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पौषपत्री से चलकर यात्री पंचतरणी रुकते हैं। यह एक काफ़ी बड़ी घाटी है। चारों ओर ग्लेशियर हैं तो चारों तरफ़ से नदियाँ आती हैं। कहते हैं कि यहाँ पाँच नदियाँ आकर मिलती हैं, इसीलिये इसे पंचतरणी कहते हैं। लेकिन असल में ऐसा नहीं है। इस घाटी में छोटी-बडी अनगिनत नदियाँ आती हैं। चूँकि यह लगभग समतल और ढलान वाली घाटी है, इसलिये पानी रुकता नहीं है। अगर यहाँ पानी रुकता तो शेषनाग से भी बड़ी झील बन जाती।
पौषपत्री से चलकर यात्री पंचतरणी रुकते हैं। यह एक काफ़ी बड़ी घाटी है। चारों ओर ग्लेशियर हैं तो चारों तरफ़ से नदियाँ आती हैं। कहते हैं कि यहाँ पाँच नदियाँ आकर मिलती हैं, इसीलिये इसे पंचतरणी कहते हैं। लेकिन असल में ऐसा नहीं है। इस घाटी में छोटी-बडी अनगिनत नदियाँ आती हैं। चूँकि यह लगभग समतल और ढलान वाली घाटी है, इसलिये पानी रुकता नहीं है। अगर यहाँ पानी रुकता तो शेषनाग से भी बड़ी झील बन जाती।
इन पाँच नदियों को पाँच गंगा कहा जाता है। यहाँ पित्तर कर्म भी होते हैं। यहाँ भी शेषनाग की तरह तंबू नगर बसा हुआ है। अमरनाथ गुफ़ा की दूरी छह किलोमीटर है। दो-ढाई बजे के बाद किसी भी यात्री को अमरनाथ की ओर नहीं जाने दिया जाता। सभी को यही पर रुकना पड़ता है। हम इसीलिये शेषनाग से जल्दी चल पड़े थे और बारह बजे के लगभग यहाँ पहुँचे थे। हमारा इरादा आज की रात गुफ़ा के पास ही बिताने का था।
बालटाल से हेलीकॉप्टर सुविधा भी मिलती है। पहले हेलीकॉप्टर गुफ़ा के बिल्कुल सामने ही उतरते थे, जिससे ज्यादा प्रदूषण होने की वजह से शिवलिंग पर असर पड़ता था। इस बार हेलीपैड़ पंचतरणी में बना रखा था। पंचतरणी तक हेलीकॉप्टर से आओ, फिर या तो छह किलोमीटर पैदल जाओ, या खच्चर-पालकी में बैठो। अब जो लोग हेलीकॉप्टर से आते हैं, वे पैदल तो चल नहीं सकते; इसलिये सभी खच्चर-पालकी ही पकड़ते हैं।
पौषपत्री से जब हम चले तो मेरा प्रेशर बनने लगा। वहीं नदी किनारे बैठकर प्रेशर रिलीज किया। धोने के लिये जैसे ही पानी में हाथ डाला तो जान निकल गयी। उम्मीद नहीं थी कि पानी इतना ठंड़ा भी हो सकता है। ऊपर मौसम साफ़ था, इसलिये धूप जोर की निकल रही थी। धूप की वजह से गर्मी लग रही थी। अब तक शरीर के नंगे हिस्से जैसे हथेली के पीछे का हिस्सा, गर्दन और चेहरा पूरी तरह जल गये थे। जलने की वजह से अब धूप बर्दाश्त भी नहीं हो रही थी। चेहरे पर तौलिया लपेट लिया, जिससे चेहरे और गर्दन को कुछ आराम मिला।
चलिये, बहुत हो गया। फोटू देखते हैं।
सामने वाले पहाड़ों की तलहटी में पहुँचना है। फिर बायें मुड़कर पंचतरणी है। इसका मतलब है कि आगे का रास्ता उतराई वाला है। |
मैं और कालू सबसे आगे चल रहे थे। रास्ता उतराई वाला होने के कारण मनदीप और बिल्लू भी पैदल ही चल रहे थे। वे हमसे पीछे हैं। |
यहाँ मौका मिला नहाने-धोने का। धर्मबीर हज़ामत बना रहा है। पानी बेहद ठंड़ा था। मुझसे भी बहुत कहा गया कि नहा ले। लेकिन नहीं नहाया। |
अमरनाथ यात्रा
1. अमरनाथ यात्रा
2. पहलगाम- अमरनाथ यात्रा का आधार स्थल
3. पहलगाम से पिस्सू घाटी
4. अमरनाथ यात्रा- पिस्सू घाटी से शेषनाग
5. शेषनाग झील
6. अमरनाथ यात्रा- महागुनस चोटी
7. पौषपत्री का शानदार भण्डारा
8. पंचतरणी- यात्रा की सुन्दरतम जगह
9. श्री अमरनाथ दर्शन
10. अमरनाथ से बालटाल
11. सोनामार्ग (सोनमर्ग) के नजारे
12. सोनमर्ग में खच्चरसवारी
13. सोनमर्ग से श्रीनगर तक
14. श्रीनगर में डल झील
15. पटनीटॉप में एक घण्टा
ब़ड़ा आनन्द आया वृतांत पढ़्कर...कोई भंडारा नही दिखा इस बार..जरा भूख लगी थी. :)
ReplyDeleteसुंदर यात्रा विवरण, उस से भी सुंदर चित्र!
ReplyDeleteगद्य पढना अच्छा लग रहा था, कुछ और लिखते तो आनन्द आता। बहुत ही सुंदर जगह है। अब समझ आ रहा है तुम्हारी घुमक्कडी का राज। जीवन का आनन्द उठा रहे हो। अरे उदयपुर के बारे में कब लिखोगे? अब यहाँ झीले पूरी भर गयी हैं।
ReplyDeleteचित्र देख कर आत्मा तृप्त हो गयी हमारी तो।
ReplyDeleteमजा आ गया. फोटू तो जबरदस्त हैं. किसी प्रतिस्पर्धा डालना. पूरी दुनिया सराहेगी.
ReplyDeleteशानदार फोटो है... माजा आ गया...
ReplyDeleteघुमक्कडी महाराज आपका बहुत बहुत धन्यवाद हमारी कुटिया मे पधारने के लिये। सुन्दर चित्रों के साथ सुन्दर वृताँट। बधाई। अब होले महल्ले पर आना इस यात्रा का आनन्द ही कुछ और होगा। आनन्दपुर साहिब का ऐतिहासिक होल्ला मोहल्ला देखना। बहुत बहुत शुभकामनायें। आशीर्वाद।
ReplyDeleteनीरज जी नमस्कार ! बहुत ही शानदार फोटो हैं. यात्रा का वर्रण बहुत ही अच्छा हैं.
ReplyDeleteतसवीरें देखकर मजा आ गया
ReplyDeleteबहुत ही शानदार फोटो हैं. यात्रा का वर्रण बहुत ही अच्छा हैं.
ReplyDeleteपर कालू का सिगरेट पीना अच्छा नहीं लगा . मैंने वैष्णो देवी यात्रा में भी रस्ते में बहुत लोगो को सिगरेट पीते , गुटखा , खैनी देखा है . हमें अपने धार्मिक स्थलों की मर्यादा का ख्याल करना चाहिए . इसके अलावा अमरनाथ यात्रा तो पर्यावरणीय लिहाज से भी महत्वपूर्ण है . सिगरेट पीने , सेविंग करने से ही बाबा यात्रा खतम होने से पहले ही पिघल जाते है
आप की यात्रा सुख्द हो रही है, खुशी की बात है, आप ने कही भी जाकेट नही पहनी? हेरानगी की बात है, चित्र बहुत ही सुंदर ओर मन भावन लगे, बस हमारे लोग यहां गंदगी ना फ़ेलाये तो बहुत अच्छा है, धन्यवाद इस सुंदर विवरण के लिये
ReplyDeleteभोत मज़ा आ रहा है भाई...चले चलो...चलते रहो...रुको मत...
ReplyDeleteनीरज
तसवीरें देखकर मजा आ गया जी ।
ReplyDeleteएक से एक लुहावनी तस्वीरें.
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर यही बैठे यात्रा हो गयी अपनी भी ...आप की अब कितनी जगह बच रही हैं यहाँ देखने वाली :)
ReplyDeleteAti sundar !
ReplyDeleteमैंने आपकी अत्रामरनाथ यात्रा पढ़ी और कुछ दृश्य देखा बहुत अच्छा लगा भविष्य में हमें अत्रामरनाथ यात्रा करने में बहुत आसानी होगी
ReplyDeleteजय भोलेनाथ बाबा |
मैंने आपकी अत्रामरनाथ यात्रा पढ़ी और कुछ दृश्य देखा बहुत अच्छा लगा भविष्य में हमें अत्रामरनाथ यात्रा करने में बहुत आसानी होगी
ReplyDeleteजय भोलेनाथ बाबा |
जाट महराज प्रणाम
ReplyDeleteमुझे आपसे शिकायत है कि या तो आप जाट पहेली शीर्षक बदल दें या इसमें जाटों के इतिहास के बारे में पूछा करें
ध्न्यवाद!!!!!!!!!!!