इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें।
चलिये आज खीरगंगा और मणिकर्ण से वापस चलते हैं। इसकी वजह से अमरनाथ यात्रा के प्रकाशन में विलम्ब हो रहा है। फिर अमरनाथ यात्रा का धारावाहिक छपेगा।
मैं जून 2010 के महीने में अकेला ही मणिकर्ण गया था। लगे हाथों खीरगंगा भी चला गया। जब खीरगंगा से वापस चलने लगा तो नीचे मणिकर्ण से एक दल और आ गया। कुल छह जने थे। पंजाब के थे। मैने उनसे कहा कि इस गरम कुण्ड में थोडी देर नहा लो, दस किलोमीटर पैदल सफर की थकान उतर जायेगी। जल्दी करना, फिर मैं भी तुम्हारे साथ ही वापस चलूंगा। भले मानस थे, मेरी बात मान ली। यह दल पुलगा तक मोटरसाइकिल से आया था। शेष दस किलोमीटर पैदल का रास्ता है। इनकी मोटरसाइकिलें पुलगा में ही सडक किनारे खडी थीं, लावारिसों की तरह। एक यह भी कारण था कि ये सभी फटाफट नहाये और फटाफट वापस चल पडे।
वैसे तो पार्वती नदी के साथ-साथ बढते जायें तो आखिर में मानतलाई झील जा पहुंचते हैं। मानतलाई पार्वती नदी का उदगम स्थल है। खीरगंगा से मानतलाई पहुंचने में कम से कम दो दिन लगते हैं। वहां अपना खाने-पीने और रहने-सोने का सामान लेकर ही जाना पडता है। और हां, मानतलाई तक भेड चराने वाले गद्दियों का आना-जाना लगा रहता है। तो अगर मानतलाई जा रहे हैं तो इन गद्दियों के पास रुक सकते हैं। खाना-पीना भी हो जायेगा और रात को रुकना भी।
जब हम सात जने नीचे उतर रहे थे तो कई विदेशी भी मिले। ऊपर खीरगंगा जा रहे थे। वे रात को ऊपर ही रुकेंगे। एक-दो बातें और रह गयी हैं, पहले चित्र देखिये फिर बताता हूं।
आज उदघाटन खुद से ही कर रहा हूं।
इनमें से एक तो स्थानीय गाइड है, बाकी सभी इजराइली हैं।
इन मजदूरों ने थोडी ही देर में काफी बडी चट्टान को काटकर रास्ता बनाना शुरू कर दिया है। जब मैं ऊपर जा रहा था तो ये भी नकथान से मेरे साथ ही आये थे।
ये चार तो तेज चलकर काफी नीचे आ गये, जबकि इनके बाकी दो साथी धीरे चलने की वजह से दूर रह गये। उनकी प्रतीक्षा की जा रही है। यहां का एक प्रसंग मजेदार है। एक ने कहा कि ओये, अपने कितने बन्दे ऊपर हैं। दूसरे ने गिना और बताया कि एक बन्दा ही ऊपर है। तीसरे ने कहा कि नहीं यार, दो बन्दे ऊपर हैं। तूने इन्हे (मुझे) भी गिन लिया है। यह अपना बन्दा नहीं है। चौथे ने कहा कि हम आये कितने थे? परेशान होकर एक ने कहा ओये, छड्ड यार, होंगे जितने होंगे।
खाना बन रहा है। यह गद्दी है।
ओये, पाजी। इक्क फोटू लेणा।
नकथान गांव के बच्चे।
एक घर के बाहर इतने सारे सींग लगे हैं।
नकथान गांव
पहुंच गये पुलगा। यहां एक जलविद्युत परियोजना का काम जोर-शोर से चल रहा है।
पुलगा गांव।
पुलगा में सडक किनारे पंजाब वालों की मोटरसाइकिलें सही-सलामत खडी मिल गयीं। मैं भी उनके साथ ही बाइक पर मणिकर्ण आया। साढे छह बजे मणिकर्ण से कुल्लू या भून्तर जाने की कोई गाडी नहीं मिली। अन्त में, एक ट्रक में बैठकर आया। वो ट्रक भी भून्तर से एक किलोमीटर पहले ही अपने मालिक के यहां खडा हो गया। ड्राइवर ने कहा कि सॉरी, पैसे मत देना, पैदल निकल जाओ। बारिश हो रही थी। अच्छा था कि मेरे पास छतरी थी। भून्तर में आधे घण्टे बाद पहली बस आयी लुधियाना वाली। अपन तो उसी में चढ लिये।
रंजन जी सलाह देते हैं
“एक संशिप्त कार्यक्रम बना कर लगा दो... पता चलेगा कुल कितने दिन का कार्यक्रम था.. कब कहा गए.. कहाँ रुके.. लोगों को प्लानिग करने में आसानी होगी...”
दिन 0: शाम को कुल्लू या मनाली जाने वाली बस में बैठे।
दिन 1: सुबह को कुल्लू पहुंचें। खा-पीकर फ्रेश होकर बिजली महादेव वाली बस में बैठे। शाम तक बडे आराम से बिजली महादेव घूमकर वापस कुल्लू आ सकते हैं। रात को कुल्लू में ही सो जाओ।
दिन 2: सुबह उठकर नहा-धोकर खा-पीकर मणिकर्ण वाली बस पकडें। दो घण्टे में मणिकर्ण। अब दिन भर मणिकर्ण घूमो। चाहो तो ठण्डी गुफा भी देख सकते हैं। मणिकर्ण में गुरुद्वारा साहिब के अलावा शिव मन्दिर, राम मन्दिर और भी बहुत से मन्दिर हैं। मन्दिरों में दिलचस्पी ना हो तो प्राकृतिक खूबसूरती तो है ही। रात को सोने के लिये होटल भी हैं और धर्मशालायें भी।
दिन 3: सुबह उठकर बस पकडकर बरशैणी चले जायें। यहां से खीरगंगा के लिये दस किलोमीटर का पैदल रास्ता है। चार घण्टे में आराम से तय हो जायेगा। तीन घण्टे में वापसी भी हो जायेगी। खीरगंगा में गरम पानी का कुण्ड है। चारों ओर बर्फीली चोटियां हैं तो गरम पानी में पडे रहने से ही मस्त सुकून मिलता है। वापसी में बरशैणी से ही सीधे कुल्लू की बस मिल जायेगी। रात नौ-दस बजे तक भी कुल्लू पहुंच गये तो सुबह तक वापस दिल्ली आ सकते हैं।
समाप्त।
मणिकर्ण खीरगंगा यात्रा
1. मैं कुल्लू चला गया
2. कुल्लू से बिजली महादेव
3. बिजली महादेव
4. कुल्लू के चरवाहे और मलाना
5. मैं जंगल में भटक गया
6. कुल्लू से मणिकर्ण
7. मणिकर्ण के नजारे
8. मणिकर्ण में ठण्डी गुफा और गर्म गुफा
9. मणिकर्ण से नकथान
10. खीरगंगा- दुर्गम और रोमांचक
11. अनछुआ प्राकृतिक सौन्दर्य- खीरगंगा
12. खीरगंगा और मणिकर्ण से वापसी
आज तो और भी विस्तृत और बढ़िया प्रस्तुति..ऐसे ऐसे रमणीय दृश्यों को प्रस्तुत करने केलिए आभार नीरज जी...पता नही वास्तव में देख भी पाऊँगा कि नही पर आपने आकर्षण बन दी...सुंदर यात्रा वृतांत के लिए हार्दिक बधाई
ReplyDeleteचित्र, विडिओ, वर्णन, सभी कुछ गज़ब की पोस्ट। धन्यवाद नीरज!
ReplyDeleteबहुत बढि्या रही यात्रा
ReplyDeleteएक यात्रा पर हम भी चले:)
तीन दिन में इत्ता घूम लिया.. ९-१० पोस्ट ठेल दी.. मैं सोचा कोई महीने भर का प्रोग्राम था.
ReplyDeleteफोटो तो एक से बढ़िया एक... आनंद आ गया...
थैंक्स..
बहुत सुन्दर चित्र, आनन्द आ गया।
ReplyDeleteजियो मेरे लाल
ReplyDeleteवीडियो से तो मजा आ गया, धन्यवाद
आपके साथ इतना घूमें, लेकिन मुझे तो थकान बिल्कुल नहीं है:)
घुमक्कडी जिन्दाबाद
प्रणाम
बढ़िया विवरण . मजा आ गया
ReplyDeleteबहुत सुंदर नीरज भाई, पिछली बार लिखना भुल गया था, जो खीर गंगा मे सफ़ेद सा दिखता है उसे कालक कहते है, घर मै भी जब हम पानी को उबालते है तो उस मै से यह कालक निकलता है, ओर उसी वजह से यह सफ़ेद दिखता है, सभी चित्र एक से बढ कर एक
ReplyDelete
ReplyDeleteनीरज भाई, आपसे ईर्ष्या करने का मन कर रहा है। क्या करूँ?
…………..
स्टोनहेंज के रहस्यमय पत्थर।
क्या यह एक मुश्किल पहेली है?
क्या शानदार और धारदार पोस्ट लिखी है. चित्र तो गजब के हैं. बताया नहीं की कौन सी केमरा ले रखी है.
ReplyDeleteबेहतरीन ................
ReplyDeleteThnx for videos !
ReplyDeleteबहुत लाजवाब पोस्ट. पूरा आनंद आगया चित्र देखकर तो.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत लाजवाब पोस्ट. पूरा आनंद आगया चित्र देखकर तो.
ReplyDeleteरामराम.
चित्रमय विवरण के साथ संक्षिप्त विवरण वाला आइडिया बढ़िया लगा
ReplyDeletekheer ganga ke darshan kar bahut maza aaya.thanks
ReplyDeleteगज़ब की पोस्ट और मस्त फोटो...और क्या चाहिए...धन्य हो आप नीरज जी...
ReplyDeleteनीरज
Good. But why didn't you proceed further to Tundabhuj? That's an excellent place, around 12 km above, connected with good road. That place has Parvati flowing at one side thru a gorge, 4 consecutive big fallses on the other side - you are standing on a lush green medow full of small flowers, wild strawberry, butterflies, Bhuj trees ('Tunda' is 'big'), Pine forest, Rhododendrons and a beauriful stream coming from a grassy peak topped with snow - and the peak is visible from top to base!! There is one shop which offers stay & food arrangements. We visited the place while coming down after crossing Pin-Parvati Pass in 2008. I shall send you some photos - pl. provide your mail details. Carry on your Ghumakjkadpana - I am also one like you. Hope to have furter introduction in future.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletebhai aisa laga ki hum hi ghoom kar aa gaye kheer ganga!! aur waise bhi hum sab dosta abhi sept end mein jaa rahe hai kheer ganga aur tumdabhoj ke loye..aapke yeh sabhi information aur photo kafi kam aayengi hamare bahut bahut thankxx,mein aapka naya naya pranshashaq hu...
ReplyDeleteWah
ReplyDeleteजिस घर के बाहर इतने सिंग लगे है वो शिकारी का घर होगा
ReplyDelete