्बा, टिहरी होते हुए पहुंचते हैं धरासू बैण्ड। धरासू से एक रास्ता बडकोट जाता है दूसरा उत्तरकाशी या यूं कहिये कि एक रास्ता यमुनोत्री जाता है दूसरा गंगोत्री। धरासू से यमुनोत्री जाने वाला रास्ता ऊबड-खाबड है। इस पर काम भी चल रहा है। जैसे-तैसे जानकीचट्टी पहुंचते हैं। जानकीचट्टी यमुनोत्री का बेस-कैम्प है। यहां से यमुनोत्री के लिये पैदल चढाई शुरू होती है। यहां से यमुनोत्री की दूरी पांच किलोमीटर है। रास्ता ठीक-ठाक है। अब चित्र देखिये:
जानकीचट्टी। अब यहां बहार आ गयी होगी पर्यटकों की |
यमुनोत्री मार्ग से पीछे मुडकर देखते हैं तो जानकीचट्टी ऐसी दिखती है। |
यहां के पहाड बडे ही दुर्गम हैं, तभी तो ऐसे रास्ते बने हैं चट्टानों के नीचे से। |
यहां कोई बाबा धूनी रमाये रहते होंगे। मैं यात्रा शुरू होने से एक महीने पहले गया था। अब जबकि यात्रा शुरू हो चुकी है, बाबा ने धूनी फिर से रमा ली होगी। |
अगला भाग: सहस्त्रधारा - द्रोणाचार्य की गुफा
यमुनोत्री यात्रा श्रंखला
1. यमुनोत्री यात्रा
2. देहरादून से हनुमानचट्टी
3. हनुमानचट्टी से जानकीचट्टी
4. जानकीचट्टी से यमुनोत्री
5. कभी ग्लेशियर देखा है? आज देखिये
6. यमुनोत्री में ट्रैकिंग
7. तैयार है यमुनोत्री आपके लिये
8. सहस्त्रधारा- द्रोणाचार्य की गुफा
इस जीवन में तो न तैयार हो पायेंगे साथ चलने को...दिखाओ तो आज जैसे देख जरुर लेंगे तस्वीरों में और हैं हैं करने में भी पीछे न रहेंगे.
ReplyDeleteबहुत आनन्द आ गया तस्वीरें देख कर.
वाह जी बल्ले बल्ले. दिल्ली की गर्मी में यूं लगा कि आइसक्रीम मिल गई हो 5 रूपये वाली आरेंज..
ReplyDeleteखाली चित्रों में कल्पना उतारने के लिये छोड़ दिया हम सबको ।
ReplyDeleteतस्वीरे बहुत अच्छी है और जानकारी भी . पढने के बाद जाने की दिल कर रहा है
ReplyDeleteनीरज जी आप तो वो चरण पादुकाएं हम तक भिजवा दो जिनको पहन कर आप ऐसी दुर्गम लेकिन नयनाभिराम यात्रा करते हैं...मुझे लगता है ये कमाल आप का नहीं आपकी चरण पादुकाओं का है...कोरियर से भिजवा देना...आपकी इस उदारता से हम जैसों का भी भला हो जायेगा...ऐसे शानदार चित्र गर्मी में देख कर मन मचल उठा है...
ReplyDeleteनीरज
कुछ तस्वीरे बहुत सुन्दर तो कुछ बहुत खतरनाक भी हैं.
ReplyDeleteयही जिंदगी का रोमांच है
हिम्मत तो है आज भी साथ चलने की, लेकिन समय नही, मै ओर मेरे बेटे ऎसी ही चढाई चढे थे दो साल पहले इटली मै, हमे चढते समय समय कम लगा, लेकिन उतरते समय खडी चढाई से उतराना मुश्किल होता है, सो समय ज्यादा लगा, अति सुंदर चित्र ओर सुंदर विवरण.
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत खूबसूरत पोस्ट!!
ReplyDeleteफोटो तो एक से बढ़कर एक. आपकी घुमक्कड़ी ऐसी ही चलती रहे, यही कामना है.
खूबसूरती को बहुत सुन्दर कैद किया है
ReplyDeleteबहुत शानदार चित्रों सहित विवरण दिया यात्रा का. आभार.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत खूबसूरत फोटोग्राफी ....
ReplyDeletebhai waah !
ReplyDeleteise kahte hain ghumakkadi..........
jiyo pyare..........
maza a gaya aapka blog dekh kar, aapki rel yatraon ka vivran dekh kar aur abhinav abhinav foto dekh kar...
waah !
Bahut sundar maja aa gya
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