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अक्षय तृतीया जा चुकी है। उत्तराखण्ड में चार धाम यात्रा भी शुरू हो चुकी है। मुसाफिरों और श्रद्धालुओं को घूमने के लिये यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसी जगहों के रास्ते खुल गये हैं। इन जगहों पर अब लोग-बाग आने-जाने शुरू हो गये हैं। जाहिर सी बात है कि सुविधायें भी मिलने लगी हैं।
पिछले महीने यानी चारधाम यात्रा शुरू होने से एक महीने पहले मैं अकेला यमुनोत्री के लिये चला था। सही-सलामत पहुंच भी गया। लेकिन वहां सब-कुछ सुनसान पडा था। ऐसा यमुनोत्री आपने कभी नहीं देखा होगा। वहां की काली कमली धर्मशाला प्रसिद्ध है। लेकिन वो भी बन्द थी, क्योंकि कोई नहीं जाता वहां कपाट बन्द रहने के दिनों में। उस रात मैं चौकीदार के यहां ठहरा था। वो सरकारी चौकीदार था, और बारहों मास यही रहता है। उसका परिवार नीचे बडकोट में रहता है। उन दिनों उसके साथ उसका लडका और एक नेपाली मजदूर रह रहे थे। मेरी इच्छा अगले दिन यमुना के उदगम स्थल सप्तऋषि कुण्ड तक जाने की थी। लेकिन बारिश ने सारे करे-कराये पर पानी फेर दिया। बारिश बन्द होने पर हम चारों मन बहलाने के लिये यमुना के साथ-साथ ऊपर की दिशा में चल दिये। उस यात्रा का विस्तृत विवरण आप पिछले भाग में पढ चुके हो।
एक झरने पर हम पहुंचे। यह यमुना का झरना था। वहां चारों ओर विशाल ग्लेशियर था। चौकीदार तो एक टूटे पेड का तना लेकर वापस चला आया था। मेरी इच्छा थी कि जितना भी आगे हम जा सकते थे, जायें। कोई लक्ष्य नहीं था हमारा। चौकीदार का लडका यशपाल और नेपाली भी मेरे इस इरादे से बडे खुश थे। वे कहने लगे कि यमुना के साथ साथ चलते हैं। और वे उस खतरनाक झरने के ऊपर चढने भी लगे थे, लेकिन मैं नहीं चढ पाया। लाख कोशिश कर ली, कभी पैर फिसल जाते, कभी सहारा लेने के लिये हाथ में पकडी घास उखड जाती। आखिरकार यह यमराज की बहन है, इसलिये यमुना के साथ जाना स्थगित कर दिया।
यहीं पर यमुना में एक और नदी आकर मिलती है। हम इसके साथ-साथ चल पडे। इस नदी के रास्ते में ग्लेशियर नहीं था, केवल बेतरतीब पत्थर थे। अब आगे की यात्रा का आनन्द लीजिये चित्रों के साथ:
पिछले महीने यानी चारधाम यात्रा शुरू होने से एक महीने पहले मैं अकेला यमुनोत्री के लिये चला था। सही-सलामत पहुंच भी गया। लेकिन वहां सब-कुछ सुनसान पडा था। ऐसा यमुनोत्री आपने कभी नहीं देखा होगा। वहां की काली कमली धर्मशाला प्रसिद्ध है। लेकिन वो भी बन्द थी, क्योंकि कोई नहीं जाता वहां कपाट बन्द रहने के दिनों में। उस रात मैं चौकीदार के यहां ठहरा था। वो सरकारी चौकीदार था, और बारहों मास यही रहता है। उसका परिवार नीचे बडकोट में रहता है। उन दिनों उसके साथ उसका लडका और एक नेपाली मजदूर रह रहे थे। मेरी इच्छा अगले दिन यमुना के उदगम स्थल सप्तऋषि कुण्ड तक जाने की थी। लेकिन बारिश ने सारे करे-कराये पर पानी फेर दिया। बारिश बन्द होने पर हम चारों मन बहलाने के लिये यमुना के साथ-साथ ऊपर की दिशा में चल दिये। उस यात्रा का विस्तृत विवरण आप पिछले भाग में पढ चुके हो।
एक झरने पर हम पहुंचे। यह यमुना का झरना था। वहां चारों ओर विशाल ग्लेशियर था। चौकीदार तो एक टूटे पेड का तना लेकर वापस चला आया था। मेरी इच्छा थी कि जितना भी आगे हम जा सकते थे, जायें। कोई लक्ष्य नहीं था हमारा। चौकीदार का लडका यशपाल और नेपाली भी मेरे इस इरादे से बडे खुश थे। वे कहने लगे कि यमुना के साथ साथ चलते हैं। और वे उस खतरनाक झरने के ऊपर चढने भी लगे थे, लेकिन मैं नहीं चढ पाया। लाख कोशिश कर ली, कभी पैर फिसल जाते, कभी सहारा लेने के लिये हाथ में पकडी घास उखड जाती। आखिरकार यह यमराज की बहन है, इसलिये यमुना के साथ जाना स्थगित कर दिया।
यहीं पर यमुना में एक और नदी आकर मिलती है। हम इसके साथ-साथ चल पडे। इस नदी के रास्ते में ग्लेशियर नहीं था, केवल बेतरतीब पत्थर थे। अब आगे की यात्रा का आनन्द लीजिये चित्रों के साथ:
दोनों तरफ सीधे खडे पहाड और बीच में बहती एक पतली सी जलधारा वाली तेज बहाव युक्त नदी |
पत्थर ही पत्थर |
सामने और पीछे यह दृश्य आम था। |
पत्थरों के बीच से निकलती नदी। इन पत्थरों पर चढना भी कभी-कभी बेहद मुश्किल हो जाता है। पूरे रास्ते भर चढाई जारी रही। |
नेपाली मजदूर की जैकेट पहने उस दिन यमुनोत्री का एकमात्र घुमक्कड |
यह है वही नेपाली |
नेपाली |
एक झरना भी था रास्ते में, यमुनोत्री से कम से कम चार किलोमीटर ऊपर। यह यमुना नदी नहीं है, ये बात मैं पहले भी बता चुका हूं। खडे पहाडों के बीच से इस तरह के झरने इस इलाके में आम हैं। |
प्यास लगती थी तो यही पानी पी लेते थे। जितनी ठण्डी हमारे यहां बरफ होती है, यह पानी उससे भी ठण्डा लगता है। |
कुछ नीचे आकर वापस देखा तो पता चला कि हम वहां से वापस आये हैं, उस ग्लेशियर से। इस चित्र को अब भी देखता हूं तो शरीर में झुरझुरी सी होती है कि मैं वहां तक पहुंच गया था। |
पुनः उसी यमुना वाले ग्लेशियर पर जो आपने पिछली पोस्ट में भी देखा था। दोनों ने एक एक तना उठाया और चल दिये। |
(यह वीडियो 13 सेकण्ड की है। इसमें एक शानदार झरने को दिखाया गया है।)
अगला भाग: तैयार है यमुनोत्री आपके लिये
यमुनोत्री यात्रा श्रंखला
1. यमुनोत्री यात्रा
2. देहरादून से हनुमानचट्टी
3. हनुमानचट्टी से जानकीचट्टी
4. जानकीचट्टी से यमुनोत्री
5. कभी ग्लेशियर देखा है? आज देखिये
6. यमुनोत्री में ट्रैकिंग
7. तैयार है यमुनोत्री आपके लिये
8. सहस्त्रधारा- द्रोणाचार्य की गुफा
Bhai tera jawab nahin..ek lajawab zaanbaaz insaan hai re bhai..teri jai ho...aanand le liya zindagi ka tumne...waah,,,jiyo bhai ji jiyo...
ReplyDeleteneeraj
जिंदाबाद....
ReplyDeleteआनन्द ही आ गया पढ़कर । जीवन का आनन्द भी यही है । लगे रहें ।
ReplyDeletevery adventurous ! I have also trekked on the same path along with Yamuna in September !
ReplyDeleteFor Saptarishi Kund only Sep./ Oct. is suitable .
सुंदर अभिव्यक्ति। घुमक्कड़ी जिन्दाबाद ....
ReplyDeleteअपनी सक्रियता से हिंदी ब्लागिंग को आप और ऊंचाई तक पहुंचाएं यही कामना है।
http://gharkibaaten.blogspot.com
नि:शब्द हूं आपकी मुसाफिरी और जीवटता देखकर
ReplyDeleteसितम्बर-अक्तूबर में जाओगे तो मुझे जरूर बता देना
आपके साथ जाने की इच्छा बलवती हो रही है
प्रणाम
बड़ी इर्ष्या होती है बोस तुम्हारे से !
ReplyDeleteवाह क्या यात्रा करवाई आपने।
ReplyDeleteआपकी हिम्मत की दाद देते है।
सभी फोटो बहुत सुन्दर लगे।
यार बड़ा बेजोड़ यात्रा करी तुमने... टोपा तो आगे से हमेशा साथ राखियों... मैं भी सिक्किम के नाथुला इलाके में टोपी के बगैर गया था.
ReplyDeleteयहाँ यमुनोत्री का व्यापक दर्शन हो गया.
नीरज भाई की जय हो , जमुनोत्री घुमाने के लिए धनयवाद
ReplyDeleteअद्भुत यात्रा वृत्तांत था , हिन्दी में इससे अच्छा यमुनोत्री का वर्णन कही नहीं मिलेगा
नीरज जी मैं दुबारा आपके ब्लॉग पर ये कहने आया हूँ के यदि इश्वर ने मुझे आपकी घुमक्कड़ी का एक प्रतिशत जज़्बा भी दिया होता तो आज मैं माउन्ट एवरेष्ट पर बैठा मूंगफली खा रहा होता...लेकिन ये हो न सका...और मैं मन मसोस कर सिर्फ आपकी पोस्ट पर कमेन्ट ही कर प् रहा हूँ...:))
ReplyDeleteआपकी घुमक्कड़ी जिंदाबाद...जिंदाबाद...जिंदाबाद...
नीरज
एक बात तो बता दुं कि उस दिन हवा बिलकुल नही चल रही होगी, या फ़िर तुम मै सर्दी को सहने की बहुत ज्यादा ताकत होगी,आप की यात्रा सच मै साहस से भरपुर है, हम ने भी की है एक दोबार ऎसी यात्रा, ओर डर सच मै तभी लगता है जब विश्बास डग मगा जाये, सभी चित्र बहुत सुंदर लगे . धन्यवाद
ReplyDeleteमुबारक हो नीरज भाई, दोस्तों ये हैं हमारे देसी Bear Grylls...बोले तो Man v/s Wild का देसी वर्जन
ReplyDeleteगजब महाराज!! जरुर जाना..हमारे लिए तो तस्वीर देखकर खुश होना एक मात्र सहारा है. इतना चलना तो अगले जन्म के लिए स्थगित कर रखा है (कैंसिल नहीं) :)
ReplyDeleteअमां यार...आदमी हो क्या हो....
ReplyDeleteइस बार कहीं जाओ...और अकेले से दो भले लगते हों तो साथ ले चलना....
अद्भुत जीव हो...
इतिहास में नाम लिखाने आए हो...लिखा जाएगा भी....
नीरज भाई की जय हो , जमुनोत्री घुमाने के लिए धनयवाद
ReplyDeleteDHANYAWAAD NEERAJ JI BLOG PAR ANE AUR AUR MERA HOSLA BADHANE KE LIYE
ReplyDeleteUMEED HAI AGE BHI MERA HOSLA BADHAYEGE
यात्र संस्मरण और चित्र मनमोहक हैं!
ReplyDeleteनीरज, लाजवाब है भाई।
ReplyDeleteलेकिन टोपी वगैरह साथ रखा करो यार, कोई शान नहीं कम हो जायेगी :))
हम तो दिल्ली में जिस मटमैले नाले को देखते हैं, उसे ही यमुना समझते कहते थे, तुम्हारी यात्रा के वर्णन से सारे वहम धुल गए। यमुना तो वो थी, जहां नीरज घूम कर आया है।
आभार।
जलजला आपको सलाम करता है।
ReplyDeleteधूप में निकलो घटाओं में नहाकर देखो
जिन्दगी क्या है किताबों को हटाकर देखो
काश यह बात कुछ घटिया ब्लागर समझ पाते।
कमाल के घुमक्कड़ हो यार आप भी...बेमौसम ही यहाँ तक हो आये...बहुत खूब!!लगे रहो...
ReplyDeleteगर्मी में झरने /बर्फ ..हरियाली देख कर ही मन खुश हो गया...
ReplyDelete'आखिरकार यह यमराज की बहन है, इसलिये यमुना के साथ जाना स्थगित कर दिया'
-पढकर बड़ी हंसी आई...:)
बड़े खुशनसीब हैं आप जो इतनी सुन्दर जगहें घूमने को मिलता है...घुमक्कड़ कहें?
बहुत अच्छी चित्रमय पोस्ट.
बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ है आपका लिंक खो गया था | धीमी गाती की वजह से सारे चित्र नहीं देख पाया जितने भी दिखे वो एक से बढ़ कर एक है |
ReplyDeleteबडे जिगर की बात है यहाँ तक पहुंचाना।
ReplyDeleteआपको देख कर ही हम यह महसूस कर लेते हैं कि हम भी इन खूबसूरत नजारों का दीदार कर रहे हैं।
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क्या हमें ब्लॉग संरक्षक की ज़रूरत है?
नारीवाद के विरोध में खाप पंचायतों का वैज्ञानिक अस्त्र।
हम तो बस देख ही पा रहे हैं सोच रहे हैं कि अगर जाना हुआ तो अपना वजन कम से कम ४० प्रतिशत कम करना पड़ेगा, जब आप जैसे जवान को इतनी समस्याएँ पेश आयीं तो हमारा तो पता नहीं क्या होगा। :)
ReplyDeletevery good lage raho
ReplyDeleteभाई मज़ा ही बाँध दिया
ReplyDeleteBhai tumhari yatra sandar thi ager koi or Ana cahta ho to jarur aye hum yamunotri me apka wait krenge . Ager yamunotri me treeking krni ho to is no per contect kren . 9012415399. Sudheer Singh
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