नोट: डायरी के पन्ने यात्रा-वृत्तान्त नहीं हैं। 1. हमारा एक व्हाट्स एप ग्रुप है- `घुमक्कडी... दिल से'। इसमें वे लोग शामिल हैं जो घूमते हैं और फिर उसे ब्लॉग पर लिखते भी हैं। लेकिन इसमें कुछ ऐसे भी लोग हैं जो साल में एकाध यात्रा-पोस्ट डाल देते हैं। इनमें दर्शन कौर धनोए प्रमुख हैं। कुछ तो ऐसे भी लोग हैं जो न लिखते हैं और न ही कहीं घूमने जाते हैं। ये लोग बेवजह आकर बेकार की बातें करते थे। मुझे इन लोगों से आपत्ति थी और एक बार ग्रुप छोड भी दिया था लेकिन एडमिन साहब अपने बेहद नजदीकी हैं, इसलिये पुनः शामिल हो गया। एक दिन प्रदीप चौहान ने अपने ब्लॉग का लिंक शेयर किया- safarhaisuhana.blogspot.in । उधर रीतेश गुप्ता जी के ब्लॉग का यूआरएल है- safarhainsuhana.blogspot.in । जाहिर है कि दोनों में एक N का फर्क है। रीतेश गुप्ता भी इस ग्रुप में शामिल हैं। प्रदीप ने हम सबसे अपना ब्लॉग पढने और टिप्पणी करने की गुजारिश की थी। मेरा दूसरों के यात्रा-वृत्तान्त पर टिप्पणी करने का कडवा अनुभव रहा है, इसलिये आजकल मैं न कोई यात्रा ब्लॉग पढता हूं और न ही टिप्पणी करता हूं; एकाध को छोडकर। मैं जब कोई यात्रा-वृत्तान्...
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग
शानदार प्रस्तुति प्रभु जी
ReplyDeleteनीरज भाई आपके आखिरी लाइन से हताशा झलक रही है।जायज भी है।लेकिन ऐसे आयोजनों से परिवर्तन की शुरुआत तो होती ही है।किसी न किसी में तो अंकुर फूटेगा।
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