Skip to main content

अब फोटो खींचकर पैसे कमाइए...

आप अच्छे फोटोग्राफर हो और जबरदस्त फोटो खींचते हो... आप उन फोटो का क्या करते हो??... यदि आप प्रोफेशनल फोटोग्राफर हैं, तब तो आप फोटो से पैसे कमाने के बहुत सारे तरीके जानते ही हो... लेकिन यदि आप प्रोफेशनल फोटोग्राफर नहीं हैं, तो मुझे उम्मीद है कि आप केवल फेसबुक पर ही फोटो डालते होंगे... उनसे आपको थोड़े-से लाइक और थोड़ी-सी वाहवाही मिल जाती है और बात खत्म... मैक्सिमम लोग ऐसा ही करते हैं... इन मैक्सिमम में हम भी हैं...

इससे अच्छा है कि किसी स्टॉक वेबसाइट पर फोटो डालिए... और पैसे कमाइए... लेकिन स्टॉक वेबसाइट कैसे काम करती हैं??...

अगर किसी को किसी पर्टिकुलर टाइप के फोटो की आवश्यकता है, तो उसे क्या करना चाहिए???... एक तरीका तो यह है कि गूगल पर सर्च कर ले और फोटो डाउनलोड कर ले... लेकिन ऐसा करना कई बार गैर-कानूनी होता है... कॉपीराइट का इश्यू सामने आ जाता है... कॉपीराइट उल्लंघन की वजह से बेइज्जती भी हो जाती है... खासकर जब डाउनलोड करने वाला व्यक्ति बहुत सम्मानित हो या कोई संस्था या ब्रांड हो... ये लोग कभी नहीं चाहेंगे कि एक छोटी-सी बात की वजह से उनकी बेइज्जती हो...

तो ये लोग अच्छे फोटोग्राफर को ढूंढते हैं... और उससे फोटो खरीदते हैं... पिछले दिनों एक प्रकाशक को मेरा खींचा एक फोटो इतना पसंद आया कि उन्होंने अपनी किसी पुस्तक में इसे लगाने की अनुमति माँगी... हमने उन्हें अनुमति देते हुए ऑरिजिनल फोटो भी भेज दिया... इसके बदले उस प्रकाशक ने मुझे तीन पुस्तकें फ्री में भेजीं...

उससे पहले एक संस्था ने हमसे मालदीव के फोटो मांगे थे... हम कभी मालदीव नहीं गए हैं, तो मालदीव के फोटो हमारे पास नहीं थे... उन्होंने हमसे पूछा कि हमारे सर्किल में कोई अच्छा फोटोग्राफर मालदीव गया हो... ऐसा कोई व्यक्ति हमारे सर्किल में नहीं था...

स्टॉक वेबसाइट यही काम करती हैं... ये फोटोग्राफर और खरीदार के बीच ब्रिज की तरह हैं... दुनिया में करोड़ों ब्रांड हैं और किसी ब्रांड को जब भी किसी फोटो की आवश्यकता होती है, तो उसे पता है कि वैसा फोटो कहाँ मिलेगा... वो किसी स्टॉक वेबसाइट पर जाता है... वहाँ पहले से ही करोड़ों फोटोग्राफरों के बेहतरीन फोटो मौजूद हैं... पेमेंट करता है और अपनी पसंद व आवश्यकता के अनुसार फोटो डाउनलोड कर लेता है...

तो अगर आप अच्छे फोटोग्राफर हैं और अपने फोटो को केवल फेसबुक पर ही डालते हैं, तो किसी स्टॉक वेबसाइट पर भी डाल दो... अपना क्या जाता है??... फोटो अच्छे होंगे, तो डाउनलोड भी होंगे और आमदनी भी होगी...

गूगल में आप बहुत सारी स्टॉक वेबसाइटों की जानकारी ले सकते हो... लेकिन इनमें सबसे पॉपुलर है Shutterstock... इसके अलावा Getty Images, iStock, Alamy आदि भी हैं...

अपनी बताऊँ, तो मुझे फेसबुक और यूट्यूब से ही फुरसत नहीं है... मैंने शटरस्टॉक पर केवल 15 फोटो ही डाल रखे हैं... इन 15 में से 7 फोटो कुल 16 बार डाउनलोड हुए हैं और लगभग 160 रुपये की आमदनी हुई है... 160 रुपये कोई बड़ी एमाउंट नहीं है, लेकिन अगर फोटो की संख्या हजारों में होती, तो यह आमदनी भी हजारों में हो सकती थी...

हमें पता है कि आप में से बहुत सारे मित्रों के पास हजारों फोटो हैं... Shutterstock का लिंक यह रहा... अपना एकाउंट बनाओ... उनकी शर्तें पढ़ो... और फोटो अपलोड करते रहो...

शटरस्टॉक पर हमारा सबसे पॉपुलर फोटो यह है... इसे हमने गोवा के कोलवा बीच पर सनसेट के समय लिया था...



Comments

  1. Sir, your suggestion is very nice.

    ReplyDelete
  2. भाई फ़ोटो तो वाकई जानदार है। 150 फ़ोटो डाल देते हैं तो करीब 1600 की कमाई हो जाती।

    ReplyDelete
  3. नीरज जी आजकल आप की यात्रायें बंद है क्या

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

स्टेशन से बस अड्डा कितना दूर है?

आज बात करते हैं कि विभिन्न शहरों में रेलवे स्टेशन और मुख्य बस अड्डे आपस में कितना कितना दूर हैं? आने जाने के साधन कौन कौन से हैं? वगैरा वगैरा। शुरू करते हैं भारत की राजधानी से ही। दिल्ली:- दिल्ली में तीन मुख्य बस अड्डे हैं यानी ISBT- महाराणा प्रताप (कश्मीरी गेट), आनंद विहार और सराय काले खां। कश्मीरी गेट पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास है। आनंद विहार में रेलवे स्टेशन भी है लेकिन यहाँ पर एक्सप्रेस ट्रेनें नहीं रुकतीं। हालाँकि अब तो आनंद विहार रेलवे स्टेशन को टर्मिनल बनाया जा चुका है। मेट्रो भी पहुँच चुकी है। सराय काले खां बस अड्डे के बराबर में ही है हज़रत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन। गाजियाबाद: - रेलवे स्टेशन से बस अड्डा तीन चार किलोमीटर दूर है। ऑटो वाले पांच रूपये लेते हैं।

तिगरी गंगा मेले में दो दिन

कार्तिक पूर्णिमा पर उत्तर प्रदेश में गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र में गंगा के दोनों ओर बड़ा भारी मेला लगता है। गंगा के पश्चिम में यानी हापुड़ जिले में पड़ने वाले मेले को गढ़ गंगा मेला कहा जाता है और पूर्व में यानी अमरोहा जिले में पड़ने वाले मेले को तिगरी गंगा मेला कहते हैं। गढ़ गंगा मेले में गंगा के पश्चिम में रहने वाले लोग भाग लेते हैं यानी हापुड़, मेरठ आदि जिलों के लोग; जबकि अमरोहा, मुरादाबाद आदि जिलों के लोग गंगा के पूर्वी भाग में इकट्ठे होते हैं। सभी के लिए यह मेला बहुत महत्व रखता है। लोग कार्तिक पूर्णिमा से 5-7 दिन पहले ही यहाँ आकर तंबू लगा लेते हैं और यहीं रहते हैं। गंगा के दोनों ओर 10-10 किलोमीटर तक तंबुओं का विशाल महानगर बन जाता है। जिस स्थान पर मेला लगता है, वहाँ साल के बाकी दिनों में कोई भी नहीं रहता, कोई रास्ता भी नहीं है। वहाँ मानसून में बाढ़ आती है। पानी उतरने के बाद प्रशासन मेले के लिए रास्ते बनाता है और पूरे खाली क्षेत्र को सेक्टरों में बाँटा जाता है। यह मुख्यतः किसानों का मेला है। गन्ना कट रहा होता है, गेहूँ लगभग बोया जा चुका होता है; तो किसानों को इस मेले की बहुत प्रतीक्षा रहती है। ज्...

जिम कार्बेट की हिंदी किताबें

इन पुस्तकों का परिचय यह है कि इन्हें जिम कार्बेट ने लिखा है। और जिम कार्बेट का परिचय देने की अक्ल मुझमें नहीं। उनकी तारीफ करने में मैं असमर्थ हूँ क्योंकि मुझे लगता है कि उनकी तारीफ करने में कहीं कोई भूल-चूक न हो जाए। जो भी शब्द उनके लिये प्रयुक्त करूंगा, वे अपर्याप्त होंगे। बस, यह समझ लीजिए कि लिखते समय वे आपके सामने अपना कलेजा निकालकर रख देते हैं। आप उनका लेखन नहीं, सीधे हृदय पढ़ते हैं। लेखन में तो भूल-चूक हो जाती है, हृदय में कोई भूल-चूक नहीं हो सकती। आप उनकी किताबें पढ़िए। कोई भी किताब। वे बचपन से ही जंगलों में रहे हैं। आदमी से ज्यादा जानवरों को जानते थे। उनकी भाषा-बोली समझते थे। कोई जानवर या पक्षी बोल रहा है तो क्या कह रहा है, चल रहा है तो क्या कह रहा है; वे सब समझते थे। वे नरभक्षी तेंदुए से आतंकित जंगल में खुले में एक पेड़ के नीचे सो जाते थे, क्योंकि उन्हें पता था कि इस पेड़ पर लंगूर हैं और जब तक लंगूर चुप रहेंगे, इसका अर्थ होगा कि तेंदुआ आसपास कहीं नहीं है। कभी वे जंगल में भैंसों के एक खुले बाड़े में भैंसों के बीच में ही सो जाते, कि अगर नरभक्षी आएगा तो भैंसे अपने-आप जगा देंगी।