भौगोलिक रूप से देहरादून शिवालिक की पहाडियों और मध्य हिमालय की पहाडियों के बीच में स्थित है। वास्तव में यह पूर्व में गंगा से लेकर पश्चिम में यमुना नदी तक फैला हुआ है। इस तरह की विस्तृत घाटियों को ही "दून" कहते हैं। इस घाटी में सौंग व आसन जैसी कई नदियाँ हैं। आसन व यमुना के संगम पर तो बैराज भी बना है।
इसी जिले में ऋषिकेश व मसूरी जैसी विश्व प्रसिद्द जगहें हैं। राजाजी राष्ट्रीय पार्क का काफी बड़ा हिस्सा भी इसी में पड़ता है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग और राष्ट्रीय वन अनुसन्धान संस्थान देहरादून में ही हैं। देश को मिलिट्री अफसर देने वाली इंडियन मिलिट्री अकेडमी (IMA) यही पर है।
अब देखते हैं देहरादून का इतिहास। 1675 में सिक्खों के सातवें गुरू, गुरू हरराय के पुत्र राम राय ने यहाँ एक डेरा स्थापित किया था। इसी डेरा को बाद में "देहरा" कहा जाने लगा।
स्कन्द पुराण के अनुसार यह इलाका केदार खंड का भाग था। यहाँ पर भगवान् शिवजी का शासन था। यह भी कहा जाता है कि देहरादून गुरू द्रोणाचार्य की जन्मस्थली थी। स्वर्गारोहण को जाते समय पांडवों ने भी यहाँ कुछ समय व्यतीत किया था। ईसा पूर्व कुछ शताब्दियों पहले विश्व के महान सम्राट अशोक का राज्य यहाँ तक फैला था। अशोक ने कालसी में शिलालेख भी खुदवाए। कालसी देहरादून से 50-60 किलोमीटर दूर है।
1815 तक देहरादून नेपाली गोरखाओं के कब्जे में रहा। इसके बाद अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया। और इसे सहारनपुर जिले की तहसील बना दिया। 1825 में देहरादून तहसील को कुमाऊँ मंडल में कर दिया गया, जिला सहारनपुर ही रहा। इसके चार साल बाद ही इसे कुमाऊँ से हटाकर मेरठ मण्डल में डाल दिया। इसके महत्त्व को देखते हुए अंग्रेजों ने 1871 में देहरादून को जिला बना दिया।
आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के पहाडी जिलों को दो मंडलों में बाँट दिया- गढ़वाल व कुमाऊँ। 1968 में देहरादून को मेरठ मंडल से हटाकर गढ़वाल मंडल में मिला दिया गया। 9 नवम्बर, सन 2000 को उत्तराँचल (अब उत्तराखंड) बनने के बाद इसे अस्थायी राजधानी बनाया गया। यहाँ के क्षेत्रीय राजनीतिक दल चमोली जिले के गैरसैण गाँव को स्थायी राजधानी बनाने की मांग कर रहे हैं।
यहाँ पहुँचने के लिए दिल्ली, चंडीगढ़ व हरिद्वार जैसी जगहों से नियमित बस सेवा उपलब्ध है। देहरादून से पैंतीस किलोमीटर दूर ऋषिकेश के पास जौलीग्रांट में सक्रिय हवाई अड्डा भी है। और ट्रेनें भी कम नहीं हैं।
देहरादून जाकर आप कहाँ कहाँ घूम सकते हैं? अभी बताता हूँ- ऋषिकेश, मसूरी, सहस्त्रधारा, डाकपत्थर, आसन पक्षी विहार, चकराता, लाखामंडल, कालसी आदि।
बस, अभी इतना ही।
बहुत अच्छी जानकारी के लिए आभार ! ब्लॉग पर लगा तिरंगा बहुत अच्छा लगा !
ReplyDeleteजल्द घुमने जाते है..
ReplyDeleteलो टिप्पणी.. दो धन्यवाद :)
अरे आपने तो देहरादून जाने का मूड बना दिया है.....बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने
ReplyDeleteआभार, अच्छी जानकारी के लिए ।
ReplyDeleteबहुत लाजवाब जानकारी दी आपने.
ReplyDeleteरामराम.
देहरादून का इतिहास बताने का शुक्रिया ।
ReplyDeleteऔर कार से भी जाया जा सकता है । :)
हम लोग तो कार से कई घूमने गए है देहरादून और उसके आस-पास की जगहें ।
देहरादून जाकर 'गुच्चू पानी' देखना न भूलियेगा.
ReplyDeleteachhi jankari di hai apne dehradoon ki...
ReplyDeleteदेहरादून देख चुके हैं। अच्छा लगा था जाना।
ReplyDeleteDehradun Tourism ko shukragujar hona chahiye aapka. acchi jaankari di hai.
ReplyDeleteइतिहास बताने के लिए शुक्रिया.
ReplyDeleteजब भी दुबारा वहाँ जाना होगा तो ये पोस्ट पढकर जाऊँगा।
ReplyDeleteसुंदर आलेख. डेरा का देहरा बन जाना हमारे लिए तो एकदम ताजा जानकारी है.
ReplyDeleteBHAI JI !! 1 Blog mein 2 pic alag-alag jagah add karna sikhaoge hame :-)
ReplyDeleteABE YAAR TUNE TU JAAT DHARAM SALA SE JANE KE BAAD NA HI KOI PHONE BHI NAHI KIYA ? RAAT ME TERE KO PHONE KARNE KI SOCH RAHA THA PAR YAAR NEED AA GAI
ReplyDeleteOR SUNA KYA CHAAL RAHA HAI
MEERUT KAB GAYEGA
MAIN ES BAAR MEERUT NAHI JAUGA KUNKI ME AGRA JA RAHA HOO ...........
ROHIT CHAUDHARY DAURALA
aapka blog padha...achcha likhte hai aap...ho sake to taswiro ki sakhya badhaeye...likhte rahe
ReplyDeleteउत्तराखंड से जुड़े यादगार यात्रा-संसमरण हमें भेज सकते हैं...जिसके लिए अग्रिम ध्न्यवाग !
ReplyDeleteDehradun ko garhwal mandal me 1975 me samil kiya tha
ReplyDelete