Skip to main content

तैयार है यमुनोत्री आपके लिए

इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें
अब जबकि चारधाम यात्रा शुरू हो चुकी है, शुरूआत यमुनोत्री से की जाती है। ज्यादातर लोग टूर ऑपरेटर से ही बुकिंग कराते हैं। टूर ऑपरेटर भारी भरकम राशि लेते हैं। मुझ जैसों के लिये यह राशि देना बस से बाहर की बात है।
खैर, यात्रा हरिद्वार-ऋषिकेश से शुरू होती है। नरेन्द्रनगर, चम्बा, टिहरी होते हुए पहुंचते हैं धरासू बैण्ड। धरासू से एक रास्ता बडकोट जाता है दूसरा उत्तरकाशी या यूं कहिये कि एक रास्ता यमुनोत्री जाता है दूसरा गंगोत्री। धरासू से यमुनोत्री जाने वाला रास्ता ऊबड-खाबड है। इस पर काम भी चल रहा है। जैसे-तैसे जानकीचट्टी पहुंचते हैं। जानकीचट्टी यमुनोत्री का बेस-कैम्प है। यहां से यमुनोत्री के लिये पैदल चढाई शुरू होती है। यहां से यमुनोत्री की दूरी पांच किलोमीटर है। रास्ता ठीक-ठाक है। अब चित्र देखिये:



जानकीचट्टी। अब यहां बहार आ गयी होगी पर्यटकों की

यमुनोत्री मार्ग से पीछे मुडकर देखते हैं तो जानकीचट्टी ऐसी दिखती है।

यहां के पहाड बडे ही दुर्गम हैं, तभी तो ऐसे रास्ते बने हैं चट्टानों के नीचे से।

यहां कोई बाबा धूनी रमाये रहते होंगे। मैं यात्रा शुरू होने से एक महीने पहले गया था। अब जबकि यात्रा शुरू हो चुकी है, बाबा ने धूनी फिर से रमा ली होगी।

अब इन रास्तों पर श्रद्धालु, पर्यटक, पोनी और डोली चल रहे होंगे।


पांच किलोमीटर के दुर्गम रास्ते पर अकेला मुसाफिर था मैं उस दिन।



नीचे यमुना बह रही है, और कुछ ऊपर रास्ता है।

पूरे रास्ते भर ये नजारे तो आम हैं।


पैदल यात्री पहाड की ओर चलें। ऊंचाई 3108 मीटर।


आराम करने के लिये पूरे रास्ते में शेड और बेंच हैं।


इस जगह को अट्ठारह कैंची कहते हैं। यहां सीढीदार रास्ता हैं कैंची की शक्ल में। इसे पार करने में पसीने छूट जाते हैं।



यमुना मन्दिर दूर से ही दिख जाता है। अगल-बगल तो होटल और धर्मशालायें हैं।





यमुनोत्री यात्रा श्रंखला
1. यमुनोत्री यात्रा
2. देहरादून से हनुमानचट्टी
3. हनुमानचट्टी से जानकीचट्टी
4. जानकीचट्टी से यमुनोत्री
5. कभी ग्लेशियर देखा है? आज देखिये
6. यमुनोत्री में ट्रैकिंग
7. तैयार है यमुनोत्री आपके लिये
8. सहस्त्रधारा- द्रोणाचार्य की गुफा

Comments

  1. इस जीवन में तो न तैयार हो पायेंगे साथ चलने को...दिखाओ तो आज जैसे देख जरुर लेंगे तस्वीरों में और हैं हैं करने में भी पीछे न रहेंगे.

    बहुत आनन्द आ गया तस्वीरें देख कर.

    ReplyDelete
  2. वाह जी बल्ले बल्ले. दिल्ली की गर्मी में यूं लगा कि आइसक्रीम मिल गई हो 5 रूपये वाली आरेंज..

    ReplyDelete
  3. खाली चित्रों में कल्पना उतारने के लिये छोड़ दिया हम सबको ।

    ReplyDelete
  4. तस्वीरे बहुत अच्छी है और जानकारी भी . पढने के बाद जाने की दिल कर रहा है

    ReplyDelete
  5. नीरज जी आप तो वो चरण पादुकाएं हम तक भिजवा दो जिनको पहन कर आप ऐसी दुर्गम लेकिन नयनाभिराम यात्रा करते हैं...मुझे लगता है ये कमाल आप का नहीं आपकी चरण पादुकाओं का है...कोरियर से भिजवा देना...आपकी इस उदारता से हम जैसों का भी भला हो जायेगा...ऐसे शानदार चित्र गर्मी में देख कर मन मचल उठा है...
    नीरज

    ReplyDelete
  6. कुछ तस्वीरे बहुत सुन्दर तो कुछ बहुत खतरनाक भी हैं.

    यही जिंदगी का रोमांच है

    ReplyDelete
  7. हिम्मत तो है आज भी साथ चलने की, लेकिन समय नही, मै ओर मेरे बेटे ऎसी ही चढाई चढे थे दो साल पहले इटली मै, हमे चढते समय समय कम लगा, लेकिन उतरते समय खडी चढाई से उतराना मुश्किल होता है, सो समय ज्यादा लगा, अति सुंदर चित्र ओर सुंदर विवरण.
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  8. बहुत खूबसूरत पोस्ट!!
    फोटो तो एक से बढ़कर एक. आपकी घुमक्कड़ी ऐसी ही चलती रहे, यही कामना है.

    ReplyDelete
  9. खूबसूरती को बहुत सुन्दर कैद किया है

    ReplyDelete
  10. बहुत शानदार चित्रों सहित विवरण दिया यात्रा का. आभार.

    रामराम.

    ReplyDelete
  11. बहुत खूबसूरत फोटोग्राफी ....

    ReplyDelete
  12. bhai waah !

    ise kahte hain ghumakkadi..........

    jiyo pyare..........

    maza a gaya aapka blog dekh kar, aapki rel yatraon ka vivran dekh kar aur abhinav abhinav foto dekh kar...

    waah !

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

आज ब्लॉग दस साल का हो गया

साल 2003... उम्र 15 वर्ष... जून की एक शाम... मैं अखबार में अपना रोल नंबर ढूँढ़ रहा था... आज रिजल्ट स्पेशल अखबार में दसवीं का रिजल्ट आया था... उसी एक अखबार में अपना रिजल्ट देखने वालों की भारी भीड़ थी और मैं भी उस भीड़ का हिस्सा था... मैं पढ़ने में अच्छा था और फेल होने का कोई कारण नहीं था... लेकिन पिछले दो-तीन दिनों से लगने लगा था कि अगर फेल हो ही गया तो?... तो दोबारा परीक्षा में बैठने का मौका नहीं मिलेगा... घर की आर्थिक हालत ऐसी नहीं थी कि मुझे दसवीं करने का एक और मौका दिया जाता... निश्चित रूप से कहीं मजदूरी में लगा दिया जाता और फिर वही हमेशा के लिए मेरी नियति बन जाने वाली थी... जैसे ही अखबार मेरे हाथ में आया, तो पिताजी पीछे खड़े थे... मेरा रोल नंबर मुझसे अच्छी तरह उन्हें पता था और उनकी नजरें बारीक-बारीक अक्षरों में लिखे पूरे जिले के लाखों रोल नंबरों में से उस एक रोल नंबर को मुझसे पहले देख लेने में सक्षम थीं... और उस समय मैं भगवान से मना रहा था... हे भगवान! भले ही थर्ड डिवीजन दे देना, लेकिन पास कर देना... फेल होने की दशा में मुझे किस दिशा में भागना था और घर से कितने समय के लिए गायब रहना था, ...

लद्दाख बाइक यात्रा-5 (पारना-सिंथन टॉप-श्रीनगर)

10 जून 2015 सात बजे सोकर उठे। हम चाहते तो बडी आसानी से गर्म पानी उपलब्ध हो जाता लेकिन हमने नहीं चाहा। नहाने से बच गये। ताजा पानी बेहद ठण्डा था। जहां हमने टैंट लगाया था, वहां बल्ब नहीं जल रहा था। रात पुजारीजी ने बहुत कोशिश कर ली लेकिन सफल नहीं हुए। अब हमने उसे देखा। पाया कि तार बहुत पुराना हो चुका था और एक जगह हमें लगा कि वहां से टूट गया है। वहां एक जोड था और उसे पन्नी से बांधा हुआ था। उसे ठीक करने की जिम्मेदारी मैंने ली। वहीं रखे एक ड्रम पर चढकर तार ठीक किया लेकिन फिर भी बल्ब नहीं जला। बल्ब खराब है- यह सोचकर उसे भी बदला, फिर भी नहीं जला। और गौर की तो पाया कि बल्ब का होल्डर अन्दर से टूटा है। उसे उसी समय बदलना उपयुक्त नहीं लगा और बिजली मरम्मत का काम जैसा था, वैसा ही छोड दिया।

स्टेशन से बस अड्डा कितना दूर है?

आज बात करते हैं कि विभिन्न शहरों में रेलवे स्टेशन और मुख्य बस अड्डे आपस में कितना कितना दूर हैं? आने जाने के साधन कौन कौन से हैं? वगैरा वगैरा। शुरू करते हैं भारत की राजधानी से ही। दिल्ली:- दिल्ली में तीन मुख्य बस अड्डे हैं यानी ISBT- महाराणा प्रताप (कश्मीरी गेट), आनंद विहार और सराय काले खां। कश्मीरी गेट पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास है। आनंद विहार में रेलवे स्टेशन भी है लेकिन यहाँ पर एक्सप्रेस ट्रेनें नहीं रुकतीं। हालाँकि अब तो आनंद विहार रेलवे स्टेशन को टर्मिनल बनाया जा चुका है। मेट्रो भी पहुँच चुकी है। सराय काले खां बस अड्डे के बराबर में ही है हज़रत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन। गाजियाबाद: - रेलवे स्टेशन से बस अड्डा तीन चार किलोमीटर दूर है। ऑटो वाले पांच रूपये लेते हैं।