इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें।
अमरनाथ यात्रा में शेषनाग झील का बहुत महत्त्व है। यह पहलगाम से लगभग 32 किलोमीटर दूर है, और चन्दनवाडी से लगभग 16 किलोमीटर। तो इस प्रकार सोलह किलोमीटर की पैदल यात्रा करके इस झील तक पहुंचा जा सकता है। यह झील सर्दियों में पूरी तरह जम जाती है। यात्रा आते-आते पिघलती है। कभी-कभी तो यात्रा के सीजन में भी नहीं पिघलती। इसके चारों ओर चौदह-पन्द्रह हजार फीट ऊंचे पर्वत हैं।
अमरनाथ यात्रा में शेषनाग झील का बहुत महत्त्व है। यह पहलगाम से लगभग 32 किलोमीटर दूर है, और चन्दनवाडी से लगभग 16 किलोमीटर। तो इस प्रकार सोलह किलोमीटर की पैदल यात्रा करके इस झील तक पहुंचा जा सकता है। यह झील सर्दियों में पूरी तरह जम जाती है। यात्रा आते-आते पिघलती है। कभी-कभी तो यात्रा के सीजन में भी नहीं पिघलती। इसके चारों ओर चौदह-पन्द्रह हजार फीट ऊंचे पर्वत हैं।
कहते हैं कि जब शिवजी माता पार्वती को अमरकथा सुनाने अमरनाथ ले जा रहे थे, तो उनका इरादा था कि इस कथा को कोई ना सुने। अगर कोई दूसरा इसे सुन लेगा, तो वो भी अमर हो जायेगा और सृष्टि का मूल सिद्धान्त गडबड हो जायेगा। सभी इसे सुनकर अमर होने लगेंगे। इसी सिलसिले में उन्होनें अपने असंख्य सांपों-नागों को अनन्तनाग में, बैल नन्दी को पहलगाम में, चन्द्रमा को चन्दनवाडी में छोड दिया था।
लेकिन अभी भी उनके साथ शेषनाग था जिसे उन्होनें इस झील में छोड दिया। शंकर जी ने शेषनाग को आदेश दिया था कि इस स्थान से आगे कोई ना जाने पाये। यह भी कहा जाता है कि कभी-कभी झील के पानी में शेषनाग दिखाई भी देता है। मेरे ख्याल से ऐसा हो सकता है कि झील में बहुत सी नदियां आकर मिलती हैं, फिर यहां कडाके की ठण्ड भी पडती है। पानी जम भी जाता है। इन सब घटनाओं के कारण ही कभी-कभी शेषनाग जैसी आकृति बन जाती होगी।
लेकिन अभी भी उनके साथ शेषनाग था जिसे उन्होनें इस झील में छोड दिया। शंकर जी ने शेषनाग को आदेश दिया था कि इस स्थान से आगे कोई ना जाने पाये। यह भी कहा जाता है कि कभी-कभी झील के पानी में शेषनाग दिखाई भी देता है। मेरे ख्याल से ऐसा हो सकता है कि झील में बहुत सी नदियां आकर मिलती हैं, फिर यहां कडाके की ठण्ड भी पडती है। पानी जम भी जाता है। इन सब घटनाओं के कारण ही कभी-कभी शेषनाग जैसी आकृति बन जाती होगी।
इस झील के चारों ओर कई ग्लेशियर हैं। यही से लिद्दर नदी निकलती है, जो पहलगाम की सुन्दरता में दस चांद लगा देती है। इसी के किनारे पर एक तम्बू नगरी भी लग जाती है। सुबह पहलगाम से चले यात्री शाम तक ही यहां पहुंच पाते हैं। यहां पर यात्री रात्रि-विश्राम करते हैं। कुछ यात्री इसमें स्नान भी करते हैं। स्नान करने वालों में दो तरह के लोग होते हैं: एक, धर्मभीरू जो सोचते हैं कि अगर इसमें स्नान ना किया तो शंकर जी नाराज हो जायेंगे। दूसरे, अति दुस्साहसी जो ज्यादातर दिखावे के कारण नहाते हैं कि हमें देखो, हममें है हिम्मत इस झील में नहाने की। मेरे अन्दर उपरोक्त दोनों ही गुणों का अभाव है। इसलिये इस बर्फीली झील में नहीं नहाया।
किनारे पर कुछ ऊपर तम्बू नगर बसा होता है। भण्डारे होते हैं, दुकानें होती हैं और सोने के लिये तम्बू होते हैं। हमारे दल में दो जने दिल्ली पुलिस में थे, वे दिल्ली से ही कुछ जुगाड करके लाये थे कि हमें सीआरपीएफ के ही तम्बू में जगह मिल गयी- फ्री में। ओढने के लिये स्लीपिंग बैग थे। उसमें घुस गये, चैन बन्द की और चैन से सोये।
शेषनाग किनारे धर्मबीर। थोडी देर पहले बूंदा-बांदी हो रही थी, इसलिये रेनकोट पहन रखा है। चश्मा शौकीनी के लिये नहीं बल्कि मजबूरीवश लगा रखा है। पहाडों पर बर्फ से चौंध ना लगे, इसलिये। |
ऊपर जो एक सफेद लकीर सी दिख रही है, वहां मुख्य तम्बू नगर है। नीचे गडरियों के तम्बू हैं। अभी हमें कम से कम दो किलोमीटर और चलना है। |
झील का पानी बिल्कुल साफ है। अत्यधिक ठण्ड के कारण ऊपर बरफ की पपडी जमने लगी है। इसीलिये प्रतिबिम्ब धुंधला सा दिख रहा है। |
पूरी यात्रा में खाने की कोई दिक्कत नहीं होती। फ्री में भण्डारे मिलते हैं। खाने की सब चीजें एक से बढकर एक होती हैं। |
यह हरियाणा के किसी शहर वालों का भण्डारा था। गर्मागरम दूध मिल रहा है। मेरठ वाले भण्डारे में स्पेशल किस्म का घेवर भी मिला था। |
अमरनाथ यात्रा
1. अमरनाथ यात्रा
2. पहलगाम- अमरनाथ यात्रा का आधार स्थल
3. पहलगाम से पिस्सू घाटी
4. अमरनाथ यात्रा- पिस्सू घाटी से शेषनाग
5. शेषनाग झील
6. अमरनाथ यात्रा- महागुनस चोटी
7. पौषपत्री का शानदार भण्डारा
8. पंचतरणी- यात्रा की सुन्दरतम जगह
9. श्री अमरनाथ दर्शन
10. अमरनाथ से बालटाल
11. सोनामार्ग (सोनमर्ग) के नजारे
12. सोनमर्ग में खच्चरसवारी
13. सोनमर्ग से श्रीनगर तक
14. श्रीनगर में डल झील
15. पटनीटॉप में एक घण्टा
बहुत दिनों से इस ब्लाग को मिस कर रहा हूँ। आज फॉलो कर दिया है। अब मिस नहीं होगा।
ReplyDeleteअमरनाथ यात्रा में आनंद आ रहा है। पहेलियाँ मजेदार हैं।
बेहतरीन पोस्ट. शेषनाग झील के चित्र बड़े लुभावने लगे.
ReplyDeleteइतनी सुन्दरता देख कर मन मुग्ध हो गया।
ReplyDeleteकमाल के फोटो खींचे है भाई...वाह...पूरी यात्रा में आनंद आ रहा है...स्लीपिंग में बैग में गैस...ये तो गड़बड़ हो गयी रे जाट..:))
ReplyDeleteनीरज
रोचक जानकारी से भरी पोस्ट!
ReplyDeleteबहुत अच्छे अच्छे फोटू दिखाए जी । मजा आ गया ।
ReplyDeletewonderful and awesome
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति.............
ReplyDeleteमजा आ गया ....ठंढक का आभास होने लगा........
गैस वाला फ़ंडा तो बड़े पंगे वाला रहा होगा?
ReplyDeleteबढि़या चल रहा है विवरण।
फ़ोटो भी हमेशा की तरह शानदार।
बहुत सुंदर चित्र भाई यात्रा क विवरण भी बहुत सुंदर, दिल् तो बहुत करता है हर तरफ़ जाने का, लेकिन दिल तो पागल है इस की हर बात माने तो काम कब करेगे?
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा यात्रा वृतांत है, ऐसा लग रहा है जैसे साक्षात् दर्शन कर लिए .......... आभार
ReplyDeleteकुछ लिखा है, शायद आपको पसंद आये --
(क्या आप को पता है की आपका अगला जन्म कहा होगा ?)
http://oshotheone.blogspot.com
घुमक्कडी जिन्दाबाद..जारी रहो..पढ़्कर और तस्वीरें देखकर मजे ले रहे हैं.
ReplyDelete