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कौसानी उत्तराखण्ड के बागेश्वर जिले में अल्मोडा-कर्णप्रयाग मार्ग पर स्थित है। इसके बारे में महात्मा गांधी कहते थे- अगर भारत में कौसानी है तो भारतीयों को स्विट्जरलैण्ड जाने की जरुरत नहीं है। गांधीजी ने यहां कुछ दिन बिताये थे। वे उस समय जहां ठहरे थे, उस जगह को आज ‘अनाशक्ति योग आश्रम’ कहते हैं।
मेरी दिलचस्पी कौसानी घूमने की नहीं थी। मुझे प्राचीन और ऐतिहासिक जगहें देखना अच्छा लगता है। इस इलाके में ऐसी ही एक जगह बैजनाथ है। जब अल्मोडा से बैजनाथ जाते हैं तो रास्ते में कौसानी पडता है। बस, रुक गये कुछ देर के लिये कौसानी में।
कुमाऊं का पूरा इलाका हिमालय के विस्तृत दृश्य के लिये जाना जाता है। लेकिन कौसानी से जो दृश्य दिखाई देता है, वो अदभुत है। यहां आकर मैंने सोचा कि अगर कौसानी से हिमालय ऐसा दिखता है तो लोग रानीखेत क्या देखने जाते हैं? इसी कारण अगले दिन मैं भी रानीखेत गया। वाकई कौसानी के आगे रानीखेत कुछ भी नहीं।
हमने कौसानी में लगभग दो घण्टे बिताये। इनमें से आधा घण्टा तो अनाशक्ति आश्रम में और बाकी खाने में और आगे की योजना बनाने में। वैसे अगर किसी को कौसानी जाना हो तो कम से कम दो दिन लेकर जाये। एक दिन कौसानी में और अगला दिन आसपास।
कौसानी उत्तराखण्ड के बागेश्वर जिले में अल्मोडा-कर्णप्रयाग मार्ग पर स्थित है। इसके बारे में महात्मा गांधी कहते थे- अगर भारत में कौसानी है तो भारतीयों को स्विट्जरलैण्ड जाने की जरुरत नहीं है। गांधीजी ने यहां कुछ दिन बिताये थे। वे उस समय जहां ठहरे थे, उस जगह को आज ‘अनाशक्ति योग आश्रम’ कहते हैं।
मेरी दिलचस्पी कौसानी घूमने की नहीं थी। मुझे प्राचीन और ऐतिहासिक जगहें देखना अच्छा लगता है। इस इलाके में ऐसी ही एक जगह बैजनाथ है। जब अल्मोडा से बैजनाथ जाते हैं तो रास्ते में कौसानी पडता है। बस, रुक गये कुछ देर के लिये कौसानी में।
कुमाऊं का पूरा इलाका हिमालय के विस्तृत दृश्य के लिये जाना जाता है। लेकिन कौसानी से जो दृश्य दिखाई देता है, वो अदभुत है। यहां आकर मैंने सोचा कि अगर कौसानी से हिमालय ऐसा दिखता है तो लोग रानीखेत क्या देखने जाते हैं? इसी कारण अगले दिन मैं भी रानीखेत गया। वाकई कौसानी के आगे रानीखेत कुछ भी नहीं।
हमने कौसानी में लगभग दो घण्टे बिताये। इनमें से आधा घण्टा तो अनाशक्ति आश्रम में और बाकी खाने में और आगे की योजना बनाने में। वैसे अगर किसी को कौसानी जाना हो तो कम से कम दो दिन लेकर जाये। एक दिन कौसानी में और अगला दिन आसपास।
कभी फुरसत से जायेंगे तो जी भरकर फोटू खीचेंगे। इस बार बस इतना ही।
अगला भाग: एक बैजनाथ उत्तराखण्ड में भी है
कुमाऊं यात्रा
1. एक यात्रा अतुल के साथ
2. यात्रा कुमाऊं के एक गांव की
3. एक कुमाऊंनी गांव- भागाद्यूनी
4. कौसानी
5. एक बैजनाथ उत्तराखण्ड में भी है
6. रानीखेत के पास भी है बिनसर महादेव
7. अल्मोडा यात्रा की कुछ और यादें
sunder.....
ReplyDeleteअतुल बहुत सुंदर ! बहुत स्मार्ट लग रहे हो बधाई !
ReplyDeleteशर्ट के लिए इतनी दीवानगी वाह !
कसोनी की और तस्वीरे दिखाते तो और आन्नद आता भाई नीरज ?
शर्ट् देख कर लगता है अब शादी वादी का ईरादा कर लिया है। अग्रिम बधाई।
ReplyDeleteसुन्दर तस्वीरें। अब नये सूटों में आयें श्रीमान।
ReplyDeleteआपकी बात ही अलग है, घुमते रहते हैं... हम तो आज तक मुंबई भी पूरी नहीं घूम पाए
ReplyDeleteघुमक्कडी जिंदाबाद
dekho kab jaana hota hai apna :(
ReplyDeletephotos to achhe hain hi..humare liye to itne bhi kaafi hain :)
एक दिन आयेगा जब खबर आयेगी कि नीरज जाटजी की शर्ट बिकी 240000 डॉलर में :)
ReplyDeleteनीरज भाई फोटो तो काफी अच्छे हैं, सुना है कौसानी को फूलो कि घाटी भी कहा जाता है, सोच रहे हैं इस बार गर्मियों में वहां जाने कि...मगर ये बताओ कि हल्द्वानी से कितना पड़ता हैं कौसानी, और रोड कैसी है, क्योकि अपनी गाडी से ही जाऊँगा...अल्मोड़ा या कौसानी में से एक चुनना हो तो किसे चुनेंगे
ReplyDeleteबहुत सुन्दर नीरज जी !
ReplyDeleteसुन्दर तस्वीरें
ReplyDeleteक्यो ललचा रहे हो,कही यह तो नही देख रहे कि शादी के बाद शहदमून कहां मनाना हे:)
ReplyDeleteकौसानी के नजारे बहुत सुन्दर हैं!
ReplyDeleteAAHA MERA GAAVN MERA DESH ....SUNDAR :)
ReplyDeleteबधाई हो ,आज तो हिंदी अख़बार हिंदुस्तान में छा रहे हो नीरज |
ReplyDeleteआज हिंदुस्तान में रविशकुमार द्वारा आपके ब्लॉग की चर्चा की गई है |
शुभकामनाएँ
आपने मुझे अपनी कौसानी यात्रा याद दिलवा दी...हम लोग दो दिन ठहरे थे और बैजनाथ भी गए थे...फोटू तो भाई गज़ब के हैं...
ReplyDeleteनीरज
Neeraj Ji, Kausani vakai main swarag hain. main ek baar yaha aa chuka hu. bahut sundar photo hain.
ReplyDeleteDhanayavad.......
भाई आज तो छा रा सै हिंदुस्तान अखबार में।
ReplyDeleteनीरज भाई फोटो तो काफी अच्छे हैं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर नीरज जी !
ReplyDeleteकौशानी का बहुत नाम सुना है मैंने ...वहां जाने की बड़ी इच्छा है ....सुमित्रा नंदन पन्त वहीं के थे ..........हिन्दुस्तान का स्वित्ज़रलैंड कहा है गाँधी जी ने इसे .......सुना है बहुत सुन्दर है ......
ReplyDeleteajit
भाई नीरज जी ....आज वो नक्शा देखा जिसमे ये दिखाया है की मुसाफिर कहाँ कहाँ घूम चुका है .....तो आपने अभी केरल नहीं देखा है ??????? .मैं किसी ज़माने में काश्मीर और उसमे भी ख़ास तौर पे गुलमर्ग पे बहुत फ़िदा था ......कहता था की वाह ....इस से सुन्दर जगह भी धरती पे कहीं होगी क्या ????????????.पर भैया एक बार केरल गया ....और जब केरल देखा तो सब कुछ भूल गया ......वाह क्या बात है .......उसे लोग gods own country कहते हैं .......वाकई इतना सुन्दर तो भगवान् का ही घर हो सकता है ......शब्द नहीं है मेरे पास ....उसका बखान करने के लिए ....सो मुसाफिर को बड़े भाई की सलाह है की पहली फुरसत में केरल घूम आओ ....पर जाना monsoons के बाद .......september सबसे अच्छा रहेगा ....बारिश के बाद तो वो बहुत ही सुन्दर हो जाता है .......
ReplyDeleteBahut sundar
ReplyDeleteGandhiji apni dincharya me kabhi badlav nahi karte the, magar Kausani me 10 din jyada ruke, aur apni pustak 'Anasaktiyog' ko pura kiya
ReplyDeleteKAASH ES BANDE KE SAATH MUJHE TRACK KARNE KA MAUKA MILE.
ReplyDeleteGREAT KHAGGAD.