इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें।
जब जुलाई में हम छह जने अमरनाथ गये थे, तो वापसी बालटाल के रास्ते से की। बालटाल से आठ किलोमीटर श्रीनगर की ओर चलने पर सोनमर्ग आता है। यात्रा करते-करते हम सभी इतने थक गये थे कि सोनमर्ग से आगे बढ ही नहीं पाये। पच्चीस सौ रुपये में एक कमरा ले लिया। तीन तो फैल गये डबलबैड पर और बाकी तीन अतिरिक्त गद्दे बिछवाकर नीचे सो गये। सुबह आराम से उठे। उठते ही एक खबर मिली कि श्रीनगर में पिछले पन्द्रह दिनों से लगा कर्फ्यू हट गया है। अब हमारे योजनाकर्त्ताओं के दिमाग में केवल एक बात जरूर भर गयी कि आज रात श्रीनगर में हाउसबोट में ही काटेंगे। सोनमर्ग से श्रीनगर की दूरी लगभग अस्सी किलोमीटर है। यानी ढाई-तीन घण्टे लगेंगे। इसलिये आज यहां से दोपहर बाद चलेंगे। दोपहर तक घुडसवारी करते हैं।
नहा-धोकर खा-पीकर हम घोडों की खोज में चले। यहां हर होटल के पास घुडसवारी कराने वाले स्थानीय लोगों की भीड लगी रहती है। लेकिन इस होटल के पास घोडे वाले नहीं थे, खच्चर वाले थे। इसलिये तय हुआ कि खच्चरसवारी ही कर लेंगे। मौके पर किसी बात पर मनदीप और कालू की तनातनी गयी। गुस्से में आकर कालू कहने लगा कि मैं नहीं करूंगा घुडसवारी, तुम ही कर लो। जब मूड खराब हो जाता है तो इस तरह से एंजोय करने का मन भी नहीं करता। इसलिये मनदीप भी कहने लगा कि मैं भी नहीं जाऊंगा। कालू बोला कि तू नहीं जायेगा? मनदीप- नहीं। कालू- ठीक है, मत जा। मैं चला जाता हूं। और हंसने लगा। सबने मनदीप से खूब कहा लेकिन वो टस से मस नहीं हुआ।
आखिरकार चार जने घुडसवारी करने गये। मैं, कालू, धरमबीर और बिल्लू। हमारा मूड देखते ही खच्चर वाले भिड पडे कि इन्हें मैं ले जाऊंगा, मैं ले जाऊंगा। वे भी बेचारे क्या करें। एक यही यात्रा सीजन होता है जिसमें उन्हें साल भर में सबसे ज्यादा ग्राहक मिलते हैं। यही से उन्हें अपने परिवार की साल भर की कमाई निकालनी होती है। छह सौ रुपये प्रति सवारी से शुरू करके घटते-घटते ढाई सौ रुपये पर आ गये।
मैं जिन्दगी में पहली बार खच्चर पर बैठा था, इसलिये शुरू-शुरू में डर लगा। उधर खच्चर भी खेले-खाये थे। उन्हें पता था कि किस रास्ते से जाना है, कहां तक जाना है। हमारे चारों खच्चरों के नाम रखे हुए थे- बिजली, बादल, खली और मोटर। मेरे वाला खच्चर मोटर कुछ ऐबदार था। दूसरों को टक्कर मारकर उन्हें पीछे या इधर-उधर कर देता और खुद आगे-आगे चलता। उसकी इस हरकत से मेरी हालत खराब थी।
लगभग चार-पांच किलोमीटर दूर यहां कुछ ढाबे हैं। यहां तक या तो पैदल चले आओ, या खच्चर-घोडे पर और थाजीवास ग्लेशियर के नीचे बैठकर चाय-नाश्ता कर सकते हैं। |
एक ढाबे वाला खान हुक्का पी रहा था। इस देशियों को भी तलब लगनी ही थी। हां, यह हुक्का सेवा फ्री में मिल गयी। |
हां तो, यह थी हमारी छोटी सी सोनमर्ग यात्रा। जितना भी आज तक हिमालय क्षेत्र में घूम चुका हूं, यह जगह सबसे मनमोहक लगी। पूरा कश्मीर ही किसी स्विट्जरलैण्ड से कम नहीं है, बशर्ते शान्ति हो।
अगला भाग: सोनमर्ग से श्रीनगर तक
अमरनाथ यात्रा
1. अमरनाथ यात्रा
2. पहलगाम- अमरनाथ यात्रा का आधार स्थल
3. पहलगाम से पिस्सू घाटी
4. अमरनाथ यात्रा- पिस्सू घाटी से शेषनाग
5. शेषनाग झील
6. अमरनाथ यात्रा- महागुनस चोटी
7. पौषपत्री का शानदार भण्डारा
8. पंचतरणी- यात्रा की सुन्दरतम जगह
9. श्री अमरनाथ दर्शन
10. अमरनाथ से बालटाल
11. सोनामार्ग (सोनमर्ग) के नजारे
12. सोनमर्ग में खच्चरसवारी
13. सोनमर्ग से श्रीनगर तक
14. श्रीनगर में डल झील
15. पटनीटॉप में एक घण्टा
घुमक्कडी जिन्दाबाद
ReplyDeleteखूबसूरती को बहुत सुन्दर कैद किया है
ReplyDeleteneeraj jaat ji..
ReplyDeleteaapki yatraye dekhe kar to man karta hai..
aapke sath ek lambi yatra ki jaye......
गज़ब की यात्रा, खूबसूरत चित्र!
ReplyDeleteदृश्य देखकर मन प्रसन्न हो गया।
ReplyDeleteबेहद सुन्दर चित्र और यात्रा विवरण.
ReplyDeleteexcellent stuff...
ReplyDeleteits always refreshing to read your blog...
Beautiful, charming , marvellous, fabulous ,breathtaking, mindblowing indeed !
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत तस्वीरों के लिये और सोनमर्ग की सैर कराने के लिये धन्यवाद
ReplyDeleteयानि स्विट्जरलैंड भी घूम चुके हो!!! वाह
प्रणाम
बेहद खूबसूरत
ReplyDeleteनयनाभिराम चित्र...आँखें तृप्त हुईं...
ReplyDeleteनीरज
बहुत सुंदर जी चित्र तो बहुत ही सुंदर लगे, मस्त जी. धन्यवाद
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteसैर कराने के लिये धन्यवाद
ReplyDeleteकश्मीर में शांति हो..
ReplyDeleteआमीन!
जिओ!! बेहतरीन...यह सही कहा कि पूरा कश्मीर ही किसी स्विट्जरलैण्ड से कम नहीं है, बशर्ते शान्ति हो।
ReplyDeleteवाह नीरज भैया.... खूब घूम रहे हैं.... सभी फोटो मुझे बहुत अच्छे लगे....
ReplyDeleteआपके द्वारा लिये गए चित्रों की जितनी तारीफ़ की जाए उतनी कम है |
ReplyDeleteखूब आनन्द लो गधे की सवारी का बहुत बहुत आशीर्वाद। सुन्दर पोस्ट।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया हम भी कार्यक्रम बनाते हैं इधर जाने का...
ReplyDeleteवाह वाह .....बहुत सुन्दर
ReplyDeleteBahut hi sundar yaatra aur laajawab tasveer... man ko behad achha laga.... aabhar
ReplyDeleteदोस्त नीरज कश्मीर तो बहुत ही सुन्दर और रंगीन है पर कुछ ब्लैक एँड व्हाइट भी था
ReplyDelete.
.
.
.
.
.
.
ब्लैक था कालू
एँड
व्हाइट था कालू का खिच्चर