सावन का महीना शुरू हो गया है। जिस तरह फरवरी मार्च में फागुन का नशा होता है उसी तरह इस मौसम में सावन का नशा होता है। मैं अपनी बात कर रहूं, किसी और की नहीं। इसका कारण हैं शिवजी। शिवजी का महीना होता है यह। कांवड यात्रा से लेकर कैलाश मानसरोवर यात्रा तक इसी महीने में होती हैं। मैं भी हरिद्वार से मेरठ तक 150 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करके पांच बार कांवड ला चुका हूं। पूरे साल किसी भगवान का नाम नहीं लेता हूं, किसी की पूजा नहीं करता हूं लेकिन पता नहीं सावन में क्या होता है कि मन अपने आप ही कहने लगता है कि चल भोले के द्वार।
यह सातवां साल है मेरा भोले के द्वार जाने का। पहले पांच साल कांवड लाने में बिता दिये, पिछले साल कदम बहुत आगे निकल गये और अमरनाथ जा पहुंचे। इस साल श्रीखण्ड महादेव की तरफ से बुलावा आ रहा है। श्रीखण्ड महादेव का जिक्र मैं जिससे भी करता हूं, वही पूछता है कि श्रीखण्ड है कहां। गुजरात में एक खाने की चीज होती है श्रीखण्ड तो सभी कहते हैं कि यह गुजरात में ही होगा। इसके बाद मुझे बताना पडता है कि नहीं, श्रीखण्ड महादेव हिमाचल में है। फिर अगला सवाल होता है कि हिमाचल में कहां। यहां आकर मैं धर्मसंकट में फंस जाता हूं। राजनैतिक रूप से यह शिमला जिले में पडता है। इसे शिमला में बताना इसके कद का सत्यानाश करना है। फिर कुछ ने तो यहां तक भी कह डाला कि फिर इसमें कौन सी बडी बात है। वो रहा शिमला, दुनिया जाती है शिमला। तुम क्या न्यारे जा रहे हो?
उनकी बात भी ठीक है कि वो रहा शिमला। अगर दिल्ली में खडे होकर हिमाचल की तरफ देखा जाये तो शिमला और मनाली के अलावा कुछ और नजर भी तो नहीं आता पर्यटकों को। लेकिन बात अगर घुमक्कडी की हो तो भारत में कोई घुमक्कड शिमला घूमना नहीं चाहेगा। शिमला घुमक्कडों के लिये है भी नहीं, यह केवल पर्यटकों के लिये है। आओ और बस, पैसे खर्च करने शुरू कर दो। जबकि घुमक्कड हमेशा कंगाल होते हैं।
हां, तो शुरूआत हुई थी कैलाश से। तो जी, ऐसा है कि हिमालय में एक नहीं, पूरे सात कैलाश हैं। सब के सब दुर्गम क्षेत्रों में हैं और सभी की सालाना यात्राएं होती हैं वो भी सावन के बरसते महीने में। यात्राएं कई-कई दिन की होती हैं और पैदल होती हैं। आइये, नजर मारते हैं इन सातों पर:
1. कैलाश मानसरोवर: यह तिब्बत में है और सबसे मुख्य है। इसकी यात्रा कुमाऊं मण्डल विकास निगम आयोजित करता है। उत्तराखण्ड के पिथौरागढ जिले में धारचूला से इसकी यात्रा शुरू होती है। काली नदी के साथ-साथ चलते जाते हैं और आखिर में कई दिन का पैदल सफर तय करने के बाद पहुंचते हैं लिपुलेख दर्रे पर। इसे पार करने के बाद भारत-चीन सीमा आती है। यहां से चीन में प्रवेश करके मानसरोवर तट पर पहुंचा जाता है। मानसरोवर और कैलाश पर्वत दोनों की परिक्रमा की जाती है। फिर इसी रास्ते से वापस लौटते हैं। इसके अलावा कुछ प्राइवेट टूर ऑपरेटर नेपाल के रास्ते भी यात्रा कराते हैं। उसमें सारा सफर बस और जीप से तय किया जाता है सिवाय मानसरोवर और कैलाश परिक्रमा को छोडकर।
2. अमरनाथ कैलाश: इसे भी एक कैलाश माना जाता है और मुख्य कैलाश के बाद दूसरी पवित्र यात्रा भी मानी जाती है। यह जम्मू कश्मीर में है। इसका रास्ता अनंतनाग के पास पहलगाम से शुरू होता है। पहलगाम से चंदनवाडी तक जीप जाती हैं और उससे आगे पैदल। पिस्सू टॉप, शेषनाग, महागुनस दर्रा, पौषपत्री, पंचतरणी और संगम के बाद आती है अमरनाथ गुफा। यहां बर्फ का प्राकृतिक शिवलिंग अपने आप बनता है। यह यात्रा पहलगाम से दो या तीन दिनों में तय की जाती है। वैसे कुछ यात्री बालटाल नामक स्थान से भी यात्रा शुरू करते हैं। बालटाल श्रीनगर-लेह मार्ग पर सोनामार्ग से कुछ आगे है। बालटाल से यात्रा एक ही दिन में पूरी हो जाती है लेकिन यह रास्ता खतरनाक भी है।
3. मणिमहेश कैलाश: यह हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले में भरमौर के पास है। इसकी पैदल यात्रा हडसर नामक स्थान से होती है। इसकी यात्रा सावन में नहीं होती बल्कि भाद्रपद में कृष्ण जन्माष्टमी से राधा अष्टमी तक पन्द्रह दिनों में होती है। यहां मणिमहेश झील है, जिसके ठण्डे जल में लोग नहाते हैं और मणिमहेश पर्वत के दर्शन करते हैं। आधिकारिक रूप से इस पर्वत की परिक्रमा नहीं की जाती लेकिन कुछ लोग इसकी परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा करने के लिये टेंट, राशन के अलावा पोर्टर और गाइड होने जरूरी होते हैं।
4. श्रीखण्ड कैलाश: यह हिमाचल प्रदेश में शिमला जिले में है। इसकी दूरी शिमला से करीब 200 किलोमीटर है। श्रीखण्ड असल में शिमला, कुल्लू और किन्नौर जिलों की सीमा पर है। इसकी समुद्र तल से ऊंचाई 5200 मीटर से भी ज्यादा है। यह ऊंचाई अमरनाथ गुफा से 1500 मीटर ज्यादा है। अमरनाथ के रास्ते में पडने वाला 4200 मीटर ऊंचाई वाला महागुनस दर्रा भी इससे बहुत नीचा है। यही आंकडे इसे खतरनाक बनाने के लिये काफी हैं।
5. किन्नर कैलाश: यह भी हिमाचल प्रदेश में है और किन्नौर जिले में है। इस कैलाश की परिक्रमा की जाती है। यह परिक्रमा कई दिनों में पूरी होती है। विश्व प्रसिद्ध सांगला घाटी के अन्तिम छोर पर बसा है छितकुल गांव जहां पर इसकी परिक्रमा समाप्त होती है।
6. आदि कैलाश या छोटा कैलाश: यह उत्तराखण्ड के पिथौरागढ जिले में है। इसका ज्यादातर रास्ता मानसरोवर के साथ-साथ ही है। रास्ते में ओम पर्वत के दर्शन करके मानसरोवर के यात्री लिपुलेख दर्रे की ओर चले जाते हैं और आदि कैलाश वाले अपने मुकाम पर। वैसे इस परम्परागत रास्ते के अलावा भी यहां जाने का एक रास्ता और है। जिन्हें उस रास्ते की जानकारी है, वो इधर से जाकर उधर से आने की कोशिश करता है। लेकिन अक्सर मौसम खराब होने की वजह से, लगातार बर्फबारी होने की वजह से सेना उस रास्ते पर पहरा लगाये रखती है।
7. बूढा कैलाश: इसके बारे में कहा जाता है कि यह अभी अदृश्य है। लेकिन इस सातवें कैलाश को लेकर जम्मू कश्मीर यह मानता है कि बूढा कैलाश पुंछ जिले में है। इसके बारे में मुझे भी ज्यादा जानकारी नहीं है। कहीं पढा था कि पुंछ जिले में कहीं मण्डी गांव है जिसके पास यह स्थित है। लेकिन कुछ लोग यह भी मानते हैं डोडा से आगे भद्रवाह नामक कस्बे से कपलाश कुण्ड तक एक यात्रा होती है। उसी कपलाश कुण्ड के पास वो सातवां कैलाश है। कपलाश कुण्ड की यात्रा प्रामाणिक है और इसके बारे में मुझे पक्की जानकारी है कि यह सावन में होती है और भद्रवाह से इसकी छडी यात्रा भी रवाना होती है। यह भी कई दिनों की यात्रा होती है।
एक जगह पढा था कि सातवां कैलाश आजकल श्रीलंका में है। श्रीलंका में जिस जगह पर शिवजी के बडे पुत्र कार्तिकेय का जन्म हुआ था, वहां भी एक कैलाश है।
तो जी आखिर में बात यह है कि हम चार जने श्रीखण्ड महादेव जा रहे हैं। यात्रा मोटरसाइकिल से होगी। मेरे अलावा संदीप पंवार, एक नांदेड वाला और एक दिल्ली वासी विपिन इसे करेंगे। हम इस यात्रा में आठ दिन लगायेंगे। मानकर चल रहे हैं कि आठों दिन हमें बारिश में ही गुजारने पडेंगे।
आज सावन शुरू हुआ है और दिल्ली में मूसलाधार बारिश होनी शुरू हो गई है। ऐसे में हमारा हिमालय में दुर्गम स्थान पर जाना ठीक नहीं कहा जा सकता लेकिन...
चल भोले के द्वार चल, होगा बेडा पार चल।
बेडा पार हो गया है। श्रीखण्ड यात्रा पढने के लिये यहां क्लिक करें।
भोले रै तेरी बम-बम-बम
ReplyDeleteजानकारी के लिये आभार
BTW:जो कैलाश गौमुख के ठीक पीछे दीखता है या फिर जिसे लोग बताते है, वह कौन सा है ?
ReplyDeleteteen din se ghanghor baarish ho rahi hai idhar, rain coat daal lijiye abhi se aur nikal padiye. Aapki yaatra safl rahe, ghanghor bhole ke ghanghor darshan hon aapko, main jaa raha hun manimahesh kailash, aap jaaiye Srikhand Kaialsh :)
ReplyDeleteआपकी रोमांचक यात्रा की प्रतीक्षा रहेगी।
ReplyDeleteनीरज भाई इतनी अच्छी जानकारी के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद् ..आप श्री खंड यात्रा शुरू कीजिये भोले नाथ सब भली करेंगे जय भोले की
ReplyDeleteहर-हर बम-बम
ReplyDeleteबम-बम धम-धम |
थम-थम, गम-गम,
हम-हम, नम-नम|
शठ-शम शठ-शम
व्यर्थम - व्यर्थम |
दम-ख़म, बम-बम,
तम-कम, हर-दम |
समदन सम-सम,
समरथ सब हम | समदन = युद्ध
अनरथ कर कम
चट-पट भर दम |
भकभक जल यम
मरदन मरहम ||
राहुल उवाच : कई देशों में तो, बम विस्फोट दिनचर्या में शामिल है |
सप्त-कैलाश की जानकारी के लिये धन्यवाद। प्रेमलता पाण्डेय जी की कैलाश-मानसरोवर यात्रा का सम्पूर्ण विवरण यहाँ है।
ReplyDeleteहिमाचल में बहुत जगह भू स्खलन हो रहा है . मै वही से आ रहा हूँ , डलहौजी और बनीखेत के बीच एक भू स्खलन से हमारी यात्रा भी प्रभावित रही .
ReplyDeleteसो , ध्यान रखना और प्रभु का नाम लेते रहना
टेक केयर नीरज ...जल्दी भोले बाबा से मिलकर आओ ..
ReplyDeleteबोल बम भोले की जय
ReplyDeleteबाबा भली करेगा, शुभकामनाएं।
जबरदस्त जानकारी है आपको भाई..
ReplyDeleteबहुत जानकारीपूर्ण...आभार मित्र.
ReplyDeleteहमारी घुम्मकड़ी अलग सी होती है आरामतलबी के साथ...कल की पोस्ट देख लेना..याने सोमवार सुबह की ...इतना तो कर ही सकता हूं मैं भी. :)
ReplyDeleteनीरज भाई मैं आशा करता हूँ की आपकी श्री खंड महादेव की यात्रा बहुत ही अच्छी रही होगी आपने हमें अपना दीवाना बना दिया है .. उम्मीद करता हूँ की जल्दी ही मुलाकात होगी .....
ReplyDeleteजन्मदिन की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
ReplyDeleteअच्छा जी आज आपका जन्मदिन भी है Baar baar yeh din aaye baar baar yeh dil gaaye tu jiye hazaro saal yehi hai meri aarzoo Happy Birthday To You
ReplyDeleteसप्त-कैलाश की जानकारी के लिये आभार!
ReplyDeleteआपको जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ
श्रीखण्ड कैलाश की प्यारी सी, हल्की फ़ुल्की ना-ना-ना भूल कर भी ना सोच लेना, ये मस्त यात्रा कर के हम चार सिरफ़िरे वापस आ गये है, अभी तो अपने हालात ऐसे है कि हिमालय की कोई सी भी चोटी पर धावा बुलवा दो, उसे जीतना हमारा काम है, लेकिन कुछ लोगों की फ़टेगी जरूर, ऐसी खतरनाक यात्रा के बारे में पढकर व फ़ोटो देखकर,
ReplyDeleteअगली हिमाचल यात्रा रहेगी,
ReplyDeleteमात्र किन्नर कैलाश की, परिक्रमा सहित,
जो बाइक से ना होकर बस से की जायेगी, कब जाना होगा नीरज जाट जी बता देंगे।
नमस्कार नीरज जी,
ReplyDeleteइस जानकारी के लिए धन्यवाद .
मैंने भी एक ब्लॉग शुरू किया किया हैं . समय मिले तो जरा ध्यान देना .
धन्यवाद
http://safarhainsuhana.blogspot.com/
नीरज जी अद्भुत जानकारी उपलब्ध कराई है परन्तु कैलाश सिर्फ पांच है।अमरनाथ जी और बूढ़ा बाबा अमरनाथ जो कि पूँछ जिले की मंडी तहसील के राजपुरा गाँव में स्थित है कैलाश की श्रेणी में नहीं आते है यह दोनों स्थान शिव जी के निवास स्थान नहीं है। अमरनाथ जी की पवित्र गुफा में अमर कहानी सुने सुनाई थी और बूढ़ा बाबा में दर्शन दिए थे।
ReplyDeleteॐ नमः शिवाय
Neelkanth KAILASH n hai himachal m
ReplyDeleteM 29/07/17 ko shrikhand ja kar aaya ho.sach me tipical hai bro
ReplyDeleteGreat
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