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अमरनाथ यात्रा

अमरनाथ यात्रा वृत्तान्त शुरू करने से पहले कुछ आवश्यक जानकारी जरूरी है। मित्रों का आग्रह था कि मैं ये जानकारियां यहां जोड दूं।
रास्ता
वैसे तो आप आगे पढेंगे तो सारी जानकारी विस्तार से मिलती जायेगी, लेकिन फिर भी संक्षिप्त में:
यात्रा पहलगाम से शुरू होती है। पहलगाम जम्मू और श्रीनगर से सडक मार्ग से अच्छी तरह जुडा है।
पहलगाम (2100) से चन्दनवाडी (2800)= 16 किलोमीटर सडक मार्ग
चन्दनवाडी (2800) से शेषनाग झील (3700)=16 किलोमीटर पैदल
शेषनाग झील (3700) से महागुनस दर्रा (4200)=4 किलोमीटर पैदल
महागुनस दर्रे (4200) से पंचतरणी (3600)=6 किलोमीटर पैदल
पंचतरणी (3600) से अमरनाथ गुफा (3900)=6 किलोमीटर पैदल
अमरनाथ गुफा (3900) से बालटाल (2800)=16 किलोमीटर पैदल
यात्रा के लिये आवश्यक सामान:
यात्रा चूंकि उच्च हिमालयी रास्तों पर पैदल की जाती है, जहां हवा का दबाव भी काफी कम रहता है। इसलिये सबसे पहली बात कि सांस और हृदय रोगी यात्रा न करें। यात्रा मानसून में होती है, इसलिये बारिश और बर्फबारी के लिये तैयार रहें। सामान कम से कम ले जायें, लेकिन पर्याप्त सामान ले जायें। पर्याप्त जोडी गर्म कपडे, एक कम्बल, रेनकोट, मंकी कैप, दस्ताने, मोटी जुराबें, जूते आवश्यक हैं। बर्फ में धूप के नुकसान से बचने के लिये धूप का चश्मा ले जायें। कोल्ड क्रीम भी ले लें और रोज यात्रा शुरू करने से पहले शरीर के नंगे हिस्सों जैसे हथेली, चेहरे, गर्दन पर अच्छी तरह पोत लें, नहीं तो त्वचा जल जायेगी। एक डण्डा भी जरूरी है। अगर वाकिंग स्टिक ले जायें तो अति उत्तम। वाकिंग स्टिक मजबूत तो होती ही है, इसे बैग में भी रखा जा सकता है। वैसे डण्डे पहलगाम और बालटाल में भी मिल जाते हैं, लेकिन ये उस समय तक टूटने लगते हैं, जब इनकी सर्वाधिक आवश्यकता होती है, यानी शेषनाग झील तथा गुफा के बीच में बर्फ पर चलते समय। मैं वैसे तो दवाई नहीं ले जाता, लेकिन कुछ दवाईयां भी ले लेनी चाहिये। सर्दी-जुकाम, बुखार, थकान, सिरदर्द, उल्टी, चक्कर आना; ये कुछ प्रमुख बीमारियां हैं जो यात्रा के समय लग जाती हैं। इनके लिये जो भी अच्छी दवाईयां होती हैं, ले जायें। पैदल चलते समय टॉफी ठीक रहती है, इससे मुंह में आर्द्रता बनी रहती है, गला सूखने नहीं पाता। पानी की बोतल भी आवश्यक है, हालांकि स्थान स्थान पर पानी के स्त्रोत मिलते रहते हैं। खाने की कोई परेशानी नहीं है। रास्ते भर भण्डारे मिलते हैं। सोने की भी कोई परेशानी नहीं। पहलगाम, शेषनाग, पंचतरणी, गुफा और बालटाल में भारी संख्या में टेण्ट होते हैं। जहां निर्धारित दर पर सोने की अच्छी व्यवस्था हो जाती है।

अब यात्रा वृत्तान्त
मणिकर्ण से वापस आकर जब मैं ऑफिस में फोटू दिखा रहा था तो मनदीप बोला कि सर, आप तो घूमते-फिरते रहते हैं। इस बार अमरनाथ चलिये। अपनी तरफ से तुरन्त हां हो गयी। काफी विचार-विमर्श और दिक्कतों के बाद तय हुआ कि बारह जुलाई को चलेंगे। कुल छह जने तैयार थे। मैं, मनदीप, मनदीप का बडा भाई कालू, तवेरा भाई धर्मबीर, ममेरा भाई शहंशाह और एक दोस्त बिल्लू। गाडी थी क्रूजर। इसकी पीछे वाली सीटें हटाकर ‘स्लीपर’ बना लिया था। चार आदमी बडे आराम से पैर फैलाकर सो सकते थे।
दिल्ली से शाम को पांच बजे चल पडे। हरियाणा की सीमा में घुसते ही मौसम गडबडाने लगा। और सोनीपत पार करते-करते मूसलाधार बारिश शुरू हो गयी। जैसे-जैसे पानीपत नजदीक आता गया, बारिश और आंधी-तूफान भयंकर होते चले गये। खाली सडक पर भी गाडी बीस की स्पीड से ज्यादा नहीं बढ पा रही थी, कम दृष्यता के कारण। हालांकि कुरुक्षेत्र तक पानी बरसना बन्द हो गया था। अब शुरू हुई एक ढाबे की तलाश। ताकि खाना खाते ही पसर जायें। ढाबे तो बहुत मिलते रहे, लेकिन गाडी रोकी गयी हरियाणा की सीमा खत्म होने के बाद पंजाब में। ग्यारह बजे वहां से चले। अपन ने तो पेट भरते ही स्लीपर पर कब्जा जमा लिया और सो गया।
आंख खुली सुबह साम्बा पार करके। यहां से एक सडक सीधे ऊधमपुर जाती है। पचास-साठ किलोमीटर के करीब पडता है ऊधमपुर यहां से। लेकिन अगर जम्मू होते हुए जायें तो कम से कम सौ किलोमीटर पडता होगा। जैसे ही गाडी इस ऊधमपुर रोड पर मोडी, जम्मू कश्मीर पुलिस ने रोक ली। बोले कि इधर से जाने की मनाही है। जम्मू होते हुए ही जाना पडेगा। इधर गाडी में भी कालू और धर्मबीर दिल्ली पुलिस में हैं, पुलिस की नस-नस को जानते हैं। ड्राइवर से बोले कि बढा दे गाडी, कुछ नहीं होगा। मनाही के बावजूद भी गाडी जबरदस्ती बढा दी गयी। आठ किलोमीटर ही पहुंचे थे कि फिर जम्मू पुलिस मिल गयी। बोले कि वापस जाओ। अभी तो आठ किलोमीटर से ही वापस भेज रहे हैं, जबरदस्ती करोगे तो आगे तीस किलोमीटर आगे बडे साहब हैं, वहां से वापस आना पडेगा। बात अब हमारे दिमाग में भरी। गाडी वापस मोड ली।
जम्मू बाइपास पर एक ढाबे के पास गाडी रोक ली। घोषणा हो गयी कि टट्टी-पेशाब कर लो, नाश्ता कर लो। गाडी अब बनिहाल से पहले नहीं रुकेगी। हालांकि इस घोषणा के बाद भी सभी ने हल्का नाश्ता ही किया। नतीजा यह हुआ कि ऊधमपुर पार करते ही पेट खाली होने लगे। चूहे कूदने लगे। फिर गाडी रोकी गयी। नीचे नदी बहती है, दो तो वहां चले गये नहाने। बाकी होटल वाले के नल पर ही नहा लिये। होटल वाले का नल मतलब कि होटल से कुछ दूर् एक होदी बना रखी है। पहाड से नीचे आता पानी उसमें अपने आप ही इकट्ठा होता रहता है। सबने भरपेट खाना खाया।
चलते रहे, चलते रहे। बनिहाल पहुंचे। बिना किसी दिक्कत के सुरंग भी पार कर ली। जवाहर सुरंग। किसी जमाने में पढा करते थे कि यह भारत की सबसे लम्बी सडक सुरंग है। लेकिन अब इसका यह दर्जा खत्म हो गया है। सबसे लम्बी सुरंग कुल्लू-और मण्डी के बीच में बन चुकी है। पांच-छह किलोमीटर लम्बी है। जवाहर सुरंग लगभग ढाई किलोमीटर की है। इसके बाद शुरू होता है कश्मीर। गाडी पहाड से उतरकर घाटी में आ जाती है। घाटी भी इतनी लम्बी-चौडी कि मध्य हिमालय में होने के बावजूद भी पहाड दिखने बन्द हो जाते हैं।
खन्नाबल से एक सडक तो श्रीनगर की तरफ मुड जाती है, और एक पहलगाम की तरफ। यहां कदम कदम पर सुरक्षा बल हैं। जिनकी बदौलत अमरनाथ यात्रा हो रही है। सुरक्षा बल ना हों तो कश्मीरी लोग बाकी भारतीयों को कश्मीर में घुसने ही ना दें। यात्रा करना तो दूर की बात है।
AMARNATH YATRA
मनदीप जम्मू बाइपास ढाबे के पास

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क्रूजर, जिसमें हमारा काफिला गया था।

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बरसात के पानी ने पहाडी पर कैसी कलाकारी कर दी है।

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एक जाट को भैंस ही दिखेंगीं।

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ऊधमपुर की ओर

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सामने बगलिहार बांध दिख रहा है। चेनाब नदी पर बने इस बांध पर पाकिस्तान को आपत्ति है।

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कालू बाल्टी लिये खडा है पानी भरने के इन्तजार में।

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जवाहर सुरंग से तीन-चार किलोमीटर पहले यहां भण्डारा लगा था। अमरनाथ यात्रियों के लिये भण्डारे पंजाब से ही लगने शुरू हो जाते हैं, जो पूरे रास्ते भर मिलते हैं।

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जवाहर सुरंग। जम्मू की ओर।

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जवाहर सुरंग, कश्मीर की ओर।

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कश्मीर में पहाड धीरे-धीरे कम होने लगते हैं।

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काजीगुण्ड। यह कस्बा फलों और सेबों के लिये प्रसिद्ध है। उस दिन यहां कर्फ्यू लगा था, लेकिन अमरनाथ यात्रियों को निकलने दे रहे थे।
जब से यात्रा शुरू हुई है, कश्मीरियों ने खूब उत्पात मचा रखा है। कहीं ना कहीं कर्फ्यू लगा ही रहता है। देखना, यात्रा खत्म होते ही कश्मीर में कैसी शान्ति हो जायेगी। याद रखना मेरी इस बात को।

AMARNATH YATRA
यह खान कर्फ्यू के कारण दुकान बन्द करके ऊपर बैठा है। अरे, क्या देख रहा है खाली काजीगुण्ड को? दो महीने यात्रा होती है, क्या तुमसे बर्दाश्त नहीं होता?

AMARNATH YATRA
बस थोडा सफर और बाकी है। पहलगाम पहुंचने वाले हैं।


अमरनाथ यात्रा
1. अमरनाथ यात्रा
2. पहलगाम- अमरनाथ यात्रा का आधार स्थल
3. पहलगाम से पिस्सू घाटी
4. अमरनाथ यात्रा- पिस्सू घाटी से शेषनाग
5. शेषनाग झील
6. अमरनाथ यात्रा- महागुनस चोटी
7. पौषपत्री का शानदार भण्डारा
8. पंचतरणी- यात्रा की सुन्दरतम जगह
9. श्री अमरनाथ दर्शन
10. अमरनाथ से बालटाल
11. सोनामार्ग (सोनमर्ग) के नजारे
12. सोनमर्ग में खच्चरसवारी
13. सोनमर्ग से श्रीनगर तक
14. श्रीनगर में डल झील
15. पटनीटॉप में एक घण्टा

Comments

  1. आखिरी तस्वीरे में बड़े इत्मिनान से सोये हो..यह कैसी बस या गाड़ी है. जरा डिटेल में तस्वीर दिखाओ!!

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  2. लास्ट वाली फोटो मस्त है...

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  3. कोई कह रहा था कि लगातार पांच साल हिन्दू अमरनाथ यात्रा ना करें तो ये लोग भूखे मर जायेंगें।

    तस्वीरों के लिये और जानकारी के लिये आभार

    जै बाबा अमरनाथ बर्फानी

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  4. बहुत बढ़िया . मैंने अमरनाथ यात्रा की ऐसी तसवीरें पहले कभी नहीं देखी . बहुत अच्छा लगा .

    काश्मीर की समस्या का यथार्थ बताया आपने .

    १. जब से यात्रा शुरू हुई है, कश्मीरियों ने खूब उत्पात मचा रखा है। कहीं ना कहीं कर्फ्यू लगा ही रहता है। देखना, यात्रा खत्म होते ही कश्मीर में कैसी शान्ति हो जायेगी। याद रखना मेरी इस बात को।
    २. यह खान कर्फ्यू के कारण दुकान बन्द करके ऊपर बैठा है। अरे, क्या देख रहा है खाली काजीगुण्ड को? दो महीने यात्रा होती है, क्या तुमसे बर्दाश्त नहीं होता?
    ३.सुरक्षा बल ना हों तो कश्मीरी लोग बाकी भारतीयों को कश्मीर में घुसने ही ना दें। यात्रा करना तो दूर की बात है।

    ऊपर की तीन लाइन पढकर दुःख भी होता है ओउर क्रोध भी आता है . काश्मीर के लोग इतने संवेदनहीन क्यों है ? उन्हें हिन्दुओ की भावना का ख्याल क्यों नहीं है ? हर साल अमरनाथ यात्रा के समय ही ये बवाल क्यों होता है ? भारत के लोगो का खून पसीना से काश्मीर का विकास हो रहा है ओउर ये लोग भारतीयों के प्रति इतनी नफ़रत क्यों रखते है ?

    खैर , यात्रा तो होती रहेगी , बाबा अमरनाथ ही दुस्तो का संहार करेंगे

    यात्रा की अगली कड़ी का इन्तेजार रहेगा .

    ReplyDelete
  5. बहुत बढ़िया . मैंने अमरनाथ यात्रा की ऐसी तसवीरें पहले कभी नहीं देखी . बहुत अच्छा लगा .

    काश्मीर की समस्या का यथार्थ बताया आपने .

    १. जब से यात्रा शुरू हुई है, कश्मीरियों ने खूब उत्पात मचा रखा है। कहीं ना कहीं कर्फ्यू लगा ही रहता है। देखना, यात्रा खत्म होते ही कश्मीर में कैसी शान्ति हो जायेगी। याद रखना मेरी इस बात को।
    २. यह खान कर्फ्यू के कारण दुकान बन्द करके ऊपर बैठा है। अरे, क्या देख रहा है खाली काजीगुण्ड को? दो महीने यात्रा होती है, क्या तुमसे बर्दाश्त नहीं होता?
    ३.सुरक्षा बल ना हों तो कश्मीरी लोग बाकी भारतीयों को कश्मीर में घुसने ही ना दें। यात्रा करना तो दूर की बात है।

    ऊपर की तीन लाइन पढकर दुःख भी होता है ओउर क्रोध भी आता है . काश्मीर के लोग इतने संवेदनहीन क्यों है ? उन्हें हिन्दुओ की भावना का ख्याल क्यों नहीं है ? हर साल अमरनाथ यात्रा के समय ही ये बवाल क्यों होता है ? भारत के लोगो का खून पसीना से काश्मीर का विकास हो रहा है ओउर ये लोग भारतीयों के प्रति इतनी नफ़रत क्यों रखते है ?

    खैर , यात्रा तो होती रहेगी , बाबा अमरनाथ ही दुस्तो का संहार करेंगे

    यात्रा की अगली कड़ी का इन्तेजार रहेगा .

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  6. अरे वाह शेर घर बेठे ही अमर नाथ की यात्रा करवा रहे हो, धन्य हो, बहुत सुंदर चल रही है आप की यह यात्रा, सभी चित्र भी बहुत सुंदर मन लुभावने लगे, धन्यवाद

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  7. अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा

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  8. इस बार भी सुन्दर चित्र
    अगली यात्रा विवरण का इंतजार

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  9. वाह भाई इतने खूबसूरत चित्रों सहित इस घुमक्कडी पोस्ट ने तो आनम्द भर दिया मन में. घणी शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  10. जय बाबा अमरनाथ.मनमोहक चित्रों के लिए धन्यवाद

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  11. बोल बर्फानी बाबा की जय...इस बार तो बाबा बहुत जल्दी लोप हो गए...आप समय पर चले गए दर्शन करने...
    नीरज

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  12. This comment has been removed by the author.

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  13. अमरनाथ तीर्थ में सुनाई गयी अमरता की कथा कहीं भी लिखी हुई नहीं पाई जाती क्योंकि वह आँखों द्वारा ही लिखी और आँखों द्वारा ही सुनी गयी l  पत्नी के माँ रूप के अक्ष (आँखें) ही वह मोक्ष है जिसे सभी प्राचीन हिन्दू  ग्रथों में व्यक्ति का अंतिम लक्ष्य बदलाया गया है l पत्नी के माँ और देवी रूप की आँखों में उनकी इच्छा के प्रति पूर्ण समर्पण से ही झांक कर पति आगे का ज्ञान और मार्ग ठीक ठीक जान सकता है l विवाह से पहले ब्रह्मचारी, शाकाहारी और विवाह के पश्चात पूर्ण एवं कठोर रूप से एकपत्नीव्रता व्यक्ति पुरुष ही ऐसा करने में समर्थ  हो सकता है l पत्नी के देवी रूप के प्रति पूर्ण समर्पण से  ही व्यक्ति अमर हो सकता हैl और यही विवाह का सच्चा उद्देश्य है lयही वह यज्ञ है जिसमें शिवजी को भी अपना पूर्ण भाग प्राप्त होता है l

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  14. अमरनाथ तीर्थ में सुनाई गयी अमरता की कथा कहीं भी लिखी हुई नहीं पाई जाती क्योंकि वह आँखों द्वारा ही लिखी और आँखों द्वारा ही सुनी गयी l  पत्नी के माँ रूप के अक्ष (आँखें) ही वह मोक्ष है जिसे सभी प्राचीन हिन्दू  ग्रथों में व्यक्ति का अंतिम लक्ष्य बदलाया गया है l पत्नी के माँ और देवी रूप की आँखों में उनकी इच्छा के प्रति पूर्ण समर्पण से ही झांक कर पति आगे का ज्ञान और मार्ग ठीक ठीक जान सकता है l विवाह से पहले ब्रह्मचारी, शाकाहारी और विवाह के पश्चात पूर्ण एवं कठोर रूप से एकपत्नीव्रता व्यक्ति पुरुष ही ऐसा करने में समर्थ  हो सकता है l पत्नी के देवी रूप के प्रति पूर्ण समर्पण से  ही व्यक्ति अमर हो सकता हैl और यही विवाह का सच्चा उद्देश्य है lयही वह यज्ञ है जिसमें शिवजी को भी अपना पूर्ण भाग प्राप्त होता है l

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  15. Neeraj jat ki leela bhi aprampar hai

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  16. सीट हटाकर सही जुगाड कर रखा है गडी मे.

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