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अमरनाथ बाबा के दर्शन कर लिये। दर्शन करते-करते दस बज गये थे। अब वापस जाना था। हम पहलगाम के रास्ते यहां तक आये थे। दो दिन लगे थे। अब वापसी करेंगे बालटाल वाले रास्ते से। हमारी गाडी और ड्राइवर बालटाल में ही मिलेंगे।
अमरनाथ बाबा के दर्शन कर लिये। दर्शन करते-करते दस बज गये थे। अब वापस जाना था। हम पहलगाम के रास्ते यहां तक आये थे। दो दिन लगे थे। अब वापसी करेंगे बालटाल वाले रास्ते से। हमारी गाडी और ड्राइवर बालटाल में ही मिलेंगे।
अमरनाथ से लगभग तीन किलोमीटर दूर संगम है। संगम से एक रास्ता पहलगाम चला जाता है और एक बालटाल। यहां अमरनाथ से आने वाली अमरगंगा और पंचतरणी से आने वाली नदियां भी मिलती हैं। यहां नहाना शुभ माना जाता है। लेकिन अब एक और रास्ता बना दिया गया है जो संगम को बाइपास कर देता है। यह रास्ता बहुत संकरा और खतरनाक है। इस बाइपास वाले रास्ते पर खच्चर नहीं चल सकते। घोडे-खच्चर संगम से ही जाते हैं। इस नये रास्ते के बनने से यात्रियों को यह लाभ होता है कि अब उन्हें नीचे संगम तक उतरकर फिर ऊपर नहीं चढना पडता। सीधे ऊपर ही ऊपर निकल जाते है। इस बाइपास रास्ते की भयावहता और संकरेपन का अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस पर कई जगह एक समय में केवल एक ही आदमी निकल सकता है। नतीजा यह होता है कि दोनों तरफ लम्बा जाम लग जाता है। इसी जाम में फंसने और निकलने की जल्दबाजी की जुगत में मैं इस खण्ड का एक भी फोटू नहीं खींच पाया।
अमरनाथ से बालटाल की दूरी चौदह किलोमीटर है। जबकि पहलगाम तीस-बत्तीस किलोमीटर दूर। लेकिन बालटाल वाले रास्ते से यात्रियों को मनाही की जाती है। कारण यह है कि बालटाल वाला रास्ता बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। पहलगाम वाला रास्ता भले ही लम्बा हो, भले ही कई-कई किलोमीटर बरफ पर चलना पडता हो, लेकिन सुरक्षित है।
बालटाल वाले रास्ते पर कच्चे भुरभुरे पथरीले पहाड हैं। बारिश हो गयी तो बना-बनाया रास्ता भू-स्खलन से पल भर में बह जाता है। बारिश ना हुई तो धूल इतनी उडती है कि यात्री यात्रा के बाद खुद को शीशे में देखे तो दूसरी प्रजाति ही दिखती है। फिर भी इस रास्ते से यात्रा होती है, घोडे-खच्चर मिलते हैं और सबसे बडी बात कि सुरक्षा बल भी मौजूद रहते हैं। वे ही रास्ता बनाते हैं। कई भण्डारे भी मिलते हैं। मोबाइल और कैमरे की बैटरी भी चार्ज हो जाती है। हां, बालटाल जाते समय ढलान इतना जबरदस्त रहता है कि अपनी मर्जी से रुकना भी मुश्किल होता है। जूते कमजोर हैं तो समझो कि गये काम से।
आज अमरनाथ यात्रा की इस किश्त में कुछ फोटू और देखिये।
अलविदा बाबा |
हमें यहीं से दाहिने चलना होगा, बायें वाला रास्ता पहलगाम जाता है। |
सामने वाले पहाड पर ऊपर वाला रास्ता पंचतरणी और पहलगाम जाता है, और नीचे वाला संगम। हम बाइपास वाले रास्ते से जा रहे हैं। |
हम संगम को बाइपास करते जा रहे हैं, सामने वाला रास्ता पारम्परिक है जो संगम से होकर जाता है। |
संगम |
बालटाल वाला ऐसे ही पहाडों से भरा है। जरा सी बारिश होते ही पत्थर गिरने लगते हैं, नहीं तो धूल उडती रहती है। हम पूरे रास्ते धूल में चलते रहे। |
नीचे नदी में बरफ भी है। बरफ के नीचे से निकलती नदी। |
मुंह नहीं लपेटेंगे तो किलो भर धूल पेट में जानी तय है। (मनदीप) |
बालटाल से तीन किलोमीटर अमरनाथ की दिशा में डोमेल है जहां यात्रा का प्रवेश द्वार है। डोमेल में ही एक भण्डारे में। क्या शक्ल हो गयी है। (नीरज जाट) |
उदास क्यों बैठा है बिल्लू? अच्छा, थक गया है। |
यह है धर्मबीर। |
डोमेल से यह नजारा दिख रहा है। सामने वाले पहाड पर श्रीनगर-लेह राजमार्ग दिख रहा है। |
बालटाल की ओर |
बालटाल |
बालटाल में हैलीपैड है। यहां से पंचतरणी तक हेलीकॉप्टर सुविधा है। पंचतरणी से गुफा छह किलोमीटर दूर है। |
हैलीपैड के पास पार्किंग में हमारी गाडी भी खडी थी। तीन बज चुके थे। पता चला कि मिलिटरी की कानवाई चार बजे चलेगी। श्रीनगर में आज कर्फ्यू लगा है। बालटाल से लद्दाख को छोडकर कहीं भी जाने के लिये श्रीनगर जाना ही पडेगा। सैकडों गाडियां श्रीनगर जाने की तैयारी में खडी हैं। चार बजने का इन्तजार कर रहे हैं।
जैसे ही चार बजते हैं, सेना के पास एक सन्देश आता है कि श्रीनगर का रास्ता सही है, सिविलियन को छोड दो। आमतौर पर सिविल गाडियों के साथ बीच-बीच में सेना की गाडियां भी चलती हैं, लेकिन आज सेना की कोई गाडी नहीं गई।
अगला भाग: सोनामार्ग (सोनमर्ग) के नज़ारे
अमरनाथ यात्रा
1. अमरनाथ यात्रा
2. पहलगाम- अमरनाथ यात्रा का आधार स्थल
3. पहलगाम से पिस्सू घाटी
4. अमरनाथ यात्रा- पिस्सू घाटी से शेषनाग
5. शेषनाग झील
6. अमरनाथ यात्रा- महागुनस चोटी
7. पौषपत्री का शानदार भण्डारा
8. पंचतरणी- यात्रा की सुन्दरतम जगह
9. श्री अमरनाथ दर्शन
10. अमरनाथ से बालटाल
11. सोनामार्ग (सोनमर्ग) के नजारे
12. सोनमर्ग में खच्चरसवारी
13. सोनमर्ग से श्रीनगर तक
14. श्रीनगर में डल झील
15. पटनीटॉप में एक घण्टा
ha ha ha ha ha h
ReplyDeletevery nice post
better late than never
मान गए भाई. बड़े जीवट प्राणी हो.
ReplyDeleteबहुत विस्तार से आप ने अपनी यात्रा के बारे लिखा, ओर चित्र उस से भी सुंदर लगे, यह धर्म वीर शकल से तो पुलिस वाला लगता हे :)
ReplyDeleteयात्रा प्रसंग के साथ सभी चित्र भी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लगाये हैं आपने!
बहुत सुन्दर पोस्ट। जय भोले बाबा।
ReplyDeleteवाह एक से एक सुंदर फ़ोटो.
ReplyDeleteneeraj ji,,,, bahut acche photo hain.........jai baba bhole ki.....
ReplyDeleteजय हो भाई, घुमक्कड़ जाट जी।
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