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यह यात्रा कथा इसी साल जुलाई की है, जब हम अमरनाथ गये थे। दर्शन करके वापस बालटाल आये तो एक रात सोनमर्ग में गुजारी। यहां पता चला कि पिछले पन्द्रह-बीस दिनों से श्रीनगर में लगा कर्फ्यू कल शाम हटा लिया गया है। अब हमारे दिमाग में एक बात आयी कि अगली रात श्रीनगर में ही गुजारेंगे। सोनमर्ग से श्रीनगर लगभग अस्सी किलोमीटर दूर है। इसलिये दोपहर बाद निकल पडे।
यह यात्रा कथा इसी साल जुलाई की है, जब हम अमरनाथ गये थे। दर्शन करके वापस बालटाल आये तो एक रात सोनमर्ग में गुजारी। यहां पता चला कि पिछले पन्द्रह-बीस दिनों से श्रीनगर में लगा कर्फ्यू कल शाम हटा लिया गया है। अब हमारे दिमाग में एक बात आयी कि अगली रात श्रीनगर में ही गुजारेंगे। सोनमर्ग से श्रीनगर लगभग अस्सी किलोमीटर दूर है। इसलिये दोपहर बाद निकल पडे।
सोनमर्ग से चलकर कंगन, कुलान, गुण्ड जैसे कई छोटे-छोटे गांव पडते हैं। हर जगह हालांकि पहाड वाली शान्ति तो है लेकिन सन्नाटा भी है। अमरनाथ यात्रा की गाडियां और मिलिटरी की कानवाई साथ-साथ चलकर माहौल को और भी रहस्यमय बना देती हैं। किसी भी गांव में अगर गाडी की स्पीड कम हो गई तो कई लोग पीछे पड जाते हैं। नफरत और अलगाववाद के कारण नहीं, बल्कि रोजी-रोटी कमाने के लिये। मेवों, फलों और कश्मीरी शालों से दुकानें भरी हैं। लेकिन खरीदने वाले नहीं है।
एक गांव में हमने भी गाडी रोकी। चाय-पकौडी खाईं, कुछ खरीदारी की।
चलिये, फोटू देखिये और इस जन्नत का मजा लीजिये:
छोडो कल की बातें, कल की बात पुरानी, हम हिन्दुस्तानी। ला भाई, पकौडी दे। हां, चाय भी दे देना- कडक चाय। मीठा तेज।
चाय-पकौडी भी हिन्दुस्तान की एकता की प्रतीक हैं।
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जब तक कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से कछार तक इस तरह बेफिक्री से बैठकर चाय-पकौडी का इंतजार करते रहेंगे, तब तक हिन्दुस्तान की एकता-अखण्डता को कोई खतरा नहीं है। |
हम भी जा घुसे। कई पेटियां खरीदीं। हां, खरीदारी में घण्टों लगा दिये। तब तक सभी के मुंह चलते रहे। दुकान वाले के किलो भर बादाम, अखरोट खा गये होंगे। |
यहां की लकडी बहुत उच्च गुणवत्ता की है। खेलों का सामान बहुत बनता है। हालांकि यहां से लकडी लुधियाना, मेरठ जैसी जगहों पर भी जाती है जो खेलों का सामान बनाने के लिये प्रसिद्ध हैं। |
हमने यात्रा पहलगाम से शुरू की थी। हमारा ड्राइवर खाली गाडी को लेकर पहलगाम से बालटाल पहुंच गया था तो श्रीनगर से ही होकर गुजरा था। उसने बताया कि उस दिन यहां सिवाय मिलिटरी के कोई नहीं दिख रहा था। और आज हम जाम में भी फंस गये। अरसे बाद श्रीनगर में जाम लगा था। कश्मीरी बडे खुश थे। हाउसबोट से शिकारे तक सब व्यस्त थे। होटल भरने लगे थे।
असल में आतंकवाद ने यहां की अर्थव्यवस्था को बहुत प्रभावित किया है। सब बेरोजगार हैं। कश्मीरियों को पेट भरने और घर चलाने के लाले पड रहे हैं। उन्हें पैसा चाहिये। अगर उन्हें पत्थर मारने के पैसे मिलते हैं, तो वे पत्थर मारते हैं। बम फोडने के पैसे मिलते हैं तो वे बम भी फोड देते हैं। और जब शिकारे चलाने से पैसे मिलते हैं, तो वे साब-साब कहते शिकारे भी चलाते हैं। अमरनाथ यात्रा में यात्रियों से ज्यादा कश्मीरी दिखते हैं।
एक तो पहले से ही माहौल खराब है। फिर अरुंधति राय जैसों ने और जहर घोलने की कसम खा रखी है। अभी माओवादियों का साथ दे रही थी, अब कश्मीर के पीछे पड गयी है कि वे अपने हक की लडाई लड रहे हैं। अगर कल को पंजाबी, मेवाड वाले, मारवाड वाले, मराठे, तमिल, तेलुगू, मलयाली, बंगाली, असामी, नागा, मिजो सभी अपने लिये अलग देश की मांग रखकर आन्दोलन शुरू कर दें तो यह अरुंधति तो बडी खुश होगी। यह इतनी बडी बुद्धिजीवी बनती फिरती है, इसे यह नहीं पता कि कभी लाहौर, पेशावर, कराची भी अखण्ड भारत के हिस्से थे। उनके बारे में क्यों नहीं बोलती। बुद्धिजीविता की भी हद होती है। अगर मैं प्रधानमन्त्री होता, तो तुरन्त इसे मृत्युदण्ड की सिफारिश करता।
अगला भाग: श्रीनगर में डल झील
अमरनाथ यात्रा
1. अमरनाथ यात्रा
2. पहलगाम- अमरनाथ यात्रा का आधार स्थल
3. पहलगाम से पिस्सू घाटी
4. अमरनाथ यात्रा- पिस्सू घाटी से शेषनाग
5. शेषनाग झील
6. अमरनाथ यात्रा- महागुनस चोटी
7. पौषपत्री का शानदार भण्डारा
8. पंचतरणी- यात्रा की सुन्दरतम जगह
9. श्री अमरनाथ दर्शन
10. अमरनाथ से बालटाल
11. सोनामार्ग (सोनमर्ग) के नजारे
12. सोनमर्ग में खच्चरसवारी
13. सोनमर्ग से श्रीनगर तक
14. श्रीनगर में डल झील
15. पटनीटॉप में एक घण्टा
नीरज आज तुम पर और तुम्हारी घुमक्कडी पर ईर्ष्या हो रही है, लोग श्रीनगर के नाम से ही डरने लगे हैं और तुम बिंदास घूम भी आए? अरुंधति को मृत्यु दण्ड की बात बेहद अच्छी लगी। ऐसे ही त्वरित न्याय इस देश में होने लगे तब देश सुधर जाएगा। मेवे की कितनी पेटी लाए हो जरा दो चार दाने इधर भी भेज दो। ऐसे ही बिंदास घूमते रहो।
ReplyDeleteनीरज,
ReplyDeleteतुम्हारी बर्फ़ के कारण नाक जली, हमारे दिल जलते हैं तुम्हारी पोस्ट्स पढ़कर, हा हा हा। लेकिन प्यारे, ठंडक भी मिल जाती है, चित्र देखकर।
चाय पकौड़ी भारतीय एकता की प्रतीक है - मस्त पंच।
लास्ट में आते आते दिखा दिया तुमने कि सिर्फ़ मौज मस्ती करने वाले नहीं, दिल से संवेदनशील हो।
शुभकामनायें दोस्त।
शायद अगले साल काश्मीर जाना हो मेरा...
ReplyDeleteआपके घूमने की आदत से तो सही में ईर्ष्या होने लगती है हमें...
कितना घूमते हैं आप :)
wah...kavi sammelano ke karan desh bhar me aana-jana laga rahta hai par ghoomna nahi ho pata.....
ReplyDeletejaatraj tumhari ghumakkari ko naman.....
wah...kavi sammelano ke karan desh bhar me aana-jana laga rahta hai par ghoomna nahi ho pata.....
ReplyDeletejaatraj tumhari ghumakkari ko naman.....
घुमक्कड़ी जिंदाबाद !
ReplyDeletehaha...neeraj ...tum aur tumharee ghumakkadi...jindabaad !
ReplyDeleteGHUMAKDI HO TO NEERAJ JAAT JI JAISA
ReplyDeleteऐसे गरम माहौल में श्रीनगर भ्रमण। वाह।
ReplyDeleteThand laga di yar.
ReplyDeleteश्री नगर कीसैर करा दी भाई . कया बात है . बहुत उम्दा तस्वीर , बाहर उम्दा रिपोर्टिंग
ReplyDeleteपर अरुन्घती राय को मृत्यु दंड की सिफारिस थोड़ी जयादती होगी .राज ठाकरे भी तो अलगाव वाद की भाषा बोलते रहे है , उनको तो फांसी देने की बात किसी ने नहीं कही . देश के असमान विकास के चलते नक्सली उठ खड़े हुवे है. बाकी मुद्दों पर भी एक देश व्यापी बहस की जरुरत है
बहुत सुंदर लगी आप की यह यात्रा भी मन तो करता हे कि मै भी तुम्हारी तरह से खुब घुमु, लेकिन यह सब अब नही हो सकता, सभी चित्र भी मन मोहक लगे, बाकी इन देश द्रोहियो के बारे बात करना भी मुझे अच्छा नही लगता,इन्हे पकड कर पाकिस्तान भेज दो, वही इन के लिये उचित स्थान हे, जीता जागता नरक
ReplyDeleteसुन्दर. लेकिन जन्नत छोड़ आने का दुःख नहीं हुआ?
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर चित्रों से सुसज्जित यात्रा वृतांत.
ReplyDeleteरामराम.
धीरे धीरे आप बढ़िया फोटोग्राफर बनते जा रहे है | इस सुन्दर पोस्ट हेतु आभार |
ReplyDeleteधीरे धीरे आप बढ़िया फोटोग्राफर बनते जा रहे है | इस सुन्दर पोस्ट हेतु आभार |
ReplyDeleteमजा आ गया घुम्मकड़ महाराज!
ReplyDeleteस्वर्ग जैसी जगह में बेकार के खून खराबे की वजह से कितने भोले भाले लोग परेशानी में रह रहे हैं...
ReplyDeleteकमाल के फोटोग्राफ्स हैं...अप्रतिम.
नीरज
aapke sang ham bhi ho chale yaatra par... bahut hi laajawab prastuti ke saath tasveern yaatra ko jeewant bana rahi hai..fal, mewa aur khaskar akhrot to mujhe behad pasand hain, jab bhi gaon jaati hun to na jaane kitne hi akhrot khane ko milte hai, tadatad fodkar kha jaati hun.... aapne bahut hi sundar yaatra vratant se ru-b-ru karaya.. shahar kee bhagambhag ke beech sach mein do pal hi sahi bahut sukun mila....
ReplyDeleteHaardik shubhkaamnayne..
गज़ब की हिम्मत, कमाल के चित्र
ReplyDeleteघुमक्कड़ी जिंदाबाद !
Khoob, bahut khoob...... Shubhkamnay..
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